मेरी जवानी की वासना, लव और सेक्स-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

हेलो दोस्तों! कहानी के इससे पहले भाग में आपने पढ़ा कैसे वो मेरी चूत में ऊँगली कर मुझे गर्म कर रही थी. अब आगे:

उसने मेरी चूत में उंगली पेलते हुए पूछा- कैसा लग रहा है?
मैंने आह भरते हुए कहा- उन्ह … अच्छा लग रहा है.
उसने कहा- उंगली से क्या होता है … इस को तो पूरा लौड़ा चाहिए, जो इस निगोड़ी चूत की नसों को ढीला कर दे.

मैं कुछ नहीं बोली, बस अपनी चूत में उसकी उंगली की रगड़ का मजा लेती रही.

कुछ देर बाद उसने कहा- अच्छा तुम मेरी चूत पर मुँह मार मार कर चूसो … और मैं तुम्हारी चूत को.

फिर जैसा उसने कहा, मैंने वैसा ही किया. जब बहुत देर तक यह सब हो चुका, तब वो बोली कि चलो आज तुमको लड़के से चुदाई कैसे करवाई जाती है, दिखलाती हूँ.

वो मुझे दूसरे कमरे में ले गई. जहां पर टीवी परदा था. जिसको उसने डीवीडी से जोड़ रखा था. उसने डीवीडी को चला दिया.

डीवीडी के चलते ही स्क्रीन पर एक मस्त लंड आ गया और आवाज़ आने लगीं कि मैं एक लंड हूँ, जिसका काम है मूतना. मगर तब मैं बहुत छोटा सा बना रहता हूँ. परन्तु मैं लड़कियों की चुतों के दिल का किंग भी हूँ. हर लड़की मुझको अपनी चूत में डलवाने के लिए उतावली रहती है. जैसे मैं किसी खूबसूरत लड़की को देख लूँ, तब मेरी नजर उसके मम्मों पर सीधी पड़ती है. उसे देखते ही मेरा मन उसकी चुत को देखने के लिए मचलता है. तब मुझमें पता नहीं कहां से भरपूर शक्ति आ जाती है और मैं अकड़ अकड़ कर लंबा और मोटा होकर उसको सलामी मारने लगता हूँ. उसके आगे का मेरा काम आप मेरी इस पिक्चर में देखिए.

इसके बाद एक चुत की फोटो आ गई. नेपथ्य से आवाजें आने लगीं.

मैं चूत हूँ … जिसे लोग बुर, फुद्दी, चूत इत्यादि कहते हैं. जब मैं बहुत ज़्यादा चुद चुकी होती हूँ और एक बच्चा चुत से निकाल देती हूँ, तो लोग मुझे भोसड़ी कहना शुरू कर देते हैं. मेरा काम मूतने के अलावा लंड को अपनी चुत में ले जाकर उसको ढीला करना भी होता है. लंड बहुत अकड़ कर आता है मेरे पास … और पता नहीं क्या क्या बोलता है मेरी चुत में जाने से पहले. मगर जब मेरे अन्दर कुछ धक्के मार लेता है, तो पूरी तरह से ढीला हो कर बाहर आ जाता है. आने से पहले वो बहुत सा मसाला मेरे अन्दर छोड़ कर आता है, जिससे मेरी फांकों में से कोई लड़का या लड़की कुछ महीनों बाद बाहर निकल आता है. हां मगर जब यह अन्दर जाकर बहुत मस्ती में पूरी तरह से डांस करता है, तो मुझे इतना अधिक मज़ा मिलता है कि क्या कहा जाए. मगर जब पहली बार अन्दर जाता है, तो पूरा खून निकाल कर आता है. अब देखिए मैं कैसे इसको ढीला करती हूँ.

फिर पिक्चर शुरू हो गई. जिसमें एक लड़का पूरा खड़ा हुआ लंड लिए, लड़की के पास आकर उसे नंगी कर देता है. उसके मम्मों को दबा दबा कर मुँह मारने लग़ता है और उसकी टाँगें चौड़ी करके उसकी चुत के ऊपर लंड को रख कर धक्का मारने लगा. जिसका नतीजा ये था कि पूरा लंड चूत में चला गया. फिर दोनों एक दूसरे को धक्के पर धक्का मारने लगे और कुछ देर बाद ‘हूँ हां …’ करते हुए लंड बाहर आ गया.

इधर हम दोनों ही पूरी तरह से नंगी थीं और पूरी गर्म भी हो उठीं थीं, सामने ब्लू फिल्म जो चल रही थी. हम दोनों की चूत का गीला होना लाजिमी था.

फिर शिवानी ने मेरी चूत पर मुँह मार कर उसका जो रस निकल रहा था, उसे पीना शुरू किया.
वो मुझसे बोली- ले तू भी पी ले मेरा अमृत.

जब बहुत देर हो गई, तो मैंने कहा- अब घर जाने का समय हो गया है.
वो बोली- ठीक है … मगर यह बता कि मज़ा मिला या नहीं.
मैंने कहा- क्यों मेरे मुँह से गंदी बातें निकलवाना चाहती हो.

उसने कहा- देख यार … कोई गंदी बात नहीं होती, यह सब दिल का डर है, जिसे निकाल दो और जीवन के मज़े लो.
मैंने कहा- कह तो तुम ठीक रही हो, मगर करना बहुत मुश्किल है. आख़िर हमें इसी समाज में ही रहना है.
इस पर वो उलट कर बोली- तो क्या मैं किसी और समाज में रहती हूँ. फालतू की बात ना बोला कर. अगर मज़ा मिला है, तो क्यों उसके बिना रह रही हो. मैं भी तो ले रही हूँ. ऑफिस का सारी लड़कियां यही काम करती हैं, मगर किसी को क्या पता है. सबका अपना निजी जीवन है, किसे किसके लिए समय है, जो किसी और के बारे में सोचे. तुम अपने आपके बारे में अगर नहीं सोचोगी तो कौन सोचेगा?

उसने मेरा हौसला काफ़ी बढ़ा दिया था, मैंने कहा- बात तो तुम ठीक कर रही हो.
वो बोली- तुम हर शनिवार और रविवार मेरे पास आ जाया करो और इसी तरह से मज़ा ले लिया करो. मैं तुम्हें किसी लड़के के साथ चुदने को नहीं कहूँगी.
मैंने कहा- ठीक है, अब से हर शनिवार को ही आऊंगी और अगर कभी मौका मिला, तो किसी और दिन भी ऑफिस से छुट्टी करके आ जाया करूँगी.

इस तरह से दो तीन महीने तक हम लोग एक दूसरे की चूत का रसपान करते और मज़े करते.

एक दिन उसने कहा- यार अगर तुम बुरा ना मानो, तो मैं एक दिन तुम्हारे सामने अपने फ्रेंड से चुदाई करवा लूँ. तुम्हें भी असली फिल्म देखने का मौका मिल जाएगा.
मैंने कहा- मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है, मगर वो मुझे कोई कुछ नहीं करेगा.
उसने कहा- ठीक है.

अगले ही शनिवार को उसने मुझसे कहा- तुम दस बजे से पहले मेरे घर आ जाना. फिर मैं आगे के दरवाजे को ताला लगा कर, पिछले दरवाजे से अन्दर आ जाऊँगी ताकि किसी पड़ोसी को कुछ ना पता लगे कि अन्दर क्या हो रहा है. मेरा दोस्त दस बजे से पहले ही आ जाएगा.
मैंने हामी भर दी.

नियत समय पर मैं उसके घर पहुंच गई. जैसे ही मैंने दरवाजे की घंटी बजाई. उसने दरवाजा खोल कर मुझे अन्दर आने को नहीं कहा … बल्कि खुद भी बाहर आकर अपने घर के दरवाजे पर ताला लगा दिया और फिर मुझे पीछे वाली गली से ले जाकर पिछले दरवाजे से अन्दर करके दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. जिससे यह पता लग रहा था कि घर में कोई नहीं है.

अन्दर एक लड़का पूर नंगा होकर बैठा था और ब्लू फिल्म देख रहा था.
हमें देख कर उसने शिवानी से कहा- यह कौन है?
उसने कहा- यह नई चिड़िया है, इसके अभी पर नहीं कटे हैं, इसे दिखलाना है कि असली चुदाई कैसे होती है. मगर इसकी तरफ़ तुम्हें देखना मना है, समझ गए मेरे चोदू.
उसने हंस कर कहा- ठीक है चूत महारानी … मैं तो तुम्हारी चूत का गुलाम हूँ, जो तुम कहोगी, मैं वही करूँगा.

मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि इसने उस लड़के से यह क्यों कहा कि ये नई चिड़िया है और इसके अभी पर नहीं कटे हैं.

उस समय जो मैं नहीं समझ पाई थी, वो आज समझ गई कि वो क्या कहना चाह रही थी.

दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया. शिवानी के दोस्त ने शिवानी को पूरी तरह से नंगी कर दिया और उस चुचियों का पूरा रसपान करने लगा. वो कभी उसके होंठों को चूसता, कभी मम्मों को ऐसे दबाता, जैसे कि आम को दबा कर उसका रस पीना चाह रहा हो.

कुछ देर बाद उसने अपना लंड शिवानी के मुँह में डाल कर उससे चुसवाने लगा. फिर उसकी चुत पर अपना मुँह मारने लगा. इस तरह से वो दोनों एक दूसरे के लंड और चूत का मज़ा लेते रहे.

थोड़ी देर बाद उसके दोस्त ने अपने पूरे खड़े हुए लंड को, जो मुझे लगता था कि सात इंच से छोटा नहीं होगा, को अपनी लार से पूरी तरह से गीला किया और शिवानी की चुत के मुँह पर रख कर एक ही धक्के में सारा का सारा अन्दर कर दिया.

शिवानी एक बार तो चीख उठी, मगर फिर बहुत खुश नज़र आई. शिवानी बोल रही थी- आह राजा चोद दे अपनी इस रंडी को … आज ना छोड़ना … पूरा रगड़ दे मेरी चूत को … साली बहुत तंग करती है. साली बहुत हरामिन हो गई है. आह चोद साली को … कोई रहम ना कर इस पर. चोद चोद कर इसका पूरा भोसड़ा बना दे.

उसका दोस्त भी अपना लंड पेलता हुआ कह रहा था- हां ले मेरी रंडी … आज मैं तेरी चूत का सही में भोसड़ा बना कर ही जाउंगा … तू भी आज क्या याद करेगी कि किस लंड ने आज तुझको चोदा है. साली बोल तेरी चूत अब तक कितने लंड ले चुकी है. सच सच बताना वरना बिना चोदे इसको ऐसे ही छोड़ कर चला जाऊंगा.

शिवानी कुछ नहीं बोली.

तब उसके दोस्त ने फिर से कहा- बोल जल्दी से … वरना धक्के मारना बंद करता हूँ.
अब शिवानी ने कहा- साले हरामजादे शर्म नहीं आती यह कहते हुए. मेरी चूत का खून तो तुमने ही निकाला था अपने लंड से … आह पता नहीं कहां कहां से चूत ढूँढता रहता है अपने लंड के लिए … और बदनाम मेरी चूत को करता रहता है. साले हरामी की औलाद खबरदार अगर फिर कभी ऐसा बोला.

उसके दोस्त ने कहा- ओ मेरी चूत महारानी … नाराज़ क्यों होती है, निकाल और गालियां … ये सुन कर तो मेरे लंड को और ज्यादा जोश आता है. फिर जोश में जब लंड हो, तो चूत को उसके धक्के भी मजेदार लगते हैं.

इस पर शिवानी ने गाली देते हुए बोलना शुरू कर दिया- साले लुच्चे … अपनी मां को चुदते देखा है ना … अपने बाप से बता कर पूछ, उस वक्त वो क्या कहती थी तुम्हारे बाप से.
उसके दोस्त ने कहा- कहा करती थी साले मार धक्के चूत को … यह काम क्या तेरा बाप करेगा?

इसके बाद शिवानी पलट कर बोली- हरामी की औलाद … जब तुझे पता है तेरी मां अपनी चूत चुदवाते हुए क्या कहती थी, तो फिर किसलिए फालतू की बातें बोल रहा है. तू तो बस मस्ती से चुदाई कर मेरी चूत की. हरामी साले तेरी मां को चोद चोदकर तेरे बाप ने तेरी मां की चूत से तुझे निकाला है. कुछ सीख उससे कि चूत का इलाज़ कैसे किया जाता है.

उसके दोस्त ने फिर छेड़ा- साली बहन की लौड़ी … तू क्या पैदा नहीं हुई थी, जब तेरी मां को तेरे बाप ने चोदा था. तू भी कुछ सीख अपनी मां से कि कैसे चूत को चुदवाते हुए लंड में जोश भरा जाता है.

इस तरह से कहां कहां से ढूँढ ढूँढ कर वे दोनों एक दूसरे को गालियां देते हुए चुदाई करते रहे.

चुद शिवानी की चूत रही थी और पानी मेरी चूत छोड़ रही थी. अभी तक तो मैंने शिवानी की सोहबत में पड़ कर चुदाई को सिर्फ ब्लू फिल्मों में ही देखा था. आज शिवानी ने अपनी ही चुदाई लाइव दिखला कर मुझे पूरा गर्म कर दिया. अब शर्म के मारे मैं किसी से कुछ बोल भी नहीं सकती थी क्योंकि अपनी ही कही हुई बात से मुड़ना पड़ता था.

खैर उस दिन मैं पूरी गर्म होकर घर वापिस आई. अब मुझे अपनी चूत के लिए किसी लंबे मोटे लंड की सख्त ज़रूरत थी, मगर कहां से आता.

मैंने आते ही घर पर कहा- मैंने सोने जा रही हूँ, मुझे कोई बुलाएगा नहीं. आज ऑफिस में बहुत काम की वजह से मैं थक कर आई हूँ.

मेरी इस बात से किसी को कोई शक़ नहीं हुआ और मैंने जाते ही कमरे को अन्दर से बंद करके सारे कपड़े उतार दिए. शिवानी का डिल्डो अभी भी मेरे पास था, जो मैंने उसे अभी तक वापिस नहीं किया था.
मैंने पूरी नंगी होकर झट से उसको निकाला और उस पर थूक लगा कर पूरी गीला करके अपनी चूत की फांकों में रगड़ने लगी … धीरे धीरे अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगी.

जैसे जैसे डिल्डो चूत में घुसता जाता था, मुझे चैन मिलता जाता था. आख़िर पूरा लंड चुत में घुसा कर ही मैंने दम लिया … मुझे बेहद दर्द हुआ, हल्का खून भी निकला, पर इतने दिनों से डिल्डो से खेलते रहने से मुझे इसकी आदत सी हो गई थी और इससे होने वाला डर अब मजे में बदलने लगा था. मैं डिल्डो को जोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगी. मुझे ऐसे लगने लगा, जैसे कोई लड़का मेरे चूत को रगड़ रहा हो.

करीब दस मिनट की डिल्डो से चुदाई करके मुझे कहीं जा कर चैन मिला.

थोड़ी देर बाद शिवानी का फोन आ गया. उसने सीधा ही मुझसे बोला- बोल मेरी जान … क्या हाल है तेरी चूत का.
मैंने कहा- मेरी चूत को क्या होना था?
वो बोली- देख मैं लंड लेने की पूरी खिलाड़ी हूँ. … मुझसे कुछ भी छुपाने की कोशिश करना बेकार है. मुझे पता है तेरी चड्डी गीली हो चुकी थी, जब तू मेरे घर से निकली थी. मैंने तुझे उस लड़के के सामने कुछ नहीं कहा, इसका मतलब यह नहीं कि मुझे कुछ पता ही नहीं चला.
मैंने कहा- अब जब तुझे पता ही है, तो फिर क्यों पूछ कर मुझे शर्मिंदा कर रही हो.

आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है, इसको लेकर आप क्या सोचते हैं, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
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कहानी जारी है.