मेरी जान शायरा-22

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

 मेरी जान शायरा-21 

मेरी जान शायरा-23

शायरा कुंवारी नहीं थी मगर फिर भी उसकी चुत चाटने में इतना मजा आ रहा था. जब इसकी चुदी चुत इतना मजा दे रही है, तो वो अगर कुंवारी होती तो कितना मजा देती?

दोस्तो, मैं महेश एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी में आपको शायरा की चुत चुदाई का मजा देने के लिए हाजिर हूँ.

अब तक आपने पढ़ा था कि मैं शायरा के अधरों का रस चूसते हुए सोच रहा था कि होंठों का रस इतना मीठा है … तो इसकी चुत का रस कितना टेस्टी होगा.

अब आगे:

मैं शायरा के दोनों होंठों को बारी बारी चूसने लगा. शायरा भी मुझे किस करते हुए मेरा साथ दे रही थी.

इस किस को और मज़ेदार बनाने के लिए मैंने किस करना बंद कर दिया और एक एक कर शायरा के सारे कपड़े निकालने लगा.
जिसमें शायरा ने भी मेरा पूरा साथ दिया.

शायरा जन्मजात नंगी मेरे सामने खुली पड़ी थी.

सच में वो रंग रूप की तो मल्लिका ही थी … उसके मदमस्त बदन की जितनी‌ तारीफ़ की जाए, उतनी कम थी.

उसके रंग रूप में मैं इतना खो गया था कि कुछ देर तो बस उसे देखता ही रह गया, पर मेरे ऐसे देखने से शायरा शर्मा गयी और अपने हाथ पैरों को सिकोड़कर उसने अपने बदन को छुपा लिया.

शायरा नंगी थी इसलिए मुझसे शर्मा रही थी क्योंकि उसको तो मैंने पूरी नंगी कर दिया था. मगर मैंने अभी भी अपने कपड़े पहने हुए थे.
उसकी यह शर्म मुझे अब निकालनी थी … इसलिए मैंने भी अपने सारे कपड़े निकालकर बिल्कुल नंगा हो गया.

शायरा अभी भी वैसे ही बैठी हुई थी मगर उसकी निगाहें अब मेरी तरफ थीं.
वो शायद मेरे लंड को देख रही थी इसलिए मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर ही रखवा दिया.

शायरा ने भी अपने हाथ को मेरे लंड पर से हटाया नहीं … बल्कि उसे अपनी मुट्ठी में कस कर भींच लिया और मेरे लंड की ताक़त, उसकी हार्डनेस को फील करके खुश हो गयी.

उसकी खुशी को जानने के लिए मैंने उसे फिर से बिस्तर पर गिरा लिया और उसके ऊपर आकर किस करने लगा.

इस समय मुझे उसे किस करने में डबल मज़ा आ रहा था. क्योंकि एक तो हम नंगे थे, जिससे एक दूसरे के नंगे बदन को रगड़ने से मज़ा आ रहा था.
ऊपर से शायरा मेरे लंड की ताक़त और बढ़ाने के लिए मुझे अपने पूरे जोश के साथ किस कर रही थी.

शायरा को मेरे साथ प्यार करके अच्छा लग रहा था … क्योंकि उसे प्यार वाला सेक्स चाहिए था, जिसमें पार्टनर की खुशी का भी ध्यान रखा जाए.
मैं वैसा ही कर रहा था, इसीलिए शायरा मुझे अपने दिल से किस कर रही थी.

शायरा को मेरे बारे में सब अच्छा लग रहा था‌. उसे उम्मीद थी कि आज उसे बहुत प्यार मिलेगा.
मैं भी उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश कर रहा था.

आज मैंने मन बना लिया था कि मैं शायरा की ऐसी चुदाई करूंगा कि उसे मुझसे जो चाहिए, वो सब मिल जाए.

अब तक शायरा ने अपने हज़्बेंड से उम्मीद लगाई हुई थी … मगर वो उम्मीद पूरी नहीं हुई. पर आज मैं शायरा को उसकी खुशी लौटाने की पूरी कोशिश करूंगा. इसके लिए मैं शायरा के रसीले होंठों का रस पी रहा था ताकि अपने लंड को एक्सट्रा एनर्जी दे सकूँ.

शायरा के होंठों में बेइंतहा रस था. उसके होंठों को चूस चूस कर उस रस को पहले तो मैंने खुद पिया … फिर उस रस को शायरा के मुँह में अपनी जीभ डालकर मैं वापस शायरा को ही पिलाने लगा.

शायरा भी मेरी जीभ को चूस चूस कर अपना सारा रस मुझसे वापस खींचने लगी.
वो पहले ही मेरे प्यार के नशे में थी, ऊपर से खुद के ही होंठों का रस मेरी जीभ से पीकर वो और भी नशीली हो गयी.
मुझे तो अब शायरा नागिन से भी ज़्यादा नशीली लग रही थी.

हम‌ दोनों किस करने में इतने अधिक खो‌ गए थे कि हम दोनों में, एक दूसरे के होंठों को चूसने चाटने की जैसे एक होड़ सी लग गयी थी कि कौन किसके होंठों को ज्यादा प्यार करेगा.

इसके चलते हम किस करते हुए एक दूसरे के होंठों को अब काटने भी लगे थे.
काटने से हमें दर्द हो रहा था … मगर वो दर्द हमारा जोश और अधिक बढ़ा रहा था.

शायरा प्यार के लिए भूखी थी, तो मैं शायरा के लिए प्यासा था. इसलिए उस प्यार भरे किस ने बेहद ही वाईल्ड रूप ले लिया था.
वो अब मेरे होंठों को चूसते और काटते हुए अपने नाख़ून मेरी पीठ में चुभो रही थी, तो मैं शायरा के बालों को पकड़कर उसके होंठों को चूस रहा था.

मैं शायरा को ऐसा प्यार करना चाहता था कि वो इस पल को हमेशा याद रखे.
और जिस तरह से शायरा किस करने में मेरा साथ दे रही थी, उससे तो लग भी यही रहा था कि ये चुदाई एक यादगार चुदाई बनने जा रही थी.

किस करने की एक लिमिट होती है … मगर हम दोनों ने किस करने की वो लिमिट पार कर दी थी, जिससे हमारी सांसें बुरी तरह से फूल गयी थीं. हमें सांस लेने की ज़रूरत थी.
और मैं बिना शायरा को प्यार किए मरना नहीं चाहता था … इसलिए मैंने किस को रोक दिया.

मेरी सांस फूल रही थी, इसलिए किस रोक कर मैं शायरा की तरफ देखने लगा. वो भी मेरी तरफ देख रही थी और जोरों से हांफ रही थी, पर मेरे अब ऐसे देखने से शायरा ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

शायरा की तरफ देखते हुए मैंने उसकी आंखों पर एक प्यार भरा किस किया और ऐसे ही धीरे धीरे किस करते हुए नीचे की तरफ बढ़ गया.
गर्दन से होते हुए मैंने शायरा के मम्मों पर एक किस किया और फिर सीधा नीचे चला गया.

शायरा के मम्मों पर मैंने पहले कुछ ज्यादा ही प्यार किया था … और उसके लाल लाल निशान अभी भी उसके दोनों मम्मों पर साफ नजर आ रहे थे.
इसलिए इस बार मैंने शायरा के मम्मों पर बस एक किस करके डाइरेक्ट चुत पर जाने की सोची.

मैंने पहले तो शायरा की नाभि पर किस करके उसके बदन में गुदगुदी पैदा की ताकि चूत पर जाते ही उसका मूड खिल जाए.
पर चूत पर किस करते ही शायरा के बदन में हलचल सी होनी शुरू हो गयी.

शायरा की चूत डर के मारे कांप रही थी और ये डर शायद मेरी पहले वाली चुदाई के कारण था.

अब ऐसे में मैं अगर अपना झंडा शायरा की चूत में गाड़ देता, तो चूत कभी भी मेरा साथ नहीं देती.
मुझे सबसे पहले शायरा की चूत का ये डर ही ख़त्म करना था और इसके लिए पहले चूत से प्यार करना था, शायरा की चूत को खुश करना था, उसे अपना दीवाना बनाना था ताकि वो खुद ही मेरे लंड की सवारी करने को मचलने लगे.

वैसे शायरा की चुत थी भी इतनी प्यारी कि चूत को देखते ही मेरे मुँह से पानी आ रहा था.
शायरा की गुलाबी चूत बिल्कुल किसी दुल्हन की तरह ही सुंदर थी. शायरा की उस चूत पर मैं हज़ारों कुंवारी चूतों को कुर्बान कर दूं.

उसकी पहली चुदाई किए मुझे ज्यादा टाइम नहीं हुआ था, पर फिर भी उसकी चुत काफी टाइट लग रही थी.
मैंने चूत की फांकों को फैलाकर देखा, तो चुत के अन्दर के गुलाबी होंठ भी खुद ही खुल गए और अन्दर से जन्नत का दरवाजा दिखने लगा.

सच में उस समय तो मुझे यही लग रहा था कि अगर कहीं जन्नत है … तो बस यही है.
उसमें से हल्का हक्का रिसता प्रेमरस तो ऐसा लग रहा था मानो वो अमृत ही हो.

शायरा के प्रेमद्वार से हल्का हल्का पानी रिस रहा था, जिससे उसकी चुत पहले ही गीली थी … पर शायरा की चूत को अब और गीली करवाने का समय आ गया था.
इसकी शुरूआत मैंने चुत पर किस करने से की.

शायरा अभी तक चुपचाप आंखें मींचे हांफ रही‌ थी‌.
मगर जैसे ही मैंने उसकी चुत पर किस किया, गजब हो गया. अपनी चूत पर मेरे होंठों को महसूस करते ही उसके मुँह से ‘आह ..’ की कराह निकल‌ गयी और एक मस्त सी सिहरन मुझे उसके जिस्म से उठती सी महसूस हुई.
ये उसकी ताजगी भरी जवानी का एक नमूना था, जिसने मुझे मस्त कर दिया था.

मैं भी शायरा की चुत पर एक दो किस करके रुका नहीं … बल्कि एक दो तीन चार करते हुए उसकी चुत पर किस की बारिश ‌सी कर दी.
जिससे शायरा अब जोरों से सिसक उठी‌ और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया.

मेरे सिर को पकड़कर शायरा ने अपनी गर्दन उठाकर मेरी तरफ देखा. मगर मुझे जब इस तरह अपनी नंगी चुत पर झुके देखा, तो वो शर्मा गयी और चुपचाप वापस आंखें बन्द‌ करके लेट गयी.

शायरा ने मेरी गर्दन पकड़ रखी थी, इसलिए मैंने अपनी गर्दन को हिलाकर उसे छोड़ने का इशारा सा किया. अपनी चुत चटवाना किसे पसन्द नहीं होगा और वो भी मेरी जीभ से.

मेरी जीभ तो चुत में तलवार चलाने के जैसा काम करती है … और इसका एक नमूना तो शायरा पहले भी देख चुकी थी. इसलिए मेरे गर्दन हिलाते ही उसने चुपचाप मेरे सिर को छोड़ दिया.

मैंने भी अब अपनी पूरी जीभ निकालकर शायरा की चुत की फांकों के बीच घुसा दी, जिससे वो एक बार फिर जोरों से हांफ गयी.

पर मैं अब रुका नहीं, मैंने चुत की फांकों के बीच उसके अन्दर के‌ गुलाबी भाग को चाटते हुए नीचे की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया.

इससे शायरा अब जोरों से सिसकारियां लेने लगी.

शायरा की चुत की फांकें बाहर से तो ठंडी थी … मगर अन्दर की तरफ से एकदम‌ गर्म गर्म थीं.

उसकी चुत की गर्मी और चुत की फांकों पर लगा उसका खारा कसैला रस, मुझे एक अलग ही मजा दे रहा था. इसलिए चुत के गुलाबी भाग को चाटते चाटते मैं चुत के दाने पर आ गया.

चुत का दाना उत्तेजना के कारण फूलकर किशमिश के जितना बड़ा और सख्त हो रहा था जिससे वो अच्छे से मेरी जीभ के सम्पर्क में आ गया.
अब मैं उसे भी अपनी जीभ से कुरेद कुरेदकर चूसने और चाटने लगा.

अपनी चुत के दाने पर मेरी जीभ का स्पर्श पाकर शायरा तो अब हवा में ही उड़ने लगी. शायरा की इस उत्तेजना को और अधिक बढ़ाने के लिए मैंने अब अपनी जीभ को सीधा चुत की गहराई में उतार दिया.

शायरा की चुत की गहराई किसी आग की भट्ठी से कम‌ नहीं थी और उसमें से बहता गर्म गर्म कामरस तो जैसे उबल ही रहा था.
चुत का वो नमकीन रस गर्म गर्म‌ और काफी टेस्टी था. मुझे तो ऐसा लग रहा था … जैसे मैं गर्म गर्म सूप पी रहा हूँ. इसलिए मैं उसे बस चाट चाट कर पीता चला गया.

शायरा कुंवारी नहीं थी … मगर फिर भी उसकी चुत चाटने में इतना अधिक मजा आ रहा था कि बस पूछो मत.

चुत चाटते हुए एक बार तो मैंने भी सोचा कि जब शायरा की चुदी हुई चुत ही इतना मजा दे रही है, तो वो अगर कुंवारी होती तो कितना मजा देती?

मेरी जीभ के अपनी चुत की गहराई में जाते ही शायरा ने मचलते हुए जोरों से सिसकारियां लेना शुरू कर दिया.
उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को‌ वापस पकड़ लिया और खुद ही अपनी चुत को मेरे मुँह पर घिसना शुरू‌ कर दिया.

अभी तक शायरा मेरे कन्ट्रोल में थी और मैं उसकी चुत को चाटने के मजे ले रहा था. मगर कन्ट्रोल अब शायरा ने खुद अपने हाथों में ले लिया और वो खुद मुझे लेने लगी.

मेरे हाथ से कन्ट्रोल जाते ही शायरा ने भी अपना कन्ट्रोल खो दिया और उसकी पिंकी ने रह रह कर मेरे मुँह पर कामरस की बौछार सी करनी शुरू कर दी.

मैं तो ना जाने कब से इस प्रेमरस को पीने के लिए तड़प रहा था, इसलिए जैसे जैसे शायरा की पिंकी प्रेमरस छोड़ती गयी … मैं भी उसे चूस चूसकर और चाट चाटकर पीता चला गया.

शायरा की चुत का सारा पानी पीने के बाद मैंने उसकी तरफ देखा. शायरा इस प्यार से खुश थी और उसकी पिंकी तो खिल ही गयी थी. मेरे चाटने से अब तो वो और भी दमक रही थी.

अब इस सेक्स कहानी का अंतिम भाग आपके अगली बार लिखूंगा … जिसमें शायरा मेरी हो जाएगी. उसकी भावनाओं का दरिया मुझे किस हद तक भिगो पाएगा, ये देखना होगा. आपको मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं.
धन्यवाद.
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कहानी जारी है.