जारा का दीवानापन-8

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

जारा का दीवानापन-7 

जारा का दीवानापन-9

मेरी प्रेमिका को हर वक्त मेरा लंड चाहिए था अपनी किसी भी छेद में! वो नए नए बहाने गढ़ कर मेरा लंड अपने जिस्म में घुसवाती रहती थी.

ज़ारा- मेरा ईनाम?
मैं- अभी दिया तो था!
ज़ारा- कब?
मैं- ये चूत और गांड की चुदायी.

ज़ारा- मैंने कब बोला था चुदने को?
मैं- मतलब किस और वो … ठीक समझ गया! सब समझ गया!
ज़ारा- क्या समझ गये?
मैं- आजकल बड़ा दिमाग लगा रही हो चुदने के लिये!

ये सुनकर ज़ारा हंसने लगी और हंसते-हंसते बोली- लगाना पड़ता है! अगर आपके भरोसे बैठी रही तो आप इन छुट्टियों को ऐसे ही बर्बाद कर दोगे!
मैं- हां तुम तो आबाद कर रही हो?

ज़ारा- मैं फैंटेसी सेक्स करना चाहती हूं!
मैं- क्या? ये क्या नई चीज निकाल कर लायी हो?
ज़ारा- इसमें लोग रोलप्ले करते …

मैं- वो तो मुझे पता है … लेकिन इस तरह के सेक्स का ख्याल क्यों आया तुम्हारे दिमाग में?
ज़ारा- बस ऐसे ही!
मैं- क्या रोलप्ले करना है?
ज़ारा- सुहागरात!

ये सुनते ही मेरे हुये कान गरम!
मैं उससे अलग हुआ और उसे उठने को बोला!
ज़ारा एकदम सिहर गयी!

मैं- उठो तुम!
ज़ारा- क्या हुआ जान?
मैं- तुम उठो और कपड़े पहनकर उस सोफे पर बैठो जाकर!
वो उठी! कपड़े पहने और रुआंसी सी सोफे पर बैठ गयी!

मैंने भी कपड़े पहने और …

मैं- मतलब तुम्हें मेरी बीवी बनने के अलावा कुछ नहीं सूझता?
ज़ारा- आप शादी नहीं कर सकते तो ना करो! कम से कम एक दिन के लिये बीवी बना लो!

मैं- क्यों? तुम कोई वेश्या हो जो एक रात की दुल्हन बनोगी?
ज़ारा- अगर ऐसे मुमकिन है तो मान लो!
ये सुनकर आया मुझे गुस्सा! भयंकर गुस्सा!

मैं उठा और खींच कर एक तमाचा दिया उसके गाल पर! वो रोने लगी!
मैं- ज़ारा! क्या बक रही हो?
ज़ारा- जान …
मैं- मत कहो मुझे जान और अपने कमरे में जाओ!
वो नहीं उठी और जोर-जोर से रोने लगी!

मैं गुस्से में अंधा हो चुका था, क्या सही और क्या गलत मुझे कुछ नहीं पता था!
मैंने उसे उठाया और खींचते हुये उसके कमरे में ले जा कर उसके बिस्तर पर पटक दिया!
ज़ारा- जान एक बार मेरी बात तो सुन लो!
मैं- मुझे कुछ नहीं सुनना!

वो रोने लगी!

मैं उसे ऐसे ही छोड़कर बाहर आने को हुआ तो मुझे डर लगा कि कहीं ये कोई गलत कदम ना उठा ले!
तो मैं वहीं बैठ गया!

वो रोती रही और रोते-रोते ही सो गयी!
अब मैं उठा और सीधा बाहर निकल गया!
कुछ समझ नहीं आ रहा था तो एक कैंटीन में चला गया!

चाय पीते हुए मैं इस मामले पर सोचने लगा! दिल ने गवाही दी कि वो हकदार है इस सब की और अब तो दिमाग में भी घुटने टेक दिये और ज़ारा के हक में फैसला सुना दिया!

मैं एकदम से उठा! पैसे दिये और बाजार चला गया!

एक कपड़े के शोरूम में आकर शादी के जोड़े देखने लगा!

आखिरकार एक जोड़ा पसंद किया!
मैंने वो जोड़ा पैक करवाया और अपने लिये भी नये कपड़े ले लिये!

ये सब लेकर ज्वेलरी शॉप पर गया!
वहां से एक हार लिया और घर आ गया.

मैं दरवाजा खोलकर सीधा ज़ारा के कमरे में चला गया.
वो बाथरूम में थी!
मैंने सामान रखा और वहीं सोफे पर बैठकर कुछ सोचने लगा.

ज़ारा बाहर आयी और मुझे बैठा देखकर ठिठक गयी.
मैं- दिन के लिये सॉरी यार!
ज़ारा- कहां गये थे?
मैं- गया था कहीं बाहर!
ज़ारा- मैं खाना बना लेती हूं!

अब ज़ारा चली किचन में! खाना बना लायी.

हमने खाना खाया तो बर्तन रखकर आयी. तब तक मैं उसके बिस्तर पर लेट गया था. ये देखकर वो सोफे पर बैठ गयी.
मैं- अभी भी नाराज हो?
ज़ारा- आपको मेरी नाराजगी से क्या दिक्कत?

मैं- यार सॉरी बोला तो!
ज़ारा- और जो मेरा दिल टूटा उसका क्या?
मैं- उसे जोड़ देता हूं!
ज़ारा- कैसे?
मैं- इसके ग्लू से!

कहते हुये मैंने लंड पर हाथ फिराया! ये देखकर वो खिलखिलाने लगी!
मैं- अब तो आ जाओ!

वो आयी और मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में दबा लिया और बेदर्दी से चूसने लगी तो मैंने भी उसे बाजुओं में कस लिया और उसकी गर्दन पर हल्के-हल्के उंगलियां फिराने लगा.
वो तड़प सी गयी.

दोस्तो, औरत के शरीर में चौवन सेक्स ट्रिगर या पॉइंट होते हैं जिनमें से कई को सहला देने भर से औरत सेक्स के लिए तड़प उठती है!
जैसे क्लिट और निप्पल्स के बाद तीसरा सबसे अहम पॉइंट गर्दन का दांया और बांया हिस्सा! इसके बाद चूचियों के बीच की जगह और एरोला, फिर नाभि और कमर में दोनों कंधों के बीच की जगह,
पसलियों के नीचे का दांया और बांया हिस्सा!

लेकिन क्लिट, निप्पल, एरोला और गर्दन आदि कुछ हिस्सों के अलावा बाकी हिस्सों की कामुकता बदलती रहती है दिन और वक्त के हिसाब से!

कुछ पॉइंट हाथों और पैरों में भी होते हैं! मसलन पैर का अंगूठा औरतों में एक पावरफुल सेक्स पॉइंट है!
इन्हें आजमाइये और जो होता है मुझे जरूर बतायें!

और एक बात कि अगर मैं गलत नहीं होऊं तो लगभग 80% लोगों ने कामसूत्र नहीं पढ़ा होगा!

क्या कारण है कि पत्नी अपने पति से और पति अपनी पत्नी से बेवफाई करता है?
इसका जवाब है कामवास के अनुसार कामक्रीड़ा का ना पता होना!

मतलब आदमी या औरत को ये ही नहीं पता चल पाता कि उसके साथी के किस अंग में इस दिन और इस वक्त काम का वास है और उसके हिसाब से उन्हें क्या कामक्रीड़ा करनी चाहिये!
खजुराहो के मंदिर देखते हैं आप!
क्यों संभोग के लिए इतने आसन बनाये गये?

कामक्रीड़ा और कामवास का अगर आपको पता हो तो ना आपकी पत्नी को किसी और के साथ ज्यादा आनंद आयेगा और ना ही आपके पति को!
ये इतनी जल्दी नहीं पता चलता.
हरेक को समझने में काफी वक्त लगता है क्योंकि सबका अपना एक अलग मूड होता है.

खैर, ये बातें लंबी हो जायेंगी! मूल पर चलते हैं!

मैंने उसे नीचे किया और टीशर्ट में हाथ घुसा कर उसकी चूचियां दबाने लगा.
उसने एक हाथ नीचे कर मेरी अंडरवियर में डाला और मेरे होंठ छोड़कर बोली- आप इनको रोज शेव क्यों नहीं करते?

मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- चुभ रहे हैं हाथों में!
मैं- ठीक है सुबह तुम ही शेव कर देना!
ज़ारा- मतलब बाथरूम सेक्स!

और मुझे फिर से बाहों में भर लिया और किस करने लगी.

अब मैंने उसे उठाया और हम घुटनों के बल खड़े हो गये.

हम दोनों ने एक-दूसरे की आंखों में बड़ी शिद्दत से देखते हुये एक-दूजे के कपड़े कब निकाल दिये ये हमें तब पता चला जब मेरा अंडरवियर मेरे घुटनों पर और उसकी पैंटी उसके घुटनों पर जा अटकी.

ज़ारा मेरे कान के पास मुंह लाकर फुसफुसायी- जान!
मैं- हूम्म!
ज़ारा- चोद दो मुझे!
और मेरे कान पर काट खाया और खिलखिलाती हुई लेट गयी!

मैं- शरारती लड़की!

अब मैं भी उसके ऊपर लेट कर उसे किस करने लगा, उसने एक हाथ बढ़ाकर मेरा लन्ड अपनी चूत पर टिकाया तो बाकी काम मैंने पूरा कर दिया.
ज़ारा- आ…ह! जान!
मैं झटके मारने लगा तो कुछ ही देर में वो क्लिट रगड़ने लगी!

तो मैं बोला- क्या कर रही हो?
ज़ारा- जा…न मुझे जल्दी झड़ना है!
मैं- क्यों?
ज़ारा- जान मेरी गांड बाकी है!
मैं- लेकिन मुझे चूत में झड़ना है!
ज़ारा- तो घुसा देना जब झड़ो! अब प्लीज चोदो!

मैं फिर से चुदाई करने लगा तो कुछ ही देर में वो झड़ गयी.

अब मैंने उसकी टांगें अपने कंधों पर रखीं तो वो गांड का फूल खिल उठा लंड को देखकर!
एक ही झटके में पूरा डाल दिया उसकी गांड में!

वो सीत्कार कर उठी- सी … जान! चूत की खुजली तो खुजली है पर गांड की खुजली तो कोढ़ है! एक बार आदत लग जाये तो हमेशा गांड में कुछ चाहिये!

कुछ लफ्ज़! बस कुछ अल्फ़ाज़ और मेरे मन में बरसों से चले आ रहे हैं एक सवाल का जवाब दे दिया उसने!

क्यों आदमी गांडू हो जाते हैं?
क्योंकि गांड ही सेक्स की एकलौती जगह है जो औरत और मर्द के पास एक सी है!

ज़ारा- आप रुके क्यों हो?
मैं- कुछ सोच रहा था!
ज़ारा- कैसे आदमी हो आप? चुदाई के वक्त भी सोचते हो!
मैं- अरे छोड़ो!

मैंने झटके देने शुरू किये वो हर झटके पर आह भी भरती और कराह भी!
कुछ देर गांड चोदने के बाद- जान! मैं आने वाला हूं!

मैंने उसकी गांड से लंड निकाला उसने झट से अपनी टांगें नीचे कीं तो मैंने उसकी चूत में लंड डालकर कुछ झटके दिये और किस करते हुये झड़ गया.

उसने भी चूत को सिकोड़-सिकोड़ कर सारा जूस अपनी चूत में चूस लिया फिर उठकर उसने मेरा लंड पौंछा, अपनी चूत और गांड धोयीं और मेरे पास लेट गयी.

ज़ारा- जान एक दिक्कत है!
मैं- कैसी दिक्कत?
ज़ारा- जान! सभी दोस्त बर्थडे पार्टी मांग रहे हैं तो मैंने कल का बोल दिया!

मैं- क्या?
ज़ारा- बस निकल गया मुँह से!

मैं- होटल कैसे बुक होगा?
ज़ारा- यही तो दिक्कत है!
मैं- हम्म! सुबह देखते हैं अब सो जाओ!

सुबह करीब छह बजे मेरी नींद खुली तो मैंने उसे उठाया.

हम दोनों नहा-धोकर तैयार हुये, चाय पी, नाश्ता किया और सीधे एक होटल में पहुंच गये.
रात की पार्टी के लिये होटल बुक किया और वापस आ गये.

मैं- अब खाना बना लो!
ज़ारा- ठीक है!

कहकर वो किचन की तरफ चली, कुछ जोड़-घटा सी करती हुई!
जैसे कुछ भूल रही हो या कुछ सोच रही हो!

मैं समझ तो रहा था लेकिन यकीन से नहीं कह सकता था!

किचन में पहुंचते ही उसने आवाज दी- जान सुनो!
हां यही!
यही तो सोच रहा था मैं!

मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- आना एक बार!
मैं- क्या काम है?
ज़ारा- आओ तो!

मैं- यहीं बता दो!
ज़ारा- जान आओ तो एक बार!
मैं- हुआ क्या है?
ज़ारा- आओ तो कुछ दिखाना है आपको!

मैं- क्या है?
ज़ारा- आकर देखो तो सही!

अब मैं उठा और गया किचन में.
मैं- क्या दिखाना था?
ज़ारा- दिखाना नहीं देखना था!
मैं- क्या?
ज़ारा- अभी बताती हूं!

कहते-कहते वो नीचे बैठ गयी और मेरी पैंट खोलने लगी तो मैं उसे हटाने लगा!
मैं- क्या कर रही हो?
ज़ारा- मेरा हाथ छोड़ो पहले!
मैं- तुम्हें चुदाई के अलावा कुछ नहीं सूझता?
ज़ारा- मुझे कुछ नहीं सुनना! पहले सेक्स होगा फिर खाना बनेगा! अब हाथ छोड़ते हो कि नहीं?

लड़की की जिद के सामने झुकना ही पड़ता है और झुकते ही लंड खड़ा हो जाता है क्योंकि इसमें तो दिमाग होता नहीं!
मैं भी झुक गया और उसका हाथ छोड़ दिया!

उसने झटपट मेरी पैंट उतारी, अंडरवियर निकाला और मुस्कुराते हुये लंड को चाटने लगी!

थोड़ी देर में जब लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया तो वो लंड छोड़कर बोली- ऐसे क्या खड़े हो जान? शर्ट निकालो अपनी!
मैं- मैं नहीं निकाल रहा! तुम ही कर लेना जो तुम्हें करना है!
ज़ारा- गुस्सा हो?
मैं- तुम्हारी हरकतों से!

ये सुनकर उसने लंड को दो-तीन थपक लगायीं और उसे देखते हुए बोली- देखा सिरफटे! जान गुस्सा हैं आज! इनसे बचके रहना कहीं मेरा गुस्सा तुम पे ना उतार दें!
ये देखकर मेरी हंसी छूट गयी!

ज़ारा- अरे ये मेरी चूत और गांड क्या कह रही हैं? एक-एक कर बोलो!
पहले चूत तुम!
हां … अच्छा! अब गांड तुम!
हां … ! हां ये तो होगा ही!
गुस्सा तो तुम दोनों पर ही उतरेगा! ये भी कोई कहने की बात है?

अब हंसी हुयी दोगुनी, तिगुनी, चौगुनी मैं हंसते-हंसते जमीन पर बैठ गया!
वो भी हंसने लगी!

मैं- क्या कह रही हैं चूत और गांड?
ज़ारा- कह रही हैं सिरफटा तो बच जायेगा! गुस्सा तो हमपे उतरेगा!

हंसते-हंसते मैंने उसे बाहों में भर लिया और हमारे होंठ आपस में जुड़ गये!

चूमते-चूमते हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतार कर फेंक दिये! कोई कहीं गिरा कोई कहीं!

उसने हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया और मैं उसकी चूचियां दबाने लगा!
अब मैंने उसे घुमाकर किचन के केबिनेट पर झुका दिया!

उसने अपने दोनों हाथ केबिनेट पर टिका लिये और गांड को पीछे की तरफ उभार दिया!
मैंने उसकी चूत पर लंड फिराया तो वो सीत्कार लेने लगी!

और फ़चाक!
ज़ारा- आ … ह! जान!
मैं- अब क्या कह रही है चूत?
ज़ारा- कह रही है जल्दी-जल्दी चोदो!
मैं- अच्छा? तो लो फिर!

मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियां पकड़ीं और शुरू कर दी धक्कमपेल!
वो भी गांड को पीछे की तरफ उछालने लगी!

कुछ देर चूत चुदाई के बाद बोली- जा … न! पहले गांड चोद लो फिर साथ में झड़ेंगे!
मैं- क्यों गांड भी कुछ कह रही है क्या?
ज़ारा- कह रही है चूत का नंबर मुझसे पहले क्यों?
मैं- ठीक है गांड का नंबर लगा देते हैं!

मैंने उसकी चूत से लंड निकाल कर गांड पर टिका दिया.
क्योंकि लंड उसकी चूत के रस से चिकना तो हो ही रहा था, जैसे ही गांड के फूल पर रखकर झटका दिया तो एकदम ही पूरा अंदर तक जा पहुंचा!

ज़ारा की कराह निकल गयी- क्या करते हो?
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- गांड में धीरे-धीरे घुसाया करो जान! दर्द होता है!
मैं- अब तो नहीं है?
ज़ारा- है जान!

मैं रुक गया और उसकी चूचियां सहलाने लगा तो थोड़ी देर में वो खुद ही आगे-पीछे होने लगी.

अब मैंने मोर्चा संभाला और और दे दनादन धक्के पे धक्का देने लगा! वो हर झटके पर आह भी भरती और कराह भी!
ज़ारा- आ..आ..आ.. आ.. जा..न.. चो..दो जो…र से!

थोड़ी देर में उसके पैर दुखने लगे तो उसने मुझे रोका!
मैं उसे गोद में उठाकर कमरे में ले आया और सोफे पर लिटाकर उसकी टांगों को कंधों पर रख लिया.

अब उसकी गांड, लंड के ठीक सामने थी और ये दोनों ही इस दूरी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे.

मैंने फिर से उसकी गांड में लंड डाला और चोदने लगा.

थोड़ी देर की गांड चुदाई के बाद ज़ारा- जान चूत में डालो अब!
गांड में लगते धक्कों के बीच उसके मुंह से टूट-टूट कर निकले ये अल्फ़ाज़!

मैंने उसकी गांड से लंड निकालकर चूत में डाला और चोदने लगा.

कुछ ही देर बाद हम दोनों झड़ने वाले थे तो हमारे होंठ आपस में जुड़ गये और हम एक साथ ही झड़ गये.
उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मेरी कमर को पैरों से जकड़ लिया!

जब नॉर्मल हुये तो हम दोनों ने एक-दूसरे को साफ किया और हाथ-पांव धोकर, कपड़े पहन किचन में चले गये.

दोस्तों, आपको मेरी सेक्स सेक्स Xxx कहानी कैसी लग रही है? आप मुझे जरूर बतायें!
मेरी मेल आई डी है- [email protected]
आप सभी का धन्यवाद!

सेक्स सेक्स Xxx कहानी जारी रहेगी.