मेरी जान शायरा-14

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

 मेरी जान शायरा-13 

मेरी जान शायरा-15

मैंने पहले अपनी जीभ निकाल कर उसके रसीले होंठों को चाटकर देखा, फिर धीरे से उसके नीचे के एक होंठ को अपने मुँह में भर कर हल्का हल्का चूसना शुरू कर दिया.

दोस्तो, मैं महेश एक बार फिर से आपकी सेवा में शायरा से प्रेम और सेक्स कहानी को लेकर हाजिर हूँ.
अब तक आपने पढ़ा था कि मैं शायरा को छेड़ रहा था और वो मेरी बात पर हंस रही थी. हम दोनों चाय पीने लगे और मैं फिर से लग गया.

अब आगे:

चाय पीकर जब मैं जाने लगा, तो एक‌ बार फिर से मैंने शायरा को छेड़ दिया.

दरअसल उस उस दुकान‌ वाले ने मेरे अंडरवियर और शायरा के अंडरगार्मेन्टस एक‌ ही थैले में डालकर दिए थे, इसलिए जाते समय जब मैं थैले से अपने अंडरवियर लेने‌ लगा. तो मैंने शायरा के अंडरगार्मेन्टस भी बाहर निकाल‌ लिए.

मैं- जरा एक बार ये भी तो देखूं, जो इनको खरीदने में तुम‌ इतना शर्मा रही थी.

शायरा ये देख कर तुरन्त उठकर खड़ी हो गयी.

शायरा- व..वो …
मैं- ये क्या, ये तो बहुत छोटे ले आई तुम!

मैंने एक ब्रा को खोलकर देखते हुए कहा.

वो- वो दो मुझे.
मैं- अरे देखो तो एक बार. शायद उस सेल्सगर्ल ने ये गलत पैक कर दिए.

वो- वो दो मुझे!
मैं- पर ये तो बहुत छोटी है.

वो- ये ऐसी ही होती है.
मैं- झूठ मत बोलो.

वो- तुम नाटक मत करो, तुम्हें सब पता है, ये दो मुझे.
मैं- सच में ये तुम्हें कैसे आएंगे, ये कितनी छोटी है और ये इतने बड़े.

मेरा इशारा शायरा के मम्मों की तरफ था. मेरी इस बात से तो शायरा अब पानी पानी ही हो गयी.

अभी अभी हमने चाय पी थी मगर शायरा का गला पूरा सूख गया था. उसने इस बात पर कुछ कहा तो नहीं, मगर मेरे हाथ से वो ब्रा-पैंटी छीन लिए.

पर मैं कहां चुप होने वाला था. मैं फिर से‌ मजाक करने लगा- एक बार ये भी दिखाना तो?
मैंने शायरा के हाथ से अब पैंटी लेने की‌ कोशिश करते हुए कहा.

जिससे शायरा ने उन्हें तुरन्त मुझसे दूर कर लिया- चुप रहो और कुछ तो शर्म करो.
मैं- शर्म तो तब करता, जब तुम्हें ये पहने देखता.

वो- तुम्हें मज़ा आ रहा है ना मुझे छेड़ने में!
मैं- सच में, मुझे ताज्जुब हो रहा है तुम इन्हें कैसे पहनोगी?

वो- तुम अपनी बीवी के लिए खरीदो, तब देख लेना.
मैं- इसलिए तो कह रहा हूँ.

शायरा को अब एक बार तो मेरी बात समझ नहीं आई मगर जब उसे समझ आई.

वो- क्या … क्या कहा तुमने?
शायरा अब चिल्लाते हुए मुझे मारने को दौड़ी और मैं भागा.

मैं- अच्छा … अच्छा. सॉरी … सॉरी.
ये कहते भागकर मैं उससे दूर हट गया.

वो- बड़ा आया बीवी वाला, जब लाएगा ना … तब पता चलेगा.
मैं- पर तब तक नींद नहीं आएगी.

वो- अब नाटक ये बंद करो, मैं जानती हूँ कि तुम ऐसा बोल कर मुझे पहन कर दिखाने को बोलोगे.
मैं- ऐसा मैं नहीं, तुम चाहती हो.

वो- मैं नहीं, ये तुम बोलने वाले थे.
मैं- जिसके दिल में जो होता है … वो ज़ुबान पर जल्दी आता है.

वो- तुमसे जीतना मुश्किल है. जाओ अब यहां से … मेरा सिर मत खाओ, मुझे आराम‌ करना है.

शायरा के कहने से मैं अब एक बार तो बाहर गया … मगर शायरा के दरवाजा बन्द करते ही मैंने उसे फिर से खटखटा दिया.

वो- अब क्या है?
मैं- कुछ नहीं, मैं तो बस ये पूछ रहा था कि रात को कब तक आऊं?
वो- क्यों?
मैं- अरे खाना खाने और क्यों?

वो- अच्छा अब रोजाना की आदत ही बना ली!
मैं- इसमें आदत क्या करेगी.. बीवी बनी हो, तो खाना तो खिलाना ही पड़ेगा.
वो- अच्छा, अभी बताती हूँ तुझे … रुक तू … बड़ा आया बीवी वाला!

शायरा मुझे मारने के लिए फिर से दौड़ी मगर तब तक‌ मैं ऊपर अपनी सीढ़ियां चढ़ गया.

शायरा ने वैसे ही झूठमूठ का गुस्सा दिखाया था मगर रात को खाने के समय वो अपने आप ही मुझे बुलाने आ गयी.

हम‌ दोनों साथ में बैठकर बातें करते करते डिनर करने लगे.

मैं- कल तो सन्डे है, कहीं घूमने चलें?
वो- नहीं.

मैं- क्यों?
वो- बस ऐसे ही.

मैं- तो फिर मूवी देखने चलते हैं.
वो- नहीं, मैं मूवी नहीं देखती.

मैं- क्यों?
वो- बस कभी देखने ही नहीं गयी.

मैं- तुम्हारा हज़्बेंड भी कभी मूवी दिखाने नहीं ले गया?
वो- उसको तो पैसे कमाने से फुर्सत ही कहां है!

मैं- क्यों तुमसे प्यार नहीं करता?
वो- प्यार तो तब करे, जब पैसे कमाने से उसे फुर्सत हो.
मैं- ठीक है तो उसको पैसे कमाने दो, प्यार मैं कर लूंगा तुम्हें.

मेरी बात सुनते ही शायरा ने मेरे पेट में एक मुक्का मार दिया- तुम‌ फिर शुरू हो गए.
मैं- अच्छा, अच्छा ठीक है … पर चलो ना … कल‌ मूवी देखकर आते है और कॉर्नर की सीट लेंगे.

वो- वो क्यों?
मैं- मूवी देखना और वो भी तुम्हारी जैसी हॉट लड़की के साथ, फिर तो कॉर्नर की सीट ही लेनी पड़ेगी ना, इतना अच्छा चांस कोई कैसे मिस करेगा!

वो- अच्छा तो ये चल रहा है तुम्हारे दिमाग़ में!
मैं- अरे नहीं … मैं तो‌ मजाक कर रहा हूँ. चलो ना कल मूवी चलते हैं.

वो- नहीं, मैं मूवी नहीं देखती. तुमको जाना हो तो चले जाना.
मैं- मैं अकेला जाकर क्या करूंगा?

वो- क्यों?
मैं- तुम्हारे जैसी कोई सुन्दर लड़की साथ में हो तो जाना भी, अकेले जाकर क्या करना?

वो- अब तुम ये लाइन मारना बंद करोगे.
मैं- सॉरी, पर हंसी मज़ाक तो चलेगा ना? वो- हां, लेकिन एक लिमिट में.

मैं- और लिमिट क्रॉस हो गयी तो!
वो- तो फिर थप्पड़ खाने को भी तैयार रहना.

ऐसे ही बातें करते करते हमने डिनर किया, फिर मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया.

अब ऐसे ही हमारे दिन बीतने लगे. हम सुबह साथ में ही उसके घर नाश्ता करते, फिर उसकी स्कूटी से पहले तो मैं उसे बैंक छोड़ता … फिर स्कूटी लेकर अपने कॉलेज आ जाता.

कॉलेज के बाद भी शायरा को मैं बैंक से ही पिक-अप करता था, जिससे उसके बैंक में तो मुझे अब सब उसका पति ही समझने लगे थे.

शायरा को भी मुझसे बात करना अच्छा लगता था क्योंकि वो जबसे मुझसे मिली थी … तब से उसके चेहरे की हंसी वापस आ गयी थी. उसको मेरे रूप में अब एक दोस्त मिल गया था.

वैसे तो उसके सामने मैं एक चुदाई एक्सपर्ट था मगर फिर भी उसको मेरा साथ अच्छा लगता था.
रात का खाना भी मैं अब शायरा के साथ उसके घर ही खाता था.

हम रात को खाना खाने के बाद अब साथ में टीवी देखते हुए देर रात तक बातें करते रहते … लेकिन मैंने कभी अपनी लिमिट क्रॉस नहीं की.
उसको भी ये अच्छा लगता था कि हमारे हंसी मज़ाक एक लिमिट में ही थे.

हम ऊपर रहते थे, जिससे हमें किसी का डर भी नहीं था और वैसे भी मकान मालिक और मालकिन नीचे अपने घर में ही रहते थे, जिससे शायरा और मैं ऊपर आराम से मिलते थे.

शायरा का मुझ पर बहुत विश्वास बन गया था. मैंने भी कभी उसके विश्वास को टूटने नहीं दिया, जिससे शायरा मुझे अब अपने कुछ राज भी बताने लगी.

जैसे कि शादी से पहले भी उसका एक लड़के से अफेयर था, पर उसने जब शायरा के साथ कुछ गलत करने की कोशिश की … तो शायरा ने उस लड़के को छोड़ दिया आदि.

हमारा अधिकतर समय अब साथ में ही गुजरता था. मुझे तो अब जैसे उसकी आदत सी हो गयी थी और शायरा तो अपने पति को ही भूल गयी. उसको बस मैं ही मैं याद रहता था.

वैसे तो मैं शायरा के साथ सेक्स करना चाहता था … पर अब सेक्स दूर दूर तक मेरे दिमाग में नहीं आ रहा था. पता नहीं क्यों शायरा मुझे अब अच्छी लगने लगी थी.

बहुत अकेली थी वो, उसका अकेलापन देखकर मेरे दिमाग़ में सेक्स का कीड़ा कभी आता ही नहीं था. पता नहीं‌ क्यों उसको देखकर मुझे एक डर सा लगता था कि अगर मैंने कुछ किया और वो गुस्सा हो गयी तो?

ऐसे ही देखते देखते एक महीना बीत गया.
अब तो हमारे बीच की सारी दीवार खत्म हो गयी थी क्योंकि अब तो हम एक दूसरे के बिना रह ही नहीं पाते थे.

ऐसे ही एक रात खाना खाने के बाद मैं और शायरा टीवी देख रहे थे कि तभी मैंने देखा कि एक चैनल पर मर्डर मूवी आ रही थी.
वो मूवी एक तो नयी नयी ही रिलीज हुई थी … ऊपर उस समय वो काफी चर्चा में भी थी, इसलिए मैंने भी टीवी को उसी चैनल पर लगा लिया.

दरअसल उस समय डीटीएच तो होते नहीं थे, शहर में बस केबल टीवी ही चलता था और केबल वाला रोज रात को एक नयी मूवी दिखाता था. उस समय मर्डर मूवी नयी नयी ही आई थी, इसलिए केबल वाले ने उसे ही चलाया हुआ था.

मैंने उस मूवी को अब लगा तो लिया मगर कुछ देर बाद ही उस मूवी में किसिंग और लिपटने चिपटने के सीन आना शुरू हो गए.

किसी भी मूवी में किसिंग और लिपटने चिपकने के सीन आना तो नॉर्मल सी बात है … मगर वो सीन कुछ ज्यादा ही बोल्ड और उत्तेजक थे, जिससे शायरा अब असहज सा महसूस करने लगी.

मैंने उस मूवी के टीवी में एक दो बार ट्रेलर देखे थे इसलिए मुझे ये तो पता था‌ कि उसमें कुछ किसिंग सीन हैं … मगर ये बिल्कुल भी नहीं पता था कि‌ उसमें इतना एडल्ट व बोल्ड सीन भी होंगे.

खैर … कुछ देर तो वो मूवी अब फिर से साधारण ही चली. मगर फिर कुछ देर बाद ही उसमें इमरान हाशमी व मल्लिका शेरावत का एक‌ बेहद ही बोल्ड व उत्तेजक‌ सीन‌ आना शुरू‌ हो गया, जिसमें इमरान हाशमी मल्लिका शेरावत की पीठ को जबरदस्ती चूमने चाटने की लगा. उसे देख शायरा अब फिर से शर्माने लगी.

वैसे तो इस तरह की हालात पर मैं शायरा से काफी हंसी मजाक करता था, मगर मुझे वो‌ मूवी देखनी थी और मेरे कुछ कहने से शायरा टीवी को बन्द कर देती. इसलिए उस दिन मैं चुप ही रहा.

तब तक उधर टीवी पर भी एंगल बदल गया. मल्लिका शेरावत अब लेटी हुई थी और इमरान हाशमी उसकी जांघों को हाथों से सहला रहा था.
मल्लिका शेरावत भी अब काफी उत्तेजित लग रही थी मगर फिर भी वो इमरान हाशमी को ‘नहीं‌ नहीं ..’ ही कर रही थी.

बहुत ही कामुक नजारा चल रहा था वो … जिसे देख मेरे खाली हाथ को भी अब एक काम सूझ गया. मैंने मुँह से तो कुछ नहीं कहा … मगर अपना बायां हाथ उठाकर सीधा शायरा‌ के बाएं कंधे पर रख दिया.

मैं टीवी देखते समय और वैसे भी काफी बार शायरा के कंधे पर अपना हाथ रख लेता था … इसलिए शायद उस दिन भी शायरा ने उस पर इतना ध्यान तो नहीं दिया.

मगर जैसे ही मैंने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा. उसने अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मेरी तरफ देखा.

हम दोनों की नजरें आपस में एक‌ बार तो टकराईं … मगर फिर अगले ही पल उसने अपनी नजरें वापस टीवी की ओर घुमा लीं और मूवी देखने लगी.

तब तक उधर टीवी पर भी अब फिर से सीन बदल गया. इमरान हाशमी ने अब अपनी टी-शर्ट उतार ली थी और वो मल्लिका शेरावत की स्कर्ट को ऊपर खिसकाकर अपने‌ होंठों व हाथों से उसकी‌ गोरी चिकनी‌ जांघों को सहलाने लगा था.

इधर शायरा ने अपने कंधे पर से मेरा हाथ नहीं हटाया … तो मैंने भी अब अपने हाथ का थोड़ा सा बढ़ा दिया और धीरे धीरे उसके कंधे को सहलाते हुए उसकी गर्दन तरफ बढ़ने लगा.

मुझे शायरा की‌ अब गोरी चिकनी नंगी गर्दन महसूस हो रही थीं मगर ना तो शायरा कुछ बोल रही थी और ना ही मैं कुछ बोल रहा था.

उधर इमरान हाशमी अब मल्लिका शेरावत के ऊपर लेट गया था और उसके होंठों को चूमने की कोशिश कर रहा था मगर मल्लिका शेरावत अब भी उसे ‘नहीं … ये ठीक‌ नहीं है … नहीं. ये सब ठीक नहीं है ..’ कर रही थी.

वो बहुत ही रोमांचक सीन चल रहा था. इसलिए मैं कभी टीवी पर चल रहे उस गर्मागर्म सीन को‌ तो कभी शायरा को देखने लगा.

शायरा के चेहरे पर तो फिलहाल गरमाहट की ऐसी लाली छा गयी थी जैसे कि अभी उसके गालों से खून बाहर निकल आएगा और गर्दन से नीचे उसकी तेज चलती हुई सांसों के साथ उसकी चूचियां तो भी बदस्तूर ऊपर नीचे हो रही थीं.

उस गर्मागर्म सीन‌ को देखकर मैं उत्तेजित तो हो ही रहा था … ऊपर से उस मूवी की स्टोरी भी कुछ ऐसी थी कि वो लगभग मेरे और शायरा से ही मैच खा रही थी. इसलिए उस मूवी से मैं अब इतना प्रभावित हो गया कि मैं खुद को इमरान हाशमी और शायरा को मल्लिका शेरावत समझ‌ने लगा.

उस मूवी के प्रभाव से व उत्तेजना के कारण पता नहीं कैसे मैं यंत्र वत शायरा की गर्दन‌ पर से सहलाते हुए अपने हाथ को अब उसके बाएं गाल पर ले आया और उसके गाल पर दबाव बनाके उसके चेहरे को‌ अपनी तरफ घुमा लिया.

शायरा ने भी अपनी बड़ी बड़ी आंखों से अब मेरी तरफ देखा.
हम दोनों की नजरें एक‌ बार फिर से अब आपस में टकराईं.

मगर इस बार उसकी आंखों में उत्तेजना के लाल डोरे तैरते मुझे साफ नजर आ रहे थे, इसलिए मैंने शायरा के चहरे को पकड़े पकड़े ही अब अपना मुँह थोड़ा आगे की तरफ बढ़ा दिया.

हम दोनों में अभी तक कोई बात तो नहीं हुई थी … मगर जैसे ही मैंने अब अपना मुँह आगे तरफ बढ़ाया, अगले ही पल शर्म और हया से लजा कर स्वतः ही शायरा की नजरें नीचे झुक गईं.

लेकिन मुझे अब होश ही कहां था. मैं तो खुद को‌ अब इमरान हाशमी समझ रहा था … इसलिए मैंने उसके सिर को पकड़े हुए अपने होंठों को धीरे से उसके रुई के फोहे से नर्म नर्म होंठों से छुआ दिया.

मेरे होंठों की छुवन से ही शायरा के होंठ अब थरथरा से गए, सांसें तेज हो गईं और बदन का तापमान तो पारे के जैसे एकदम से ही बढ़ गया.

वो शायद कुछ कहना चाहती थी मगर उसके दिल ने उसका साथ नहीं दिया और वो बस हल्का सा कुनकुनाकर रह गयी.

शायरा की गर्म‌ महकती सांसें मेरी सांसों में समा रही थीं.
मुझसे ये बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए मैंने पहले तो एक बार अपनी गर्म जीभ को बाहर निकाल कर उसके रसीले होंठों को चाटकर देखा, फिर धीरे से उसके नीचे के एक होंठ को अपने मुँह में भर कर हल्का हल्का चूसना शुरू कर दिया.

शायरा तो ना जाने कब से प्यासी थी, इसलिए वो भी शायद अब खुद पर काबू नहीं रख पाई और उसके दोनों हाथ अपने आप ही मेरे सिर पर आ गए.

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और धीरे से मेरे ऊपर के होंठ को अपने मुँह में भर लिया.

जब होंठों से होंठ मिल गए … तो मेरे हाथ भी बेकाबू हो गए और उसके सिर पर से फिसलकर उसकी पीठ पर आकर रेंगने लगे.

शायरा तो जैसे अब खुद को भूल ही गयी थी और दोनों हाथों से मेरे सिर के बालों को सहलाते हुए मेरे होंठों को जोरों से चूसने लगी.

उसके बदन का तापमान भी अब काफी बढ़ गया था. उसके बदन गर्मी को मैं अब अपने लंड पर महसूस कर रहा था जोकि मदहोश सी होकर बेसब्रों की तरह मेरे होंठों को चूसे जा रही थी.

सेक्स कहानी में गर्मी का बढ़ना शुरू हो गया है दोस्तो, बाकी का रस अगली बार बिखेरने की कोशिश करूंगा.

आपके मेल के इंतजार में आपका महेश.
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कहानी जारी है.