मैंने भी लंड साफ़ किया दोस्त की पटाई भाभी पर

गाँव की भाभी की चुदाई की मैंने एक होटल में इस कहानी में पढिये कैसे. उस सेक्सी चुदक्कड़ भाभी को मेरे दोस्त ने पटा रखा था. एक बार मेरे दोस्त ने उसे मुझसे मिलवाया और …

नमस्ते मित्रो , मैं टोनी, सोनीपत (हरियाणा) से एक बार फिर से हाजिर हूँ एक नई और सच्ची कहानी गाँव की भाभी की चुदाई लेकर!

तो चलिए आप लोगों का ज्यादा समय खराब न करते हुए मेरी इस असली कामुक रस से भरी गाँव की भाभी की चुदाई कहानी की शुरुआत करते हैं।

ये घटना मेरे साथ जनवरी में घटी थी. टाइम अब लगा है कि आपको बता सकूं।

मेरा एक दोस्त है मोहित. उसका गोहाना के पास एक गांव की एक शादीशुदा भाभी से चक्कर चल रहा था। वो मुझे सारी बातें बताता रहता था।
एक दिन उसने मुझे बताया कि कल उसे उस भाभी से मिलने जाना है तो मुझे मेरी गाड़ी देने को बोला।

मैंने उससे कहा- गाड़ी तो तुझे मैं अकेले दे नहीं सकता लेकिन अगर मुझे साथ लेकर चले तो मैं गाड़ी लेकर चल सकता हूँ।
मेरी इस बात पर वो सहमत हो गया।

अगले दिन सुबह हम दोनों मेरी गाड़ी से रोहतक के लिए निकल पड़े क्योंकि उसने उस भाभी को मिलने रोहतक ही बुला रखा था।

करीब 9 बजे हम दोनों रोहतक बस अड्डे पर पहुंच गए।

आधे घण्टे बाद वो भाभी भी बस अड्डे पर आ पहुंची। उसका नाम मीना (काल्पनिक) था.
वहाँ से हमने उसे अपनी गाड़ी में बैठाया और पहले दिल्ली बायपास स्थित एक होटल पर थोड़ा सा नाश्ता करने के लिये रूक गए।

वहां पर मेरे दोस्त ने अच्छे से हम दोनों की एक दूसरे से जान पहचान करवाई।
वो दोनों एक तरफ बैठे थे और मैं उनके सामने। भाभी उसके हाव भाव से मुझे चालू ही नजर आ रही थी।

वहीं बातों बातों में उसने ही मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड है?
तो मैंने कहा- है तो नहीं, पर अगर आपकी नजर में कोई हो तो बनवा दो?
इस पर वो हँसकर बोली- ठीक है, चिंता मत करो. मैं बनवा दूंगी.

इस तरह हम मजाक करते रहे। फिर वहां से नाश्ता लेकर मैंने उन दोनों को पास के एक होटल पर छोड़ दिया और खुद रोहतक यूनिवर्सिटी के होस्टल में एक दोस्त के कमरे पर चला गया।

करीब 3 घण्टे बाद दोस्त का फोन आया और मुझे उसने उन दोनों के लेने आने के लिए कहा।

उनके होटल के बाहर से मैंने उनको बैठाया और बस अड्डे की ओर भाभी को छोड़ने चल दिये।

रास्ते भर वो मुझसे कुछ ज्यादा ही खुल कर बात कर रही थी। बस अड्डे से थोड़ा सा पहले मोहित ने एक जूस की दुकान पर मुझे गाड़ी रोकने को कहा और जूस बनवाने लगा।

मैं और मीना गाड़ी में ही बैठे रहे।
उसके जाते ही मीना भाभी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी अब तक कोई गर्लफ्रैंड क्यों नही है?

इस पर मैंने कहा- मेरी हिम्मत ही नहीं होती किसी लड़की से बात करने की।
ये सुनकर वो जो जोर से हंसने लगी।

फिर कुछ देर रूक कर उसने मुझसे कहा- मुझे अपना नम्बर दो, मैं तुम्हारी गर्लफ्रैंड पक्का बनवाऊंगी।
मैंने उसको अपना मोबाइल नम्बर दे दिया।

उसने ये बात मेरे दोस्त मोहित को बताने के लिए मना कर दिया.
मैं तभी समझ गया कि उसके दिल में कुछ तो है.

उसके बाद फिर हमने जूस पीने के बाद भाभी को छोड़ा और सोनीपत आ गये.

उसी रात को करीब 9 बजे मेरे पास व्हाट्सएप पर एक अन्जान नम्बर से हैलो का मैसेज आया।

मैं देखते ही समझ गया कि ये पक्का उसी का नम्बर है लेकिन फिर भी मैंन अन्जान बनते हुए पूछा- कौन हो?
फिर उसने अपने बारे में बताया और हमने बातें कीं.

उसने कहा कि मोहित को कभी मत बताना कि हमारे पास एक दूसरे के नम्बर हैं।
फिर हमारी ऐसे ही बात होनी शुरू हो गयी।

अगले ही दिन उसने दिन में मुझे कॉल की। अब मैं समझ गया था कि अब सीधी बात करने का सही समय है।

2 दिन बाद ऐसे ही बात करते करते मैंने मीना से पूछा- पति के होते हुए मोहित के साथ अफेयर में क्यों हो तुम?
उसने बताया कि वह पड़ोस में आता था किसी रिश्तदारी में, वहीं से इससे बात शुरू हुई. पति बहुत परेशान रखता है इसलिए इससे बात शुरू की।

फिर मैंने पूछा- क्या तुम मोहित से सच में प्यार करती हो?
मीना ने बताया- शुरू में तो करती थी मगर ये धीरे धीरे सनकी होता गया और अब मुझसे ये बहुत जबरदस्ती करता है मिलने की, घर पर बार बार फोन करता है. एक बार तो मेरे पति ने फोन उठा लिया. मैं फंसते फंसते बची. बहुत परेशान हो गयी हूं. अगर न मिलूं तो पागलों वाली हरकतें करने लगता है.

अब सारा माजरा मुझे समझ आ गया था।
मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए कहा- मीना, अगर बुरा न मानो तो एक बताना चाहता हूं।
उसने कहा- कहो जो कहना है, मैं बुरा नहीं मानूँगी।

मैंने कहा- मैं तुम्हे उसी दिन से ही बहुत पसन्द करता हूँ मगर तुम मेरे दोस्त की गर्लफ्रैंड हो इसलिए कहने से डरता था और बस अब भी मेरा कोई गलत मतलब नहीं है, बस बताना चाहता था।

मीना थोड़ी देर चुप होकर बोली- सच कहूं तो पसन्द तो तुम भी मुझे तब से ही हो, मगर हम कर भी क्या सकते हैं … अगर मोहित को पता चल गया तो?

मैंने कहा- उसको पता कैसे चलेगा, अगर न तुम बताओगी और न मैं? और फिर मैं तुम्हारा उससे धीरे धीरे पीछा भी छुड़वा दूंगा अगर तुम साथ दो तो।

कुछ देर की चुप्पी के बाद मीना ने मुझसे कसमें वादे लेते हुए उसे कभी ये बात न बताने के लिये कहा और मैंने भी सब कसमें वादे कर लिए।
फिर मेरी और मीना की रोज रोज बात होने लगी.

बात अब धीरे धीरे फोन सेक्स तक पहुंच गयी. वो मोहित से भी बातें करती थी लेकिन मुझे तो बस उसकी चूत के मजे लेने थे.
फिर एक दिन मैंने मीना से मिलने के लिए कहा.

उसने बताया कि वो 2 दिन बाद कुरुक्षेत्र अपनी दीदी के घर जा रही है 4-5 दिन के लिए।
कहने लगी कि वो गोहाना से पानीपत वाली बस में बैठेगी और पानीपत से फिर मेरे साथ चल पड़ेगी।

ऐसे हम दोनों ने मिलने का प्लान बनाया।

फिर 2 दिन बाद ही सुबह 10 बजे उसने मुझे बस में बैठकर फोन किया और पानीपत आने के लिए बोला।

मैं तो पहले से ही तैयार बैठा था। घरवालों को पहले ही एक दोस्त की बहन की शादी में जाने के लिए बोल रखा था मैंने।

मीना का फोन आते ही मैंने गाड़ी उठाई और निकल लिया।

करीब 11 बजे मैं पानीपत बस अड्डे पर पहुँच गया और उसे अपनी जगह बताई।
कुछ देर बाद ही मीना आ गयी।
मैंने उसे गाड़ी में बैठाया और हम दोनों कुरुक्षेत्र के लिए चल दिये।

गाड़ी में बैठे-बैठे हम दोनों आपस में बातें करते रहे।
बातें करते-करते मैंने अपना एक हाथ मीना की जांघ पर रख दिया।
मीना ये देखकर धीरे धीरे मुस्कराने लगी।

फिर मैंने पूछा- होटल में चलें?
ये सुनकर मीना भाभी ना-नुकुर करने लगी।
मैंने कहा- बस 1 घण्टे के लिए रुकेंगे. तुम दीदी को बोल देना कि बस मिलने में समय लग गया.

वो एक दो बार मना करने बाद फिर मान गयी. फिर चलती गाड़ी में मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

फिर कुछ पल बाद वो बोली- जल्दी चलो, नहीं तो फिर देर हो जाएगी।
मैंने गाड़ी फुल स्पीड पर भगा दी।

थोड़ी देर बाद ही मीना के पति का फोन आया तो मीना ने कहा कि वो पानीपत बस अड्डे से करनाल वाली बस में बैठी है। करनाल से आगे की बस पकड़ लेगी.

मैंने जल्दी से गूगल पर करनाल में होटल सर्च किये और हम एक होटल पर पहुँच गए।
होटल जाकर मैंने एक रूम बुक किया जिसके लिए होटल वाले ने मुझसे 1500 रुपए लिए.

दोस्तो, मीना की शादी को 7 साल हो चुके थे और उसके 2 बच्चे भी थे। उसकी उम्र 28 साल थी. गोरा रंग, 5.2 की हाइट लेकिन थोड़ी सी मोटी। फिर भी चोदने के लिए एकदम सही माल थी।

कमरे में पहुंचते ही मैंने मीना को बांहों में भर लिया और वहीं से उसे चूमने लगा।
मीना भी शुरू से ही मेरा पूरा साथ दे रही थी।

एक दूसरे को चूमते हुए हम बेड पर आ गए और समय के अभाव के कारण जल्दी जल्दी से एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे।

फिर कुछ ही देर में ही हम दोनों एक दूसरे के सामने सिर्फ अंडरगार्मेंट्स में थे. मीना ने काले रंग की ब्रा और काले ही रंग की पैंटी डाली हुई थी।

मैंने फिर से मीना को होंठों पर चूमते हुए उसकी ब्रा की हुक को खोल दिया.

उसे बेड पर लेटाकर उसका एक चूचा पकड़ा और दूसरे को मुंह में लेकर जोर जोर से पीने लगा. फिर बारी बारी से उसके एक चूचे को अपने हाथ से मसलता और दूसरे को पीता।
मीना भी अब जोर जोर से आहें भरने लगी थी।

फिर उसके एक चूचे को पीते हुए मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंटी पर से उसकी चूत पर रख दिया। कसम से दोस्तो, उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मैं ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।

मीना अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। उसने जोर से मेरा सिर अपने चूचों पर दबा दिया।
फिर मैंने दूसरा हाथ उसकी चूची पर से हटाकर सीधा उसकी पैंटी के अंदर डाल दिया और अपनी 2 उंगलियां उसकी चूत के अंदर घुसा दीं।

मेरी उंगली अंदर घुसते ही मीना भाभी ने जोर की सिसकारी भरी और मचलने लगी।
मैं अपनी उंगलियों को जोर जोर से उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा।

मीना अब जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी थी और मुझसे मेरा लण्ड उसकी चूत में डालने की मिन्नतें करने लगी।
फिर कुछ पल में ही मीना की चूत से कामरस की धार छूट पड़ी जो मुझे मेरी उंगलियों पर एक गर्म लावे की तरह महसूस हुई.

चूत का रस निकलते ही मीना एकदम से निढाल हो गई।
मैंने अपनी उंगलियां उसकी पैंटी से बाहर निकालीं और उसकी पैंटी को निकाल दिया।

मीना अपनी चूत को पूरी तरह से साफ करके आई हुई थी।

ये तो जाहिर था कि उसको भी मुझसे चुदाई करवानी थी। अब मैं उठा और मैंने अपना जॉकी अंडरवियर निकाल दिया। मेरा अंडरवियर निकलते ही मेरा 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा काला नाग फुंफकार मारकर बाहर को उछल पड़ा।

फिर मैंने मेरा काला नाग मीना के मुँह के सामने कर दिया।
मीना मेरा भाव समझ गयी और लंड चूसने से मना करने लगी।
मुझे पता था साली नखरे कर रही है, पर मैं भी कहाँ हार मानने वाला था।

बड़ी मिन्नतें करने के बाद वो आखिरकार मान गयी और उसने मेरा लण्ड मुंह में भर लिया। थोड़ी देर तक नौसिखिये की तरह नखरे करते हुए चूसने के बाद मीना जल्दी ही एक अनुभवी चुदक्कड़ रांड की तरह जोर जोर से मेरे लन्ड को चूसने लगी।

मैंने फिर उसे मेरे आंड चूसने को बोला तो वो झट से ही उनको भी मुंह में भरकर चाटने लगी।
अब मैं जैसे सातवें आसमान पर था।

ये तो मुझे पता था कि वो बहुत खेली खाई हुई है और मेरे सामने ही नखरे कर रही है।

कुछ देर खड़े होकर लन्ड चुसवाने के बाद मैंने उसे 69 पोजीशन में आने को कहा और फिर हम दोनों एक दूसरे के चूत लन्ड को चाट रहे थे।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह में अपना अपना गर्म लावा छोड़ दिया।

उसकी चूत का का रस मैं पूरा गटक गया और उधर वो मेरे गर्म लावे को पी गयी।
उसने चाट चाट कर मेरा लण्ड बिल्कुल साफ कर दिया।
मैं और मीना 69 पोजीशन में एक दूसरे का काम रस निचोड़ चुके थे।

एक दूसरे का काम रस पीने के बाद हम दोनों लेटकर सुस्ताने लगे.

तभी मीना के पति का दोबारा फोन आया और वो पूछने लगा कि कहा पहुँच गयी?
मीना ने उसे बताया कि करनाल से निकल चुकी है और अपनी दीदी के घर पहुंचकर फोन कर देगी।
फिर मीना मुझसे वहां से जल्दी निकलने के लिए बोलने लगी।

मगर अभी मेरा काम पूरा नहीं हुआ था.

मैंने मीना भाभी को चूत चुदाई करने के लिए बोला तो उसने कहा कि वो सब फिर कभी कर लेंगे, अभी देर हो रही है।
मगर मैं मानने वाला नहीं था. चूत तो मुझे उसकी हर हाल में मारनी थी.

अब मैं फिर से उस पर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा। उसकी चुदास को मैं फिर से भड़काना चाहता था कि वो खुद ही चुदने के लिए मचल उठे.
उसके होंठों को चूसते हुए ही मैंने फिर से 2 उंगली मीना की चूत में घुसा दीं।

मेरी उंगली चूत में घुसते ही मीना सिसकार उठी।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मीना मुझसे लन्ड उसकी चूत में डालने के लिए बोलने लगी।

मैंने भी अब देर न करते हुए मीना को सीधा लेटाया और उसकी दोनों टांगों को खोलकर अपने लन्ड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर रख दिया.

अब मेरी मंजिल मुझे मिल गयी थी. लंड में गजब का तनाव था. मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.

लंड अंदर घुसते ही मीना के चेहरे पर संतुष्टि के भाव आ गये. वो अब फिर से मेरे होंठों को चूमने लगी।

कुछ देर तक इसी पोजीशन में उसकी ठुकाई करने के बाद मैंने मीना को घोड़ी बनने को कहा।
मेरे कहने भर की देर थी कि मीना झट से घोड़ी बन गयी।

पीछे से मैंने फिर से एक झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
मीना भी पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थी।
इस पोज़ में ठुकाई करते करते मैंने मीना की कसी हुई गांड पर थूक दिया।

इतना करते ही मीना मेरे इरादे भांप गयी और मुझसे गांड ना मारने के लिए कहने लगी।
मैं भी उसकी हां में हां करता रहा लेकिन फिर धीरे धीरे मैं अपने हाथ से उसकी गांड सहलाने लगा।

उसकी गांड सहलाते हुए मुझे पता चल गया कि इसने अच्छे से अपनी गांड भी खुलवा रखी है. मैं अपनी एक उंगली उसकी गांड के अंदर घुसाने लगा।

मीना ने मेरा कोई विरोध नहीं किया और धीरे धीरे मेरी उंगली का अगला हिस्सा उसकी गांड में समा गया।

फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गांड में घुसा दी। इस बार मीना के मुंह से आह्ह … निकल गयी।

इधर पीछे से उसे घोड़ी बनाकर मैं उसकी चूत चुदाई कर रहा था और अब अपनी 2 उंगलियों से उसकी गांड चुदाई कर रहा था।

कुछ ही देर बाद मीना इसी पोज़ में झड़ गयी और निढाल होकर बेड पर गिर गयी। मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत में घुसा हुआ था जो उसकी चूत का भेदन कर रहा था।

ऐसे लेटे लेटे ही मैं मीना की चुदाई करता रहा. फिर कुछ ही देर में मैं उसकी चूत के अंदर ही झड़ गया।
कुछ देर उसके ऊपर ऐसे ही लेटे रहने के बाद हम दोनों उठे.

हम दोनों जल्दी से नहाए और फिर मैं उसे कुरुक्षेत्र बस अड्डे पर छोड़ आया।
उसके बाद भी हम 2-3 बार और मिले. मैंने मीना की गांड चुदाई भी की।

फिर एक दिन मेरे दोस्त मोहित को मेरे और मीना के बारे में पता चल गया तो उसने मुझसे बातचीत ही बंद कर दी.
फिर धीरे-धीरे मेरी और मीना की भी बातें कम हो गयीं और हम अपने अपने रास्ते हो लिए।

तो दोस्तो, ये थी उस गाँव की भाभी की चुदाई की सच्ची कहानी. मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड को मैंने मजे लेकर चोदा और मैंने उसकी चूत का खूब रस लिया.

आपको ये गाँव की भाभी की चुदाई स्टोरी कैसी लगी? अपना फीडबैक मुझे मेल करके जरूर बताइयेगा। कहानी लिखने में कुछ गलती हुई हो तो उसके लिए मुझे माफ कर देना।
आप सभी का धन्यवाद।
[email protected]