लेडीज़ टेलर की रंडी-1

दोस्तो, मेरा नाम राशिद खान है और मैं 52 साल का हट्टा कट्टा पठान मर्द, मुज्जफरपुर में रहता हूँ। कद है 5 फीट 10 इंच रंग सांवला, चौड़ा सीना और भरपूर बदन का मालिक हूँ, अब दुकानदार बंदा हूँ, तो सारा दिन दुकान पर बैठ बैठ कर तोंद निकल आई है, वरना जवानी में तो मेरा जिस्म देखने लायक था।

बस जब से जवानी ने अपना असर मुझ पर दिखाना शुरू किया, तब से ही मैं एक औरतखोर मर्द बन गया। यह बात अलग है कि मुझे औरतखोर बनाने में मेरी चाची रज़िया का सबसे बड़ा हाथ है। उसने ही मेरे कुँवारे लंड के मुंह को चूत का स्वाद लगाया।

खैर उस छिनाल चाची की पोर्न कहानी मैं बाद में आपको सुनाऊँगा, मगर आज जो बात मैं आपसे कहने जा रहा हूँ, पहले आप वो बात सुनो।
मेरी लेडीज़ समान की दुकान है, बीवी का साथ में बूटीक भी है, कपड़े सिलने, लिपस्टिक बिंदी, पाउडर क्रीम, गहने, ब्रा पेंटी, ये सब मेरी दुकान में बिकता है। मैं भी अपनी पत्नी के साथ ही लेडीज़ कपड़े सिलता हूँ। अब पता नहीं क्यों मगर लेडीज़ को लगता है कि जो मर्द टेलर होते हैं, वो औरतों के कपड़े बढ़िया सिलते हैं। इसलिए अक्सर वो मुझे ही नाप लेने के लिए बुलाती हैं।

चलो इसी बहाने मैं भी कभी कभार उनके नजदीक होने का, उनके खूबसूरत जिस्मों को छूने का स्वाद ले लेता हूँ। वैसे तो मैं इस बात का खास खयाल रखता हूँ कि नाप लेते वक्त मैं किसी भी औरत या लड़की को न छुऊँ, मगर कुछ तो आती ही इतनी प्यासी हैं कि अगर उनके मम्मे या गांड पर अगर हाथ न लगाओ तो साली सही से नाप भी नहीं देती।

मेरी बीवी भी ये बात जानती है, वो सब देखती है, मगर उसे पता है कि उसका खाविंद सही है तो वो कुछ नहीं बोलती, बल्कि दो चार कस्टमर तो मेरी ऐसी हैं कि सिर्फ मुझसे ही नाप दिलवाती हैं। उनको आता देख मेरी बीवी बोलेगी- लो आ गई, आपकी आशिक।
मैं भी मुस्कुरा कर रह जाता हूँ। मुझे पता है कि वो जब भी अपना सूट सिलवायेंगी, या ब्लाउज़ सिलवायेंगी, तो सबसे पहले अपना दामन अपने सीने से हटा कर फिर नाप देंगी। भरे हुये गोल, गोरे, साँवले गंदमी रंग के मम्मे, और उनके कमीज़ और ब्लाउज़ के गहरे गालों से बाहर झाँकते उनके बड़े बड़े क्लीवेज। जिन्हें मेरे सामने दिखाने में वो कोई शर्म महसूस नहीं करती। बल्कि बड़े आराम से हाथ फैला कर खड़ी हो जाती हैं, जैसे कह रही हों- मास्टरजी, नाप तो ले लेना पहले दबा कर तो देखो, कितने नर्म मम्मे हैं मेरे!

अब जब सब काम ही लेडीज़ का है तो लेडीज़ और लड़कियां तो आती ही रहती हैं दुकान में। कभी किसी का नाप लो और कभी किसी को ब्रा पेंटी सुर्खी बिंदी दो। और इसी चक्कर में मेरे से बहुत सी औरतें पट भी जाती हैं। सबसे बड़ी हैरानी मुझे तब हुई थी, जब हमारी पड़ोसन की नातिन के मैंने मम्मे दबाये और वो लड़की ऐसी बेबाकी से अपने मम्मे दबवा रही थी, जैसे उसे या तो अपने अंकल से मम्मे दबवाने में मज़ा आ रहा हो, या इस बात का कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो कि उसके दोनों मम्मे एक अंजान आदमी ने अपने हाथ में पकड़ रखे हैं और वो दबा दबा कर सहला कर मज़े ले रहा है।
खैर यह कहानी भी फिर कभी … अभी मुद्दे पर आते हैं।

एक बार मेरी दुकान पर एक मैडम आई, उसे किसी ने मेरे बारे में बताया होगा। वो आई और उसने मुझे एक पंजाबी सूट और एक ब्लाउज़ पेटीकोट सिलने के लिया दिया। हल्के गंदमी से रंग की शक्ल से साधारण सी सुंदर, ढेर सारा मेकअप और भरे हुये बदन वाली कोई 45 साल की औरत थी। उसने खुद मुझे उसका नाप लेने को कहा। मैंने जब उसके सूट का नाप ले लिया तो फिर ब्लाउज़ के नाप लेने के लिए उसने अलग से कहा।

मैंने फीता उठाया तो उसने कहा- देखो मास्टरजी, एक तो ब्लाउज़ स्लीवलेस हो, दूसरा पीछे से बैकलेस हो और सामने से कम से कम 9 इंच गहरा हो।

अब 9 इंच तो बहुत गहरा होता है। आम तौर पर 5-6 इंच के गले से भी भरी बदन की औरतों के क्लीवेज दिख जाते हैं। मैंने पूछा- मैडम 9 इंच ज़्यादा नहीं हो जाएगा?
उसने अपनी साड़ी का पल्ला अपने सीने से हटाया। वैसे तो उसकी आँचल से भी उसके ब्लाउज़ के गहरे गले से झाँकते उसने मम्मे दिख रहे थे, मगर अब जब उसने अपना दामन ही हटा दिया, तो उसके ब्लाउज़ से उसके आधे मम्मे तो बाहर निकले पड़े थे गोल, भरपूर गोरे मम्मे।

एक बार तो सलवार में मेरा लौड़ा भी टनटना गया। ऐसा नहीं है कि मैंने पहले अपनी कस्टमर के मम्मे नहीं देखे थे, मगर ये तो बहुत ही बड़ा गला था।
मुझे अपने मम्मे घूरते देख वो बोली- ये देख लो मास्टरजी इतना बड़ा गला चाहिए मुझे।
मैंने अपनी बीवी की तरफ देखा, उसने मुस्कुरा कर अपनी भवें मटका दी कि ‘ले लो नाप!’

फीते से मैंने उसके ब्लाउज़ का गला नापा, कंधे से लेकर नीचे तक पूरा 9 इंच का गला था, ज़रूरत से काफी बड़ा। खैर मैंने नाप लेकर कपड़ा ले लिया और वो चली गई। मगर मुझे लगा कि वो औरत सिर्फ नाप देने नहीं आई, उसकी आँखों में कुछ और ही बात थी।

कपड़े बन गए, उसने पहने उसे बहुत पसंद आए, उसके बाद तो उसका अक्सर आना जाना लगा ही रहता, कभी कपड़े सिलवाने के लिए तो कभी किसी और चीज़ के लिए। फिर तो वो अपने लिए ब्रा पेंटी भी मेरी ही दुकान से लेने लगी।

अब हर दूसरे चौथे दिन उससे मुलाक़ात होती तो मुझे भी उसका इंतज़ार रहता, उससे बात करके मुझे बड़ा सुकून मिलता। उसका नाम था माशी … देखने में वो बहुत ज़्यादा सुंदर तो नहीं है, मगर बिंदास बहुत है, बहुत ही खुली। अच्छा मुझे मज़ा आता जब वो अपना नाप देती, हर बार वो अपना नाप देती, बेशक मेरे पास उसका नाप लिखा हुआ था। और नाप लेते वक्त मैं कभी कभार उसे छू लिया करता। मगर अब तक बात यहीं तक सीमित थी।

एक बार की बात है, मेरी बीवी अपने मायके गई हुई थी तो वो पीछे से आ गई।
उसने पूछा- अरे मास्टरजी आज अकेले? आपकी बेगम साहिबा कहाँ गई?
तो मैंने कह दिया- जी मायके गई है, चार रोज़ बाद आएगी।
उस दिन कोई खास बात नहीं हुई और वो थोड़ा सा समान लेकर चली गई।

अगले दिन दोपहर के बाद वो आई। मैं अपनी दुकान में बैठा किसी के कपड़े सिल रहा था।
वो आई और दुआ सलाम के बाद बोली- मास्टरजी, आज मैं आपके पास एक खास काम से आई हूँ।
मैंने कहा- जी फरमाइए?
वो बोली- मेरी बड़ी बहन अहमदाबाद में रहती है, और उसका भी एक खास दर्जी है, जिस से वो अपने सारे कपड़े सिलवाती है। उसके कपड़े की फिटिंग ही इतनी ज़बरदस्त होती है कि ऐसे लगता है, जैसे उसके बदन पर कपड़े चिपका दिये गए हों। मगर फिर भी वो बड़े ही आराम से पहने और उतर जाते हैं।
इसका राज़ उसने मुझे ये बताया कि वो अपने अंडरशर्ट और ब्रा तक अपने दर्जी से ही सिलवाती है। इसलिए मैं आपसे पूछने आई हूँ कि क्या यह बात सच है, ऐसा हो सकता है कि आप मेरे अंदर बाहर के सारे कपड़े खुद सिल कर दें।

मैं समझ गया कि साली आज ये नंगी होकर दिखायेगी।
मैंने कहा- जी बिल्कुल सही है। वैसे तो हम ब्रा पेंटी भी सिलते हैं, और रेडीमेड भी लाकर बेचते हैं। मगर मेरे पास बहुत कम, कुछ खास ही ग्राहक हैं, जो हमसे ब्रा पेंटी भी सिलवाती हैं.।
वो खुश हो गई और बोली- मैं देख सकती हूँ?

मैंने उसे कुछ अपने सिले हुये ब्रा पेंटी लाकर दिखाये। उसने देखे और उसे पसंद आए।
वो बोली- तो क्या आप मेरे लिए भी सिल देंगे?
मैंने कहा- जी जरूर, आपके लिए भी सिल देंगे। मगर इस में थोड़ी दिक्कत है। हो सकता है आपको नागवार गुजरे!
वो बोली- क्या दिक्कत है?
मैंने कहा- देखिये अब ऊपर के कपड़े सिलने के लिए तो ऊपर से नाप ले लिए जाता है, मगर अंदर के कपड़े सिलने के लिए आपके जिस्म की पैमाइश लेनी होगी, और उसके लिए आपको सभी कपड़े उतारने पड़ेंगे।
वो बोली- कहते हैं कि अपने डाक्टर और दर्जी से कभी कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए। मुझे कोई ऐतराज नहीं, आप जैसे चाहे मेरा नाप ले सकते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, जब आप तैयार हों, मैं नाप ले लूँगा।
वो बोली- तो देर किस बात की, आप अभी नाप ले सकते हैं।

मैंने कहा- तो उसके लिए आपको अंदर आना पड़ेगा, दुकान में तो कोई न कोई आता जाता रहता है।
वो बोली- तो चलिये।
मैंने फीता उठाकर अपने गले डाला, अपनी डायरी और पेन लिया और दुकान के पीछे अपने घर के अंदर चला गया।

अंदर कौन सा कोई था। मैं उसे एक कमरे में ले गया, जिसमे एक बड़ा सा आईना लगा था। वहाँ जाकर मैंने कमरे का दरवाजा बंद करके कुंडी लगा दी और उसे कहा- जी तो शुरू करें?
मेरे देखते ही देखते उसने अपनी साड़ी उतार दी, फिर ब्लाउज़ खोला, अपना पेटीकोट खोला और फिर ब्रा और पेंटी भी उतार दी।
एक मिनट में वो औरत मेरे सामने नंगी हो गई।
अच्छे भरे हुये मम्मे, गोल भरी हुई गांड … मोटी मोटी जांघें … सलवार के अंदर मेरा लंड भी गनगना गया।

एक बार तो मुझे झुरझुरी सी आई मगर मैंने पूछा- तो पहले ब्रा का नाप लें?
वो बोली- हाँ।

मैंने उसके एक निप्पल से दूसरे निप्पल के बीच की दूरी, बगल से निप्पल तक, एक बगल से दूसरी बगल तक, कंधे से निप्पल तक, निप्पल से लेकर नीचे तक, हर तरह से उसके मम्मों का पूरा नाप नोट किया और नाप लेते वक्त मैंने भी बड़ी बेतकल्लुफ़ी से उसके मम्मों को छूआ।
मैं ऐसे ज़ाहिर कर रहा था जैसे मेरे लिए उसके मम्मों को छूना बड़ी आम सी बात हो, मगर मैंने यह बात जान ली थी कि उसके मम्मों को छूने से ही वो गर्म हो रही थी, उसकी आँखों में एक अजब ही नशा, एक चमक सी थी।

ब्रा का नाप लेने के बाद मैं नीचे बैठ गया और उसकी शेव की हुई फुद्दी के सामने बैठ कर मैंने पूछा- पेंटी कैसे चाहिए?
वो बोली- कम से कम कपड़े में बनाना, मगर ऐसी हो कि पहनी का किसी को पता नहीं चलना चाहिए। आजकल मैंने बहुत देखा है, लड़कियां पेंटी पहनती तो हैं,मगर उनकी पेंटी लाइन उनकी पेंट या स्कर्ट में से साफ साफ दिखती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। बल्कि मैं तो चाहती हूँ कि पेंटी में सिर्फ आगे ही थोड़ा सा कपड़ा हो, बाकी पीछे से चूतड़ों पर तो कुछ भी न हो।
मैंने कहा- तो आपको सेक्सी लांजरी चाहिए।
वो बोली- हाँ यही समझ लो।

अब इसके लिए मैंने उसकी कमर, चूतड़ और जांघ का नाप ले लिया। मगर आगे सिर्फ थोड़ा सा कपड़ा लगाने को कहा था तो उसकी फुद्दी के होंठों की दरार का नाप लेना था।
मैंने उसे कहा- आप ज़रा अपनी टाँगें खोलेंगी?

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