मेरी शादी की अजीबोगरीब दास्ताँ-2

मित्रों..  मेरे विवाह की अजब गजब हिंदी चुदाई स्टोरी के पिछले भाग

मेरी शादी की अजीबोगरीब दास्ताँ-1

में आपने पढ़ा कि कैसे मेरा विवाह अजब हालातों में होने जा रहा था. कैसे मैं अपने दादा जी से मिला और उन्होंने कैसे मुझे निहायत ही कामुक प्रलोभन देते हुए भाभी कामिनी से शादी के लिए कहा और बुआ रज्जो, चाची रम्भा, को साथ में रखैल बना कर रखने को कहा और कैसे मैंने उनको साथ में चचेरी बहन मधु को भी चोदने की इच्छा कही.
अब आगे…

मधु की बात सुन कर दादाजी मुस्कुरा दिए लेकिन मेरा लंड फड़फड़ा उठा, मैं तुरंत उठा और दौड़ कर उसे पकड़ लिया. उसको मैंने पीछे से पकड़ा था इसलिए उसकी गांड में मेरा लंड चुभ रहा था. मैंने उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए अपने हाथ उसकी मुलायम नर्म गोरी-गोरी चुची पर ले गया और उनको दबाते हुए उसके कन्धों को एक किस दिया और प्यार से बोला- वैसे तो आप मेरी बड़ी बहन हो, लेकिन इस लंड को समझाना मुश्किल है, तुम्हारी गोरी गोरी चुची और नर्म पीठ को देख कर मन डोल गया है, इसलिए अब तू भी मेरी बीवी ही होगी. आज तेरे साथ सुहागरात मनाऊंगा. कल कामिनी को देखेंगे. क्या ख्याल है, पहले लंड चूसोगी या अपना गोरा बदन मुझसे चटवाओगी?

‘बड़ी जल्दी है बहनचोद बनने की? क्या बात है, इतनी सी उम्र में चुदाई का ज्ञान… क्या बात है कितनी औरतें चोदी हैं आज तक? चुदाई यहाँ खुली हवा में करोगे या अन्दर बंद कमरे में, वैसे यहाँ खुली हवा में ठीक है, और यहाँ चुदाई का फायदा है कि सबको पता भी चल जायेगा लंड सिर्फ नाम के लिए ही इतना बड़ा है जितना पेंट में लग रहा है या कुछ दम भी है. बुआ और चाची तो फिर भी दादाजी का लौड़ा ले लेती हैं, बेचारी कामिनी भाभी को लौड़ा चूसे और लिए हुए काफी वक़्त हो गया है, वो भी आज लौड़ा देख कर कल की चुदाई की तैयारी कर लेगी वर्ना इतने वक़्त से मेरी चूत चाट कर गुज़ारा कर रही हैं.’ मधु ने अपना हाथ मेरे लंड को कच्छे में हाथ डालकर पकड़ते हुए कहा.

मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और उसके नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा. कुछ ही सेकंड्स में हम दोनों की जीभ एक दूसरे से कुश्ती लड़ रही थी. चूमते हुए मेरा अंग अंग फड़क रहा था और एक ही झटके में मैंने उसकी मैक्सी और पेंटी निकाल फेंकी.

मधु भी मेरे कपड़े निकाल कर अपना हाथ मेरे लंड पर फेरने लगी. मैंने भी अपने हाथ उसकी चुची पर ह हल्के फेरने शुरू किये.
लगभग 10 मिनट किस करने के बाद मधु बोली- अशोक, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि तेरे जैसा लौड़ा मिलेगा.
इतना बोल कर वो नीचे बैठी और लंड मुह में लेकर चूसने लगी. उसके नर्म होंठ और गर्म जीभ लंड का तनाव बढ़ा रही थी. मैं चाहता तो था कि वो जोर जोर से तेज़ गति से लंड चूसे लेकिन उसकी धीमी धीमी गति और प्यार भरी पुचकार ने रोक दिया. मैंने सिर्फ उसके बालों में अपना हाथ फेरना शुरू किया और उससे कहा- मधु इस तरह लंड तो मेरी माँ मेरे पिता से का चूसती थी लेकिन मेरा लंड इतने प्यार से किसी ने नहीं चूसा. अभी तक जितनी भी मिली वो सब जेट स्पीड से चूसती थी. ऐसे तो उम्र भर लौड़ा चुसवाता रहूँगा मेरी जान!

एक घंटा मेरे लौड़े का स्वाद लेने के बाद मधु बोली- अब तुम्हारी बारी मेरे लौड़े उस्ताद! ये गोरा बदन तेरे होंठों और लंड के लिए बेताब है, कसम से इतना स्वाद लंड नहीं चूसा कभी, भले ही अब तक चुदाई नहीं की लेकिन लौड़े बहुत चूसे हैं.
इतना बोल कर उसने मेरा सर अपने चुची के अन्दर दे दिया. मैंने भी उसको सर से लेकर पाँव तक खूब चाटा. सबसे ज्यादा मज़ा उसकी दोनों चूची चूसने में आया. फिर उसको कुतिया स्टाइल में करके लौड़ा अन्दर पेल दिया.

लौड़े के अन्दर जाते ही उसकी जोर से चीख निकली- बहनचोद हरामी कुत्ते के बीज, उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दी मेरी कुंवारी चूत, तू जानता है इस चूत पर कितने लौड़े फ़िदा थे और तू इतनी बेरहमी से बर्ताव कर रहा है.
मैंने उसकी बात पर ध्यान न देते हुए अपना काम जारी रखा और दूसरा झटका और जोर से दिया, फिर झटकों से और उसकी चीखों से सारा माहौल गर्म हो गया. जैसे जैसे झटकों की रफ़्तार और समय बढ़ रहा था उसका दर्द चला गया और उसको मस्ती छा गई. फिर वो भी पूरा साथ देने लगी.

काफी लम्बी चुदाई के बाद हम जब अलग हुए तो मेरा लंड और उसकी चूत खून से सराबोर थी.

पानी से धोकर हम जैसे ही मुड़े तो चारों हमको ही देख रहे थे.

दादाजी बोले- क्या बात है बेटा! क्या मस्त चुदाई की है तूने, अब मैं आराम से मर सकूंगा. और मधु, तू बिल्कुल अपनी माँ पर गई है लौड़ा चूसने में . अशोक की ताई यानि तेरी माँ बिल्कुल तेरी तरह थी, मैंने कई बार खेतों में तेरे बाप के साथ पकड़ा था, बिल्कुल तेरी तरह लौड़े को चूसती थी, कसम से मेरा भी ईमान डोल जाता था, देख आज भी लंड खड़ा हो गया, अब रम्भा से चुसवाना पड़ेगा.

यह सुनकर रम्भा चाची ने कहा- पिताजी, मैं तो आपको कह रही थी लेकिन आप ही चुदाई देखने में व्यस्त थे!
इतना बोलकर रम्भा चाची ने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार कर दादाजी की धोती उठाई और वो विशाल काला मोटा लंड मुख में लिया.
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रम्भा तो मधु की भी उस्ताद थी, उसे तेज़ और धीमा दोनों में संतुलन बनाना आता था और इसी लिए पूरे एक घंटे तक लंड चूसती रही और दादाजी को झड़ने भी नहीं दिया. फिर अपनी चुची दादाजी के मुंह में लगा कर लंड अपनी चूत में डाला और जोर जोर से कूदने लगी.
कुछ मिनट बाद दोनों झड़ गए और नंगे ही सो गए.

बुआ रज्जो ने कहा- चलो लंड देवता जी, आज की रात तो मधु के साथ गुजारोगे लेकिन कल की तैयारी करनी है, चलो जीप निकालो और मार्किट चलो, कुछ सामान लाना है.
मैंने भी कहा- कहो तो रात को आपके नाम कर दूं लेकिन मेरे साथ चुदाई में लौड़ा चूसना पड़ेगा.
इतना बोल कर मैंने उसकी चूची पकड़ी और दबाई.
उसने हाथ हटाया और कहा- सब्र रख लंड महाराज… आज मधु को चोद ले, कल कामिनी को चोद ले, हम दोनों अभी तेरे दादा के लंड की प्राइवेट प्रॉपर्टी हैं.

बाकी की हिंदी चुदाई स्टोरी अगले भाग में…
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