कली हुई फूल बनने को बेताब-2

सभी दोस्तो को मेरा प्यार भरा नमस्कार!

मैं आपकी पूजा अपनी पिछली कहानी कली हुई फूल बनने को बेताब-1 का अगला भाग लेकर!

रवि अंकल के चुम्बन करने से साफ़ साफ़ उनके सेक्स करने के तजुर्बे का पता चल रहा था। वे कोई जल्दबाजी नहीं कर रहे थे, खुद भी मजा ले रहे थे और मुझे भी पूरा मजा दे रहे थे।

काफी देर तक मेरे दोनों दूध से खेलने के बाद उन्होंने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी उनका विशाल चौड़ा सीना और उस पे धुधराले बाल मुझे काफी पसंद आये। मुझे क्या हर लड़की को चौड़ी छाती वाला मर्द पसंद होता है।

उन्होंने मुझे अपने सीने की तरफ खींचा और मुझे अपने सीने से चिपका लिया। सर्दी के मौसम में दो गर्म जिस्म का ऐसा चिपकना काफी सुखद अहसास होता है।

अब तो वो मेरे पूरे बदन को अपने हाथों से सहलाने लगे और चुम्बन की झड़ी लगा दी।

धीरे से उन्होंने भी अपनी पैंट उतार दी. हम दोनों अब बस चड्डी में ही थे. उनका लंड मेरी जांघों पर तो कभी बुर पर ठोकर मार रहा था।
मैं तिरछी नज़र से उनके लंड को देखने की कोशिश कर रही थी, चड्डी के अन्दर से ही वो काफी विशाल लग रहा था।

मैंने आज तक बस वीडियो में ही लंड देखा था, आज पहली बार अपनी आँखों से देखने वाली थी।

वो बहुत तेज़ी से मुझे चूमने लगे, मेरे पूरे नंगे बदन पे उनका हर चुम्बन तीर जैसा लग रहा था।

उन्होंने बहुत प्यार से पूछा- पूजा तुम कितने किलो की हो?
“जी 38 किलो की … क्यों?”
“जानती हो मैं कितने का हूँ? 85 किलो का!”
“उफ्फ बाप रे …”
“चिंता मत करो, तुमको दबा नहीं दूँगा। इतने प्यार से चोदूँगा कि तुम मस्त हो जाओगी.”

“छीईईई ईईई!”
“क्या छीईईई?”
“कितनी गन्दी बात बोलते हैं आप?”
“क्यों … चुदाई करना गन्दी बात है क्या?”
“पता नहीं?”

वो मुस्कुराते हुए बोले- शर्माओ मत, खुल कर बात करो. इससे चुदाई का मजा दुगना हो जाता है। अभी तो शुरुआत है, आज रात भर में तुम भी खुल जाओगी.
“क्या रात भर करोगे?”
“तो क्या … आज रात न मैं सोऊँगा, न तुमको सोने दूँगा. आज तेरे इस बदन को चाट चाट के चुदाई करूँगा। आज तेरी पहली चुदाई है मेरी रानी … इसको तू हमेशा याद रखेगी कि कोई अंकल मिले थे जिसने तेरी बुर की सील तोड़ी थी।”

“दर्द भी होगा न?”
“हां होगा तो … मगर बस एक बार! उसके बाद तो तू जिंदगी के मजे लेने लगेगी. बस एक बार किसी तरह से दर्द सह लेना … बोल सहेगी न दर्द?”
“हां … बस आप आराम से करना।”
“अरे तू उसकी चिंता मत कर जान … तुझे तो प्यार से ही चोदना पड़ेगा, अभी तो तू फूल की कली है। बस मेरा साथ देती जाना … तुझे चुदाई का वो मजा दूँगा कि हमेशा याद करेगी मुझे!”

“बस अंकल … आप किसी को ये बात मत बताना!”
“अरे पागल है क्या? जो ये बात बताऊँगा किसी को? बस हम दोनों तक ही रहेगी ये बात … और जब भी तू कहेगी, मैं आ जाया करूँगा तेरी चुदाई करने!”
ऐसा कहते हुए मुझे अंकल ने अपनी गोद में उठा लिया और बोले- चल अब तैयार हो जा, अब रुका नहीं जाता तुझे देख कर!

उन्होंने मुझे पलंग पर प्यार से लेटा दिया और एक बार हाथ से पूरे जिस्म को सहलाते हुए कहा- सच में यार, माल है तू! आज का दिन याद रहेगा मुझे भी हमेशा!

मेरी बगल में खुद भी लेटते हुए मुझे अंकल ने अपनी आगोश में ले लिया और मेरे होंठों पे जोरदार चुम्बन करने लगे. मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. उनका एक हाथ मेरे दूध को सहला रहा था और दूसरा हाथ मेरी जाँघों को!

धीरे धीरे वो मेरे ऊपर आ गए और उनके सीने से मेरे दोनों दूध दब गए. उनका लंड चड्डी के अन्दर से ही मेरी बुर को सहला रहा था. उनके वजन से मैं दबी जा रही थी. मेरा जिस्म उनके इस वजन के लायक था भी नहीं!

अब वो धीरे धीरे नीचे की तरफ जाने लगे और मेरी पतली कमर पे अपने गर्म होंठों से चूमने लगे. मेरी नाभि को अपने जीभ से कुरेदने लगे.
मुझे तो अब बहुत ही मजा आ रहा था.

ऐसा करते हुए वो मेरी चड्डी तक पहुँच गए और ऊपर से ही मेरी बुर पे एक चुम्बन किया. मुझे कुछ शर्म आ रही थी और मैंने हाथों से बुर को छुपाने की कोशिश की पर उन्होंने मेरे हाथ को हटा दिया और मेरी चड्डी की इलास्टिक पकड़ के धीरे धीरे नीचे सरकाने लगे.

कुछ ही पल में मेरी छोटी सी फूली हुई बुर उनके सामने थी. वो बोले- वाआआआह … जन्नत है.
मैं तो शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी.

वो अपने एक हाथ से मेरी गुलाबी बुर को सहलाते हुए बोले- क्या मस्त बुर की मालकिन हो तुम! मैं तो बहुत किस्मत वाला हूँ जो ये मुझे मिल रही है।

उन्होंने मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और मेरी बुर की गुलाबी पंखुड़ियां फ़ैल कर उनका स्वागत करने लगी।
अपनी एक उगली से बुर के छोटे से छेद को छूते हुए बोले- बाप रे … पता नहीं तुम सह पाओगी या नहीं! पर तुम चिंता मत करो, सब हो जायेगा।
और अपना सर मेरी बुर पर झुका दिया.

अंकल ने अपनी जीभ को जैसे ही मेरी बुर पर रखा, मेरे मुँह से आअह्ह निकल गई. वे बहुत प्यार से वो मेरी बुर को चाटने लगे।
मेरी आँखें अपने आप बंद होती चली गई, मुझे पहली बार स्वर्ग सा आनन्द प्राप्त हो रहा था। मेरे मुँह से अपने आप ‘सी सी’ की आवाज निकलने लगी, मेरी पूरी बुर चिपचिपे पानी से सराबोर हो गई. उनके बुर चाटने से ही मुझे ऐसा लग रहा था कि उनको चुदाई का कितना तजुर्बा है।

मुश्किल से दो मिनट में ही मेरी बुर ने पहली बार पानी छोड़ दिया।

वो फिर भी नहीं रुके और लगातार बुर की चुसाई चालू रखी।

मुझसे तो बर्दाश्त ही नहीं हो पा रहा था, मैं अपने पूरे शरीर को बिस्तर पर यहाँ से वहाँ पटक रही थी.

कुछ ही पल में मैं फिर से गर्म हो चुकी थी।

अब उन्होंने मेरी बुर को छोड़ दिया और अपनी चड्डी को उतारने लगे. जैसे ही उनकी चड्डी निकली, उनका काला मोटा लंड मेरी तरफ होकर मुझे सलामी देने लगा. उसे देख कर तो मेरी सांस ही रुक गई जैसे … उसका गुलाबी रंग का मोटा सा सुपारा मेरी आँखों में झूलने लगा।

अब पहली बार मुझे डर लगा, मैं सोचने लगी कि कहीं मैंने गलत कदम तो नहीं ले लिया।
उनका लंड तो मेरी सोच से भी कही लम्बा और मोटा था।
मैं ऐसा सोच ही रही थी कि तब तक वो मेरे ऊपर आ गए। मेरी तो अब जैसे आवाज ही बंद हो चुकी थी। उनका गर्म लोहे जैसा लंड मेरी बिनचुदी बुर को सहला रहा था।

वो आकर मेरे होंठों को चूमते हुए बोले- तैयार हो न जान?
“नहीं!”
“क्यों?”
“इतना मोटा कैसे जायेगा?”
“सब चला जाता है … तुम बस डरो नहीं। मैं हूँ न … चिंता मत करो।”

वो उठे और मेरी कुंवारी बुर के पास बैठ गए और लंड के सुपारे को मेरी बुर पर ऊपर नीचे रगड़ने लगे. बुर पे थोड़ा सा थूक लगाया और फिर अच्छे से बुर में ऊपर नीचे करने लगे।
मेर भी आहें फिर से निकलने लगी- आह्ह ओओह ऊउह्ह्ह

अब फिर वो मेरे ऊपर आ गए और मुझे अपनी बांहों में भर लिया. मेरे गालों को जोर जोर से चूमने लगे, अपने सीने से मेरे दूध को दबाने लगे.
फिर एक हाथ से अपने लंड को मेरी अनचुदी बुर पर सेट किया और मुझे कसके जकड़ लिया और धीरे धीरे बुर में लंड का दबाव बढ़ाने लगे.

पर लंड अन्दर घुस ही नहीं रहा था। और फिर छिटक के पेट की तरफ चला गया।
उन्होंने कई बार कोशिश की पर लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था. उनका सुपारा इतना बड़ा था कि छेद में घुस नहीं पा रहा था.

अंकल ने मेरी तरफ देखा और बोले- थोड़ा दर्द सह लोगी?
“नहीं नहीं … रहने दो नहीं जा रहा तो!”
“ऐसी बात नहीं … बस एक बार चला गया तो सब ठीक हो जायेगा।”
“नहीं … आपका बहुत मोटा है, नहीं जायेगा। मैं मर जाऊँगी … रहने दो, बाद में कर लेना।”

मेरे ऐसा कहने पर वो कुछ देर रुके और कुछ सोचने के बाद अपने बैग में से तेल की शीशी ले आये और बोले- बस एक बार और कोशिश करते हैं.
लंड में और बुर में खूब तेल लगा कर उन्होंने मुझे अपनी बांहों से जकड़ लिया और एक हाथ से बुर पर लंड सेट कर के अपने दोनों पैरों से मेरी जाँघों को दबा लिया.

“अब तैयार रहना तुम!” ऐसा बोल के अपने मुँह से मेरे मुँह को बंद कर लिया.
मैं समझ गई थी कि ये अब जरूर लंड पेल देंगे. मैंने अपनी आँखों को जोर से बंद कर लिया.

और उतने में ही उन्होंने जोरदार धक्का लगा दिया. मेरे पूरे बदन में दर्द की तेज़ लहर उठी. मैं उनसे छूटना चाह रही थी मगर हिल भी नहीं पा रही थी।
उनका आधा लंड मेरी बुर को चीरता हुआ अन्दर घुस गया था।

मेरी आँखों से आंसुओं की धारा बह निकली. मैं अपने नाख़ून उनकी पीठ पे गड़ा चुकी थी.

इतने में ही दूसरा धक्का भी लग गया और लंड बुर को फाडता हुआ पूरा अन्दर तक चला गया.
दर्द के मारे मेरा तो बुरा हाल हो चुका था। मेरी आँखों में अन्धेरा छा गया। ऐसा लग रहा था कि मैं होश में ही नहीं हूँ।

काफी देर तक वो मेरे ऊपर ही लेटे रहे, बीच बीच में थोड़ी थोड़ी लंड अन्दर बाहर कर लेते.
अब मुझे कुछ कुछ राहत मिली और दर्द कम हुआ. अब अंकल ने भी समझ लिया कि मेरा दर्द कम हो गया है तो वे लंड को मेरी कसी चूत के अन्दर बाहर करने लगे.
मेरी अभी भी आह्ह्ह् निकल जा रही थी मगर दर्द कम था।

उनकी पकड़ भी कम हो चुकी थी और कमर की रफ़्तार तेज़!
मुझे भी अब सुखद अहसास हो रहा था, मेरी आहें अब तेज़ हो रही थी.

उन्होंने पूछा- अब ठीक हो न?
“हाँ ठीक हूँ!”
“तो फिर चुदाई शुरू करूँ?”
मैंने शरमाते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया.

वो मेरी इजाजत पा चुके थे।

अब उन्होंने मेरी दोनों हाथ से मेरी गांड को पकड़ के थोड़ा ऊपर उठाया और तेज़ी से धक्के देना शुरू कर दिए.
“ऊऊ ऊऊईई माँआआ आऊउच उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओओओ ओह मम्मीईई आआआ नहीईई रुकोओओ आआअह्ह”
बस मैं यही बोले जा रही थी और मेरी चुदाई होती जा रही थी. दर्द भी था … मजा भी था … बहुत अज़ीब सा अनुभव था वो!

उनका मोटा लंड दनादन अन्दर बाहर हो रहा था। मेरी बुर से बहुत गन्दी सी आवाज आ रही थी. पूरा पलंग जोर जोर से हिल रहा था. हर धक्का बुर में तेज़ आवाज के साथ पड़ रहा था.

वो अपने होंठ मेरे होंठ तक लाकर मेरी गर्म सांस को महसूस कर रहे थे. अब तो अपने आप मेरी कमर चलना शुरू हो गई. मुझे बहुत शर्म आई कि पता नहीं वो क्या सोचेंगे.
पर मुझे भी अब चुदाई का मजा मिल रहा था. मेरी नई नई जवानी आज लुट चुकी थी. वो भी मेरी इस जवानी का भरपूर आनंद ले रहे थे.

कुछ ही पल में मेरा पूरा गोरा बदन लाल हो चुका था. वो किसी चुदाई मशीन की तरह मेरी चुदाई कर रहे थे.

अब तो उनके धक्के बर्दाश्त नहीं हो रहे थे तो मैं बोल पड़ी- बस धीरे करो।
“नहीं जान … अभी तो मजा आ रहा है!”

पता नहीं मेरी बुर का आज क्या होने वाला था?

कुछ ही देर में मेरी बुर की तेज़ गर्म धार फूट पड़ी, मैं तेज़ आअह आआअह आआआ अह करती हुई उनके सीने से चिपक गई। वो दनादन चोदते जा रहे थे।

और कुछ देर बाद उनका भी पानी निकला, उन्होंने लंड बाहर निकाल कर मेरे पेट पर गर्म गर्म वीर्य निकाल दिया। उनकी पिचकारी इतनी तेज़ थी कि एक धार सीधा मेरे चेहरे में आकर पड़ी.
उन्होंने अपनी चड्डी से मेरे पेट को साफ़ किया और मेरे ऊपर ही लेट गए।

आज मैंने अपना कुंवारापन खो दिया था। जिस वासनापूर्ति के लिए मेरा मन भटक रहा था, आज वो पूरी हो गई थी।
मेरी जवानी को उसका असली मजा मिलना शुरू हो चुका था।

काफी देर तक हम दोनों लेटे रहे और फिर एक बार उन्होंने कहा- फिर हो जाये?
मैं फिर से मुस्कुराते हुए चेहरा छुपा लिया.
और वो फिर से शुरू हो गए।

इस तरह उस रात 3 बार मेरी चुदाई हुई और हम दोनों 2 दिन साथ में रहे।

उसके बाद तो मैं जैसे चुदाई की आदी हो गई … या यों कहें कि मेरी वासना और बढ़ गई. वो मुझसे मिलने आने लगे और हम दोनों यों ही चुदाई का मजा लेने लगे।

फिर एक रात मेरे साथ ऐसी घटना हुई कि मेरी जिंदगी ही अलग मोड़ में आ गई थी।
वो कहानी भी आपको जरूर बताऊँगी अगली बार!
अभी के लिए अपनी पूजा को इजाजत दीजिये।
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