लेडीज़ टेलर की रंडी-2

मेरी हॉट हॉट कहानी के पहले भाग
लेडीज़ टेलर की रंडी-1
में आपने पढ़ा कि मैं एक लेडीज टेलर यानि दर्जी हूँ और मैंने अपनी ग्राहक की कमर, चूतड़ और जांघ का नाप ले लिया। मगर आगे सिर्फ थोड़ा सा कपड़ा लगाने को कहा था तो उसकी फुद्दी के होंठों की दरार का नाप लेना था।
मैंने उसे कहा- आप ज़रा अपनी टाँगें खोलेंगी?

माशी बोली- मास्टरजी क्या करने का इरादा है जो मेरी टांगें खुलवा रहे हो?
मैंने कहा- गुस्ताखी माफ कीजिएगा, मुझे अपनी ज़ुबान से कुछ बहुत ही बेहयाई वाले लफ्जों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। दरअसल मुझे आपकी चूत की दरार का नाप लेना है।

बेशक मुझे पता था कि जो औरत मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी है, वो मेरी भाषा का क्या बुरा मानेगी. मगर फिर भी मैंने कहा तो वो बोली- अच्छा, अच्छा!
और उसने अपनी एक टांग उठा कर पास के स्टूल पर रख दी।

मैं नीचे बैठा था तो उसकी फुद्दी पूरी तरह से मेरे मुंह पास थी। मैंने पीछे उसकी गांड के छेद पर फीता रखा तो उसके मुंह से ‘सी ईई …’ निकली।
मैंने जब फीता खींच कर उसकी फुद्दी की दरार से थोड़ा सा ऊपर को रखा तो अपने हाथ के एक अंगूठे से मैंने उसकी फुद्दी के होंठ को भी छू लिया।
उसने दोबारा ‘सीईई …’ भरी।
दिल तो मेरा भी कर रहा था कि साली की फुद्दी पर काट खाऊँ मगर मेरा काम मुझे इसकी इजाज़त नहीं देता था।

मगर वो तो किसी अहद से नहीं बंधी थी। बस जैसे ही मैंने उसकी फुद्दी को छूआ, उसने मेरा सर पकड़ा और अपनी फुद्दी लाकर सीधा मेरे मुंह से जोड़ दी।
“चूस इसे बहनचोद!” वो बोली और अपनी टांग से उसने मेरे सर के कब्जे में कर लिया।

मुझे और क्या चाहिए था; मैंने अपनी जीभ उसकी फुद्दी में घुसा दी; मैं चाटने लगा और वो मेरे सर के बालों को सहलाती हुई ‘सी … सी …’ करने लगी।
जैसे उसकी फुद्दी मेरे मुंह से लगी, मेरे लंड ने भी मेरी सलवार के अंदर से ही उसे सलामी दे दी। वो अपनी फुद्दी मेरे मुंह पर रगड़ रही थी और मैं ‘चप… चप … चप …चप” उसकी फुद्दी को चाटने में लगा था, जो पानी पानी हो रही थी और मैं बड़े मज़े लेकर उसकी फुद्दी का पानी पी रहा था।

अब जब फुद्दी तो वो खुद चटवा रही थी तो मैंने भी अपने दोनों हाथ ऊपर लेजा कर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाया, उसके निप्पल खूब मसले। मेरे सर के बाल उसने पूरी मजबूती से पकड़ रखे थे कि कहीं मैं उसकी फुद्दी से अपना मुंह न हटा लूँ। मगर मैं तो तब तक औरत की फुद्दी चाट सकता हूँ, जब तक वो पानी न छोड़ दे। जितने मैंने उसके मम्मे दबाये, उतना उसकी फुद्दी ने पानी छोड़ा।

फिर उसने अपनी पकड़ ढीली की और अपना मम्मा मेरे मुंह में देकर बोली- इसे भी चूस ले साले!
मैंने उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और खूब निचोड़े, चूसे और वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… करती रही।

मम्मे चुसवा कर उसने मुझे खड़ा किया, मेरा तना हुआ लौड़ा मेरे कुर्ते में से भी उठा हुआ दिख रहा था। उसने ऊपर से ही मेरे लौड़े को पकड़ लिया।
“अरे वाह, बड़ा ज़बरदस्त लौड़ा है तुम्हारा … निकाल कर तो दिखाओ?”

मैंने पहले अपना कुर्ता उतारा और फिर बनियान। उसके बाद सलवार खोली, चड्डी मैं पहनता ही नहीं, बस सलवार के खुलते ही मैं नंगा हो गया। सुन्नत किया हुआ, 7 इंच काला लौड़ा उसके सामने था। मेरे लौड़े को हाथ में पकड़ कर वो नीचे ही बैठ गई।
मुझे कहने की भी ज़रूरत नहीं पड़ी और माशी ने मेरे लंड का टोपा अपने मुंह में ले लिया और लगी चूसने। बहुत बढ़िया लंड चूसा उसने!

मगर अब वो मेरी गुलाम थी, तो मैं जैसे चाहूँ उसे इस्तेमाल कर सकता था। तो सबसे पहले मैंने अपना लौड़ा उसके मुंह से निकाला और एक चांटा उसके मुंह में मारा- साली हरामज़ादी, मादरचोद रंडी, कब से मेरी तुझ पर नज़र थी, आज आई हो मेरे नीचे, देख अब मैं कैसे तेरी माँ चोदता हूँ। साली, अब चूस सुन्नती लौड़ा!
और मैंने उसके सर के बाल पकड़ कर उसका मुंह अपनी ओर खींचा और जैसे मेरे लंड को उसने अपने मुंह में लिया, मैंने पीछे से अपना लंड और उसके मुंह के अंदर धकेला, उसके गले तक अंदर उतार दिया।

वो खों खों करने लगी। शायद उसको सांस नहीं आ रही था।
मैंने उसके चेहरे पर थूका- तेरी भैंन के लंड, साली रंडी की औलाद, क्या नाटक करती है, एक लौड़ा नहीं चूस सकती, चूस साली कुतिया!
और मैंने उसका मुंह ही चोदना शुरू कर दिया। अपना लंड मैं उसके मुंह के अंदर तक डालता और फिर निकालता।
और उसको कंट्रोल मैं उसके सर के बालों से कर रहा था।

2 मिनट की लंड चुसाई ने ही उसकी हालत पतली कर दी। कई बार उसको उबकाई आई, ऐसा लगता था कि अब उल्टी आई अब उल्टी आई। मगर उसके मुंह से निकालने वाली लार से उसका बदन भीग गया। उसकी आँखों से नाक से हर जगह से पानी बहने लगा। आँखों का कजरा बिखर गया, लिपस्टिक फैल गई।

मैंने ज़ोर ज़ोर से उसके झूलते बड़े बड़े मम्मों पर चांटे मारे, उसकी जांघों पर मारे, पेट पर, पीठ पर, जहां दिल किया वहाँ मारा तो मेरी उँगलियों के निशान उसके बदन पर हर जगह छप गए।
बेशक मैंने ज़ोर से मारा था, मगर साली ने ‘सी …’ भी नहीं किया, बल्कि मार खा कर खुश हो रही थी। मैंने उसके सर के बाल खींच दिये। बाल बेशक उसने कंधों तक कटवाए हुये थे, मगर हाथ में आ जाते थे, मैंने जो उसके बाल खींचे तो उसके बालों में लगी सभी पिन वगैराह निकल गई।

लंड चुसवाते हुये मुझे और भी गंदे गंदे ख्याल आ रहे थे, मैंने सोचा जब ये इतना ज़ब्त कर रही है तो क्यों न इसके सब्र का इम्तिहान लिया जाए।
मैंने उसे कहा- ऐ माशी रंडी सुन, लंड छोड़, मेरे आँड चूस अपने मुंह में लेकर!
तो वो मेरे गोटे चूसने लगी।

मैंने कहा- हरामज़ादी … इन्हें जीभ से चाट, ऐसे चाट जैसे चुस्की को चाटते हैं।
वो मेरे गोटे मज़े लेकर चाटने लगी।

फिर मैंने और कहा- अब ऐसा कर मेरी गांड भी चाट।
वो उठ कर मेरे पीछे आई और मेरे दोनों चूतड़ खोल कर अपनी जीभ की नोक से मेरी गांड चाटने लगी।
मुझे भी गुदगुदी सी हुई। पहली बार ये मौका मेरी ज़िंदगी में आया था कि कोई मेरी गांड चाट रही थी।

कुछ देर चटवाने के बाद मैंने उसके बालों से पकड़ कर ही उसे खड़ा किया और धक्का देकर ज़मीन पर गिरा दिया। नीचे कालीन बिछा था इसलिए वो आराम से कालीन पर गिर गई। उसके गिरते ही मैं उसके ऊपर लेट गया, उसकी दोनों टांगें अपने हाथों से पकड़ कर जितनी खोल सकता था, उतनी खोल दी और अपना तना हुआ लंड सीधा उसकी फुद्दी पर रखा और एक ही बार में पूरा अंदर धकेल दिया।

बेशक उसे दर्द हुआ मगर मुझे उसको दर्द देने में मज़ा आ रहा था और उसे दर्द सहने में मज़ा आ रहा था।

पूरा लंड अंदर धकेल कर मैंने कुछ जोरदार धक्के उसकी फुद्दी पर मारे। मगर वो हर धक्के पर हाय … तो कहती मगर उसने यह नहीं कहा कि ऐसे मत करो दर्द होता है। मेरे धक्के मारने से उसका गोरा नर्म पेट और मम्मे लहलहा रहे थे। मगर मैं चाहता था कि उसे इतना तड़पा दूँ कि वो रो पड़े, मेरी मर्दानगी के आगे झुक जाए।

मगर वो भी बड़ी मजबूत औरत थी, न झुक रही थी, न टूट रही थी।
‘लगता है बहुत प्यासी हो?’ मैंने कहा।
माशी बोली- मेरी प्यास का अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते।
मैंने कहा- कितना चुद सकती हो?
वो बोली- कितना चोद सकते हो?
मैंने कहा- औरत चोदने की तो मेरी कोई सीमा ही नहीं है।
वो बोली- तो ठीक है.

मैं बोला- मैं तुम्हें तब तक चोद सकता हूँ जब तक तुम दर्द से तड़प न जाओ।
वो बोली- अरे यार वही तो चाहिए मुझे, मेरा पति तो बस 2-3 मिनट में ही पानी छोड़ जाता है, मुझे तो चाहिए बेदर्द मर्द। जो मुझे इतना मारे, गंद बके, इतना चोदे के मुझे हर तरह से तोड़ कर निचोड़ कर रख दे।
मैंने कहा- फिर तो तू मादरचोद … मेरे मतलब की औरत है। मेरी बीवी को भी नर्म नर्म इश्क पसंद है और मुझे औरत को जलील करके, मार पीट करके चोदने में मज़ा आता है।
वो हंस दी, बोली- तो ठीक … तुम मुझे मज़ा दो, मैं तुम्हें मज़ा दूँगी, सिर्फ मज़ा ही नहीं, पैसा चाहिए पैसा भी दूँगी, मगर मेरी तसल्ली होनी चाहिए।

मैंने कहा- मुझे पैसा नहीं चाहिए, अल्लाह की दिया बहुत है मेरे पास। मुझे तो बस एक से एक नई चूत चाहिए।
वो बोली- जितनी कहोगे, उतनी ला दूँगी, जो कहोगे वो ला दूँगी।
मैंने कहा- तो आज तो फिर मैं तेरा सारा खानदान चोद दूँगा। तेरी अम्मी चोद दूँगा, तेरी बहन, तेरी भाभी, तेरी दोनों बेटियाँ, उनको भी चोद दूँगा।
वो हंस कर बोली- अम्मी तो अब बूढ़ी हो गई है, पता नहीं उसको चोद कर तुमको मज़ा आए या नहीं, बाकी बेटियों का मैं नहीं कह सकती, बड़ी का तो बॉय फ्रेंड है मुझे पता है, छोटी का कोई नहीं। हाँ अपनी बहन और भाभी मैं तुम्हारे लिए ला सकती हूँ।
मैंने कहा- माशी … बस मुझे तेरी जैसी ही हरामज़ादी चाहिए जो अपने सारे खानदान की चूतें मेरे सामने ला कर डाल दे।

“और अब ये देख …” कह कर मैंने उसके दोनों मम्मे इतनी ज़ोर से अपने हाथों में पकड़े के मेरी उँगलियाँ उसके मम्मों में गड़ गई। पूरी तरह से उस के मम्मे निचोड़ कर मैंने कहा- तेरी माँ का नाम क्या है?
वो बोली- सगीरन!
मैंने कहा- देख सगीरन, आज तेरी बूढ़ी चूत को फाड़ दूँगा, तूने भी बहुत बरसों से कोई लंड नहीं खाया हो, ले माँ की लौड़ी, ले अपनी बेटी के यार का लंड खा, साली रंडी।
तो वो बोली- आह, मज़ा आ गया, और गाली दो, सबको गाली दो।

मैंने उसके मम्मों के निप्पल अपनी उंगली और अंगूठे से बुरी तरह मसले और बोला- साली गश्ती की औलाद, तेरी माँ को चोदूँ, आज मुझे तेरी बेटियाँ चाहिए, दोनों की दोनों, बता उन हराम की जनीयों के नाम क्या हैं?
वो बोली- बड़ी का जूली, और छोटी का रोमा।

मैंने उसके होंटों को अपने मुंह में लेकर चूसा और उसका नीचे वाला होंठ काट भी लिया, वो तड़पी।
मैंने कहा- आह, जूली मेरी जाने जाना, तू जानती है असल में मैं ही तेरा बाप हूँ। मैंने ही तेरी अम्मी को चोद कर अपना बीज उसके अंदर डाला तो तू पैदा हुई। और आज मैं अपनी ही बेटी जूली को चोद रहा हूँ। आह… मेरी रानी बेटी, मज़ा आ गया, तेरी टाइट चूत मार कर। क्या मस्त माल पैदा किया है तेरी माँ ने! जानती है, मैं तेरी माँ को भी चोद चुका हूँ, तेरी नानी को, मासी को मामी को। और आज तुझे भी चोद दिया मेरी जान।

माशी बोली- आह… आजा आ गया मेरे यार, क्या कमीने इंसान हो। और बको, और गंद बोलो मेरे लिए।
मैंने कहा- आजा मेरी जान रोमा, तेरी कुँवारी चूत का भी आज मैं भोग लगाऊँगा। तुझे बच्ची से औरत और एक कली से फूल बना दूँगा। बस एक तू ही बची थी, तुझे चोद कर आज मैंने तेरे खानदान की सभी औरतों को चोद दिया। दर्द तो नहीं हो रहा मेरी जान्म बेटी, कहीं राशिद अंकल के मोटे लंड ने तेरी छोटी सी चूत को फाड़ दिया हो।
माशी बोली- हाँ पापा … आपके मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत फट गई, देखो खून निकल रहा है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है पापा, निकाल लो प्लीज़।
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, अब तो ये सुन्नती लौड़ा तुझे पेट से करके ही बाहर निकलेगा।

फिर मैंने माशी को काफी बेदर्दी से चोदा, मगर वो भी बहुत सब्र वाली औरत थी, मेरे हर ज़ुल्म को बर्दाश्त कर रही थी। मैंने उसको उल्टा लेटाया, और उसके दोनों चूतड़ खोल कर हल्का सा थूक लगाया और अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया। बेशक मुझे भी दर्द हुआ, तो आप अंदाज़ा लगाइए उसे कितना दर्द हुआ होगा। उसके मुंह से दर्द की सिसकारियाँ फूट पड़ी। अभी तक जो ज़ब्त कर रही थी, अब वो रो पड़ी। अब जब गांड फटती है तो अच्छे अच्छे रो देते हैं।

मैंने उसके सर के बाल पकड़ कर खींचे और फिर उस से पूछा- क्यों मज़ा आया मेरी जान?
वो बोली- दिल फिदा हो गया यार तेरे पर! पहली बार कोई मर्द मिला है जो औरत की मारना जानता है। बस अब रुकना नहीं, जब तक चाहो मुझे पेलो। आज से मैं तुम्हारी गुलाम। अगर बीच सड़क पर भी कहोगे न तो वहाँ भी चुदवा लूँगी। मगर मुझपे कोई रहम न करना।

मैंने तो सच कहूँ … उस औरत पर कहर ही ढा दिया। ज़ोर लगा लगा कर अपना लंड उसकी गांड में डाला, उसके जिस्म पर जहा कहीं भी चर्बी थी, अपने हाथों से नोच नोच कर उसे दर्द दिया। वो रोती रही, तड़पती रही। मगर साली ने एक बार भी मना नहीं किया। मैं उसकी गांड पेलता रहा।

कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसकी गांड से अपना लंड निकाला और सीधा उसके मुंह में डाल दिया- चूस इसे साली कुतिया की औलाद। तेरी माँ का छोला (चूत का दाना, भग्नासा) फोड़ूँ। साली रांड। चूस अपने बेटी के यार का लौड़ा।
और माशी किसी गुलाम की तरह मेरे कदमों में बैठी मेरा लंड चूसने लगी।

कुछ देर चुसवाया मैंने लौड़ा। दरअसल मैं तो उसकी टाइट गांड चोद कर खुद ही थक गया, और मेरा लंड भी दुखने लगा था तो मैं तो अपने लंड को आराम देने के लिए उसके मुंह में दिया था।
उसने बड़े प्यार से मेरा लंड चूसा। मुझे मज़ा भी आया और आराम भी।

फिर मैंने अपना पैर उसके सीने पर रखा और उसे लात मार कर नीचे गिरा दिया। मैंने फिर उसके ऊपर चढ़ गया, उसने अपनी टांगें फैला कर मेरा स्वागत किया।
मैंने उसकी फुद्दी पर लंड रखा और अंदर डाला। उसके बाद फिर से उसकी चुदाई शुरू हुई। इस बार मैंने उसको चोदा तो आराम से, मगर अपने हाथों से उसके बदन को बहुत नोचा। उसके मम्मों को बार बार ज़ोर से काटा। सारे मम्मों पर मेरे दाँतो के और उँगलियों के निशान पड़ गए थे।

आधे घंटे से ऊपर हो गया था उसको चोदते हुये। मेरी भी सांस फूलने लगी थी, मैंने सोचा उस से पूछ ही लूँ … मैंने कहा- कितनी बार हुआ तेरा?
वो बोली- दो बार हो चुका है।
मैंने कहा- साली छिनाल की बच्ची और कितनी बार पानी छोड़ेगी?
वो बोली- बस अब तो मेरी बस हो गई है। अब तो बस तुम ही अपना पानी गिरा दो।
मैंने कहा- मैं तो तेरी चूत के अंदर ही पानी गिराऊँगा।
वो बोली- आप मालिक हो, जहां चाहो पानी गिरा दो।

फिर मेरे मन में आया- और अगर तेरे मुंह में गिराऊँ?
वो बोली- मैं पी लूँगी स्वामी।
मैंने तो बस रेल बना दी, जल्दी जल्दी उसे चोदा और जब मेरा लंड पिचकारी मारने को हुआ तो मैंने एकदम से अपना लंड उसके मुंह के पास किया, जो पहली धार निकली मेरे लंड से, वो उसके चेहरे से होती हुई उसके सर पे जाकर गिरी और उसकी मांग मेरे माल से भर गई।

उसके बाद उसके चेहरे पर और भी धारें मार मार कर मैंने उसका सारा मुंह भिगो दिया। वो आँखें बंद किये मेरे गर्म वीर्य को अपने चेहरे पर ले रही थी। माल गिरा कर मैंने फिर से अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया।
बाद में जो थोड़ा बहुत माल गिरा, वो उसके मुंह में गिरा, जिसे वो पी गई।

मैं भी उसके साथ ही लेट गया। उसके चेहरे बेहद सुकून था, एक खुशी थी।
मैंने पूछा- मज़ा आया?
वो बोली- ज़िंदगी में पहली बार ऐसा मज़ा आया है।

मैंने पूछा- और क्या कर सकती है मेरे लिए?
वो बोली- आप हुकुम करो मेरे सरकार … मेरे सरताज!
मैंने कहा- मुझे मूत आ रहा है, पिएगी?
वो बोली- क्यों नहीं।

मैं उसे बालों से पकड़ कर घसीटता हुआ बाथरूम में ले गया और वहाँ लेजा कर उसे फर्श पर पटक दिया। और फिर उसके ऊपर खड़ा हो गया, अपने लंड को हाथ में पकड़ा।
वो बोली- हाथ में मत पकड़ो मेरे राजा, खुला छोड़ दो इसे, जहां धार गिरती है गिरने दो।

और जब मैंने मूता तो मूत की धार मेरे लंड से निकाल कर उसके सीने पर, पेट पर, मुंह पर हर जगह गिरी।
मैंने उसे कहा- मुंह खोल!
उसने मुंह खोला तो मैं नीचे को झुका और अपने मूत की धार सीधे उसके मुंह में गिराई और वो पीने लगी। मेरा कितना सारा मूत वो पी गई।

मैंने अपना लंड हिला कर उसका सारा चेहरा अपने मूत से धो दिया। उसके बाद मैंने शावर चलाया और नहा कर फ्रेश हो गया। और फिर बाहर आकर अपने कमरे में गया, अब घर में कोई था नहीं तो घर में नंगे घूमने में किसी को क्या दिक्कत थी।
अपने नए कपड़े पहन कर मैं दुकान पर आ गया।

काफी देर बाद वो अंदर से तैयार होकर बाहर आई। वो आ कर मेरे सामने बैठ गई, बोली- तो मास्टरजी मेरे कपड़े कब तैयार होंगे?
मैंने कहा- कपड़े तो मैं तैयार कर दूँगा, रानी बस तू मुझसे मिलती रहना। मेरी बीवी चार दिन बाद आएगी। और चारों दिन तू आती रहना।
वो बोली- और चार दिन बाद?
मैंने कहा- वो भी देख लेंगे, बना लेंगे कोई जुगाड़।
वो बोली, किसी जुगाड़ की कोई ज़रूरत नहीं है। सुबह 9 बजे से लेकर 3 बजे तक मैं घर में अकेली होती हूँ, बाद में मेरे घर में ही मिला करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।

वो उठ कर जाने लगी तो बोली- जाने से पहले एक पप्पी तो दे दे यार!
मैं मुस्कुरा दिया।
वो पास आई, मैंने झुक कर उसके होंठों को चूमा, तो उसने भी मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ कर खींच दिया।

हम दोनों हंस दिये और वो चली गई।

उसके बाद अब 2 साल होने को आए, माशी अपने घर 4 और औरतों को मुझसे चुदवा चुकी है, और खुद तो वो हमेशा हाजिर है ही।

अब मेरी इच्छा है उसकी बेटियों को चोदने की, और अपनी इच्छा मैं उसे बात अभी चुका हूँ।
वो बोलती है- देखो, अपनी बेटी को मैं तुमसे सेक्स के लिए तो कह नहीं सकती। हाँ अगर तुम उन्हें किसी तरह से पटा सकते हो तो तुम्हारी किस्मत। मगर मेरी बेटियों के लिए सारी हिम्मत तुम्हें खुद ही करनी होगी।

अब मैं जुगाड़ कर रहा हूँ उसकी बड़ी बेटी जूली को पटाने का। वो मेरी दूकान पर कपड़े बनवाने आने लगी है. जिस दिन पट गई, आपके के लिए एक और कहानी पेश करूंगा।
शुक्रिया।
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