मेरी पहली सच्ची मुहब्बत-7

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मेरी पहली सच्ची मुहब्बत-6 

मेरी पहली सच्ची मुहब्बत-8

मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग में अब तक आपने पढ़ा कि मैं अपनी सहेली सोनम के घर उसके चचेरे भाई और अपने आशिक आशीष के साथ थी.
अब आगे:

आशीष ने मेरी जींस के बटन खोल कर जैसे ही जिप को खोला, मैं एकदम से उठने को हुई. मैंने आशीष का हाथ पकड़ लिया.
उसने बोला- जान आज बस दो जिस्म एक हो जाने दो. अब तू मेरी बन जा मेरी डार्लिंग.

उसने मेरी जींस को धीरे धीरे मेरे पैरों से उतारते हुए नीचे कर दी. अब मैं नीचे पैंटी में थी. फिर वह मेरे पैंटी के ऊपर, जहां फूली हुई जगह थी, जिसके नीचे मेरा खजाना छुपा था. वहां पर जोर जोर से हाथ चलाने लगा.

तब मैंने उससे पूछा- आशीष तुम अब तक कितनी लड़कियों के साथ कर चुके हो?
तो वह बोला- तुम पहली हो और तुम्हारे बाद कभी किसी को नहीं छुऊंगा.
मैं उसकी इस बात से बहुत खुश हो गई और बोली- तुम मेरी लाइफ हो.

आशीष अब मेरे ऊपर आ गया और पेंटी के ऊपर से ही, जहां चुत है, वहां अपने लंड को पैन्ट के अंदर से रगड़ने लगा और मेरी समीज ऊपर करके मेरे मम्मों को चूमने लगा. वो मेरे समोसों को अपने हाथों से दबाने लगा.

मुझे जाने कैसे हो रहा था कि कुछ बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. आशीष अब अपनी पैंट उतारने लगा. मैं उसे बड़े ध्यान से देख रही थी. उसने अपनी बेल्ट खोलकर जिप खोला, तो उसका फूला हुआ हिस्सा मुझे दिखने लगा. आशीष ने जैसे ही पैंट उतारी, बाप रे उसके अंडरवियर को फाड़ कर उसका लौड़ा बाहर आने को मचल रहा था.

आज पहली बार मैं इतने ध्यान से लंड को देख रही थी. इससे पहले चार पांच बार वीडियो में सहेली नीलू के साथ देखी थी, विदेशी फिल्मों में देखी थी, थोड़ा थोड़ा देखा सुना था. बस जानती थी कि लंड क्या काम करता है. भाभियां मेरे पड़ोस वाली मुझे चुदाई के किस्से सुनाती थीं, तो ही कुछ वही पता था. पर आज मेरा मन पहली बाहर लौड़ा देखने को हुआ.

तभी आशीष अपनी अंडरवियर उतारने लगा. जैसे ही कमर से नीचे खिसकाया, उसका बहुत कड़क लंबा हिलता हुआ लौड़ा मेरी आंखों के सामने आ गया. मेरा सीना जोर जोर से धड़कने लगा. मेरी हालत या मेरी फीलिंग कुछ अजीब सी हो रही थी. आशीष अब पूरा नंगा होकर मेरे बगल से फिर लेट गया और उसने मेरी तरफ अपना लौड़ा किया, तो उसका लौड़ा मेरी नंगी जांघों में टच करने लगा. आशीष अपने हाथ से मेरे पैंटी के ऊपर अपनी उंगली से जहां चुत का छेद था, उस जगह पर अपनी उंगली घुसाने लगा. वो अपनी मुट्ठी से भी मेरी चुत को पेंटी के ऊपर से दबा रहा था.

अब उसकी इस हरकत से मुझे बहुत कुछ होने लगा. मेरी हालत बिल्कुल खराब होने लगी. पैंटी के ऊपर से ही बहुत तेजी से आशीष अपनी उंगली चुत पर डालने लगा, चलाने लगा.
इधर मेरा सीना जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगा तो आशीष बोला- तुम्हें क्या हुआ बंध्या?
मैं बोली- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, पहली बार ऐसा हो रहा है, कुछ अजीब सा लग रहा है आशीष. तुमने मुझे पागल कर दिया.

वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोला- तुम तो बहुत प्यासी हो, तुम्हारी आंखें बता रही हैं कि तुम्हारा बहुत ज्यादा मन है बंध्या. तुम्हारी यह आंखें बहुत नशीली हैं. इन्होंने ही मुझे पागल कर दिया है. सबसे सुंदर सबसे प्यारी और सबसे सेक्सी यह तुम्हारी खूबसूरत नाक है, इससे सुंदर नाक मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखी. यह तुम्हारी नाक देख कर ऐसा लगता है, जैसे कि ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया है.

उसकी यह बात मेरे दिल दिमाग में बैठ गई. आशीष मेरी नाक को चूमने लगा. करीब दो-तीन मिनट तक किस करने के बाद आशीष मेरी नाक को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा. उसने बहुत प्यार किया.
उसके बाद उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर बहुत जोर से होंठों को चाटना शुरू कर दिया.

इधर नीचे मेरी पैंटी के ऊपर जहां चुत थी, उस जगह को उंगलियों से इतना रगड़ा कि मेरे अन्दर चुत से रस बहने सा लगा. आशीष बोला- बंध्या, तुम्हारी चुत गीली हो गई है. यह कुछ मांग रही है.
वो पेंटी के ऊपर से ही चूमने लगा. आशीष ने मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब कर दी थी. यह क्या था, मुझे नहीं पता था, पर मुझे बहुत मस्त लग रहा था.

आशीष मेरे ऊपर चढ़कर उस गीली पेंटी के ऊपर से ही ठीक चुत के स्थान पर अपना लंड पहली बार टांगें फैलाकर बिना पैंटी उतारे, वहीं पर रख दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसके एक्शन से लग रहा था कि जैसे वो पेंटी के ऊपर से ही अपना लौड़ा मेरी चुत में पेल देगा.

लंड टच हुआ तो न जाने क्यों मेरे मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज निकल गई. मैंने भी आशीष को अपनी बांहों में जकड़ लिया. उसका नंगा बदन मेरे पेट और दूध में चढ़ा सारा वजन डाल रहा था. मैं आशीष से बोली- आशीष कुछ भी करो.. मुझे और मसल दो.. मुझे यह क्या हो रहा है, कुछ जल्दी करो, मुझे बहुत तड़प उठ रही है.

वो पैंटी के ऊपर से चुत में लंड के धक्के मारने लगा और अपने हाथ से मेरे छोटे-छोटे मम्मों को पकड़कर जोर से दबाने लगा.
वो बोला- बंध्या मेरी सेक्सी डार्लिंग, तुम बहुत मस्त आइटम हो.. आई लव यू.. आज से तुम मेरी वाइफ हो, मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगा.
मैं उसके बात से खुश हो गई.

वह बोला- बंध्या तुम्हारे प्यार में मैं भी पागल हो रहा हूं. यह तुम्हारा महकता सेक्सी बदन मुझे मदहोश बना रहा है. उसने बहुत जोर से मेरे दूधों को दबा दिया, जिससे मैं चिल्ला उठी.
मैं बोली- आशीष बहुत दर्द हो रहा है, आराम से दबाओ.. आशीष अब कुछ जल्दी करो. मुझसे नहीं रहा जा रहा है.

उसने मेरे दूध हल्के से दबाए. मैं आशीष को अपनी बांहों में भर कर बोली- आशीष तुम बहुत मस्त हो.. आई लव यू..
मैं उसके होंठों को कसके चूमने लगी.
तभी आशीष बोला- आज हमारी पहली सुहागरात है.

वो मेरी पैंटी के इलास्टिक को पकड़कर नीचे करने लगा.
मैं बोली- यह मत करो आशीष गड़बड़ ना हो जाए, मैं कुछ नहीं जानती.
आशीष बोला- मैं तुम्हारा जीवन साथी बनूंगा, तुम चिंता नहीं करो.

वो मेरी पैंटी खींच कर उतारने लगा. जैसे ही जांघ के नीचे पैंटी आई.

आशीष बोला वाउ बंध्या तुम तो बहुत सेक्सी हो.. तुम्हारी चुत तो बहुत चिकनी है. इसमें तो एक भी झांट के बाल नहीं हैं. तुम साफ करती हो क्या?
मैं बोली- नहीं आशीष.. बाल अभी उगे ही नहीं.. अभी ये ऐसी ही है.

तब उसने मेरी चुत पर किस करने के लिए अपने मुँह को मेरे चुत के पास लाया और जैसे ही आशीष ने मेरी नंगी चुत पर अपने होंठ रखे, मैं उछल पड़ी.

मेरी चुत पर आशीष का ये पहला किस था. उसने पहली बार चूमा. उसके चूमते ही जैसे मैं हवा में उड़ गई, ऐसा महसूस हुआ.

उसके बाद आशीष जांघ के नीचे मेरी पैंटी करते हुए पेंटी को नीचे उतारकर फेंक दिया और मेरी टांगों की तरफ आकर अब मेरे पैरों को पकड़कर, मेरे पैर के अंगूठे से चूमते हुए आशीष मेरे पैरों को चूमते चाटते जांघों तक पहुंच गया. अब वो मेरी जांघों को सहलाते हुए चाटने लगा.
मुझे बहुत गुदगुदी सी होने लगी, तो मैं करवटें बदलने लगी.

आशीष बोला- तुम तो पागलपन की हद से ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी हो बंध्या. तेरे बिना मैं नहीं रह पाऊंगा.. तुम्हारे जिस्म की खुशबू.. यहां तक कि तुम्हारी यह प्यारी प्यारी चुत की खुशबू भी लाजवाब है. मुझे लगता है कि तुम्हारी चुत पर अपने होंठों को हमेशा रखे रहूं.

इतना कहकर उसने मेरी टांग को फैलाया और देखते देखते अपने होंठों को मेरी चुत पर रख दिए. उसके होंठ जैसे मेरी चुत में पड़े, मैं तड़प गई, मचल गई. मैं बोली- आशीष आई लव यू.. तुम बहुत मस्त हो.. मुझे पागल कर दो.. हमेशा ऐसे ही प्यार करना.

मेरा इतना कहना हुआ कि आशीष ने अपनी जीभ भी मेरी चुत में डाल दी. आज तीसरी बार मेरी चुत चाटी जा रही थी. पहली बार उस शादी की रात, वो झाड़ी के पीछे. दूसरी बार शादी की उसी रात में, जहां मवेशी बंधे हुए थे सार में.. और यह मेरी लाइफ का तीसरा टाइम था. पर जो कशिश जो मजा आशीष के चुत चाटने पर मदहोशी मुझे छाई, उसे मैं शब्दों में बता नहीं सकती.

तभी आशीष ने बहुत जोर से जीभ को अन्दर डाला. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं आशीष का सर पकड़कर और अपनी चुत में दबाने लगी और बोली- और आशीष.. और जोर से अच्छे से बहुत मस्त कर रहे हो.. उहहह वोहह आशीष उंहहह.. बहुत मस्त उफ्फ ऊंहहह ऊंहहह..

इस तरह की आवाज अपने आप मेरे मुँह से निकल रही थीं कि अचानक से दरवाजा खुला और सोनम की मम्मी उसकी चाची और सामने वाली एक लेडीज सामने आके खड़ी हो गईं. उस समय आशीष मेरी चुत को चाटने में लगा हुआ था.

वो तीनों लेडीज एक साथ बोलीं- छि: छि: कितने गन्दे हैं रे …
वे तीनों मुझे बहुत गंदी गालियां देने लगीं. आशीष को भी बहुत गंदा बोलने लगीं.

मुझे सोनम की मम्मी और चाची बोलीं- तू रंडी साली बंध्या.. यहां मेरे घर में रंडी बाजी करने आती है.

वो मेरी मम्मी को भी बहुत गंदा गंदा बोलने लगीं. वो बोलीं- तेरी मां बुड्डी हो चली, तो उसे ग्राहक नहीं मिलते हैं. अब तेरी मम्मी के लिए कोई आता नहीं होगा, तो लड़की को धंधे में लगा दिया. तुझे रंडी बाजी करने का छिनाल बनने का इतना शौक है, तो हमारे घर के लड़कों को क्यों फंसाया.

उन्होंने आशीष को भी बोला कि तू मेरी ननद का लड़का है, यहां मेरी बेटी रहती है और तू मेरे घर में रंडी लेकर आता है. तेरी हिम्मत कैसे हुई, मेरे घर में ये गन्दा काम करने की? तू कभी अब यहां नहीं आना, कमीने यहां रंडियों को लाता है और गंदे काम करता है. ये बंध्या तो साली छिनाल ही है, इसे तो ग्राहक चाहिए ही है.

सोनम की मम्मी बोलीं कि यह बंध्या मेरी बेटी सोनम के साथ स्कूल में पढ़ती थी, तो मुझे लगा कि शायद पढ़ाई करती होगी, पर अब जान गई कि यह रंडी ही है. वहां भी मर्दों को अपने खूबसूरती की जाल में फंसाती होगी.

जो लेडी उसकी जेठानी बगल से खड़ी थी. वो उनसे बोलीं कि भगवान भी रंडियों को कितना खूबसूरत बनाते हैं.. ताकि मर्द उस पर लुट जाएं, मिट जाएं.
सोनम की मम्मी मेरे बाल पकड़ कर बोली- देखो कैसे कुतिया नंगी पड़ी अपनी गांड मरवा रही थी, छिनाल कहीं की.. हट मेरे घर से.. और सुन साली बंध्या.. दोबारा इस घर में ना आना, ना मेरी बेटी के पास आना, कभी गलती से भी ना दिखना, समझी.. चल हट ले!

मुझे इतना गंदा लगा, इतना दुख हुआ कि मैं जोर-जोर से रोने लगी. मेरी जिंदगी का शायद सबसे काला और बेकार दिन था आज. मैं बहुत जोर से रोते रोते हुए बिलख रही थी. मुझे बिल्कुल कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. जल्दी-जल्दी रोते हुए अपने कपड़े उनके सामने पहने और रोते रोते ही वहां से अपने घर के लिए निकली.

तभी अपने दरवाजे पर बैठी सोनम मुझे देखकर ठहाके मारकर हंसने लगी. तब मैं समझी कि सोनम ने जान बूझकर मुझे रंगे हाथों पकड़वाया है. मुझे इतना खराब लग रहा था कि मैं क्या कर जाऊं. सोनम की मम्मी उसकी चाची और वो सामने वाली लेडीज तीनों पड़ोस और गांव में, जो भी मिलता सबसे बतातीं कि बंध्या को चुदवाते रंगे हाथों पकड़ा है.

मेरी बहुत बदनामी होने लगी. पूरे गांव में इन तीनों औरतों ने मेरी मम्मी का नाम लेकर फैला दिया कि उसकी बेटी अब रंडी हो गई है. हमने उसे रंडीबाजी करते नंगी पकड़ा है. ना मैं अब घर से निकल पा रही थी, ना ही मोहल्ले में.. हर जगह मेरी बदनामी हो चुकी थी. मेरे घर में सबको पता हो गया था.

तब मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा- बंध्या, यह सब मैं क्या सुन रही हूं.. सही है क्या?
मैं सर झुका कर मम्मी के सामने खड़ी हो गई और बस हां में मुंडी हिला दी. उसके बाद तो मम्मी ने मुझे चाटें पर चाटें मारते हुए पीटने लगीं. मम्मी भी मुझे बहुत गंदी गंदी गालियां देने लगीं.

मैं तेजी से रोने लगी.

मम्मी बोलीं- तू पढ़ती नहीं है, अभी तेरी पढ़ने लिखने की उम्र है. तू इतनी बड़ी नहीं हुई कि तुझे मर्दों की जरूरत पड़ने लगे. और तुझे अगर रंडी ही बनना है, तो स्कूल छोड़ दे और निकल जा मेरे घर से.. जाकर रंडी खाने में अभी से बैठ जा.
मम्मी बहुत गंदी गंदी बातें बोल रही थीं और मैं रोए जा रही थी. मुझे बहुत खराब लगा.

तब मैं मम्मी से बोली- मम्मी आशीष मुझे प्यार करता है और मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूं. मैं उसी से शादी करूंगी और वह भी मुझसे शादी के लिए तैयार है.
मम्मी ने यह सुनते ही मुझे फिर से पीटने लगी. उन्होंने 4-5 थप्पड़ बहुत जोर के मारे और बोलीं- इतना ही मन पढ़ने में लगा … अभी तेरी उम्र ही क्या है.

मेरे बाल पकड़कर मुझे और दो तीन थप्पड़ मारे. मैं फिर से रोने लगी.

थोड़ी देर बाद मम्मी को मुझ पर दया आई, तो मेरे पास आकर बोलीं- चल कुछ नहीं होगा, तू घबरा मत, पढ़ाई में ध्यान दे. कल से रेगुलर कमलेश सर से ट्यूशन अच्छे से पढ़ना और मैं उस लड़के से बात करूंगी. अगर वह और उसके घर वाले तैयार होंगे, तो आगे चल कर मैं तेरी शादी तेरे आशीष से करवा दूंगी.

इतना सुनते ही मैं बहुत खुश हो गई और पता नहीं क्यों, पर जितना मेरे साथ हुआ, मैं सब भूल गई.

आगे की कहानी में क्या हुआ मैं पूरा सच लिखूंगी. आप मुझे मेल जरूर कीजियेगा.
[email protected]
मेरी देसी कहानी जारी है.