लंड के लिए तड़पती कुंवारी चूत-4

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

लंड के लिए तड़पती कुंवारी चूत-3

लंड के लिए तड़पती कुंवारी चूत-5

अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने सोनू की सील तोड़ दी थी. लेकिन उसकी चुदाई करने का मेरा भी बहुत मन था. मगर मुझे नहीं पता था कि वह मुझसे चुदाई करवाने के लिए और ज्यादा बेचैन हो चुकी है. फिर एक दिन वह यूनिफॉर्म पहनकर मेरे रूम में आ पहुंची. मैंने पूछा तो कहने लगी कि आज मैं सारा दिन तुम्हारे पास ही रहूंगी.

मैंने कहा- यह तो बहुत अच्छी बात है. और यह कहकर सोनू के होंठों को चूम लिया और उसे चूचियों से पकड़ लिया.
सोनू कहने लगी- मेरी शर्ट पर दाग पड़ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है फिर इसको उतार दो.
मैंने सोनू की शर्ट के बटन खोले और उनमें से उसका एक मम्मा पकड़ा.
सोनू कहने लगी- इतनी जल्दी क्या लगी है, आराम से करते हैं.

मैंने फिर पूछा- रात को ऐसा क्या देखकर आई हो?
सोनू कहने लगी- पापा ने मम्मी की बहुत जबरदस्त चुदाई की. शायद उन्होंने कोई दवाई खा रखी थी क्योंकि मम्मी उनसे कह रही थी कि आज कोई टेबलेट खाई है क्या जो इतना चोद रहे हो? मम्मी और पापा के कमरे से बहुत देर तक उनके मजे से चिल्लाने की आवाज आती रही. एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं रात को ही तुम्हारे कमरे में आ जाऊं, परंतु फिर सोचा कि कहीं कोई उठकर देख लेगा तो मुझे ढूंढेंगे, बड़ी मुश्किल से रात काट कर आई हूँ.

मैंने सोनू की शर्ट निकाल दी, उसकी ब्रा भी खोल दी. जब मैंने सोनू की ब्रा में से उसके मम्मे को आजाद किया तो देखा कि वहां पर मेरे काटने के नीले निशान पड़े हुए थे. मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और सोनू को भी बिल्कुल नंगी कर दिया. मैंने सोनू की चूत को देखा तो पता चला कि उसने चूत के जो रोयें थे वे भी साफ कर रखे थे और उसकी चूत आज कुछ थोड़ी सी फूली हुई लग रही थी. शायद उस दिन भारी लंड घुसने से चूत थोड़ा उभार ले गई थी.

हम कमरे में दोनों नंगे खड़े थे. मैंने सोनू को अपनी छाती से लगा लिया और उसकी टांगें चौड़ी करके अपने हैवी लंड को उसकी चूत के नीचे लगाया. सोनू ने लण्ड को अपने दोनों पटों के बीच भींच कर मेरे लंड को दबा लिया. मैंने सोनू की दोनों चूचियां फिर पीनी शुरू की. उस दिन की चुसाई ने सोनू के निप्पलों का आकार भी थोड़ा बड़ा कर दिया था.

मैंने सोनू को नीचे खड़ा किया और खुद कुर्सी के ऊपर बैठकर सोनू की चूचियों को बारी-बारी से पीता रहा और उस के नंगे गोल चूतड़ों को अपने हाथों से सहलाता रहा. मेरे लंड का सुपारा सोनू की चूत पर रखा था. मैंने सोनू की चूत में अपना अंगूठा लगाया और उसके क्लिटोरिस को रगड़ते हुए सोनू से पूछा- आज तुम्हारी यह चूत क्या मेरे इस लंड को लेने के लिए तैयार है?
सोनू ने कहा- ट्राई करके देखो.
मैंने सोनू को बेड पर लिटाया उसकी चूत को अपनी जीभ और होंठों से पांच मिनट तक चाटा, उसके बाद मैंने उसी जैल का सोनू की चूत और अपने लंड पर लेप किया. मैंने सोनू के ऊपर लेट कर, उसी मिशनरी पोजीशन में लंड को चूत के छेद पर सेट किया.

सोनू ने पूछा- दर्द तो नहीं होगा?
मैंने कहा- आज नहीं होगा.

मैंने धीरे-धीरे अपने चूतड़ों से अपने लंड पर दबाव दिया, चूत पानी छोड़ चुकी थी और जैल लगाने से चिकनी हो गई थी, अतः लंड का सुपारा जल्दी ही अंदर चला गया. सोनू थोड़ा कसमसाई और मेरी आंखों में देखने लगी. मैंने फिर जोर लगाया तो आधा लंड चूत में उतर गया.

चूत में लंड को ऐसा लगा जैसे आगे कोई अड़चन है. दरअसल यह वह जगह होती है, जहां झिल्ली होती है, झिल्ली तो फट चुकी थी, लेकिन चूत में वहाँ थोड़ी टाइट जगह होती है, इसलिए लगता है कि अंदर रास्ता नहीं है. मैंने लण्ड पर थोड़ा और दबाव दिया तो लण्ड चूत की दीवार को चौड़ा करके अंदर घुसा. सोनू थोड़ा कसमसाने लगी. मैंने सोनू के दोनों चूचों को अपने हाथ से दबाया और एक झटके में पूरा लंड अंदर बैठा दिया. सोनू फिर कसमसाने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और सिर मारने लगी.
मैंने सोनू से पूछा- दर्द हो रहा है?
उसने कहा- थोड़ा सा.
मैंने कहा- अभी ठीक हो जाएगा.

उसके बाद मैंने सोनू की चूत में धीरे-धीरे लंड पेलना शुरू किया. सोनू को मज़ा आने लगा. हर धक्के पर सोनू आई … आई … आह … आहा … करने लगी.
मैंने सोनू के कान में पूछा- मजा आ रहा है?
उसने कहा- हां, बहुत मजा आ रहा है, करते रहो.

मैं समझ गया कि सोनू पूरी वासना में डूबी हुई है. मैंने सोनू की टांगों के नीचे से हाथ डाला और उसके घुटनों को मोड़ते हुए लंड से चुदाई शुरू की. सोनू अपनी गर्दन को इधर-उधर मारती रही और जोर-जोर से आह … आह…. करती रही. कुछ देर बाद सोनू का शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे अपने दोनों हाथों से कमर से खींच लिया. यह उसकी जिंदगी का पहला डिस्चार्ज था.

कुछ देर बाद सोनू कहने लगी- एक बार हटो.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
सोनू कहने लगी- आज जिंदगी में ऐसा पहली बार हुआ है. बहुत मजा आया और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरी चूत में से कुछ निकला है.

मैंने उसको बताया कि जिस प्रकार आदमी का वीर्य छूटता है उसी प्रकार लेडी का भी वीर्य छूटता है. उसको चूतरस बोलते हैं, आज तुम्हें पहला मजा आया है, इसलिए तुम्हें मुबारक. सोनू ने अपना सिर उठाकर मेरे दोनों गालों को पकड़कर मेरे होंठ चूम लिए.
मैंने उसको बताया कि आदमी और औरत के मजे में अंतर होता है. इसको ओरगाज़्म बोलते हैं. औरत को एक ही बार में कई ओरगाज़्म आ जाते हैं, जबकि आदमी का जब छूटता है तो उसको एक ही आता है और लंड से वीर्य छूटने के बाद उसे कुछ देर के लिए वक्त लगता है.

सोनू मुझसे पूछने लगी- तुम्हारा कब निकलेगा?
मैंने कहा- अभी थोड़ी देर में जब तुम्हें चोदूंगा तो निकलेगा.
सोनू कहने लगी- मेरे पापा की तरह मेरी चूत के अंदर ही छोड़ना.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन मैं तुम्हें आईपिल लाकर दूंगा … तुम खाती रहना, वरना तुम प्रेग्नेंट हो जाओगी.
वह कहने लगी- ठीक है, आप ला देना मैं खा लूंगी.

मैंने सोनू की टांगों की तरफ जाकर दुबारा सोनू की टांगों को उसके घुटनों पर मोड़ा. चूत थोड़ी सी मोटी हो चुकी थी और बहुत सुंदर शेप ले चुकी थी. चूत का छेद भी अब कुछ खुला लग रहा था. मैंने अपना सुपारा दोबारा चूत पर लगाया और पानी छोड़ चुकी चूत में लंड को एक ही झटके में अंदर तक पेल दिया. सोनू की आह … निकल गई.

उसके बाद मैंने सोनू की चूत में ताबड़तोड़ झटके मारने शुरू किए. हर झटके पर सोनू तरह-तरह की आवाजें निकाल रही थी. सोनू की चूत को मैं लगातार चोदे जा रहा था. नीचे झुक कर मैंने कुछ देर सोनू के होंठों को चूसा.

सोनू कहने लगी- रुको मत, करते रहो. जिस पोजीशन में मेरे पापा, मम्मी को चोदते हैं, उसी पोजीशन में तुम मुझे चोद रहे हो, वह भी ऐसे ही टांगे उठा-उठा कर चोदते हैं. मेरी मम्मी के चूतड़ एकदम भारी, गोरे और चिकने हैं. मेरे कैसे लगते हैं?
मैंने कहा- मेरी जान तुम्हारे तो और भी सुंदर हैं, बिल्कुल नए हैं. कुछ दिन और लण्ड लेती रहोगी तो और भी ज्यादा निखार आ जाएगा क्योंकि जैसे ही कोई कुंवारी लड़की चुदवाने लग जाती है और चूत में लंड का रस पीने लग जाती है तो उसमें एक खास प्रकार के हार्मोन डेवलप होते हैं जिससे लड़की के रूप रंग पर अलग ही निखार आ जाता है.
यह बात सुनकर सोनू खुश हो गई. वह कहने लगी- मैं हर रोज तुमसे चुदवाया करूंगी.

मैं सोनू के ऊपर चढ़ा हुआ उसकी चूत को ठोकता रहा और सोनू मेरे नीचे लेटी हुई मेरे पूरे मोटे लंड को अपनी चूत में लेती रही और मजे से कुछ-कुछ बोलती रही. चूंकि सोनू की चूत मरवाने की फैंटसी बहुत दिनों से थी अतः आज एक ही दिन में वह सारी चीजें करना चाहती थी जो उसने अपने मम्मी पापा की चुदाई में देखी थी.

मैं सोनू को चोदते हुए उसे हर प्रकार का सुख दे रहा था. कुछ देर बाद चुदाई अपनी चरम सीमा पर पहुंची. सोनू कहने लगी- आज बहुत मजा आ रहा है. थोड़ा जोर-जोर से करो.
मैंने उस नाटी सी लड़की को जोर-जोर से चोदना शुरू किया और वह भी हर झटके पर अपने चूतड़ उठा कर मेरा साथ दे रही थी. काफी देर की घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में अपने वीर्य की गरम पिचकारी मारनी शुरू की.

सोनू का भी पानी निकल गया था और उसने मुझे कसकर भींच लिया था. जब मेरा वीर्य सोनू की चूत के अंदर पिचकारी मार रहा था तो सोनू को बहुत आनन्द आ रहा था.
सोनू बोली- गर्म गर्म क्या है?
मैंने कहा- यह वही है जो तुम चाहती थी.

कुछ देर बाद हम दोनों शांत हो गए. लंड को अंदर डाले हुए ही मैं सोनू के ऊपर लेटा रहा. सोनू अपनी आंखें बंद किए मेरे लंड के रस को अपनी चूत में सोखती रही. इस दौरान मैं सोनू को जगह-जगह पर चूमता रहा, इससे उसको पूरी संतुष्टि मिल गई.

कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को निकाला तो सोनू की चूत से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगा. सोनू ने अपनी चूत पर हाथ लगाया तो उसका हाथ वीर्य से भर गया. उसने बैठकर चूत को देखना शुरु किया, बेड की चादर पर वीर्य टपक रहा था.
मैंने सोनू से पूछा- तुम्हारी मम्मी की चूत से ऐसे ही निकलता है?
उसने कहा- हां, ऐसे ही निकलता था लेकिन वह तो कुछ एक बूंद होती थीं, यह तो निकले जा रहा है.
मैंने सोनू से कहा- सोनू, आज तुम कली से फूल बन गई हो, आज का दिन याद रखना.

सोनू खुश हो गई. मैंने उसको चूत साफ करने के लिए हैंडटॉवल दिया. उसने चद्दर और चूत को साफ किया और उठ कर बाथरूम जाने लगी. जैसे ही वह बेड से उठी, वीर्य उसकी चूत से निकल कर उसके दोनों पटों पर बहने लगा. वह टांगें चौड़ी करके चलती हुई बाथरूम गई. बाथरूम में जाकर उसने अपनी चूत को साफ किया.
जब बाहर आई तो बड़ी खुश लग रही थी.

मैंने कहा- मैं तुम्हारे लिए कुछ आईपिल लाकर दूंगा, जिस दिन भी तुम चुदवाओगी, उस दिन यहीं से वह आईपिल खाकर जानी है.
सोनू कहने लगी- बहुत सारी ले आना.
मैं हंसने लगा और मैंने सोनू से कहा- अब देखना, एक दो महीने बाद तुम्हारे ऊपर पूरा निखार आएगा और तुम्हारा शरीर और सुंदर होगा.
सोनू खुश हो गई.

हम दोनों बेड पर लेट गए. सोनू मुझसे चिपक कर सोने लगी. दोपहर के 12:00 बज चुके थे. मुझे भूख लगने लगी थी.
मैंने सोनू से कहा- मैं नीचे जाकर कुछ खाने के लिए ले आता हूं.
सोनू कहने लगी – मेरे हैंडबैग में सैंडविच हैं, जो मैं दोपहर को खाती हूं, आज मैंने ज्यादा रख लिए थे.

हमने सैंडविच खाए और कुछ देर बाद मैं चेयर के ऊपर बैठ गया और सोनू को लंड चूसने के लिए कहा. सोनू नीचे जमीन पर बैठ गई और अपने दोनों हाथों को उसने मेरे पटों पर रखा और मेरे लंड को चूसने लगी. थोड़ी देर में लण्ड फिर सख्त हो गया.

सोनू से मैंने कहा- अपनी दोनों टांगें चेयर के आसपास फैला कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मेरी गोद में बैठ जाओ.
सोनू अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर रखकर धीरे-धीरे नीचे तक आने लगी.
जब वह बहुत नीचे गई तो एकदम बोली- आई … यह तो बहुत लगता है.

मैंने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से सहारा दिया और उन्हें ऊपर नीचे करते हुए धीरे-धीरे सोनू को अपनी गोद में पूरा लंड फिट करके बैठा लिया. इस पोजीशन में मेरा लंड उसके आधे पेट में घुसा हुआ था. पता नहीं भगवान ने चूत में कितना रास्ता बनाया है. छोटे से कद की लड़की, मेरा 8 इंच का लंबा मोटा लौड़ा पूरा ले गई.

इस पोजीशन में मैंने उसके सिर के पीछे हाथ लगा कर उसको अपनी छाती से लगाया उसकी कमर पर हाथ फिराता रहा और उसको कहा थोड़ा ऊपर नीचे होती रहो. परंतु उसकी टांगें छोटी होने के कारण नीचे जमीन पर नहीं टिक रही थीं. इस पोजीशन में बैठे-बैठे मैंने सोनू को उठाया और खड़ा होकर अपने लंड पर टांग लिया. मैंने देखा कि सोनू के चेहरे पर पूरी संतुष्टि के भाव थे.

कुछ देर में सोनू कहने लगी कि बेड पर ही अच्छा लगता है, वैसे ही करो, जैसे पहले किया था.
मैंने सोनू को फिर बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया. चढ़ते ही मैंने सोनू की चूत की चुदाई शुरू की. अबकी बार चूंकि चूत के अंदर मेरा वीर्य भी लगा हुआ था तो फच-फच की आवाज आने लगी.

चुदाई में सोनू को भी बहुत मजा आ रहा था. सोनू नीचे से अपने चूतड़ उठा-उठा कर मजा ले रही थी. जब मैं अपने लंड को अंदर डालने से रोक देता था तो सोनू नीचे से अपने चूतड़ उछालती थी और मुझे कहती- करो.
मैंने पूरा जोर लगा कर सोनू की चुदाई की. सोनू की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसने कस कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
सोनू कहने लगी- मेरी चूत से फिर पानी निकल गया है.
उससे मैंने कहा- घोड़ी बनो.
सोनू कहने लगी- हां, पापा भी मम्मी को घोड़ी बनाकर चोदते हैं. लेकिन मम्मी के तो चूतड़ बहुत भारी हैं और पापा का लंड छोटा है, तो वह अंदर कैसे करते हैं?
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी को उसी से आदत पड़ी हुई है तो उसी से काम चल जाता है.
सोनू कहने लगी- हाय, मम्मी बेचारी.
मैंने कहा- तुम्हें, मम्मी पर बड़ा तरस आ रहा है.

सोनू बोली- काश! मैं एक बार मम्मी को तुम्हारा लौड़ा दे सकती.
मैंने कहा- तो इसमें कौन से पैसे लगते हैं? मैं तैयार हूँ.
सोनू कहने लगी- राज, मेरी मम्मी की चूत तो पाव रोटी सी है और उनका गुलाबी छेद भी थोड़ा चौड़ा है, तो उनके लिए तो तुम्हारा लौड़ा फिट रहेगा.
मैंने कहा- मैं तो तैयार हूँ.
सोनू कहने लगी- यार ये हो जाए तो कसम से मम्मी को मज़ा आ जायेगा.

सोनू ने बताया कि उसके पापा बेड से नीचे खड़े होकर उसकी मम्मी को पीछे से चोदते हैं और कभी-कभी तो अपना एक पाँव बेड के ऊपर रखकर चुदाई करते हैं.
मैंने सोनू से कहा- मैं तुम्हें सारे एक्सपेरिमेंट दिखाता हूं.

सोनू बेड के किनारे पर घोड़ी बन गई. मैंने उसकी चूत को अपने अंगूठे और उंगली से थोड़ा खोलकर देखा. तीन-चार बार चोदने के बाद चूत की शेप बदल गई थी, अब उसके बाहर का हिस्सा फूल कर ज्यादा मोटा हो गया था. मैंने सोनू की चूत में अपना सुपारा अंदर किया, सोनू पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखने लगी.

मैंने कहा सोनू- तुम्हारी गांड और चूत बहुत सुंदर हैं. मेरी अच्छी किस्मत है जो मुझे तुम्हारी चूत चोदने को मिल रही है.
सोनू कहने लगी- मेरी भी अच्छी किस्मत है कि पहली बार ही मुझे इतना बड़ा और मोटा लौड़ा मिला है. मम्मी ने तो ऐसा देखा भी नहीं होगा.

मैंने सोनू से कहा- अगर तुम चाहो तो अपनी मम्मी को यह लौड़ा दिलवा सकती हो.
सोनू कहने लगी- मगर यह सब होगा कैसे?

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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