जिगोलो बन सेक्सी लड़की की चूत गांड मारी

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम अजय है. मैं आज एक और सच्ची घटना आप सबको सुनाने वाला हूँ. बहुत दिन बाद मैंने ये कहानी लिखी है. इतने दिन के गैप के लिए मैं माफी चाहता हूं.

एक बार अर्चना के सर्कल से मेरे पास एक कॉल आया.
मैंने फोन उठाया तो उसने पूछा- क्या आप अजय बात कर रहे हो?
मैंने जवाब दिया- हां, मैं अजय बात कर रहा हूं.
दूसरी तरफ से कोई लेडी बोल रही थी.

फिर वो कहने लगी- मुझे आपका नम्बर अर्चना ने दिया है. अगर आप आज दोपहर को फ्री हो तो मेरे घर पर आ जाओ. मुझे अपना रेट भी बता दो.
वो जिगोलो वाले रेट के लिए पूछ रही थी.

मैंने उसको रेट बता दिया और कहा कि मैं आपको कुछ देर के बाद फोन करूंगा.
फोन कट होने के बाद मैंने अर्चना को कॉल किया.

अर्चना की चुदाई मैं पहले ही कर चुका था. अभी भी वो मुझे बुलाया करती थी. मैंने उसको फोन करके कन्फर्म किया. उसने बता दिया कि मेरा नम्बर उसी ने दिया था उस लेडी को.

जिस लेडी का फोन आया था उसका नाम था बियांका. कन्फर्म करने बाद मैंने बियांका को कॉल किया और उससे पूछा कि कहां पर आना है. उसने अपना पता बता दिया.

जब मैं उसके फ्लैट पर पहुंचा तो देखा कि घर काफी अच्छा था. मालदार पार्टी लग रही थी. उसकी उम्र करीबन 45 के आसपास रही होगी. मगर देखने में बहुत हॉट थी. उसको देखने पर वह 35-36 की उम्र के आसपास की लग रही थी.

उसके बदन के बारे में बात करूं तो गोरा रंग, लम्बा कद, तीखी नाक, उसकी आंखें बड़ी बड़ी और काली थीं. लम्बे बाल और जिस्म एकदम फिट स्लिम था. चूचियां 34 के साइज की थी. कमर पतली और गांड मस्त तरीके से उठी हुई थी.

मुझे पहुंचने में 2 बज गये थे. उसके फ्लैट पर जाकर मैं आराम करने लगा.
फिर वो पानी लेकर आई. मेरे पास बैठ गई. मेरे बगल में बैठ कर कहने लगी- आपकी बहुत तारीफ सुनी है. आज मेरा बहुत मन कर रहा था करने का (सेक्स).

मैंने पानी का गिलास रखा और उसने मेरे होंठों पर लगी पानी की बूंदों को अपने होंठों से चूस लिया.
शायद उससे इंतजार नहीं हो रहा था.
मैंने कहा- मैं आपकी सेवा के लिए ही तो आया हूं.
कहकर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल लिया.

मेरा हाथ उसकी कमर को सहला रहा था. दोनों के होंठ अब मिल चुके थे.
मैं पीछे हटा और उसकी साड़ी का आंचल उसके सीने से गिरा दिया मैंने. पल्लू हटते ही उसकी मखमली चूचियां मेरे सामने उभर कर आ गईं.

औरत की चूचियां सच में कमाल का आकर्षण लिये हुए होती हैं. मेरे हाथ अपने आप ही उसकी चूचियों पर चले गये. ब्लाउज के ऊपर से ही मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा. जैसे ही मेरे हाथ उसके चूचियों पर पहुंचे तो लंड ने उछाला दे दिया.

मेरा लौड़ा बम फटने के लिए तैयार होने लगा था. बियांका अब मेरे सीने से लिपट गई और उसने मुझे जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मैं भी उसके सीने से लिपट गया. पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा. ब्लाउज के हुक खुल गये थे. मेरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था. उसने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी. पीठ पीछे से नंगी ही थी.

कुछ देर हम एक दूसरे की गर्दन पर किस करते रहे. फिर मैं उसके सीने से अलग हो गया. मैंने उसके ब्लाउज को उसके उरोजों से हटा दिया. उसकी चूचियां नंगी हो गईं. गोरी और मोटी चूचियां देख कर मेरे अंदर भी वासना जाग उठी.

उसकी चूचियों को मैंने अपने हाथों में भर कर दबाया. बहुत ही मुलायम चूचियां थीं उसकी. दबाते दबाते हुए ही उसकी चूचियों में कड़कपन आ गया था. उसके निप्पल टाइट हो गये थे.

अब मैं उसकी साड़ी को उतार रहा था. साड़ी उतारने के बाद वो कयामत लग रही थी. नंगी चूचियों वाली औरत सिर्फ पैटीकोट में खड़ी हुई किसी कामदेवी के जैसी प्रतीत हो रही थी.

अब मेरा मन भी उसको देख कर आहें भरने लगा था. लंड का हाल तो पहले से बुरा हो गया था. मेरे हाथ उसके पेटीकोट की तरफ बढ़े.

वो अपनी नंगी चूचियों को मेरे सीने से सटाकर मुझसे लिपट गई और मेरी गर्दन को चूमने लगी. मेरे हाथ नीचे से उसके पेटीकोट को खोल रहे थे. जब मैंने उसके पेटीकोट को उतारा तो वह केवल पैंटी में रह गयी.

आह … बहुत ही कयामती जिस्म था उसका! जांघों को देख कर ऐसा लग रहा था कि उनको फुरसत में तराशा गया है. जांघों के बीच में उसकी योनि पर फंसी हुई गुलाबी पैंटी को देख कर मेरी लार टपकने लगी.

अब उससे भी नहीं रुका गया. वो मेरे कपड़े भी उतारने लगी. पहले मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरे सीने को अपने होंठों से चूमने लगी. जब उसके होंठ मेरे सीने पर चूम रहे थे नीचे मेरे लंड में झटके लग रहे थे.

एक औरत जब किसी मर्द के सीने को चूमती है तो उसका आनंद बहुत ही मादक होता है.
जिगोलो और रंडीबाजी का एक फायदा यह भी होता है कि औरत के साथ काम-क्रीड़ा का सुख हर प्रकार से भोगने के लिए मिल जाता है. जबकि बीवी की चुदाई में यह सुख अधूरा सा रहता है.

लंड की प्यासी वो औरत मेरे सीने को चूमती हुई मेरे पेट से होती हुई नीचे मेरी पैंट तक पहुंच गई थी. उसने मेरी पैंट को खोल कर उसने नीचे किया और मेरी फ्रेंची में तने हुए मेरे लौड़े को अपने होंठों से चूम लिया. आह्ह … बहुत ही कामोत्तेजक अनुभव दे रही थी वो मुझे.

मैंने भी पैंट को निकाल दिया और जांघों से सरका कर नीचे से नंगा हो गया. मेरे जिस्म पर मेरी फ्रेंची थी और उसके बदन पर सिर्फ पैंटी. मेरा तना हुआ लंड उसकी पैंटी के अंदर कैद चूत से जा टकराया. दोनों एक दूसरे के जिस्मों से लिपटने लगे.

अब मुझे उससे पैसे ना भी मिलते तो भी कोई गम नहीं था. उस चुदासी औरत की कामुक क्रियाएं अपार काम-सुख का भंडार थीं. मैं उसके उरोजों को मुंह में भर कर चूसने लगा. मेरे हाथ उसकी गांड को दबाने लगे.

वो भी मेरे जिस्म से नागिन की तरह लिपटने लगी. अब मैंने एक हाथ आगे लाकर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. पैंटी के अन्दर ही उसकी चूत फूली हुई मालूम पड़ रही थी. चूत गीली हो चली थी.

उसने मेरी फ्रेंची में तने हुए लंड को अपने हाथ से दबाते हुए उसको मसलना शुरू कर दिया. अब दोनों तरफ ऐसी कामाग्नि भड़की कि दोनों एकदम से एक दूसरे के होंठों को बुरे तरीके से काटने लगे.

अब मैं पूरे जोश में आ गया था. मैंने दो मिनट तक उसके होंठों को पीया और उसके बाद मैं उसकी चूचियों को अपने हाथों से भींचते हुए उसके निप्पलों को दांतों तले काटने लगा.

उससे रहा न गया और उसने मेरी फ्रेंची को मसलते हुए मेरे होंठों को पीना शुरू कर दिया. फिर एकदम नीचे बैठ गई और मेरी फ्रेंची को नीचे करके लंड को मुंह में भर लिया. आह्ह … मेरा लंड पहले से ही फटने वाला था.
वो मस्ती में मेरे लंड को चूसने लगी. मैं तो पूरी तैयारी के साथ आया था. लम्बी पारी खेलनी थी. जी भर कर उसने लंड चूसा. मैं मजा लेता रहा. जब वो थक गई तो खुद ही उठ गयी. मैंने फ्रेंची ऊपर कर ली.

दोबारा से अब मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा. बियांका मेरे बालों में हाथ फिराकर मुझे अपने उन्माद का प्रमाण देने लगी. कुछ पल तक उसकी चूचियों को चूसने और काटने के बाद मैंने उसको वहीं बेड पर बिठा लिया. उसकी पैंटी निकाल कर उसकी चूत को नंगी कर दिया.

चूत भले ही टाइट न थी लेकिन देखने में खूबसूरत थी. गुलाबी सी छटा लिये उसकी चूत पर कामरस ऐसे लग रहा था जैसे फूल पर ओस की बूंदें.
मैंने उसकी जांघों को फैलाया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिये.

उसने मेरे सिर को अपनी चूत में दबाना शुरू कर दिया. चुदक्कड़ औरत की चूत चुसाई करते हुए मैंने उसकी जांघों को थोड़ी ऊपर उठा दिया. अब मेरी पहुंच उसके गांड के छेद तक हो गई थी.

चूत की चुसाई करते हुए मैंने उसकी गांड के छेद को भी सहलाना शुरू कर दिया. अब उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं. मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक जाकर उसकी चूत की गहराई को नापने लगी.

वो अब बेचैन हो चली थी. दस मिनट की चूत चुसाई ने उसको कामोत्तेजना के शिखर बिंदू पर पहुंचा दिया था. ऐसा लग रहा था कि वो किसी भी वक्त झड़ सकती है.

मैंने तेजी के साथ उसकी चूत में जीभ चलाते हुए उसकी गांड में उंगली करनी भी शुरू कर दी थी.
वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … अजय, खा जाओ मेरी चूत को. बहुत प्यासी हूं मैं.

ऐसा बोलते ही वो एकदम से झड़ने लगी. उसने मेरे मुंह को कस कर अपनी चूत में दबा दिया. उसकी चूत का रस मेरे मुंह में जाने लगा. जिसको मैंने चाट लिया.

अब वो थोड़ी शांत हो गई थी. मेरे कंधे पर चूमते हुए मुझे पीछे कर दिया. वो बोली- अब कुछ देर मेरी बॉडी मसाज कर दो.
उसने पास ही रखी ऑलिव ऑयल की शीशी की तरफ इशारा किया.

वो नंगी औरत अपनी कमर लचकाती हुई उठ कर नीचे बिछे कालीन पर मेरे सामने लेट गयी. मैंने तेल की शीशी से तेल निकाल कर हथेली पर लिया और उसकी बॉडी को मसाज देने लगा.

मेरे हाथ उसकी गांड के छेद को छू रहे थे. मन में उस चुदक्कड़ औरत की गांड चुदाई के ख्याल आये तो पूछ बैठा- गांड भी चुदवाओगी क्या?
उसने तुरंत जवाब दिया- हां… मेरे राजा, मेरे बदन में जितने छेद हैं, सबको चोद दो.

मैंने उसकी गांड में मसाज करते हुए काफी सारा तेल भर दिया. अब मैं उसके ऊपर आ गया. अपनी फ्रेंची को जांघों से सरका कर निकाला और अपने लंड को उसके चूतड़ों के बीच में लगाकर उसके ऊपर लेट गया.

अपने बदन को उसके बदन से रगड़ते हुए उसको बॉडी टू बॉडी मसाज देने लगा.
वो इतनी चुदासी हो गई कि अपने हाथ नीचे से लाकर मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से दबाते हुए मेरे लंड को अपने चूतड़ों के बीच में धकेलने की कोशिश करने लगी.

मेरा लंड उसके चूतड़ों की दरार से होता हुआ उसकी चूत तक मसाज कर रहा था. फिर मैंने उसको पीठ के बल लेटाते हुए सीधी कर लिया. उसकी चूचियों को जोर से दबाया और उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया.

बियांका की बैचेनी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी. वो बस किसी भी हालत में अब लंड को अंदर लेना चाह रही थी. मैंने उसकी चूत पर लंड को एक दो बार रगड़ा और झटके से उसकी चूत में लंड को पेल दिया.

अपनी नंगी गांड को आगे पीछे करते हुए मैंने उसकी चूत चुदाई शुरू कर दी. लंड लेकर वो जैसे पागल सी होने लगी. इतनी गर्म औरत मुझे आज तक नहीं मिली थी.

उसका जोश ऐसा था कि वो बार-बार मेरे जिस्म को अपने नाखूनों से नोंच रही थी. मैं भी बिना रहम किये उसकी चूत को रौंद रहा था. लंड तो मेरा मोटा था ही. उसकी चूत में जाकर उसको सुख भी भरपूर दे रहा था.

उछलती चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए मैंने दस मिनट तक उसकी चूत की चुदाई की. फिर उसको डॉगी स्टाइल में आने के लिए कहा.
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसकी चूत में लंड को फिर से जोर लगा कर धकेलने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे अंदर जाकर मेरा लंड किसी दीवार से टकरा रहा है.

मेरे हर धक्के पर उसकी चूचियां मस्त तरीके से हिल रही थीं.
वो चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह अजय, फाड़ दो मेरी चूत को. बहुत दिनों से मैं लंड की प्यासी हूं. आह्ह … मुझे चोद चोद कर अपने रस से भर दो. आह्ह … बहुत मजा आ रहा है.

अब मैंने उसकी गांड को थाम लिया और पूरी ताकत के साथ उसकी चूत में धक्के लगाने लगा.
वो बड़बड़ाने लगी- आह्ह … आ रही हूं, और जोर से … आह्ह चोदो, पूरा घुसा दो. आह्ह अजय … आई लव यू … आह्ह … चोदो मुझे.

ऐसे ही पागलों की तरह चिल्लाते हुए वो झड़ने लगी. झड़कर वो शांत हो गई.
अब मैंने उसकी गांड में उंगली डाली और आगे पीछे करके देखी.
उसकी गांड तेल से पूरी लबालब थी.

मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड को रखा और उसकी गांड चुदाई करने लगा.
गांड में भी वो लंड को आराम से ले गयी. लग रहा था कि शायद उसने इससे पहले भी कई बार अपनी गांड की चुदाई करवा रखी है.

पांच-सात मिनट तक उसकी गांड को चोदने के बाद मैं भी झड़ने के कगार पर पहुंच गया. धक्के देते हुए मेरे लंड से वीर्य निकल कर उसकी गांड में जाने लगा. पूरा लंड उसकी गांड में खाली कर दिया.

वो मेरे बगल में आकर लेट गई. मेरे अधसोये हुए लंड को अपने हाथ में लेकर खेलने लगी, बोली- यार अजय, तुम तो बहुत ही मस्त चुदाई करते हो. जितनी तारीफ सुनी थी उससे कहीं ज्यादा मजा दिया तुमने.

मैंने कहा- अगर नहीं करूंगा तो पैसे कौन देगा मुझे.
वो बोली- मैं तो तुम पर खजाने लुटाने के लिए तैयार हूं. बस तुम ऐसे ही मुझे खुश कर देना जब भी मैं तुम्हें बुलाऊं.
मैंने कहा- मेरा तो काम ही यही है.

उसके बाद उसने मेरी पेमेंट दे दी. उसने मेरे लिये खाना मंगाया और काफी खातिरदारी की. पैसे लेकर मैं अपने घर आ गया.

दोस्तो, मेरी कहानी आपको पसंद आई या नहीं … मुझे बतायें जरूर.
तब के लिए विदा दीजिये.
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