हवस की प्यासी चूत को बस में चोदा

प्यासी चूत की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे दोस्त की बहन मेरे कॉलेज में पढ़ती थी. लॉकडाउन के कर्ण हम दोनों स्लीपर में साथ घर जा रहे थे. तो बस में क्या हुआ?

नमस्ते दोस्तों! मेरा नाम सत्यम है, मैं छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर से हूँ. मेरा कद 5 फुट 10 इंच है और मैं 23 साल का हूँ. मैं अभी मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में फाइनल ईयर में हूँ.

मैं अन्तर्वासना की देसी हिंदी सेक्स कहानियां नियमित पढ़ता हूँ.

इस लॉकडाउन के समय में मैं अपने घर में बोर हो रहा था, तो सोचा कि मैं भी इस फ्री समय में अपनी सेक्स अनुभव के बारे में बता दूँ.
यह जवान लड़की की चुदाई कहानी एकदम सच्ची है और यह घटना लॉकडाउन के कुछ ही दिन पहले की है.

मैं और आकांक्षा कोरोना वायरस के कारण वापस अपने घर जा रहे थे. कोरोना वायरस के कारण सभी स्टूडेंट्स को छुट्टी दे दी गई थी.

अब मैं आपको आकांक्षा के बारे में बता दूँ, उसे मैं प्यार से अक्कू बुलाता हूँ, वह जसपुर से है. उसकी फिगर 34-32-36 की होगी. दिखने में अक्कू एक माल दिखती है. उसके मम्मे देखते ही मुँह में पानी आ जाता है. वो मेरे ही कॉलेज में नर्सिंग कर रही थी.

उसे मैं तब से जानता हूँ, जब उसे मेरे कॉलेज में एडमिशन लेना था. उसका भाई राजेंद्र मेरा स्कूलमेट था, वो अभी रायपुर पढ़ता है. उसी ने मुझसे कहा था कि अक्कू को मेडिकल कॉलेज जगदलपुर मिला है … तुम उधर उसका एडमिशन करा देना, वो जगदलपुर कभी गई ही नहीं है.

मैंने भी राजेन्द्र से हां बोल दिया और उसकी बहन के एडमिशन में हेल्प की.
तब से मेरी उससे जान पहचान है.

वो जब इधर आई थी, तो मैं उसे देख कर हैरान हो गया था. वो इतनी अधिक खूबसूरत और हॉट थी कि मैं उसके तने हुए चूचों और उठी हुई गांड को देख कर गर्म हो गया था. उसके जिस्म की कसावट इतनी मस्त थी कि मैं एकदम से वासना के वशीभूत हो गया था.

लेकिन अगले ही पल मैंने अपनी नजरों को उसके मादक सौन्दर्य से हटा लिया था क्योंकि वो मेरे दोस्त की बहन थी.

फिर उसका एडमिशन हो गया और वो अपनी पढ़ाई में लग गई. मेरा उससे मिलना कम हो पाता था. हां कभी कभी उसका फ़ोन आता, तो उसकी बात सुनकर उसके सम्पर्क में बना रहता था.

कोरोना वायरस के कारण ये छुट्टी कब तक रहेगी, इसका मुझे अंदाज़ा नहीं था. तो मैंने एक ही बैग में अपना सामान रख लिया था.

मैं अभी अक्कू को फोन लगाने ही वाला था कि उसका घर जाने का क्या प्रोग्राम है कि उसी समय अक्कू का कॉल आ गया.

वो मुझसे बहुत देर तक बात करती रही. फिर उसने मुझसे घर जाने के बारे में पूछा, तो मैंने कहा कि हां मैं तुझे इसी बात को लेकर फोन लगाने वाला था. मैं कल वापस जा रहा हूँ, तेरा क्या प्रोग्राम है?
उसने कहा- हां मुझे भी जाना है. हम दोनों साथ में ही चलते हैं.

मैंने भी उससे हां बोल दिया और उससे उसकी टिकट के बारे में पूछा- क्या तुमने अपनी टिकट बुक करवा ली हैं?
उसने कहा- अभी नहीं. पहले आपसे पूछना था, उसके बाद ही करवाने की सोच रही थी. क्या आपने अपनी टिकट बुक करवा ली है?

मैंने उत्तर दिया कि अभी नहीं कराई है. बस बुक करने ही जा रहा था.
तो वो बोली- मैं दोनों के लिए बुक कर रही हूँ … आप रहने दो.

मैंने उससे ओके कह दिया और फोन काट दिया.

हम दोनों का कॉलेज एक होने के बावजूद भी हम दोनों कभी कभार ही मिल पाते थे, क्योंकि वो जूनियर थी. हमारा टाइमिंग भी अलग अलग था.

जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि उससे मेरी कभी कभी कॉल पर भी, तब ही बात होती थी, जब वो करती थी.

अक्कू ने टिकट बुक करा कर मुझे बता दिया. अगले दिन शाम 8 बजे की बस थी. ये बस जगदलपुर से अम्बिकापुर सीधी जाती थी. उसे अम्बिकापुर से जसपुर के लिए बस बदलनी थी.

बस रॉयल ट्रेवल्स की थी, उसने एक ही अपर बर्थ में दोनों की टिकट कराई थीं.

मेरे पास एक ही बैग था, जिसे मैंने अपना तकिया बना लिया … जबकि वो 3 बैग पैक कर लाई थी.

उसने एक बड़े बैग को बस की डिक्की में रखवा दिया था और 2 छोटे बैग साथ में रख लिए. इनमें से एक बैग को छोटा नहीं कहा जा सकता था, मगर उसे न जाने क्या लगा कि ये बैग डिक्की में खराब न हो जाए, इसलिए उसने इसे अपने पास ही रखना तय कर लिया था.

हम दोनों के पास एक ही बर्थ थी तो उसने उसी पर एक साइड में बैग को लगा लिया.

तय समय पर बस चल गई. हम दोनों ने बहुत देर तक बातें की, फिर मुझे नींद आने लगी … तो सो गया.
कुछ देर बाद वो भी सो गयी.

परसगांव पहुंचते पहुंचते रात को 12:30 बज चुका था. बस की अन्दर वाली लाइट्स भी बंद हो चुकी थी. उसके पैर मेरे ऊपर आ रहे थे क्योंकि उसने पीछे एक बैग रख दिया था, जिससे उसे पैर सीधा करते नहीं बन रहा था.

उसने पैर मोड़ कर रखे थे और मेरी तरफ मुँह करके सोने लगी थी.
उसकी गर्म गर्म सांसें मुझे महसूस हो रही थीं, जो मुझे पागल कर रही थीं.

कुछ देर बाद वो पलटी, तो मैंने भी जानबूझकर अपना एक हाथ उसके मम्मों के ऊपर रख दिया और हल्का सा हिला कर हटा दिया.
मैंने ऐसा जताया कि मैं गहरी नींद में हूँ.

थोड़ी देर बाद पलटने के बहाने फिर से मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर टिका दिया और इस बार हल्का हल्का सा दबाने लगा.
इससे उसकी सांस और तेज होती जा रही थीं.

जब मैं अपना हाथ हटाने वाला था, तब उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने हाथों से अपने मम्मों के ऊपर खींच लिया और अपने दूध दबवाने लगी.

तब मुझे पता चला कि वो पहले से जाग रही थी और बिना विरोध किए इस खेल का मजा ले रही थी.

उसकी तरफ से पहल देख कर अब तो मेरा लंड बस की छत की तरफ सीधा खड़ा हो गया था. मैं अपना हाथ अब उसके लोअर के नीचे से चूत पर ले गया.

उसकी चूत टपकने लगी थी, जिस वजह से उसकी पैंटी भी पूरी भीग चुकी थी.

मैंने लोअर गीला देखा, तो उसके अन्दर हाथ डाल कर चुत को टटोला. उसकी चुत एकदम क्लीन शेव थी.

मेरी उंगलियां उसकी चुत पर घूमने लगीं, तो उसने भी टांगें खोल दीं.

मैंने एक उंगली चुत के अन्दर डाल दी और चुत में आगे पीछे करने लगा. अक्कू ने भी मेरे लंड को पकड़ लिया.

वो मेरे खड़े लंड को महसूस करके वो फुसफुसा कर बोली- ओ मर गई … इतना बड़ा है.
उसी समय मैंने उसे चूम लिया.

उसने मेरे चुम्बन से गर्म होकर मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाला और लंड को दबा दबा कर उसका मजा लेने लगी.
मैंने उसे थोड़ी सी जगह दी, तो वो मेरे लंड को आगे पीछे करते हुए लंड की मुठ मारने लगी.

कुछ ही देर बाद मैंने भी अपने लोअर को चड्डी समेत नीचे सरका दिया.
अब वो मस्ती से लंड से खेल रही थी.

कुछ देर की मस्ती के बाद उससे रहा नहीं गया और उसने अपनी एक टांग को अपने लोअर बाहर निकाल दिया और मेरे लंड में थूक लगा कर मेरे ऊपर चढ़कर बैठ गयी.
मैंने भी सीधे लेट कर उसे अपने लंड पर सैट कर लिया.

वो अपने हाथ से अपनी चुत की फांकों में लंड को रगड़ने लगी.

मैंने महसूस किया कि उसकी चूत काफी टाइट थी, इसलिए मैंने उस जवान लड़की की चुदाई को कुछ आराम से करने की सोची. अगर मेरा मोटा लंड एक बार में ही मैं उसकी चुत में पेल देता, तो वो चिल्ला पड़ती और चलती बस में बवाल हो जाता.

मैंने उसके मुँह को अपने होंठों के करीब खींचा और होंठ से होंठ दबा कर नीचे से लंड को हल्का सा धक्का मारा.
मेरा लंड चुत में घुस गया और वो छटपटा उठी.

मगर मैंने दूसरे हाथ से उसकी गांड दबा कर एक और जर्क दे दिया. अब मेरा आधा लंड बड़े आराम से उसकी चुत के अन्दर घुस गया.

मैंने एक मिनट रुक कर उसके होंठों से होंठ हटाए और उससे पूछा- आगे चलूँ?
वो बोली- हां मगर धीरे … मैं काफी दिन बाद ले रही हूँ.

मैं समझ गया कि इस जवान लड़की की चुदाई पहले हो चुकी है तो किसी तरह का डर नहीं है.

अब वो मेरे सीने से चिपक गई और खुद ही गांड ऊपर नीचे लगी.
मेरा लंड पूरा चुत के अन्दर जा चुका था. मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

नीचे से मैं गांड उठा कर उसकी चुत चोद रहा था और ऊपर से वो कमर चला रही थी.
हम दोनों की चुदाई में आधा काम बस का हिलना कर रहा था.

कोई दो मिनट बाद ही हम दोनों चुदाई के आनन्द में गोते लगा रहे थे. मैंने उसकी बीस मिनट तक चुदाई की और उसकी चुत में ही झड़ गया.

चूंकि बस में ज्यादा जगह तो होती नहीं है, इसलिए मैं ज्यादा आसन ट्राई नहीं कर पाया, पर लेट कर साइड से और मिशनरी पोजीशन में मैंने अक्कू की चुदाई बहुत देर तक की. इस दौरान वो दो बार झड़ गई.

हमारी ये चुदाई अभनपुर आने तक चली. रायपुर में हम दोनों ने उतर कर चाय पी. फिर बस अम्बिकापुर के लिए निकल गयी. हमने फिर से एक और राउंड चुदाई का मजा लिया. अगले दिन सुबह हम दोनों अम्बिकापुर पहुंचे.

मैं उसे अपने घर लेकर गया. वो मेरे घर में फ्रेश हुई, दिन भर आराम किया.

घर में सेक्स करने का बहुत मन था, पर नहीं किया … क्योंकि घर में मेरे परिवार वाले भी थे.

शाम को उसे मैं खुद अपनी गाड़ी से उसे जसपुर छोड़ने गया था. कार में उसने बताया कि वो मुझे एडमिशन के दिन से चाहती है और मुझसे चुदना चाहती थी, पर कभी बोल नहीं पायी. इसलिए उसने जानबूझकर दोनों का टिकट एक ही बर्थ में बुक किया था.

रास्ते में जंगल था, वो मेरे लंड से खेलने लगी थी. उसकी चुदने की मंशा जानकर मैंने गाड़ी को सड़क से उतार कर कच्चे में लगा दी और नीचे चादर बिछा कर अक्कू के ऊपर चढ़ गया.

उसने भी मुझसे मस्ती की.

वो बोली- मुझे पूरे कपड़े उतार कर सेक्स करना है.

मेरा मन भी उसे नंगी करके चोदने का था.

मैंने उसके कपड़े उतारे तो उसके टाईट मम्मे देख कर मेरा मन मचल गया. वो मुझे अपमनी गोदी में बिठा कर दूध पिलाने लगी.
फिर मैंने उसे अपना लंड भी चुसाया और सिक्सटी नाइन में होकर उसकी चुत भी चूसी.

हम दोनों ने चुदाई की मैंने इधर खुले आसमान के नीचे उसे पेड़ से लगा कर कुतिया बना कर चोदा. वो भी मस्ती से लंड से चुदते हुए अपनी गांड हिला रही थी. मैं धकापेल चोद रहा था.

करीब आधा घंटे बाद हम दोनों संतृप्त होकर वापस कपड़े पहन कर गाड़ी में आ गए.

अभी वो जसपुर में है … और मैं अम्बिकापुर में हूँ. मेरी उससे रोज बात होती है. हम दोनों रोज फ़ोन सेक्स करते हैं. मैं भी उसे प्यार करता हूँ, रोज मुझसे कहती है कि कब लॉकडाउन खत्म हो और मैं उसे जमकर नए नए पोज़ में चोदूँ.

अब हम दोनों को लॉकडाउन हटने और कोरोना के खत्म होने का इंतजार है.

दोस्तो, ये मेरा दूसरा सेक्स अनुभव था पहला एक कॉलगर्ल के साथ भोपाल ट्रिप में हुआ था, जिसे मैं अगली सेक्स स्टोरी में बताऊंगा. कॉलगर्ल वाली बात अक्कू को भी पता है, मैंने उसे सब बता दिया है. उसने भी मुझे अपने पहले सेक्स के बारे में बता दिया था.

ये जवान लड़की की चुदाई कहानी भी मैंने उसी की मर्जी से ही लिखी है. मुझे उम्मीद है कि आप सबने इस चुदाई की असली कहानी का मजा लिया होगा. मेल करना न भूलें.
धन्यवाद.
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