प्यार भरी वासना मिली देसी भाभी से

नमस्ते मित्रो, कैसे हैं आप सब? मैं मुकेश कुमार दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 28 वर्ष एवं 5 फुट 6 इंच का सामान्य कद काठी का दिल्ली का रहने वाला आदमी हूँ. मेरे लिंग का आकार मैंने कभी मापा तो नहीं, पर लगभग साढ़े छह इंच का तो है ही, जो कि किसी भी महिला को संतुष्ट करने के लिए काफी है.

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ तथा बहुत बड़ा प्रशंसक भी हूँ. मैंने इसकी सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, तथा आज पहली बार अपनी कहानी लिख रहा हूं. मेरी गलती को सुधारने तथा अपनी राय मुझे [email protected] पर जरूर मेल करें.

यह कहानी नहीं है, मेरे साथ घटी सच्ची घटना है. यह घटना 8 वर्ष पूर्व की है, जब मैं दिल्ली से ही इंजीनियरिंग कर रहा था. मेरे घर के पड़ोस में एक भैया रहते थे, जो आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. वे यहां आकर नौकरी करते थे. पहले तो वह अकेले ही यहां रहते थे. पर बाद में वह अपनी पत्नी तथा बेटी को भी यहीं पर लेकर रहने आ गए.

शुरू में जब भाभी आई, तो मैंने उसी दिन उनकी पत्नी यानि भाभी को देखा, तो मुझे देखने में ही वो बिल्कुल देहाती और गंवार औरत सी दिखी. उसका रंग सांवला था तथा देहाती की तरह सिर पर घूंघट लिए रहती थी. मुझे भी लगा कि भैया कहां फंस गए, ऐसी घटिया सी दिखने वाली औरत के साथ कैसे उन्होंने शादी कर ली. पर मुझे क्या पता था कि यही औरत बाद में मुझे मेरी जान से भी प्यारी हो जाएगी.

इधर मैं एक बात और बताना चाहूंगा कि भाभी का रंग सांवला नहीं था बल्कि वह गोरी थीं, किंतु ट्रेन के सफर के कारण उनका रंग सांवला दिख रहा था. ये मुझे दो तीन दिन बाद भाभी को देखने के बाद मालूम हुआ.

भाभी का कद 5 फ़ीट, गोरी चिट्टी, छोटे छोटे स्तन, जबरदस्त मुस्कुराहट तथा साथ में भाभी शरारती भी थी. जबकि मैं एक शर्मीला लड़का हूँ तथा महिलाओं या लड़कियों से बात करने में काफी असहज महसूस करता था.

तो हुआ ये कि मैं दो हफ्ते बाद एक दिन घर के बाहर बैठा एक दूसरी भाभी जो कि पड़ोस में ही रहती हैं, उनसे बात कर रहा था.

तभी देहाती सी दिखने वाली संगीता भाभी (जी हां उनका नाम संगीता था जिसका ऊपर मैं जिक्र करना भूल गया था) आई और उनके साथ ही बात करने के लिए बैठ गई. मैं शर्मीलेपन की वजह से शांत हो गया.

तब संगीता भाभी मीना भाभी (दूसरी भाभी का नाम मीना था) से मेरी ओर इशारा करते हुए बोली कि पता नहीं ये मुझसे बात क्यों नहीं करते.

तब मीना भाभी ने मेरी और संगीता भाभी की बातचीत उसी के कहने पर शुरू करवाई. अब मैं और संगीता भाभी खूब बातें करने लगे थे. पड़ोसी होने के नाते हम लोगों का आपस के घरों में आना जाना लगा रहता था. कभी मैं उसके घर जाकर गपशप करता रहता था. कभी वह हमारे घर आ जाती थी.

पर मेरे मन में अभी तक उसके लिए कुछ भी गलत भावना नहीं थी. जब मैं सुबह कॉलेज के लिए तैयार होता था, तभी वह आ जाती थी. तैयार होते वक़्त जब मैं चेहरे पर क्रीम लगाता, तो वह मजाक में कहती कि इतने चिकने लग रहे हो कि मन करता है कि तुम्हारा गाल चूम लूँ.

पर ऐसा वो मेरी मम्मी के सामने ही बोल देती थी, तो मैं शर्मा कर रह जाता था. मैं भी उसकी बात को एक मजाक की तरह ही लेता था.

पर एक दिन ऐसा आया कि उस दिन से मेरा संगीता भाभी को देखने का नजरिया ही बदल गया. उस दिन मैं घर में अपने कमरे में ऐसे ही लेटा हुआ था. तभी संगीता भाभी आयी और कमरे के गेट पर खड़े होकर मुझसे बात करने लगी. उस समय मेरे अलावा घर पर कोई नहीं था.

संगीता भाभी के बारे में बता दूँ कि वो हमेशा लाल रंग की लिपस्टिक लगाकर रहती थी, जिससे उसकी सुंदरता और बढ़ जाती थी. आज भी वो सुर्ख लाल लिपस्टिक लगाए हुए मुझसे बात कर रही थी.

तो हुआ यूं कि वो कमरे के गेट पर खड़े होकर मुझसे बातें कर रही थी, तभी मैंने कहा- आप रोज बोलती हो कि मन करता है कि मेरे गाल पर चुम्मा ले लूँ … तो आ जाओ आज ले लो.
कुछ देर सोचने के बाद भाभी ने कहा- ठीक है, तुम आंखें बंद करके लेटे रहो, मैं चुम्मा ले लेती हूं.
मैंने सोचा भाभी मजाक कर रही है.

मैं आंखें बंद करके लेट गया. कुछ देर बाद उसके नर्म होंठ मेरे गालों को छू कर निकल गए और अपनी लिपस्टिक का निशान छोड़ गए.

भाभी मेरी चुम्मी लेकर तुरंत मेरे घर से निकल गयी और जाते जाते कह गई कि गाल साफ कर लेना.

मैं तुरंत उठा तथा मैंने अपने आप को आईने में देखा. भाभी के होंठों के वो लाल निशान गजब लग रहे थे. मैं उन्हें मिटाना नहीं चाहता था, पर मजबूरन मिटाने पड़े. अब भाभी को देखने का मेरा नजरिया बदल गया था.

कुछ देर बाद मैं भाभी के घर गया और कहा- मुझे भी आपका एक चुम्मा लेना है.
उसने शरारत भरी निगाहों से देखा और कहा- ले लो.
मैंने उसे गाल पर किस किया और आ गया. इससे हम दोनों के बीच एक मादक सा रिश्ता कायम हो गया था. धीरे धीरे हमें जब भी मौका मिलता, हम चुम्मा चाटी करने लग जाते.

अब हम होंठ और गाल के चुम्बन के अलावा एक दूसरे के अंगों को सहलाना इत्यादि भी करने लगे थे. मैं भाभी के मम्मे मसल देता, तो वो आह करके तरह जाती. मुझे भाभी के स्तन के साथ खेलने में काफी मजा आता था. उसके स्तन एकदम मुलायम तथा रुई की तरह नर्म और दूधिया थे.

चुदाई की आग दोनों तरफ लगी थी, पर मौका नहीं मिल पा रहा था. एक दो बार हमने जल्दबाजी में चुदाई करने की कोशिश भी की, पर मेरे अनुभवहीन होने के कारण तथा जल्दबाजी और डर के कारण की कोई आ ना जाए, हमारा मिलन नहीं हो पाया.

पर कहते हैं ना कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं. हमें भी मौका मिल ही गया. गर्मियों के दिन थे और मेरा पूरा परिवार किसी शादी में गांव गया हुआ था. घर पर मैं अकेला था. भाभी के पति भी नौकरी पर गए थे. मौका देखकर भाभी को मैंने चुदाई के लिए अपने घर आने के लिए तैयार किया.

भाभी मुझसे इसलिए राजी थी क्योंकि उसके अनुसार भैया का लंड लुंजपुंज था और वे बिस्तर में ज्यादा देर तक नहीं टिक पाते थे.

मैं बाज़ार से जाकर बियर की बोतलें और एक आईपिल लेकर आ गया. भाभी के आने से पहले मैंने बियर की एक बोटल पूरी खत्म की तथा उनका इंतजार करने लगा. चूंकि ये मेरी पहली चुदाई थी, तो हिम्मत बनाने के लिए मैंने बियर पी ली थी.

थोड़ी देर बाद भाभी अपनी बच्ची को सुलाकर मेरे पास आ गई. आते ही मैंने उसे अपनी बांहों में भरकर होंठों पर होंठ रखकर चुम्बन करना शुरू कर दिया. काफी देर तक चुम्बन के साथ साथ मैं उसके स्तन को भी दबा दबाकर उसका दूध निकालता रहा. फिर मैंने उसका ब्लाऊज़ खोल दिया तथा ब्रा को हटाकर उसके स्तन में से दूध पीने लगा तथा दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन मसलने लगा.

भाभी बिल्कुल ही चुदासी हो चुकी थी. उसने कहा- जल्दी से कर लो वरना कोई आ जाएगा.
मैं भी उसकी बात मानते हुए उसके कपड़े उतारने लगा. पर उसने कहा- कोई भी आ सकता है, इसलिए साड़ी ऊपर करके चुदाई कर लो.
मैंने भी भाभी की बात मानते हुए उसे बिस्तर पर चित लिटा दिया तथा उसकी साड़ी उठा कर कमर तक कर दी.

नीचे देखा तो भाभी ने पैंटी ही नहीं पहनी थी मतलब वो चुदाई के लिए पूरी तैयारी कर के आयी थी. एकदम चिकनी झांटरहित चूत देख कर मैं पागल हो गया. मैं भाभी की चूत पर अपनी जीभ लगाकर चाटने लगा. ये मेरा पहली बार था, तो मुझे चूत का स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा, पर काफी मजा आया.

उसके बाद मुझसे और भाभी से बिल्कुल कंट्रोल नहीं हो रहा था, तो मैं भाभी के ऊपर लेटकर मिशनरी पोजीशन में आ गया. मैंने अपना लिंग भाभी की योनि पर लगाकर एक धक्का लगाया … पर लिंग फिसलकर ऊपर की तरफ निकल गया. ऐसा दो तीन बार हुआ चूंकि ये मेरा पहली बार था. उधर भाभी शादीशुदा थी, तो उसे चुदाई का अनुभव था.

मैंने भाभी से कहा- छेद कहां है, मुझे समझ नहीं आ रहा, अपने हाथ से लंड पकड़ कर उस पर लगाओ.
भाभी ने मेरा लिंग अपने हाथ में लेकर उसे अपनी योनि के ऊपर रखा तथा धक्का लगाने का इशारा किया. मैंने एक तेज धक्का मारा, जिससे मेरा लगभग आधा लिंग उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसकी योनि में समा गया. लिंग के अन्दर जाते ही भाभी के मुँह से एक तेज चीख निकल गई. जिसे उसने अपने ही हाथ से मुँह बंद कर के दबा दिया.

इसके बाद मैंने दूसरा धक्का लगाया. जिसके लगते ही भाभी की चीख उसके गले में ही दब कर रह गयी तथा उसका सीना उठकर ऊपर की तरफ हो गया.

भाभी की हालत को देखते हुए मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए. जिनकी गति धीरे धीरे तेज … फिर बहुत तेज होती गयी. भाभी भी नीचे से तेज तेज धक्के लगाने लगी. मुझे ऐसा लगा कि मैं जन्नत हूँ. मेरा मन कर रहा था कि ये चुदाई यूं ही चलती रहे.

मेरे हर धक्के पर भाभी के स्तन सीने के साथ ऊपर उठ जाते थे और जैसे ही मैं लिंग बाहर निकालता था, भाभी का सीना नीचे हो जाता था. ऊपर नीचे होते हुए भाभी के चुचे गजब कहर मचा रहे थे.
लगभग 15 मिनट के बाद मैं तथा भाभी एक साथ ही झड़ गए. मैंने अपना वीर्य भाभी की योनि में ही छोड़ दिया.

पर मेरा मन अभी नहीं भरा था तथा मेरा लिंग अभी भी खड़ा था. मैंने भाभी से एक बार और चुदाई के लिए कहा और तुरंत ही उनके ऊपर चढ़कर चुदाई शुरू कर दी.

भयंकर चुदाई का मजा मैंने और भाभी ने खूब लिया. परंतु आश्चर्य की बात ये रही कि दूसरी चुदाई के बाद भी मेरा और मेरे लिंग का मन नहीं भरा.

मैंने तीसरी चुदाई के लिए भाभी को बड़ी मुश्किल से मनाया. तीसरी चुदाई पूरे 40 मिनट तक चली. इस चुदाई के बाद मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो गया और भाभी की हालत तो खराब हो ही गयी थी.

उसके बाद वो सीधा अपने घर के लिए निकल गयी. इसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिला, हमने खूब चुदाई की.

अब भाभी अपने गांव वापस चली गयी है. एक बार तो मैंने उसके गांव जाकर भाभी की चुदाई उसकी ननद की शादी में की थी.

ये थी मेरे साथ घटी सच्ची घटना, जिसे मैंने आपके सामने प्रस्तुत किया. इसमें जो भी गलती हो, तो कृपया माफ कीजिएगा तथा अपनी राय और सुझाव मुझे [email protected] पर जरूर भेजें ताकि मैं अपनी अगली कहानियां लिखने के लिए प्रोत्साहित हो सकूं. धन्यवाद