पड़ोसी भाभी की कामाग्नि-1

भाभी की चुदाई वाली इस कहानी में पढ़ें कि मेरे सेक्स रिलेशन पड़ोसन भाभी से थे. लेकिन मैं चाहता था कि वो अपने पति से सम्बन्ध सुधारे. फिर भी वो मेरे पीछे पड़ी हुई थी.

अन्तर्वासना के पाठकों मेरा यानि रमित का आपको नमस्कार. आपने मेरी कहानियों को बहुत प्यार दिया, उसके लिए आपका शुक्रगुजार हूँ.

जब मैं उनके लिए कहानी लिख रहा था, तो मुझे अपनी और नैना की प्रेम कहानी याद आने लगी. मेरे और नैना के बीच हुए सेक्स सीन याद आने लगे. मैंने सोचा कि मैं अपने और नैना के बीच हुए सेक्स का एक और किस्सा आप सबको बताऊं.

मेरे और नैना के बीच पनपे रिश्ते की पूरी जानकारी के लिए आपको मेरी कहानी ‘पड़ोसन भाभी के साथ सेक्स या लव..’ के तीनों भाग पढ़ने पड़ेंगे.

अपने बारे में भी कुछ दोहरा देता हूँ, मैं रमित हूँ, मेरी हाइट 6 फुट है. मैं दिखने में एक ठीक-ठाक पर्सनैलिटी का मालिक हूँ. पेशे से मैं मैकेनिकल इंजीनियर हूँ.

उस टाइम चंडीगढ़ के पास ही बद्दी में एक फैक्ट्री में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत था. उस समय मैं बद्दी में अकेला ही रह रहा था. कम्पनी ने एक सोसाइटी में फ्लैट की व्यवस्था कर रखी थी. मेरी बाकी की फैमिली चंडीगढ़ में रहती है, इसलिए मैं हर शनिवार को अपने घर आया करता था.

इसी बीच वहां साथ में रहने वाली एक पुलिस अफसर की बीवी के संग मेरे रिलेशन बन गए थे, जिसे मैंने अपनी सेक्स कहानी ‘पड़ोसन भाभी के साथ सेक्स या लव..’ में बताया था.

आइए मैं आपको नैना के बारे में थोड़ा याद दिलवा दूँ. नैना एक पढ़ी-लिखी बहुत ही खूबसूरत लड़की थी. जिसकी कमर 32 और मम्मे 36 इंच के थे. उसकी हाइट यही कोई 5 फुट 8 इंच की होगी. बड़ी बड़ी आंखें और दूध सा गोरा रंग.

वो अपने पति दिवेश, अपने 12 साल के बेटे राहुल और एक छोटी बहिन सुरभि के साथ रहती थी. दिवेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे. नैना की बहन वहीं से इंजीनियरिंग कर रही थी. नैना अपने पति से कुछ परेशान रहती थी. उसे शिकायत थी कि उसका पति उससे प्यार नहीं करता है. वो घर पर भी अपने पुलिसिया रौब में ही रहता है. उसकी इच्छाओं का ख्याल नहीं रखता है.

ये सब उसने ही मुझे बताया था.

हमारी दोस्ती हुई, सेक्स भी हुआ. पर मैंने उसे हमेशा अपने पति के करीब जाने के मोटीवेट किया. इससे उनके बीच की बहुत कुछ प्रॉब्लम सॉल्व भी हो गयी थीं. मैंने भी उनके बीच के हटने का मन बना लिया था. इसी लिए मैंने कोई दूसरी जॉब देख कर त्यागपत्र भी दे दिया था.

इसी वजह से नैना मुझसे नाराज भी थी और उदास भी थी.

मैंने उसे समझाया भी कि जो हमारे बीच है, वो स्थायी नहीं है. स्थायी रिलेशनशिप उसका उसके पति के साथ ही है. पर फिर भी वो मेरे जाने के बारे में सोच कर उदास थी.

मैंने सोचा कि कुछ समय बाद खुद ही संभल जाएगी. इसी बीच कम्पनी ने मुझे 6 महीने और रुकने का आग्रह किया, जिसे मुझे मानना ही पड़ा क्योंकि कंपनी ने मुझे बोला था कि मैं रिजाइन ना करूं. वो मुझे 6 महीने बाद साउथ अफ्रीका के यूनिट में ट्रांसफर कर देगी.

अब समस्या फिर से नैना से दूर रहने की थी कि कैसे मैं उससे दूरी बना कर रखूं.

वैसे नैना ये बात सुन कर खुश थी और बोल रही थी कि जब रब ही तुम्हें दूर नहीं भेजना चाहता है. तो फिर क्यों जाना चाहते हो?
मैंने उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया.

इसी बीच मेरी बीवी के स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां हो गयी थीं, तो मैं उसे अपने पास रहने के लिए ले आया. मैंने सोचा था कि शायद नैना मुझसे थोड़ा नाराज़ होगी, गुस्सा करेगी और थोड़ा दूर रहेगी.

पर वो तो उल्टा खुश थी कि मैं अपनी बीवी को ले आया हूँ. वो उससे मिल कर बड़ी खुश थी. उसने एक ही दिन में उस से दोस्ती कर ली बल्कि मेरी बीवी के आने के पहले दिन रात का खाना भी नैना ने अपने घर पर ही हमें खिलाया.

वो दिन भर मेरी बीवी के साथ ही बिताती. इनफैक्ट दोनों कई बार शॉपिंग करने भी चली जातीं. लंच भी साथ ही करके आतीं.

एक रात मेरी वाइफ बोली- नैना कितनी अच्छी है. तुम्हारा भी कितना ख्याल रखती है. तुम्हारी बहुत तारीफ भी करती है कि तुमने ही उसकी शादी बचाई. उसके पति अब सही से व्यवहार करते हैं.
मैंने अपनी वाइफ को मेरे और नैना के बीच हुए सेक्स के सिवा बाकी सब बताया.

फिर मेरी वाइफ के भी स्कूल खुलने वाले थे. तो एक दिन नैना बोली- चलो रमित कसौली चलते हैं. तुम्हारी वाइफ निशा के भी स्कूल स्टार्ट हो जाएंगे, फिर ये चली जाएगी. क्यों निशा!

मेरी बीवी निशा भी बोली- हां चलो न … सब चलते हैं … राहुल और सुरभि भी कितना खुश होंगे.

हमने संडे का प्रोग्राम बना लिया. नैना के पति पुलिस में ड्यूटी लगने के कारण नहीं जा पाए.

तो मैं मेरी बीवी निशा, नैना उसका बेटा राहुल और सुरभि चले गए. हमने कसौली में बहुत एन्जॉय किया.

मैंने देखा निशा, राहुल और सुरभि के साथ एन्जॉय कर रही थी. इधर नैना मेरे करीब बनी रही. मेरे आस-पास इर्द-गिर्द ही घूमती रही. मैंने उसे दूर रहने के लिए बोला.
तो वो मुस्करा कर बोली- जान अब क्यों डरते हो … अब तो हमें हमारी बड़ी दीदी ने भी स्वीकार कर लिया है.

मैं उसके इस नाटकीय अंदाज़ पर हंसने लगा और बोला- तुम पागल हो.
वो बोली- हां तुम्हारे पीछे सिर्फ!

फिर वो भी उन तीनों के साथ मस्ती में शामिल हो गयी. मैं भी सब कुछ भूल कर उनके साथ मस्ती में शामिल हो गया.

हम एक रात वहां रुके और अगले दिन वापिस आ गए.

निशा की अपने पेरेंट्स के घर बंगलोर जाने की इच्छा थी, तो उसने स्कूल से एक महीने की लीव ले ली. मैंने चंडीगढ़ से ही उसकी फ्लाइट भी बुक करवा दी.

जाने के दिन वो बोली- नैना, मेरे पतिदेव के खाने पीने का ख्याल रखना. अगर टाइम से घर न आए तो इन्हें डांटने की तुम्हें पूरी छूट है.
नैना बोली- निशा, ये बात रमित से बोलो कि रात का और सुबह का ब्रेकफास्ट हमारे साथ ही कर लिया करें. क्योंकि ये होटल में खाने जाते हैं. मुझे भी एक आदमी का खाना बनाने में कोई तकलीफ थोड़े है. वैसे भी दिवेश ड्यूटी के चलते कई बार रात को लेट आते हैं, तो खा कर आते हैं.

उस समय दिवेश भी वहीं थे, तो उन्होंने भी बोला- हां हां निशा जी आप बिल्कुल चिंता मत करिये … रमित अब रेगुलर हमारे यहां ही खाएगा.
मैंने कुछ बोलना चाहा, तो उससे पहले निशा बोल पड़ी- हां रमित … ये लोग ठीक ही तो बोल रहे हैं. मेरे को भी चिंता नहीं होगी … और अगर तुम्हें ऐसे अच्छा नहीं लगता तो तुम पेइंगगेस्ट की तरह इनसे सैटल कर लो.

दिवेश बोले- नहीं नहीं निशा जी … हम रमित से एक रूपया भी नहीं लेंगे.
तभी नैना बोली- खाना मैंने बनाना है … मैं रमित से खुद ही अपनी मेहनत वसूल लूंगी.

वो मेरी तरफ देख कर हंसने लगी और फिर से बोली- डरो मत बाबा … तुम्हें खा नहीं जाऊंगी … बस कभी कभी मेरे को अच्छी सी ड्रेस दिलवा दिया करना. बाहर से पिज़्ज़ा वगैरह मंगा देना.
ये कह कर वो हंसने लगी.

फिर फ्लाईट का टाइम हो गया तो निशा सब को बाई बोल जाने लगी.
वो मुझसे बोली- रमित, मेरी बेस्ट फ्रेंड नैना को मेरी तरफ से एक अच्छी सी ड्रेस ला कर गिफ्ट कर देना.

मैं हां कर दी … और हम उसे भेज कर वापस चल दिए. मैं नैना को एयरपोर्ट ड्राप करने चंडीगढ़ जा रहा था. निशा रास्ते भर बस नैना की ही तारीफ करती रही.

एयरपोर्ट पर जब निशा अन्दर जाने के मुझे बाई और अपना ख्याल रखने के लिए बोल रही थी, तो उसने बोला था- रमित नैना का ख्याल रखना. वो अभी भी अन्दर से बहुत अकेली है. उसे तुम्हारी दोस्ती की जरूरत है प्लीज़ उका ख्याल रखना. उसका किसी बात के लिए दिल मत दुखाना.

ये कह कर निशा चली गयी. मैं भी वापिस बद्दी आ गया और अगले दिन अपनी फैक्ट्री चला गया.

शाम को वापिस आया तो नैना सामने ही मिल गयी.
उससे हैलो हुई.

वो बोली- ब्रेकफास्ट बिना किए क्यों चले गए थे? अब तो निशा ने भी तुम्हें डाँट लगाने की खुली छूट दी है.
मैं कुछ नहीं बोला.

वो फिर बोली- चलो फ्रेश हो लो, मैं कॉफ़ी ले कर आती हूँ.
मैं सोचने लगा कि अब इससे कैसे दूर रहा जाए. अब तो संडे को भी यहीं रहना पड़ेगा.

इतने में नैना कॉफ़ी ले आयी और पीने के लिए बुलाने लगी. मैं और नैना कॉफ़ी पीने लगे.
नैना बोली- रमित तुम मुझसे इतना दूर क्यों जाना चाहते हो … जबकि रब भी नहीं चाहता?
मैं बोला- नैना हमारे बीच ये सब ठीक नहीं है. तुम अब निशा से भी मिल चुकी हो … और देख चुकी हो कि हम दोनों आपस में कितना प्यार करते हैं. नैना दिवेश को ये सब पता चलेगा, तो वो क्या सोचेगा … फिर तुम्हारा बेटा भी है.

मेरी बातें सुनकर नैना झल्लाकर बोली- उफ्फो … तुम हमेशा दूसरों के बारे में बातें करते रहते हो. कभी मेरे बारे में सोचा है कि मैं क्या चाहती हूँ! मेरी क्या इच्छा है … मेरे क्या अरमान हैं! क्या तुम समझते हो कि मुझे सिर्फ तुमसे जिस्मानी प्यार है? क्या मैं तुमसे बस अपने जिस्म की भूख मिटाना चाहती हूँ! अगर ऐसा होता, तो मुझे बहुत मिल जाते है. मिस्टर रमित … पर ऐसा नहीं है … मुझे तुमसे मोहब्बत है … प्यार है. तुम में मुझे एक सच्चा दोस्त दिखाई देता है … एक अच्छा इंसान. मैं तुमसे प्यार ही इसलिए करती हूँ कि तुम अपनी बीवी को बेइंतहा चाहते हो. तुमने क्या सोचा कि तुम उन्हें यहां ले कर आओगे, तो मैं तुमसे जलूंगी और तुमसे दूर हो जाऊंगी! नहीं रमित … मैं तो खुद कब से उस से मिलना चाहती थी, उसे देखना चाहती थी कि वो कैसी होगी, जिसे मेरा रमित इतना प्यार करता है. निशा को देख कर और उससे मिल कर मैंने जाना कि वो सच में प्यार के काबिल है. वो बहुत अच्छी इंसान और बेहद प्यारी दोस्त है. जानते हो रमित, उसने इतने कम समय में मेरे साथ बहुत अच्छा वक़्त बिताया है. तुम्हारे साथ बिताए हर पल के बारे में बताया मुझे … अपने बहुत निजी पलों में तुम्हारे साथ शामिल कर लिया. शायद उसने मेरी आंखों में तुम्हारे लिए दोस्ती और मोहब्बत को पढ़ लिया, पर फिर भी वो एक बार भी मुझसे नाराज़ या असुरक्षित नहीं दिखी. क्योंकि निशा मोहब्बत और दोस्ती दोनों को समझती है. इसी लिए उसने मुझसे बोला कि नैना अगर मोहब्बत पाक और पवित्र है तो एक आदमी से भी शायद दो औरतें भी मोहब्बत कर सकती हैं. फिर भगवान् कृष्ण से मीरा भी तो प्यार करती थीं … पर कृष्ण तो सिर्फ रुक्मणि के ही रहे.

मैं बस उसे सुनता रहा.

नैना कॉफ़ी का कप रखते हुई बोली- रमित, निशा ने मुझे बहुत अच्छे से समझाया है कि प्यार को पाना ही प्यार नहीं है. अपने प्यार को बांध के रखना प्यार नहीं है … और प्यार सिर्फ साथ रहकर नहीं किया जाता. जानते हो निशा ने बोला था कि उसने कभी रमित को बांध कर रखने की कोशिश नहीं की. शायद रमित इसी लिए उस से आज इतना प्यार करता है. दीवानों की तरह चाहता है. वो तो रोज़ चंडीगढ़ यहां से अपडाउन करना चाहता है, पर मैंने ऑफिस के स्ट्रेस से बचने और सेफ्टी के लिए उसे यहां रुकने के लिए मजबूर कर रखा है.

मैं नैना की तरफ अवाक होकर देख रहा था.

नैना अपनी ही रौ में बोले जा रही थी- रमित … मैं तुमसे एक अच्छी दोस्ती तो चाहती हूँ … जानती हूँ समाज की नज़र में ये गलत हो सकता है, पर मेरी में नहीं. रमित मैं तुम्हारी रुक्मणि नहीं, तुम्हारे जीवन की मीरा बनना चाहती हूँ. मैं तुम्हें अब यहां रुकने के लिए कभी मजबूर नहीं करूंगी. तुमसे दूर रह कर भी तुमसे प्यार करती रहूंगी. बस इतना जरूर चाहूंगी कि तुमसे सम्पर्क बना रहे.

ये बोल वो कॉफ़ी के मग उठा कर जाने लगी.
तो मैं बोला- नैना … मुझे माफ़ कर दो. शायद समाज के कारण मैं तुम्हारी दोस्ती को नज़रअंदाज़ कर रहा था.
ये सुनकर नैना मेरे करीब आयी और मुझसे लिपट कर बोली- पागल हो तुम ज्यादा महान बनने के चक्कर में मेरा दिल दुखाया. अब ऐसा किया तो मारूंगी.
उसने मुझे ज़ोर से हग किया.

तभी उसका फ़ोन बजा.
वो मोबाइल देखते हुए बोली- निशा का कॉल है. अब दिल दुखाया तो शिकायत कर दूंगी.

फिर मुस्करा कर वो निशा से बात करने लगी.

उसने निशा को बोला- रमित हमारे यहां खाना नहीं खाने आ रहा है.
इतना बोल कर उसने फ़ोन मुझे पकड़ा दिया.

निशा ने हैलो बोलते ही मुझे पहले आई लव यू बोला … फिर मुझसे नाराज होते हुए बोली- रमित क्या चाहते हो … तुम ढंग से खाना क्यों नहीं खाते! नैना बेचारी डिनर और ब्रेकफास्ट पर तुम्हारा इंतज़ार करती है … और तुम हो कि अपनी ही अकड़ में हो. अगर ठीक से खाओगे पीयोगे नहीं, तो मैं वापिस आ रही हूँ … और अब मैं जॉब भी नहीं करूंगी. बस तुम्हारा खाना पकाया करूंगी.

मैंने हंसते हुए कहा- अरे यार नाराज़ क्यों होती हो … मैं अब रेगुलर नैना के हाथ का बना बोरिंग खाना खाऊंगा … बस खुश!
वो बोली- ठीक है … और सुनो नैना बोरिंग नहीं. … बहुत टेस्टी खाना बनाती है. देखना कहीं तुम्हारी तोंद न निकल आये.

इसके बाद निशा ने फ़ोन काट दिया.

नैना ने मुझे चिकोटी काटी और बोली- अच्छा जी … मैं बोरिंग खाना बनाती हूँ.
मैंने बोला- नहीं तो और क्या! घीया टिंडे ये सब तो बनाती हो.
वो रोने जैसी सूरत बना कर बोली- तो तुम अपनी पसंद बताओ न … मैं वही बना दूंगी.
मैंने बोला- बताऊं!

उसने आखें नचाईं … तो मैंने आगे बढ़ कर उसके गाल पर चूम लिया और बोला- मुझे तो ये पसंद है.
तो वो बोली- तो खा लो इनको … मैंने कब मना किया है.
मैंने बोला- हे भगवान् …

वो हंसने लगी, फिर बोली- जल्दी से आ जाओ … खाना खाते हैं … सुरभि इंतज़ार कर रही होगी और दिवेश भी आता ही होगा.

मैंने कमरे में आकर जल्दी से कपड़े चेंज किए और खाने के लिए नैना के घर चला गया.

उस रात मैं सो न सका. रात भर नैना के साथ बिताए अंतरंग पल ही मुझे याद आते रहे.

अगले कुछ दिन तक सब नार्मल सा ही चलता रहा. मैं रोज़ सुबह का नाश्ता और रात का खाना नैना के घर ही खाता.

एक दिन सुबह नैना चाय देने आयी, तो कप पास की टेबल पर रख कर मुझसे लिपट गयी.

फिर बोली- ओह रमित … मुझे पता नहीं क्या हो रहा है, रात को जब दिवेश मुझसे प्यार करने लगे, तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आयी. मैं रात से तुमसे मिलने के लिए जल रही हूँ.

मैंने भी उसे अपनी बांहों में ले ले लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.

हम दोनों लिप किस करने लगे. काफी देर हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे. जब हम अलग हुए, तो नैना ने शर्मा कर आंखें झुका लीं.

जब मैंने उस सॉरी बोला, तो उसने मेरे मुँह पर हाथ रख कर मुझे चुप करवा दिया. फिर वो अपने घर चली गयी.

नैना मुझसे बेहद प्यार करती थी, ये मैं समझता था. मगर उसके साथ सेक्स करते समय मुझे कुछ ग्लानि सी होने लगी थी.

अगली बार लिखूंगा कि नैना मुझसे कैसे चुदी और बच्चा पैदा करने के लिए कहने लगी. हम दोनों के प्यार और सेक्स को शायद किसी ने देख लिया था. ये सब मैं आपको मैरिड लेडी कामवासना कहानी के अगले भाग में लिखूंगा.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
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मैरिड लेडी कामवासना कहानी का अगला भाग: पड़ोसी भाभी की कामाग्नि-2