पुलिसवाली की चूत चोदी

दोस्तो, मेरा नाम अरमान है, उम्र 24 साल है, कद भी ठीक-ठाक ही है.
मैं इंदौर का रहने वाला हूँ.

मेरी कमजोरी शादीशुदा और भरी-पूरी आंटियां और भाभियाँ हैं. जब भी कोई बड़ी गांड और चूचे वाली दिखती है.. तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है.

मैं एक दुकान पर कंप्यूटर का काम करता हूँ, अक्सर कंप्यूटर के काम से मुझे लोगों के घर जाना पड़ता है.

एक दिन मैं अपना काम कर रहा था कि तभी मेरे बॉस ने मुझे बुलाया..
तो मैं सर्विस रूम से बॉस के केबिन में गया..

वहाँ दो महिलाएं बैठी थीं, दिखने में तो दोनों बला की खूबसूरत थीं.
दोनों ने स्लीवलैस ब्लाउज पहना हुआ था.
ब्लाउज के पीछे का भाग रिबिन नुमा डोरी से बंधा हुआ था.

उन दोनों का रंग ज्यादा गोरा तो नहीं था.. लेकिन सांवली भी नहीं थीं.
उनके बाल खुले हुए.. धूप का चश्मा बालों में फंसाया हुआ था.
दोनों की खूबसूरती गजब की जंच रही थी.

तभी मेरे बॉस ने कहा- तुमको इन मैडम के घर जा कर इनका कंप्यूटर देखना है.

मैंने देखा वो दोनों मुझे गौर से देख रही थीं.

बॉस ने कहा- तुम अपना फ़ोन नम्बर इनको दे दो.. ये तुमको फ़ोन करके बुला लेंगी.

मैंने अपना मोबाइल नम्बर उनको दे दिया. उन्होंने उस वक्त एक प्रिन्टर भी खरीदा था.. तो बॉस ने कहा- अरमान ये सामान इनकी कार में रखवा दो.

मैं बजाए किसी स्टाफ को बुलाने के, खुद ही रखने चल दिया.
वो दोनों मेरे आगे-आगे चलने लगीं.

पीछे चलने से उनका बदन सही से तो अब दिख रहा था.

उनकी लम्बाई मुझसे कुछ ज्यादा थी.. सच में क्या मस्त माल थीं दोनों.

उनकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड ऐसे मटक रही थीं जैसे दो तरबूज हिल रहे हों.

मैंने अपने ऊपर बहुत कंट्रोल किया हुआ था.

दोनों आपस में कान में फ़ुसफ़ुसा कर बात करते हुए खिलखिला रही थीं.

कार के पास पहुँच कर एक ने कार का गेट खोला फिर कार की डिक्की खोली.
मैंने डिक्की में सामान रख दिया.
सामान रख कर मैंने उन्हें देखा वो दोनों मुझे खड़ी हो कर देख रही थीं.

अब मैंने भी पहली बार उनको सामने से देखा.
उन दोनों का फ़िगर बड़ा ही जालिम किस्म का था.
दोनों के ब्लाउज बहुत बड़े गले के थे.. और उनकी चूचियां भी मेरी उम्मीद से काफ़ी बड़ी थीं.

एक तरह से पूरी की पूरी नुमायां हो रही थीं.. बस थोड़ी सी ब्लाउज से छुपा रखी थीं.
मेरी नजर तो उन्हीं में फंस कर रह गई थी.
उन दोनों ने भी ये देख लिया था.

तभी एक ने पूछा- तुम ‘सब’ काम कर लेते हो?

मैंने एकदम से सकपका कर कहा- हाँ.. मैं सब कर लेता हूँ.
दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.

फ़िर एक ने कहा- कल सनडे है तो तुम कल आ जाना.
मैंने मना किया- मैं सन्डे को काम नहीं करता.
तो एक तपाक से बोली- ज्यादा पैसे मिलेंगे.. तब भी नहीं?

मेरे मन में तो मोर नाच रहे थे.. तो मैंने ‘हाँ’ कर दी.
दूसरे दिन का समय भी तय हो गया.

अगले दिन मेरी सुबह जल्दी नींद खुल गई.
सुबह के सारे काम निपटा कर मैं मैडम के घर की ओर अपनी बाइक लेकर चल पड़ा.
मैडम का घर शहर की महंगी कॉलोनी में था और मेरे घर से दूर भी था.

उनके घर तक जाने में मुझे 45 मिनट लग गए.
घर पर पहुँच कर देखा तो घर देखता ही रह गया, वह तो किसी आलीशान बंगले जैसा लग रहा था.

मैंने घर के बाहर खड़े चौकीदार को पता दिखा कर पूछा- ये पता सही है?
तो उसने पता देख कर ‘हाँ’ में उत्तर दिया और मुझसे काम पूछा.
मैंने कहा- मैं कंप्यूटर के काम से आया हूँ.

तो उसने अपने गेट के पास एक छोटे से कमरे से टेलीफ़ोन पर बात की. फ़िर मुझसे कहा- आपको मैडम स्विमिंग पूल की तरफ़ बुला रही हैं.

उसने मुझे उस ओर जाने का रास्ता बताया.

मैं चलते-चलते बंगले के पीछे वाले हिस्से की तरफ़ पहुँच गया. मैंने दूर से देखा कि दो लड़कियाँ पूल में नहा रही हैं.

तभी एक ने मुझे देख लिया और आवाज दी ‘कम ऑन..’

मैं वहाँ उनके पास पहुँचा और देखा कि वो वही दोनों महिलाएं हैं.. जो कल शॉप पर मुझसे घर आने का बोल कर गई थीं.
पर आज तो दोनों बिल्कुल नए अवतार में थीं.
दोनों यहाँ पूल में ‘टू-पीस’ बिकनी में नहा रही थीं.

मेरे मन में तो कल से ही खिचड़ी पक रही थी.
मैं उन्हें पूल में तैरते हुए देखने लगा.

दोनों साथ में तैर रही थीं और मुस्कुरा रही थीं.
बिकनी भी क्या थी.. बस नाम के लिए छोटे-छोटे ढक्कन से थे. उनका पूरा गदराया हुआ बदन दिख रहा था. ऐसी बिकनियाँ तो बस फ़ोटो में या विदेशी फिल्मों में ही देखने को मिलती हैं.

तभी एक ने मुझे पास में रखी हुई कुर्सी पर बैठने का इशारा किया.

अभी दोनों पूल में पीठ ऊपर आकाश की तरफ़ करके तैर रही थीं.. इसलिए दोनों की हृष्ट-पुष्ट जांघें और बड़े-बड़े चूतड़ दिख रहे थे.

दोनों तिरछी नज़रों से मुझे देख रही थीं.
तभी उनमें से एक पूल से बाहर आने लगी.

पूल पर लगी सीढ़ियों से जैसे ही पानी से बाहर आई.. मैं अपना मुँह खोल कर आश्चर्य से उसके बड़े-बड़े बोबे ही देखने में लग गया. उसके बोबों के ऊपर तो बस समझो निप्पल भर ढके हुए थे.. बाकी का सिनेमा खुला हुआ था.

इधर मैं उसके बोबे देख रहा था.. उधर मेरा लौड़ा तनना शुरू हो गया था.
दूसरी वाली उस वक्त मुझे देख रही थी.

तभी बाहर आकर पहली वाली पटाखा मेरे पास में रखी हुई आराम कुर्सी पर आकर बैठ गई और तौलिए से अपना बदन पोंछने लगी.

मैं अब भी नज़रें चुरा कर उसके बड़े-बड़े बोबे ही देख रहा था.. बिकनी में जरा सा तो कपड़ा था, जो बड़ी मुश्किल से बड़े-बड़े चूचों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहा था.
उसके 75% बोबे तो दिख ही रहे थे.

तभी उसने मेरी तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया और अपना नाम बताया. उसने अपना नाम अनीता बताया और कहा- प्यार से लोग मुझे अन्नू कहते हैं.

उसकी आँखों में एक शरारत झलक रही थी.
मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ाया और उससे हाथ मिलाया.
उसका हाथ बहुत मुलायम था.

तभी उसने कहा- आप तौलिए से मेरी पीछे का गीला बदन पोंछ देंगे प्लीज़.
मैंने कहा- क्यों नहीं.

वह खड़ी हुई और मेरे सामने पीठ करके खड़ी हो गई.

वह मुझसे कद में लम्बी थी और एक गदराए हुए जिस्म की मालकिन भी.
मैं उसके कोमल शरीर को बड़े गौर से देख रहा था.

मेरा सोता हुआ शेर भी अब अंगड़ाई लेने लगा था. मैं तो जैसे दूसरी दुनिया में पहुँच गया था.

फ़िर मैंने तौलिया लिया और उसके पीछे के गीले बदन को पोंछने में लग गया.
मैंने गर्दन से चालू किया.. फ़िर दोनों कन्धे.. कमर पर घूमने लगा.
कुछ पल बाद मैं रुक गया.

मेरा हाथ रुकता देख उसने कहा- क्या हुआ.. नीचे तक करो ना.

फ़िर मैंने देर ना की.. और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से पोंछने लगा. उसे बड़ा मजा आ रहा था.

मैं नीचे झुका और उसकि चिकनी जाँघों को तौलिए से पोंछने लगा.

जब मैं ये सब कर रहा था.. तभी दूसरी वाली.. जो पूल में नहा रही थी, उसने एक इशारे जैसी आवाज की.

उन दोनों में आँखों ही आँखों में इशारा हो चुका था. मैं उसके पैरों को पोंछ रहा था तभी दूसरी वाली भी पानी से निकल आई और मेरे पास आकर कहने लगी.

‘अरे अब क्या एक ही की सेवा करोगे क्या?’
दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.

मैं अचानक खड़ा हुआ और देखा कि उस दूसरी वाली के बोबे तो और भी बड़े हैं.
उसका फ़िगर 38-32-38 का था.. क्या गजब के जिस्म की मालकिन थी.

दोनों के चिकने बदन से पानी बूंद-बूंद टपक रहा था.

मैंने अपने आपको सम्हाला और फ़िर मैंने कहा- क्यों नहीं.. आप की भी सेवा करूँगा.. मौका तो दीजिए.
अब मैं भी खुल कर उनकी बातों का जवाब देने लग गया था.
मेरा शेर भी अब अन्डरवियर के अन्दर दहाड़ने लगा था.

दूसरी वाली ने मेरे शेर को जींस के ऊपर से अंगड़ाई लेते हुए देख लिया था, उसने अपना परिचय देते हुए अपना नाम बताया- मेरा नाम डॉली है.

वो मुझे अपना काम याद दिलाने लगी. मैं भी अपने काम पर लग गया और उसके बदन को तौलिए से पोंछने लगा डॉली भी कद में मुझसे लम्बी थी.

मैं उन दोनों के कान से थोड़ा नीचे आ रहा था.
डॉली को मैंने सामने वाली तरफ़ से रगड़ना चालू किया. पहले गर्दन फ़िर कन्धे.. लेकिन इस बार तो सामने दो खरबूज़े बीच में आ गए थे.

अब तक मैं उन दोनों की नियत समझ चुका था.
मैंने धीरे-धीरे उन हुस्न के दोनों गोल-मटोल चन्द्रमाओं को पोंछने में लग गया. फ़िर मैंने धीरे से उनके बीच की गहरी खाई को भी तौलिए से साफ़ किया.

तभी डॉली ने कहा- जरा अपने दूसरे हाथ को भी काम पर लगाओ.

तभी मैंने दूसरे हाथ से दोनों खरबूजों को थोड़ा दूर-दूर किया.
पहली बार मैंने अपने हाथों से उन्हें छुआ था.. आह्ह.. बड़े सख्त थे दोनों.. और बड़े भी थे.
बड़ी मुश्किल से मेरे हाथ में आ रहे थे.
दोनों को थोड़ा दूर-दूर करके मैंने उनके बीच की गहरी खाई को भी साफ़ किया.

फ़िर कमर.. जांघें.. फ़िर पैर और अब मैं खड़ा हो गया.
मैंने कहा- कैसी लगी मेरी सेवा?

वे दोनों जवाब में मेरे सामने आराम कुर्सी पर बैठ गईं और एक कहने लगी- काफ़ी समझदार हो तुम.. और शायद अनुभवी भी लगते हो.

अनुभवी तो मैं था ही सही.. क्योंकि मेरी एक गर्लफ़्रेंड जो थी और उसके साथ किया हुआ सेक्स का भी अनुभव था.. जो शायद आज काम आने वाला था.

मैं भी उनके सामने एक कुर्सी पर बैठ गया और उनसे कहने लगा- आपका कंप्यूटर यहीं ठीक किया जाए.. या अन्दर चल के करूँ?

तभी डॉली बोली- अच्छा.. क्या तुम कहीं भी कुछ भी सही कर सकते हो?
मैंने कहा- हाँ..

फ़िर अन्नू जो काफ़ी देर से मेरी जींस की पैन्ट पर उभरे हुए हिस्से को देख रही थी.

वो बोली- अरे जरा आराम से बैठो.. तुम्हारी पैन्ट में कुछ है क्या.. दिक्कत न हो तो उसे बाहर निकाल दो.
मैंने कहा- नहीं.. मैं ठीक हूँ.

वो एकदम से उठी और मेरे शेर को ऊपर से ही छूने लगी. मेरा तो कंट्रोल अब जवाब देने लग गया था.

तभी डॉली भी उठी और वो भी उसी जगह पर हाथ फ़िराने लगी.
डॉली कहने लगी- अरे ये तो इसके काम करने का औजार है.

उन दोनों का ये रूप देख कर मैं एकदम से गनगना गया.

मैं जो अब ये सब सहन कर रहा था.. अचानक मैंने उन दोनों के सर अपने हाथ डाल कर बाल पकड़ लिए और सर ऊँचा करके उसके होंठों पर किस करने लगा.

मैंने पहले अन्नू को किस किया और अपने दूसरे हाथ को डॉली की गर्दन में डाल कर ऊपर खींचने लगा.
वे दोनों अपने घुटनों पर बैठ गई थीं और मैं कुर्सी पर नीचे झुक कर उनके होंठों पर किस करने में लगा हुआ था.

तभी डॉली ने मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठ अपने होंठों से लगा लिए और मेरे मुँह में जुबान डाल कर मेरे होंठों का रस पान करने लगी.

इधर अन्नू ने मेरा बेल्ट खोल दिया और मेरी जींस की पैन्ट के बटन को खोलने लगी. इस काम में मैंने अन्नू की थोड़ी मदद की और बटन खुल गया.

उसने मेरी जींस की चैन को भी खोल कर एक ही झटके में मेरी पैन्ट को मेरे घुटनों तक सरका दिया.

अब डॉली भी मेरे मुँह में से अपना मुँह निकाल कर मेरे अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से को हाथ से सहलाने में अन्नू की मदद करने लगी.

तभी मैंने दोनों को घुटनों से उठा कर खड़ा किया और फ़िर अपने सामने करके उन दोनों के बड़े-बड़े बोबों में अपना मुँह बारी-बारी से घुसाने लगा.

मैंने अपने दोनों हाथ उन दोनों की पीठ पर ले जाते हुए उनके बोबों पर बन्धी छोटी सी ब्रा की डोरियों को खोल दिया.

तभी दोनों ने भी बचा हुआ अपना काम करके अपनी चूचियों के ढक्कनों को अपने गले से निकालते हुए अलग कर दिया.

अब मेरे सामने दोनों के नंगे बोबे झूल रहे थे.
बस.. फ़िर मैं तो मानो उन पर टूट पड़ा.. जैसे मैं बहुत दिनों से प्यासा था.

मैंने दोनों की कमर से हाथ उनकी पीठ पर ले जाते हुए उन्हें अपनी पकड़ में ले लिया था और उन दोनों के हाथ मेरी बालों में.. गर्दन में.. और पीठ पर चलने लगे थे.

मैं भी उनके खरबूजों को अपने मुँह में लेकर उन्हें तृप्त कर देना चाहता था.

दोनों के निप्पलों को बारी-बारी से चूसते वक्त मैं अपना सर जोर से उनमें अन्दर तक गड़ा देता था.
अब वे दोनों अपने-अपने हाथों से अपने चूचे पकड़ कर मेरे मुँह में डालने लगीं.

मेरे दोनों हाथ उनके चूतड़ों का जायजा लेने में व्यस्त थे.

फ़िर अन्नू ने अपने हाथ से मेरी शर्ट के बटन खोलना चालू किए.. लेकिन डॉली ने तो बिना देर किए उसे फाड़ ही डाला और उतार कर फेंक दिया.

मैंने भी अपने पैरों की मदद से जींस भी निकाल दी और कुर्सी पर रख दी.

अब वो दोनों थोड़ा नीचे को हुईं.. और मेरी छाती की दोनों घुंडियों को अपने-अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मुझे तो स्वर्ग की सैर का मजा आ रहा था.

फ़िर मैंने डॉली के सर को ऊपर उठाया और उसके एक बोबे को चूसने लगा. एक हाथ से एक चूचे के निप्पल को दबाता तो दूसरे को मुँह में ले कर चूसता.

डॉली अब अपने सर को उठा कर मादक सिसकारियां लेने लग गई थी.

इधर अन्नू ने अब अपना एक हाथ मेरे अंडरवियर के ऊपर चलाना चालू कर दिया..
लेकिन मुझे पता था कि मुझे जल्दी नहीं करनी है. तो मैंने तुरन्त ही अन्नू के चेहरे को ऊपर उठा दिया.
अब मैं अन्नू के बोबे चूस रहा था.

फ़िर मैं अन्नू के मुँह में डॉली के बोबे को डालने लगा.. तो अन्नू समझ गई, वो डॉली के बोबों को अपने मुँह में लेने लगी.

अब हम तीनों को मजा आने लग गया था और उन दोनों की कामुक सिसकारियां भी निकलने लगी थीं.

कुछ मिनट तक यही अदला-बदली चलती रही.
दोनों अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.

तभी मुझे याद आया कि सब हम घर के बाहर खुले में कर रहे है.. तो मैंने डॉली को बोला- ये सब यहाँ ठीक नहीं है यार..
तो बोली- हाँ.. चलो अन्दर चलते हैं.

फ़िर हम तीनों ने अपने-अपने कपड़े उठाए और घर के अन्दर चले गए.
मैं उन दोनों को अपने दोनों आजू-बाजू कमर में हाथ डाल कर अन्दर तक साथ गया.

मैंने पूछा- क्या घर में और कोई नहीं है?
डॉली ने कहा- नहीं.. आज सब नौकरों को छुट्टी दे रखी है.. बस एक वाचमैन है.. और एक बाई है.. लेकिन अभी इधर कोई नहीं है.

अन्दर हम सीधे बेडरूम में गए और डॉली ने अपनी अलमारी में से एक स्प्रे की बोतल निकाली. फिर उसने मेरे अंडरवियर को नीचे उतार दिया और मेरे लंड जो पहले ही बम्बू बना हुआ था.. उसे हाथ में लेकर उस पर सुपारे से लेकर जड़ तक स्प्रे कर दिया. मैंने पूछा- ये क्या है?

वो कुछ नहीं बोली.. बस इतना कहा- पता चल जाएगा.

फ़िर हम तीनों चालू हुए.. अब मैंने डॉली को बिस्तर पर पीठ के बल लेटा दिया और अन्नू ने अपनी पैन्टी उतार दी और वो अपनी टाँगें फ़ैला कर डॉली के मुँह पर घुटनों के बल बैठ गई.

मैंने भी डॉली की भरी-भरी जाँघों को हवा में ऊपर उठाया और उसकी पैन्टी निकाल दी.
उसकी एकदम गोरी और चिकनी चूत ने दर्शन दे दिए.
मैंने भी देर न करते हुए उसमें अपनी जुबान लगा दी और पूरी चूत पर जुबान को चलाना चालू कर दिया.

डॉली ने शायद हाल ही में चूत की सफ़ाई की थी.. इसलिए उसकी चूत एकदम चिकनी थी और थोड़ी गीली भी थी.
उसमें से पहले ही रिसाव हो रहा था.. जो थोड़ा नमकीन स्वाद भरा था.

मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था.
मैं तो उसकी चूत की फांकों को खोल कर उसमें अन्दर तक अपनी जुबान की नोक बना कर घुसा रहा था.

बेडरूम में अब काम भरी सिसकारियां ही सिसकारियाँ गूँजने लगी थीं.
उधर डॉली भी अन्नू की चूत में अपना मुँह घुसाए हुए थी.

अन्नू दोनों हाथों से अपने बोबों के निप्पलों को मसल रही थी और बड़बड़ा रही थी- फ़क मी.. कम ऑन.. या बेबी फ़क मी हार्ड..
इधर डॉली भी अपने मुँह से वासना से लिप्त गुर्राहट निकाल रही थी.
उसके मुँह से ‘ह्म्म याह.. उह्ह.. आअह..’ की आवाज निकल रही थी.

मैं अब अपनी एक उंगली डॉली की चूत में अन्दर-बाहर करने लग गया था.

अब मैंने उस उंगली को थोड़ा चूत में ऊपर की और उठा कर उसके जी-स्पॉट को कुरेदना चालू किया.

जैसे ही मैंने ये करना चालू किया.. डॉली ने सिसकारियां तेज़ कर दीं और अपना मुँह भी अन्नू की चूत से हटा लिया.
वो जोर-जोर से गालियाँ देने लग गई- जोर से कर भड़वे.. भेनचोद.. मर्द है या नामर्द है मादरचोद.. याआहह.. उईईई आआहह..

इसी के साथ-साथ उसने अपनी कमर भी उचकाना चालू कर दिया.

अब अन्नू भी.. जो कि डॉली के ऊपर थी.. अब घोड़ी बन कर अपनी जुबान से डॉली की चूत के दाने को चाटने लगी थी.
मैं उसी चूत को निचोड़ने में लगा हुआ था.

आखिर कुछ मिनट की हम दोनों की मेहनत के बाद डॉली के मुँह से जोर की चीख निकली और उसका ज्वालामुखी फूट पड़ा और एक तेज़ धार के साथ उसमें से नमकीन पानी का झरना फूट पड़ा.

हम दोनों ने अपने-अपने मुँह खोल कर उस अमृत को अपने मुँह से और जुबान से चाट कर साफ़ कर दिया. उसी वक्त मैं और अन्नू होंठों को होंठों में फंसा कर किस करने लगे.

अब हम दोनों उठे और डॉली के साथ मिल कर तीनों किस करने लगे.
हम दोनों ने डॉली को उसका अमृत चखाया.

फ़िर वे दोनों मुझे उठा कर सोफ़े के पास ले गईं.. और मुझे उस पर बिठा दिया और फ़िर दोनों मेरी टांगों के आस-पास बैठ कर मेरे लम्बे और मोटे लंड को अपनी-अपनी जुबान निकाल कर चाटने लगीं.
मेरे दोनों हाथ उनके बालों में और पीठ पर रेंगने लगे थे.

डॉली ने पहल करके मेरे सुपारे को मुँह में लिया. उसने आधे से ज्यादा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और अन्दर-बाहर करने लगी. उसी वक्त अन्नू मेरी गोटियों पर जुबान फ़िराने लगी.
मेरे शरीर पर सांप से रेंगने लगे थे.

मैं डॉली के सर पर जोर लगा कर लंड ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन डॉली ने लंड को मुँह में से निकाल कर अन्नू के मुँह में डाल दिया.

अब अन्नू लौड़ा चूसते हुए अपने मुँह से ‘गूं.. आआ.. गूऊऊ..’ की आवाज़ निकाल रही थी.

मैंने डॉली को ऊपर उठा कर उसके बोबे पर अपने मुँह से जुबान निकाल कर चाटना चालू कर दिया था.
मेरी.. अन्नू की.. और डॉली की, तीनों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी.

थोड़ी देर के बाद फ़िर दोनों ने पाली बदली और अब अन्नू को मैंने ऊपर कर लिया और उसके बोबे चूसने लगा.

कभी-कभी मैं बोबों के निप्पलों को अपने दांतों से हल्के से काट भी लेता.
दोनों को बहुत मजा आ रहा था.

फ़िर मैं अपने सोफ़े से उठ कर खड़ा हुआ और दोनों का मुँह लंड के सामने कर उसमें घुसाने लगा.
मैं भी दोनों के बाल पकड़ कर लंड को उनके मुँह में पेले जा रहा था.

दोनों के मुँह से ‘गूऊ.. गूउआहह..’ की आवाजें आ रही थीं.
उन दोनों के एक-एक हाथ अपने कूल्हों पर.. और दूसरा हाथ एक-दूसरे की चूत पर रखवा कर दानों को सहलवा रहा था.

उनके नाखून मेरे कूल्हे पर भी गड़ रहे थे, दोनों मेरे लंड पर थूक कर उस पर जोर-जोर से अपना मुँह घुसाने लगीं.
मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा था.

थोड़ी देर बाद दोनों कुछ ज्यादा जोर से लंड पर मुँह मारने लगीं.
मैं तो अपनी आँखें बन्द करके मुँह ऊपर किए हुआ था.

दस मिनट के बाद एक ने मुझे पलटाया और अब एक मेरे आगे और एक मेरे पीछे घुटनों के बल बैठी हुई थी.
डॉली मेरे आगे और अन्नू पीछे थी.
डॉली ने लंड को जड़ से पकड़ा और अपने मुँह से थूक कर जोर-जोर से उसको आगे-पीछे करने लगी.

उधर अन्नू पीछे से मेरे कूल्हों को चौड़ा करके मेरी गांड पर थूक कर, उसमें अपनी जुबान घुसाने लगी थी.

मुझे तो एकदम नया अनुभव मिल रहा था.. तो मैंने भी थोड़ी टाँगें फैला लीं.
अब अन्नू को और आसानी हो गई थी.
मैं तो चक्की के दो पाटों के बीच में था.

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड अन्नू के सामने कर दिया और गांड डॉली के सामने कर दी. दोनों फ़िर से चालू हो गईं.

लेकिन इस बार गांड में ज्यादा अच्छा लग रहा था. क्योंकि डॉली ने पहले थूक कर मेरी गांड में ढेर सारा थूक लगा लिया था और अपनी एक उंगली से उसे कुरेद भी रही थी.

मैं भी अपने पंजों पर था, मैंने अपना एक पैर उठा कर सोफ़े के हत्थे पर रख दिया.. ऐसा करने से मेरे पैर फ़ैल गए.. जिससे डॉली को भी मेरी गांड का छेद साफ़ दिखने लगा.

मैं पीछे हाथ कर डॉली की गांड में घुसाने लगा. डॉली नीचे लटक रही मेरी गोटियों को भी पीछे से मुँह में ले रही थी.

मेरा तो कमर के नीचे का हर अंग मानो व्यस्त था. गांड में उंगली.. लंड और गोटियां मुँह में.. इतना मजा तो कभी मुझे मेरी गर्लफ्रेण्ड के साथ भी नहीं आया था.

हम तीनों की रासलीला चालू थी और बहुत मजा आ रहा था.

लोग सही कहते हैं कि हर काम के लिए अनुभव जरूरी होता है.. जो मुझे इन दोनों में दिख रहा था.
फ़िर कुछ देर बाद मैंने उन्हें इस पोजिशन से हटाया और खड़ा कर दिया. अब बारी-बारी से उन्हें किस करने लगा और किस करते-करते बिस्तर पर ले गया. मैं पीठ के बल लेट गया.

अब मैंने अन्नू को अपने मुँह पर उसकी चूत रख कर बैठने के लिए कहा और डॉली को मेरे खड़े लंड पर बैठने के लिए कहा.

अन्नू ने जल्दी से अपने घुटने मोड़ कर मेरे मुँह के ऊपर अपनी चूत सैट कर दी.
साथ ही डॉली ने मेरे लंड को मुँह में लेकर ढेर सारा थूक लंड पर लगा दिया था और फ़िर उस पर बैठने की कोशिश करने लगी थी.

लंड थोड़ा मोटा होने की वजह से डॉली धीरे से उसे गदीली चूत पर सैट कर रही थी. जल्द ही उसने लंड को अपनी संकरी घाटी में उतार लिया.
उसकी चूत मुझे कुछ बड़ी और फ़ैली हुई भी लग रही थी.

लौड़ा खाते ही उसने एक जोर की सिसकारी ली ‘अह्ह्ह्ह्ह्ह..’ और उसको लौड़े को घोड़ा समझ कर अपनी घुड़सवारी का लुत्फ़ लेने लगी. डॉली और अन्नू के हाथ मेरी छाती पर रखे हुए थे.

इधर मैं अपनी जुबान की नोक बना कर अन्नू की चूत में डाले जा रहा था.
अन्नू की चूत में से भी नमकीन पानी बहना चालू हो गया था.

दोनों मेरे ऊपर सवार थीं.. दोनों के मुँह एक-दूसरे के सामने थे.
अन्नू और डॉली अपनी चाल धीरे करके एक-दूसरे को किस करते हुए एक-दूसरे के बोबे चूसने में लगी हुई थीं.

थोड़ी देर बाद मैंने अन्नू को ऊपर से हटाया और आसन बदला अब मैंने अन्नू को घोड़ी बनाया और डॉली को अन्नू के मुँह के सामने अपनी टाँगें खोल के बैठा दिया.

अब अन्नू डॉली की चूत चाट रही थी और मैं अन्नू की चूत में निशाना लगाने की तैयारी कर रहा था, मैंने अपने औजार को सैट करके थोड़ी सी ताकत लगाई.. तो चूत के पानी और मेरे चाटने की वजह से लंड बड़ी आसानी से चूत में बिना किसी ज्यादा मेहनत के अन्दर चला गया.

अन्नू ने एक गहरी सांस ली और फ़िर ‘ऊउन्न्न.. ऊन्न्न्न्न्..’ करती हुई डॉली की चूत के दाने को जुबान से चाटने लगी.

मैं फ़िर लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा. कुछ देर बाद जब अन्नू की कमर भी चलने लगी, तो मैंने भी उसकी चूतड़ को पकड़ कर अपनी स्पीड बढ़ा दी.

अब बिस्तर पूरा हिलने लगा था.
मेरा मूसल लंड.. अन्नू की चूत में ‘धक्कम-पेल’ मचा रहा था.
कभी-कभी मैं उसके चूतड़ों पर चमाट भी लगाता जा रहा था.

सच में मुझे इतना आनन्द मिल रहा था कि बता नहीं सकता.

उधर डॉली अन्नू के बाल को पकड़ कर उसका मुँह चूत में घुसाने का प्रयास कर रही थी.
वह भी ‘उईईइ आह्ह्ह..’ की आवाज़ निकाल रही थी.

मैं तो अब जोर-जोर से लंड को अन्नू की चूत में पेले जा रहा था.

तभी मुझे एक तरकीब सूझी, मैंने अपने एक हाथ के अंगूठे को थूक में भिगो कर अन्नू की गुदा के अन्दर डालने लगा.

थोड़ी जोर-आजमाईश के बाद मेरा काम सफ़ल हुआ.
अब अन्नू की चूत और गुदा और मुँह तीनों काम पर लगे हुए थे.

अन्नू की चूत से भी अब लावा निकलने वाला था.
मैंने उसके बोबों की घुंडियों को एक हाथ से मसलना चालू कर दिया और डॉली ने भी अन्नू का मुँह चूत से हटा कर अपने मुँह से लगा लिया और जोर-जोर से उसके मुँह में अपनी जुबान फ़िराने लगी.

इन सबसे अन्नू जल्दी ही अपनी पहली मंजिल पर पहुँच गई और एक तेज़ फ़व्वारा चूत से फूट पड़ा.

मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसकी चूत से निकल रहे रस से तरबतर कर लिया. सच में स्वर्ग की सैर कर रहा था.

फ़िर मैंने उठ कर उनके सामने लंड कर दिया.. तो दोनों भूखी शेरनियों की तरह लंड पर टूट पड़ीं और अपने मुँह में ले कर अन्दर-बाहर करने लगीं.
दोनों लंड के लिए एक-दूसरे को गुस्से से देखने लगीं.. और एक-दूसरे में होड़ मचाने लगीं.

जब अन्नू के मुँह से डॉली लंड निकाल के छीन लेती, तो डॉली के मुँह से अन्नू लौड़ा खींचने लगती.

फ़िर मैंने ऐसे ही खड़ी हुई अवस्था में दोनों के बोबों के बीच थोड़ा-थोड़ा थूक लगाया और लंड को दोनों के बोबों के बीच में बारी-बारी से फंसा कर लंड रगड़ने लगा और उनके मुँह को आपस में मिलाने लगा. डॉली के बोबों की घाटी ज्यादा गहरी थी.. तो लंड उसमें फ़िट हो रहा था. लेकिन अन्नू भी कम नहीं थी वह भी बराबरी से बोबों को चिपका कर मेरे लंड को अपने बोबों में फंसाए जा रही थी.

दोनों चिल्ला-चिल्ला कर बड़बड़ा रही थीं- चोद जोर से मेरे राजा.. मेरे घोड़े..

मैंने कुछ देर और करने के बाद दोनों को ऊपर उठाया और हम तीनों एक-दूसरे से किस करने लगे. मैं उन दोनों के बोबों से भी खेलने लगा.

दोनों मुझसे कद में लम्बी थीं.. तो मेरा मुँह उनके बोबों तक आसानी से पहुँच रहा था.

उनके हाथ मेरे लंड पर थे और वे दोनों मेरे लंड को.. और नीचे लटक रही गोटियों को.. अपने-अपने हाथ से मसल रही थीं.

मेरे लंड में अब थोड़ा-थोड़ा दर्द होने लगा.. तो मैंने उन्हें हटाया और बिस्तर पर इस तरह से बैठाया कि दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट जाएं. दोनों के पेट आपस में चिपक गए थे और एक-दूसरे के बोबे और मुँह भी सामने थे.

अन्नू जो पीठ के बल लेटी थी.. उसकी टाँगें मैंने ऊपर हवा में उठा दी थी. फ़िर वह दोनों एक-दूसरे को किस करने लगीं और मैं उठ कर बिस्तर के नीचे उन दोनों की चूत के पास थोड़ा झुक कर बैठ गया.

मैंने दोनों की चूत में एक-एक हाथ की उंगली डाल दीं और उनकी चूतड़ पर किस करने लगा.

अब मैंने एक की चूत को मुँह में लिया और दूसरी की चूत में उंगली तेज़ी से आगे-पीछे करने लगा.

दोनों आगे से ‘ऊउह्ह.. ऊऊह्ह्ह..’ की आवाजें निकाल रही थीं.
डॉली ऊपर थी और अन्नू नीचे थी.

फ़िर मैंने पाली बदली और अन्नू की चूत मुँह में ली और डॉली की चूत में उंगली की.
कुछ मिनट मैं ये ही करता रहा.

फ़िर दोनों एक साथ अकड़ने लगीं.. तो मैंने अपने दोनों हाथ की दोनों उंगलियों को दोनों की चूत में घुसेड़ दीं और अन्दर-बाहर करने लगा.
दोनों ‘आआआअ.. उईईईईइ.. ओह माय गॉड.. फ़क मी हार्ड..’ की आवाजों के साथ एक साथ झड़ गईं.

मैंने तुरन्त अपनी जुबान निकाल ली और दोनों के अमृत रस को पीने लगा. वो दोनों भी आगे एक-दूसरे को ‘ऊह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह..’ करते हुए किस कर रही थीं.

फ़िर मैं अपने पैरों को थोड़ा झुका कर लंड का निशाना बना कर डॉली की चूत पर सैट कर रहा था.

तभी डॉली ने कहा- एक और भी छेद बाकी है मेरे राजा.. वहाँ भी तो अपनी कुतुबमीनार की सलामी दे दे.. मेरी जान.
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं.. मेरी रानी.. अभी लो.

मैंने डॉली के छेद पर बहुत सारा थूक गिरा दिया, लंड को डॉली की गांड के छेद पर सैट करने लगा. गीला तो वह था ही.. लेकिन मैंने उस पर थोड़ा थूक और डाल दिया और थोड़ा मेरे लंड पर भी लगा लिया.
फ़िर मैंने निशाना लगाया.. थोड़ा जोर लगाया तो सुपारा छेद के अन्दर उतर गया.

डॉली के मुँह से जोर की चीख निकली.. तो अन्नू ने अपना एक बोबा डॉली का सर पकड़ कर उसके मुँह में दे दिया.

उसकी ‘आआह्ह्ह..’ की आवाज़ अब उसके मुँह में ‘ऊऊऊ..’ में बदल गई.
मैंने फ़िर थोड़ी ताकत और लगाई आधा लंड गांड के अन्दर चला गया.

अन्नू में मेरा हौसला बढ़ाया और बोली- अरे मेरे घोड़े थोड़ा जोर लगा.
फ़िर मैंने एक जोर का धक्का लगाया.. और मेरा पूरा लंड डॉली की गांड में उतरता चला गया.

डॉली अन्नू का बोबा निकाल कर जोर से बोली- ओ.. भोसड़ी के घोड़े.. आह्ह.. मादरचोद जरा प्यार से कर.. फाड़ेगा क्या बहन के लौड़े.

वह थोड़ा गुस्से में बोल रही थी.. जो कि उसे अन्नू पर आ रहा था.

फ़िर मैं धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा. थोड़ी देर बाद डॉली सामान्य हो गई और मैंने भी अपनी चाल बढ़ा दी.
उधर नीचे से अन्नू.. डॉली के निप्पलों को मुँह में ले रही थी.
डॉली को अब मजे आ रहे थे.

मैंने उसी वक्त अपने एक हाथ की उंगली को अन्नू की चूत के अन्दर डाल दिया और उसके जी-स्पॉट को कुरेदने लगा.

अन्नू भी अपनी कमर उचकाने लगी थी और अपने हाथ से डॉली की चूत के दाने को सहला रही थी.

फ़िर कुछ देर बाद मैंने अन्नू की गांड पर निशाना लगाया और लंड को छेद के अन्दर पेलने लगा. उसकी गांड तो डॉली से भी ज्यादा गीली थी और अन्नू की चूत से निकलने वाला पानी भी गांड के छेद को और गीला कर रहा था.

मैंने उसी रस में अपने सुपारे को भिगाया और एक झटका लगाया, तो सुपारा अन्दर चला गया.
अन्नू ने भी एक जोर की सिसकारी ली.

फ़िर मैंने कुछ सेकन्ड रुक कर फ़िर से एक धक्का लगाया.. तो अबकी बार आधे से ज्यादा लंड अन्दर चला गया. अब मैं तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा.

अन्नू की गांड कुछ ज्यादा खुली हुई थी तो इसमें मुझे ज्यादा देर नहीं लगी. मैं डॉली के चूतड़ पकड़ कर अन्नू की गांड में लंड पेल रहा था और डॉली की पीठ को चूम भी रहा था.
यह काफ़ी रोमांचक नज़ारा था.

फ़िर थोड़ी-थोड़ी देर दोनों की गांड बजाने लगा.. अब कभी मेरा लंड डॉली की गांड में.. तो कभी अन्नू की मजा ले रहा था.

मुझे चूत से ज्यादा गांड मारने में मजा आ रहा था और उन दोनों को भी लज्जत मिल रही थी.

फ़िर आखिर में मेरा छूटने का टाईम भी आ गया.. तो मैंने डॉली से कहा- मैं जाने वाला हूँ.
तो बोली- रुको.. हम दोनों के मुँह में करना.

मैं रुक गया और लंड को डॉली की गांड से निकाल कर खड़ा हो गया. फ़िर दोनों उठीं और मेरे लंड के पास अपना मुँह रख कर दोनों ने अपनी-अपनी जुबान बाहर निकाल ली.. मैं मुठ मारने लगा.

दोनों ने अपने-अपने मुँह आपस में चिपका लिए थे और फ़िर मेरे लंड से तेज़ पानी की धार निकल पड़ी.
दोनों के मुँह और जुबान पर गिरी.
कुछ तेज पिचकारियाँ बारी-बारी से दोनों के मुँह में मारीं.

दोनों ने अपने मुँह बन्द कर लिए और मेरे लंड से निकले हुए रस को गटक गईं.
फ़िर एक दूसरी के चेहरे पर लगे हुए लंड के पानी को जुबान से चाट कर साफ़ कर दिया.

कुछ पल बाद मेरे नरम होते लंड को पकड़ कर बारी-बारी से अपने-अपने मुँह में लेकर उसकी एक-एक बूंद निचोड़ ली.

मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर गया, दोनों मेरे आस-पास आकर बैठ गईं.. और मेरे गाल.. होंठ.. मेरे निप्पल.. को चूसने लगीं.

तभी मैंने घड़ी में देखा तो मुझे एक घन्टे से ऊपर टाईम हो चुका था. मुझे तो ये पता भी नहीं चला कि इतना टाईम कैसे लग गया.

डॉली ने मुझे परेशान देख कर कहा- मैंने कहा था ना.. स्प्रे का काम पता चल जाएगा. तुम खुद ही देख लो कि तुमने इतनी लम्बी घुड़सवारी कैसे की.

दोनों खिलखिला कर हँसने लगीं.. तब मुझे पता चला कि वो स्टेमिना बढ़ाने के लिए था.

फ़िर हम तीनों उठे और बाथरूम में जा कर बड़े से टब में नहाने लगे. हमें फिर से जोश आने लगा.. फ़िर पूरे दिन में 2 बार और हम तीनों ने जम कर चुदाई की और फ़िर मुझे दोनों ने कुछ रुपए दिए. फ़िर अपना पूरा नाम और काम बताया. उन दोनों की पुलिस विभाग में नौकरी थी और दोनों उच्च पद पर आसीन थीं.

मैं यह जान कर थोड़ा डरने लग़ा.. तो उन्होंने कहा- डरो नहीं.. ऐसे ही हमें खुश करो.. बस बाकी हम देख लेंगे.
जाते वक्त डॉली ने कहा- जब हम बुलाएं.. तो आ जाना.. ठीक है.
मैंने ‘हाँ’ कहा.

फ़िर दोनों ने कसके मेरे होंठों की चुम्मी ली और मुझे गेट तक छोड़ने आईं. मैं दोनों को हाथ हिला कर ‘बाय’ कह कर पैसे लेकर घर आ गया. फ़िर उन दोनों ने अपनी सहेलियों से.. रिश्तेदारों से मेरी मौज कराई. वो सब आगे की कहानी में लिखूँगा.