मामी की चुदाई की प्यास बुझाई-2

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मामी की चुदाई की प्यास बुझाई-1

मामी की चुदाई की प्यास बुझाई-3

नमस्कार दोस्तो, मैं अतुल आप लोगों का स्वागत करता हूँ और आपलोगों को मुझे अपने मेल भेजने और अपने सुझाव देने का शुक्रिया अदा करता हूँ. आज मेरी इस सेक्स कहानी का दूसरा पार्ट आपकी सेवा में हाजिर कर रहा हूँ.

सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मामी ने अपनी ज़िंदगी के बारे में मुझे बताया था. मैं उनको किसी पराए मर्द के साथ सेक्स करने तक की बात कहने लगा था.

अब आगे..

इस तरह की बातों के बाद एक दिन की बात है. मुझे मामी से खबर मिली कि मामा ने सूरत में अपनी जॉब छोड़ दी है और अब वो मामी को लेकर गांव जा रहे हैं.

मैंने मामा से बात की, तो वो बोले कि हां फैक्ट्री मालिक का काम सही नहीं चल रहा है, तो उसने एक महीना का वेतन एड्वान्स देकर बोला है कि आप लोग कहीं और जगह जॉब ढूंढ लो.

मैंने कहा- तो आप गांव क्यों जा रहे हैं? वहां कोई दूसरी जगह काम नहीं मिल रहा है?
उन्होंने कहा- मैंने बहुत कोशिश की, मगर अब मेरा इधर से मन हट गया है. मैं गांव ही जाना चाह रहा हूँ.
मैं उनसे कुछ नहीं कह सका.

कुछ दिनों बाद मामा सूरत से वापस गांव आ गए और गांव में मामी और बच्चों को छोड़ कर मम्मी के कहने पर दिल्ली हमारे पास आ गए. चूंकि मामा को सेल्स में काफी अच्छा अनुभव था. तो पापा ने अपने एक परिचित वाले की गारमेंट की शॉप पर बात करके उनकी नौकरी वहीं लगवा दी.

नौकरी लगने के बाद मामा की लाइफ फिर से गाड़ी पर आ गई थी. मामा हमारे पास ही रहते और इधर से ही अपने काम पर चले जाते. ऐसा करते करते अभी कुछ ही दिन बीते थे.

इन दिनों मामी अब भी रोज रात को मुझसे फोन पर बात करती थीं. मुझसे ही वो मामा के हाल-चाल भी पूछ लेती थीं.

एक रात की बात है. मैं और मामी बात कर रहे थे. रात के करीब 12:30 बज गए थे. इस वक़्त सब कोई घर में सो रहा था और मैं अपने रूम में था.

मैंने पूछा- मामी आप मुझसे मामा के हाल-चाल क्यों पूछती हो, उनसे खुद ही पूछो ना.
वो बोलीं कि जब भी उनसे बात करती हूँ तो उनके पास टाइम ही नहीं होता. एक तुम ही हो, जिससे मैं अपना सारा दुख-सुख कह देती हूँ और मेरा दिल हल्का हो जाता है.

फिर मैंने पूछा- अब आपकी रातें वहां कैसे कट रही हैं?
इस पर मामी बोलीं- कैसी रात कटती हैं … तुम सब समझ ही रहे हो … इस तन्हा रात में मैं तुमसे बात कर रही हूँ. अब तो मेरी लाइफ में सारी रातें काली होना ही लिखी हैं.

मैं समझ गया कि मामी की प्यास अब चरम पर आ गई है.

तभी मामी बोलीं कि तुम बताओ … तुम्हारी रातें कैसे कट जाती हैं?
इस पर मैंने कहा कि बस रोज रात को ब्लू फ़िल्में देख लेता हूँ … और मुठ मार कर सो जाता हूँ. आज रात तो आप से बात कर रहा हूँ … आज फिल्म देखने का कोई मतलब ही नहीं है.

मामी बोलीं- क्यों आज रात मुठ नहीं मारोगे?
मैंने कहा- मामी आज तो ज़रूर मुठ मारूंगा … मेरे 9 इंच के लंड की नसें मानो अब फट कर बाहर आ जाने वाली हैं.
मामी बोलीं- ऐसा क्या हो गया?
मैंने आज खुल कर कह दिया- मुझे आपकी जवानी परेशान कर रही है. मैं आपको चोदना चाहता हूँ.

ऐसा बोलते ही मेरे एक हाथ ने लंड को हिलाना शुरू कर दिया और मेरे मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

मेरी बात सुनकर मामी बोलीं- लगता है … तेरी स्थिति मेरी तरह ही है.
मैंने कहा- नहीं मामी, मेरी स्थिति तो आपसे भी बुरी है. आपने तो फिर भी लंड का स्वाद ले लिया है … मैंने तो आज तक किसी के साथ सेक्स ही नहीं किया है.
इस पर मामी बोलीं- तुम अपना लंड किसी की में भी पेल दो, जो भी तेरा नौ इंच का लंड अपनी चुत में लेगी, वो बड़ी खुशकिस्मत होगी. तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि 9 इंच का लंड सबके पास नहीं होता है.

इस बात पर मैंने थोड़ी असहजता दिखाई और पूछा- क्यों मामा का इतना लम्बा नहीं है क्या?
वो ‘हुंह..’ करके बोलीं- तेरे मामा का अगर पूरा खड़ा भी हो जाए, तो भी 4 इंच से ज़्यादा बड़ा नहीं होगा.

मैंने अपना लंड सहलाते हुए बोला- तो आप मेरा ही ले लो ना मामी.
इस पर मामी हंस कर बोलीं- मामा को दे दो … मैं उनसे ही ले लूंगी.

मैं हंसने लगा. उधर मामी भी हंसने लगीं. मैंने अपनी मुठ मारने की रफ़्तार बढ़ा दी और आवाजें निकालने लगा.

मामी मुझे गरम करते हुए बोलीं- किसकी में पेल रहा है?
मैंने कहा- मामी, आपकी चुत में पेल रहा हूँ.
मामी मुझे उत्तेजित करते हुए बोलीं- जरा धीरे धीरे कर … मुझे लग रही है.
मैंने कहा- मामी अपने दूध पिलाओ न.
मामी बोलीं- हां पी ले … मैंने कब रोका है … आ जा जल्दी से दोनों चूस ले.

हम दोनों इसी तरह की सेक्सी बातें करते हुए फोन सेक्स करते रहे.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने दम तोड़ दिया. मैंने लंड का सारा पानी वहीं बिस्तर पर एक कागज पर गिरा दिया और राहत की सांस भरने लगा.

इस बात का अंदाजा शायद मामी को हो चुका था, तो फिर मुझसे बोलीं- निकाल दिया पानी?
मैंने हैरान होते हुए पूछा- आपको कैसे पता चला?
वो बोलीं- तेरी सांसें बता रही हैं कि तुमने अभी ही अपना पानी निकाला है!

इस पर हम दोनों हंसने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनों ने गुड नाईट बोला और सो गए.

दो दिन बाद मामा की पहली तनख्वाह आ गई, तो वो मम्मी को देने लगे.
मम्मी ने उनको समझाया और बोला- बच्चों और बहुरानी को यहीं लेकर आ जाओ … और यहीं रह कर बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवा दो … क्योंकि बच्चों के स्कूल के दिन खराब हो रहे हैं.

ये बात सुनकर मामा बाहर चले गए. उनके जाते ही मेरे पापा थोड़ा मम्मी से नाराज़ हो गए कि एक तो पहले ही ये हम पर बोझ है और तुम इसकी बीवी बच्चों को भी बुलवाने की कह रही हो?
पापा ये नाराज़गी दिखाते हुए मम्मी से झगड़ने लगे.

पापा ने मामा से तो कुछ कहा नहीं, पर मामा इस बात को समझ ज़रूर गए थे कि अब उनका यहां ज़्यादा दिन रहना ठीक नहीं है.

कुछ ही दिनों में मामा ही ने एक फ्लैट किराए पर ले लिया और अगले महीने ही वो मामी और बच्चों को लेकर उस फ्लैट में रहने आ गए. उनका ये फ्लैट हमारे घर से करीब ही था. हालांकि मुझे ये बात अब तक नहीं मालूम थी.

मम्मी ने मामा को काफी समझाया भी था कि जब घर है ही, तो फिर रेंट पर फ्लैट लेने की क्या ज़रूरत है.
पर मामा बोले- नहीं नहीं … दीदी ऐसी कोई बात नहीं … सूरत में भी तो मैं किराए पर ही रहता था.

मामा की इस बात को सुनकर मम्मी ने उनसे ज्यादा कुछ नहीं कहा.

अब मामी दिल्ली आ गई थीं. उन्होंने अपने परिवार को उस फ्लैट में व्यवस्थित कर लिया.

दो दिन बाद मामी हमारे घर आईं, तो मैं उनका मादक जिस्म देख कर एकदम मस्त हो गया था. हम दोनों एक दूसरे को देख कर बस मुस्कुरा रहे थे. ना ही मामी मुझसे ज़्यादा कुछ बोल रही थीं … और ना ही मेरी हिम्मत हो रही थी कि उनसे खुल कर बात कर सकूं.

मामी ने मुझसे इशारे में एक तरफ आने के लिए भी कहा, मगर न जाने मेरी सारी चंचलता किधर घुस गई थी.

उस दिन मामी चली गईं … मगर मुझे अभी भी नहीं मालूम था कि मामी दिल्ली रहने आ गई हैं. मुझे लगा कि मामी कहीं घूमने जा रही हैं. शाम को मामी नहीं आईं … और मुझे भी कुछ काम लग गया, तो मैंने सोचा कि मामी वापस चली गई हैं.

दूसरे दिन, मैं छत पर बैठा पढ़ रहा था, अचानक मामी छत पर आ गईं. मैं थोड़ा असहज हो गया कि मामी रात को घर पर ही रही थीं और मैंने उनसे बात ही नहीं की.

मामी ने पूछा- तुम फोन पर जैसे हो … रियल में वैसे क्यों नहीं लगते?
मैंने थोड़ा संभलते हुए कहा कि नहीं मामी … ऐसी कोई बात नहीं है.
मामी पूछने लगीं- फिर जैसे फोन पर बात करते हो, सामने से वैसे क्यों नहीं करते.

मामी मुझसे ये सब पूछ रही थीं और मेरी निगाहें अब मामी के उभरे हुए चूचों पर टिक गई थीं. मेरी मामी पहले से थोड़ी सी मोटी हो गई थीं … लेकिन उनकी चूचियां मुझे पहले से भी ज़्यादा मोटी दिख रही थीं. आज मामी लाल रंग की साड़ी और स्लीवलैस ब्लाउज पहने हुए थीं. उनके बदन से वो ड्यू वाली खुशबू हवा में मदहोशी फैला रही थी.

उस मदमस्त कर देने वाली महक से मुझे लग रहा था कि अभी मैं मामी को अपनी बांहों में भर लूं और उनको पूरा का पूरा खा जाऊं.

मुझे इतनी गहरी सोच में डूबा हुआ देख कर मामी ने मुझे हल्का सा धक्का दिया और बोलीं- कहां खो गया?
मैंने मुस्कुराते हुए का कहा- नहीं नहीं … कहीं नहीं … मामी … बस कुछ नहीं.

फिर हम दोनों बातें करने लगे. थोड़ी ही देर में हम दोनों में वो वाली बातें आ गईं, जैसे फोन पर हुआ करती थीं.

मैंने एक बार सीढ़ी से नीचे झांक कर देखा. उधर कोई नहीं था.

मैंने मामी से धीरे से कहा- मामी आपके चुचे सच में कमाल के हो गए हैं … ऐसे लगते हैं, जैसे पके हुए आम हों.
इस पर मामी ने भी मज़ाक करते हुए बोलीं- तो कभी फ्लैट पर इसी बहाने से आ जाइओ. उधर इन आमों का जूस भी पी लेना.

मामी के मुँह से फ्लैट शब्द सुनकर मुझे थोड़ा अचंभा सा हुआ.
मैंने पूछा- फ्लैट … कैसे?
वो बोलीं- हम पास वाले DDA फ्लैट में शिफ्ट हो गए हैं. तेरे मामा ने उसको किराए पर लिया हुआ है.

ये सुनकर मैं एक बार के लिए तो थोड़ा उदास हो गया. पर मामी बोलीं- टेंशन ना ले … सही किया, जो तेरे मामा ने फ्लैट किराए पर ले लिया. अब तेरा 9 इंच का केला मैं आराम से देख सकती हूँ.
मामी ये कहकर हंसने लगीं और जल्दी से अपनी गांड मटकाते हुए नीचे चली गईं.

दोस्तो, ये सुनकर मुझे तो पता नहीं क्या हो गया था. मैंने तो ये बात मामी से मज़ाक में बोली थी, लेकिन मामी के दिमाग में अभी भी मेरे 9 इंच के लंड वाली बात चल रही थी.

ये सोच सोच कर उस रात मैंने दो बार मुठ मारी. अब तो मेरे दिल और दिमाग़ पर बस मामी ही मामी छा गई थीं. मैं सारे दिन हर वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ मामी के ही सपने देखता रहा.

मैं सुबह ही मामी के फ्लैट पर चला गया और मामा व बच्चों से मिल आया. मामा को मुझे उधर पाकर अच्छा लगा.
मैंने मामा से कहा भी कि मुझे तो मालूम ही नहीं चला कि आपने फ्लैट किराए पर ले लिया है. उधर क्या दिक्कत थी?
मामा कुछ नहीं बोले … बस हल्के से मुस्कुरा दिए.

कुछ दिनों बाद ही मामा ने बच्चों को पास के एक स्कूल में एड्मिशन दिलवा दिया और फिर जॉब पर जाने लगे. मेरी मामी से फोन पर रोज बात होती रहती थी.

मामा की जॉब सेल्स की थी और उनकी कंपनी भी काफ़ी दूर थी. मामा सुबह 8 बजे ही घर से निकल जाते थे और लेट नाइट ही घर आते थे.

एक दिन मेरी मम्मी को कुछ सामान मामी को देना था, तो वे बोलीं कि अतुल एक बार मामा को फोन करके पूछ ले कि वो आकर सामान ले जाएं.

मैंने मामा को फोन लगाया और अपनी मम्मी से बात करवाई. फ़ोन स्पीकर पर था, तो मैं भी आवाज़ सुन सकता था.

मामा बोल रहे थे- मैं तो कब का घर से निकल गया हूँ दीदी … तुम अतुल को घर पर भेज देना. उसकी मामी सामान ले लेगी.
मम्मी ने ओके कह कर फोन काट दिया.

फिर उन्होंने मुझसे कहा- तुम ज़रा अपनी मामी को फोन लगा कर पूछ कि वो घर पर है कि नहीं.

ये सब सुन कर मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था. मैंने फोन लगाया और झट से कहा- मामी जी मेरी मम्मी आपसे बात करेंगीं.

वहां से मामी की आवाज़ आई. वो बोलीं- दीदी जी नमस्ते.
मम्मी ने कहा- थोड़ी देर में मैं अतुल को कुछ सामान देकर भेज रही हूँ … तुम घर पर ही हो ना!
मामी ने कहा- हां दीदी जी … मैं घर पर ही हूँ … मैं कहां जाऊँगी.

मम्मी ने मुझे कुछ सामान दिया और बोलीं कि लो ये सामान मामा के घर देकर आओ.
मैंने कहा कि मैं थोड़ी देर उनके बच्चों के साथ भी खेल लूंगा. … तो मैं देर से ही आऊंगा.
इस पर मम्मी बोलीं- कोई बात नहीं … पर जल्दी आ जइयो.

मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था.

मैंने मामी के घर जाने की तैयारी की. सबसे पहले मैं वॉशरूम में गया और अपनी झांट के बालों की शेविंग की और मामी के नाम की एक मुठ भी वहां मारी. फिर अच्छे से नहा धोकर सामान लेकर मामी के घर चल दिया.
उस समय दिन के लगभग 11 बज रहे होंगे.

मैं सामान लेकर मामी के फ्लैट के सामने खड़ा था. मैंने घंटी बजाई … बस थोड़ी देर में ही मामी नाइटी में बाहर आ गईं और दरवाजा खोलकर मुस्कुराते हुए बोलीं- आओ अतुल आओ … कैसे हो … मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी.

अब मैं क्या बताऊं मामी को कि मैं कैसा हूँ. बस आपको ही सोच कर मेरा सोच कर ही मेरा लंड फड़फड़ाता रहता है.

मैंने मामी को गौर से देखा, तो ऐसा लगा कि जैसे मामी ने अभी नहाया नहीं था. उनकी अलसाई जवानी इस समय कहर बरपा रही थी.

मामी ने मुझे अपने कमरे में ले जाकर बेड पर बिठाया और मेरे सामने कोल्ड ड्रिंक और नमकीन की प्लेट रखते हुए कहा- अतुल तू ये खा … जब तक मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने उनसे पूछा- बच्चे कहां हैं?
मामी जाते जाते बोलीं कि वो तो स्कूल गए हैं … दो बजे तक आएंगे.

उनके इस फ्लैट में उनके रूम में ही बाथरूम लगा हुआ था.

मामी मुझे नमकीन और कोल्डड्रिंक देकर नहाने चली गईं. उनकी मटकती गांड देख कर मेरे दिल में तो जैसे सांप लोट गया था.

तो दोस्तो, कैसी लग रही है मेरी यह कहानी? कहानी का अगला पार्ट जरूर पढ़ें और आप अपने सुझाव मुझे जरूर भेजें.
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