मेरी रंडी बनने की कहानी-9

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मेरी रंडी बनने की कहानी-8

मेरी रंडी बनने की कहानी-10

मेरी इस सेक्स कहानी के इससे पहले भाग में जीजा के दोनों दोस्त मुझ पर टूट पड़े थे. उन्होंने मुझे नंगी करने के लिए खड़ी कर दिया था. उसके बाद वो दोनों अपने कच्छे उतारने लगे. वो दोनों मेरी आंखों के सामने ही नंगे हो गये. विवेक का मूसल लौड़ा देख कर मैं हैरान रह गई थी.

उसके बाद विवेक ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उसके भी मुंह से दारू की बहुत बदबू आ रही थी. विवेक का लौड़ा सामने से मेरी नाइटी के ऊपर से इतना चुभने लगा जैसे लोहे का रॉड हो. उसका लंड कभी मेरी जांघों पर लग रहा था तो कभी मेरी पैंटी के ऊपर से टच हो रहा था.

मैं एक कमसिन कच्ची कली की तरह दो छह फीट हाइट के मर्दों के बीच में आ गई थी. वो दोनों के दोनों मेरे जिस्म से लिपटे हुए थे. वो दोनों ही मेरे जिस्म को यहां-वहां से मसलने लगे. मैं उन दोनों के बीच में सैंडविच के जैसे लग रही थी.

दोनों मर्दों के बीच में मैं कसमासाने लगी. उन दोनों मर्दों के बाजुओं में मचल रही थी. वो दोनों ही हट्टे कट्टे मर्द थे और मैं बिल्कुल दुबली पतली नाजुक सी लड़की.
तभी अभय बोला- यार, मैं भी नंगा हो जाता हूं और इसकी भी यह नाइटी उतार देते हैं।

विवेक बोला- अभय जी, आप अपने कपड़े उतार लो. मैं इसकी नाइटी का यह पर्दा उठाता हूं.

अभय अपनी बनियान उतारने लगे और फिर मेरे पीछे खड़े खड़े ही अपना अंडरवियर उतार कर फेंक दिया. अब दोनों मर्द पूरे नंगे मेरे आगे पीछे थे.

तभी विवेक झुका और घुटनों के पास से मेरी नाइटी पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर करने लगा।
मैं विवेक को बोली- मुझे शर्म आ रही है, प्लीज इसे रहने दो. मुझे अजीब सा लग रहा है.

मगर वह कहां मेरी बात मानने वाला था. विवेक ने नाइटी को जैसे ही जांघों के पास लाया तो उसके मुंह से निकल गया- तू तो बहुत चिकनी माल है बंध्या. मैं तो इतने में ही पिघला जा रहा हूं. तभी अभय ने भी पीछे से मेरी नाइटी को ऊपर करना शुरू कर दिया.

जैसे ही जांघ के ऊपर तक नाइटी गई तो कमर तक मैं नीचे पैंटी में ही दिखाई देने लगी. मेरी पैंटी मेरी गोरी गांड पर फंसी हुई थी. वो दोनों आगे और पीछे से मेरी जांघों और मेरी गांड में फंसी हुई पैंटी को देख कर लार टपकाने लगे.

अभय बोला- बाप रे, तेरी गांड तो बहुत ज्यादा मस्त है बंध्या. यह तो करीब 36 के साइज की होगी. ऐसी उठी हुई गांड तो मैंने कभी नहीं देखी है. इस तरह की चिकनी गांड की मालकिन है तू बंध्या.
इतना कहते हुए अभय ने मेरी पैंटी को नीचे कर दिया. मेरी गांड उसके सामने नंगी हो गई.

मैंने आगे से अपनी चूत पर हाथ रख दिया. मैं अपनी चूत को छिपाने की कोशिश करने लगी लेकिन पीछे से अभय मेरी गांड को हाथ में लेकर दबाने लगा.

फिर वो नीचे बैठ गया और मेरे नर्म कूल्हों को अपने होंठों से चूमने लगा. इधर आगे से विवेक ने मेरी चूत से हाथ को झटके से हटा दिया. मेरे हाथों को उसने एक तरफ करके बांध लिया और मेरी चूत को गौर से देखने लगा.

मेरी चूत को देखते हुए वो बोला- इसकी चूत तो एकदम से अल्टीमेट है. ऐसी फूली हुई चूत है कि इसको खाने के लिए मेरे मुंह में पानी आने लगा है. हाय बंध्या … स्सस … तेरी चूत कितनी मस्त है रे. तेरे जीजा ने तो बहुत ही मजे लिए हैं री तेरे. आज तो हम भी तेरी चूत को पाकर धन्य होने वाले हैं.

यह कहते हुए विवेक ने अपनी हथेली मेरी चूत में रख कर मुट्ठी में बंद करके मेरी चूत को जोर से मसल दिया तो मेरे मुंह से चीख निकल गई। मेरी नाईटी को विवेक ने पकड़ कर कमर के ऊपर जैसे ही खींचा तो मेरी कमर तक का जिस्म उन दोनों के सामने नंगा हो गया.

अभय बोला- हाय क्या कमर है इसकी … इतनी चिकनी है और इसकी पीठ भी बहुत ही मस्त है.
आगे से मेरे पेट को देख कर विवेक ने कहा- अभय भाई, इसका तो पेट भी एकदम गजब है, ऐसी मस्त शेप तो मैंने पहले कभी किसी औरत की नहीं देखी है.

विवेक की बात पर अभय ने उसको डांटते हुए कहा- साले ये औरत नहीं है, ये तो कच्ची कली है. इसको अभी फूल बनाना है.
विवेक ने कहा- अरे इसके जीजा की बात नहीं सुनी, ये साली तीन तीन मर्दों के लंड एक साथ ले चुकी है. इसकी चूत की शेप देख कर पता चल रहा है कि ये कितनी बड़ी लंडखोर है.

उधर अभय ने पीछे मेरी कमर को अपनी तरफ खींचा तो उसका लंड मेरी गांड में टकराने लगा. विवेक ने मेरी नाइटी को अब और ऊपर किया और मैंने अपने हाथों को ऊपर की तरफ उठा लिया. विवेक ने मेरी नाईटी को मेरे हाथों से निकालते हुए मेरे जिस्म से अलग कर दिया और एक तरफ तख्त पर फेंक दिया.

अब मेरे बदन पर सिर्फ एक ब्रा ही बच गई थी. मैं उन दोनों के सामने ब्रा में खड़ी हुई थी. वो दोनों ही मेरे दूधों को देख कर कहने लगे- तेरे दूध तो बहुत कड़क लग रहे हैं बंध्या रानी.
ऐसा कह कर विवेक ने अपने हाथ मेरे दूधों पर रख दिये.

उसने पूरी ताकत लगाते हुए ही मेरे दूधों को मेरी ब्रा के ऊपर से ही दबा दिया. इस तरह से दबाने से मेरे मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई. मैं मचल उठी.
मैंने विवेक से कहा- आह्ह … स्सस … आराम से करो सेठ. बहुत दर्द होता है.
विवेक बोला- साली बहुत गजब की माल है तू तो.
उसने ऐसा कहते हुए मेरी ब्रा के ऊपर ही से अपना मुंह मेरे दूधों पर रख दिया. साथ ही उसकी एक उंगली मेरी चूत में जाने के लिए रास्ता देखने लगी.

जैसे ही उसकी उंगली मेरी चूत में गई तो मेरे मुंह से आह निकल गई और मेरा मुंह खुलते ही विवेक ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. उसने अपने दांत और होंठों से मेरी जीभ को पकड़ लिया. वो मेरी जीभ को चूसने लगा.

विवेक की इस हरकत से मैं अपने होश खोने लगी. मैं उन दोनों के बीच में मछली की तरह तड़पने लगी थी.
दोनों ही मर्द 6-6 फिट के ऊपर ही थे और मेरी हाईट 5 फीट 3 इंच की थी. दोनों के बीच में मैं बिल्कुल मछली के जैसे मचल रही थी.

तभी अभय ने अब पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोलना शुरू कर दिया. मगर उनको हुक खोलने में कुछ दिक्कत हो रही थी.
उसने काफी कोशिश की मेरी ब्रा को खोलने की लेकिन हुक कहीं पर अटक गया था.

उससे इंतजार नहीं हो रहा था. उसने जोर लगा कर मेरी ब्रा को खींचना शुरू कर दिया. जैसे ही उसने जोर लगा कर मेरी ब्रा को खींचा तो उसकी इलास्टिक टूट गई. उसने मेरी ब्रा को उतार कर एक तरफ फेंक दिया. मेरे दूध अब बिल्कुल नंगे हो गये थे.

मैंने अपनी ब्रा को देखा तो अभय सेठ ने कहा- तू चिंता मत कर, मैं तेरे लिए अच्छी क्वालिटी की मस्त सी ब्रा ला दूंगा. 10 ब्रा का पैकेट तेरे जीजा के हाथों तेरे घर ही भिजवा दूंगा. इतने मस्त दूधों को संभालने के लिए ब्रा भी सेक्सी होनी चाहिए.

उसकी बात सुन कर मैं खुश हो गई. मुझे नई नई सेक्सी ब्रा मिलने वाली थी.

उसके बाद अभय ने पीछे से हाथ डाल कर मेरे दूधों को अपने हाथों में भर लिया. उसके दोनों हाथों में मेरा एक एक दूध आ गया था. उसने इतनी जोर से मेरे दूधों को भींचा कि मेरे मुंह से चीख निकलने को हो गई मगर क्योंकि मेरे मुंह से विवेक का मुंह जुड़ा हुआ था इसलिए वो चीख बाहर नहीं आ पाई.

अभय मेरे दूधों को दबा रहा था. साथ ही साथ पीछे से मेरी गांड में अभय का मोटा तगड़ा लन्ड रगड़ खा रहा था और सामने से विवेक का लंड खड़े-खड़े मेरी चूत में रगड़ खा रहा था. मुझसे दो मर्द, वो भी पूरे नंगे, आगे और पीछे से चिपके हुए थे. मैं भी पूरी नंगी उन दोनों के बीच में मचल रही थी।

अब मेरे दूध के निप्पल को कस कस कर अभय ने नोचना शुरू कर दिया. मैं बेचैन होने लगी. मुझे इतनी बेचैनी होने लगी कि मुझसे खड़े होना मुश्किल होने लगा. मैं काफी मजबूर हो गई थी. अब मेरे बस से बात बाहर होने लगी थी. मैं इतनी मजबूर हो गई कि मैंने अपने सामने खड़े हुए विवेक को अपनी बांहों में कस कर जकड़ लिया.

इस बात को अभय ने नोटिस कर लिया और वो बोला- देख विवेक, ये अब गर्म होने लगी है. इसके साथ अब कुछ और करने में ज्यादा मजा आयेगा.
तभी विवेक बोला- बस एक साथ ही दोनों इसके आगे पीछे से इसकी चूत और गान्ड चाटते हैं.
अभय सेठ बोले- चल ठीक है भाई.

विवेक बोला- अब तुझे पागल कर देंगे हम दोनों. बंध्या बस 2 मिनट देख ले.
फिर विवेक आगे और अभय पीछे से बैठ गए और मेरी टांगों को हाथ से पकड़ कर थोड़ा चौड़ा करने लगे तो मैं खुद ही नीचे से अपनी टांगों को चौड़ा फैलाने लगी। विवेक ने दोनों हथेली से मेरी चूत के छेद को और चूत की क्लिंट को जोर से दबाया और उंगुलियों से रगड़ने लगा.

मैंने विवेक के बालों को पकड़ लिया. तभी विवेक ने जोर से अपना अंगूठा मेरी चूत में डाला कि मेरे मुंह से सी… सी.. उंह्ह उंह्ह की आवाज निकल पड़ी. इधर मेरे कूल्हों को खोल कर अभय मेरी गांड के सुराख पर जीभ से चाटने लगा.

उसने इस अंदाज से मेरी गांड को चाटा कि मुझे अजीब सी गुदगुदी होने लगी. अब सच में मैं पागल होने लगी थी. मुझे अपना कुछ होश नहीं रह गया था. इतने में ही आगे से अंगूठे को मेरी चूत में विवेक ने अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

वो तेजी से मेरी चूत में अंगूठे को चलाने लगा और बोला- बंध्या तेरी बुर बहुत रसीली और गहरी है. बहुत ज्यादा गर्म है. तेरी बुर लाल सुर्ख हो रखी है. इसमें जब लौड़ा जाएगा तो तुझे बहुत मजा आने वाला है.

इतना कह कर अब अपना अंगूठा निकाल कर विवेक ने अपनी जीभ को मेरी चूत में डालना शुरू कर दिया. मैं मदहोशी में पागल होने लगी.

वो नीचे से ऊपर करते हुए मेरी चूत को चाटने लगा. मैं अपने आप को संभालने में नाकाबिल साबित होने लगी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है. वो दोनों मुझे बेहोशी तक ले जाने वाले थे.
मेरी ऐसी हालत हो गई कि अपने आप को संभाल नहीं सकती थी.

तभी मैं बोली- प्लीज आप दोनों मुझे छोड़ दो. मुझसे अब खड़े नहीं रहा जा रहा. मुझे अब बिस्तर में लिटा दो वरना मैं पागल हो जाऊंगी, गिर जाऊंगी। प्लीज जल्दी … मेरे साथ कुछ करो. अब मुझसे खड़े नहीं रहा जा रहा.

इतना कह कर मैं कस कर विवेक के बालों को खींचने लगी और उसका मुंह अपनी चूत में दबाने लगी. तभी करीब चार-पांच मिनट तक मेरी बात सुने बिना ही वो दोनों मेरी चूत और गांड को एक साथ चाटते ही रहे. मैंने अपना आपा बिल्कुल खो दिया. मुझे कुछ भी याद नहीं रहा. मैं उन दोनों को मुंह से गालियां बकने लगी.

गाली देते हुए मैं कहने लगी- कुत्तो, हरामियो, अब मान जाओ. मुझसे नहीं रहा जा रहा. कुछ करो जल्दी. घुसा दो अपने लौड़ों को. जल्दी से डालो. मुझे बचाओ, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।

मेरी गाली को सुन कर अभय बोले- साली यह तो बिगड़ी हुई रंडी है. देखो अपनी औकात में आ गई. चुदक्कड़ बंध्या साली, अब बता हम तेरी चूत और गांड को एक साथ चोदना चाहते हैं. क्या तू हम दोनों को एक साथ अपनी चूत और गांड को चोदने देगी. बता साली, क्या तू तैयार है?

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या बोलना है. मैं बोली- हां, चोदो एक साथ. मुझे बस बिस्तर में लिटा दो और जहां डालना है, डालो! जल्दी करो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी. अब मुझसे खड़े नहीं रहा जा रहा है।

अभय सेठ ने कहा- मगर पहले एक बात तो बता बंध्या रंडी, हमारे अलावा अगर और मर्द होते तो क्या उनसे भी चुदवाती तू?
मैं बोली- हां मैं सबसे जम कर चुदवाती. अपनी चूत में सारे लन्ड घुसवा कर चुदाई करवा लेती.

तब विवेक बोला- फिर चल, आज पूरी रात हम दोनों तुझे चोदेंगे बंध्या. तुझे कोई दिक्कत तो नहीं होगी?
मैं बोली- मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मुझे रगड़ कर चोदो बस. मेरी चूत की खुजली को मिटा दो.

मेरे इतना कहते ही अभय बोले- इस साली को अब तख्त में लिटा दो. वरना नहीं तो यह सच में तड़प कर मर जाएगी.
उन दोनों ने एक एक पैर पकड़ कर मुझे तख्त के ऊपर लिटा दिया. मेरी हालत इतनी खराब हो रही थी कि मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था कि मेरे साथ क्या किया जा रहा है. मैं बस अपनी चूत में लंड लेना चाह रही थी.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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