गुलाब की तीन पंखुड़ियां-22

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

गुलाब की तीन पंखुड़ियां-21

गुलाब की तीन पंखुड़ियां-23

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अथ श्री योनि भेदन सोपान प्रारम्भ!

भेनचोद यह किस्मत भी हाथ में लौड़े लिए हर समय तैयार ही रहती है। गौरी इस समय रोमांच के उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी थी और बस मेरी एक पहल पर अपना सब कौमार्य मुझे सौम्प देने के लिए आतुर थी। मैं इस सोपान को आज ही सम्पूर्ण कर लेना चाहता था बस 10-15 मिनट की बात रह गयी थी।

पर ऐन वक़्त पर इस मोबाइल की घंटी से हम दोनों चौंक पड़े.
“ओह … दीदी ता फोन तो नहीं आ गया?” गौरी मेरी बांहों से छिटक कर दूर हो गई और उसने झट से अपने कपड़े उठाए और स्टडी रूम में भाग गई।

मेरा दिल जोर-जोर से किसी अनहोनी की आशंका से धड़कने लगा था। इस समय किसका फोन हो सकता है? मैंने कांपते से हाथों से मोबाइल उठाकर देखा, यह तो ऑफिस से फ़ोन था।
जैसे ही मैंने हेलो कहा उधर से आवाज आई- प्रेम जी सर … मैं बहादुर बोल रहा हूँ अपने गोडाउन में आग लग गई है आप जल्दी आ जायें.
“ओह … कब … आग कैसे लग गई?”
“हो सकता है शोर्ट सर्किट के कारण लगी हो.”
“हाँ … हाँ मैं पहुँच रहा हूँ जल्दी … तुम फायर ब्रिगेड को फ़ोन करो.”

अचानक हुए इस घटनाक्रम से मैं एक बार तो किमकर्तव्यविमूढ़ सा बन कर रह गया। थोड़ी देर बाद कुछ संयत हुआ। मैंने दुबारा हेलो बोला तब तक फोन कट चुका था।

अब तुरंत ऑफिस जाने की मजबूरी थी। फिर पूरा दिन आग से हुए नुक्सान का अनुमान लगाने, हेड ऑफिस इन्फॉर्म करने, इन्शुरेन्स क्लेम, पुलिस रिपोर्ट जैसी मगजमारी में ही बीत गया।

खैर शाम को जब मैं घर लौटा तो मधुर को ऑफिस के उस घटनाक्रम के बारे में बताया। खाना निपटाने के बाद मधुर तो सोने चली गई और गौरी अपनी किताबें लेकर मेरे पास आ बैठी।

मेरे दिमाग में तो आज सुबह की बातें ही घूम रही थी। गौरी ने आज हाफ बाजू की शर्ट और पाजामा पहना था। कल गौरी को कुछ होम वर्क दिया तो पहले तो उसे चेक किया बाद में उसे आगे के कुछ लेसन पढ़ाये।

मैंने गौर किया गौरी आज कुछ चुप सी है; उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग रहा है।
“गौरी बस आज इतना ही पढ़ाई करेंगे आओ थोड़ी देर बात करते हैं.”
“हओ” कहते हुए गौरी ने अपनी किताबें बंद कर दी। वह तो जैसे तैयार ही बैठी थी।

“गौरी, आज तो पूरा दिन ही ऑफिस की मगजमारी में बीत गया।”
“ज्यादा नुत्सान (नुक्सान) तो नहीं हुआ?” गौरी ने पूछा।
“नुक्सान तो बहुत भारी हुआ पर इन्शुरेन्स कंपनी से क्लेम मिल जाएगा। पर दूसरे नुक्सान का क्लेम पता नहीं कब मिलेगा?” मैंने हंसते हुए कहा।
“दूसरा तौन सा नुत्सान हुआ है?”
“सुबह-सुबह कितना बड़ा अनमोल खजाना मिलने वाला था … बहुत बड़ा नुक्सान हो गया।”
“हट … ” गौरी ने शर्माते हुए कहा।

मैंने गौरी को पकड़कर अपनी बांहों में भर लिया।
“गौरी आओ उस अधूरे सबक को अभी पूरा कर लेते हैं.” इने उसके गालों पर चुम्बन लेते हुए कहा।

मैंने ध्यान दिया आज गौरी ने कानों में सोने की पतली-पतली बालियाँ पहन रखी हैं। ऐसी बालियाँ तो मिक्की पहना करती थी।
“गौरी ये कानों की बालियाँ कब ली?”
“वो तल पुत्रदा एकादशी थी ना तो दीदी ने मुझे ये बालियाँ दी हैं।”

“भाई वाह … और क्या-क्या दिया?”
मैं सोच रहा था कमाल है यह साली मक्खीचूस मधुमक्खी किसी को एक फटा कपड़ा नहीं देती गौरी पर इतनी मेहरबान कैसे हो रही है? समझ से परे लगता है।
“ओल … एक नाइटी भी दी थी।”
“अच्छा? पहनकर दिखाओ ना प्लीज …”
“ना … अभी नहीं बाद में?”
“एक तो तुम आजकल मिन्नतें बहुत करवाती हो?”
“तल दिखा दूंगी … प्लोमिज”
“अच्छा उसका रंग कैसा है यह तो बता दो?”
“गुलाबी है।”
“हे भगवान्! तुम्हारे ऊपर गुलाबी रंग कितना खूबसूरत लगेगा मेरा दिल तो अभी से धड़कने लगा है.”
ईईईइ … स्स्सस्स्स्स … गौरी शर्मा गई।

“आपतो एत बात बताऊँ?”
“हओ?” मेरा दिल धक्-धक् करने लगा।
“आप दीदी को तो नहीं बताओगे ना?”
“किच्च”
“वो दीदी ने मुझे बताया था कि उन्होंने अपनी सुहागलात तो ऐसी ही नाइटी पहनी थी.” कह कर गौरी शर्मा कर गुलज़ार ही हो गई।
आईला …

साली यह मधुर मेरा ईमान तुड़वा कर ही दम लेगी। पता नहीं मधुर के मन में क्या चल रहा है। मेरा लंड तो पजामे में उछलने ही लगा था। मन कर रहा था कौन कल का इंतज़ार करे आज ही और अभी इसे पटक कर धारा 370 हटा देता हूँ।

मैंने गौरी के नितम्बों पर हाथ फिराना चालू कर दिया। गौरी की मीठी सीत्कार निकालने लगी थी।

“गौरी और क्या बताया मधुर ने अपनी सुहागरात के बारे में?”
“आपतो सब पता है.”
“प्लीज बताओ ना?”

“दीदी ने बताया कि उस रात आपने उन्हें बहुत से गज़रे पहनाये थे?”
“गौरी तुम्हें भी गज़रे बहुत पसंद हैं क्या?”
गौरी आज ‘हओ’ बोलने के बजाय शरमाकर अपनी मुंडी नीचे कर ली।

मेरा हाथ अब उसकी सु-सु के पास पहुँच गया था। उसकी गर्मी और खुशबू पाकर मेरा पप्पू तो किलकारियां ही मारने लगा था। गौरी ने कस कर अपनी जांघें भींच ली।
“वो नाइटी पहन कर दिखा दो ना? प्लीज?”
“मैंने बोला ना कल दिन में दिखा दूंगी?”
“पर कल तो सन्डे है … मधुर तो सारा दिन घर पर रहेगी?”
“अले … तल दीदी पूले दिन गुप्ताजी ते यहाँ जाने वाली हैं?”
“क्या मतलब?”

फिर गौरी ने बताया कि पड़ोस वाले गुप्ताजी की लड़की नेहा की 3-4 दिन बाद शादी है तो कल दिन में तो मेहंदी और हल्द-हाथ का प्रोग्राम होगा और फिर रात को उनके यहाँ रतजगा का प्रोग्राम होगा। नेहा ने विशेषरूप से मधुर दीदी को को पूरे फंक्शन में और रात को भी अपने साथ रहने का बोला है।

हे लिंग देव! आज तो तेरी दिन में भी जय हो और रात में भी। मैंने गौरी को एक बार फिर से अपनी बांहों में भींच लिया। मेरा हाथ उसकी सु-सु तक पहुँच गया था। जैसे ही मेरी अंगुलियाँ उसके पपोटों को टटोलने लगी गौरी उछलकर खड़ी हो गयी और मुझे धक्का सा देते हुए बोली- अब आप सो जाओ … गुड नाईट!
और फिर वह स्टडी रूम में भाग गई।

कल का दिन और रात तो हमारे ख्वाबों की हसीन रात होने वाली है। इन पलों का हम दोनों को ही कितना बेसब्री से इंतज़ार था आप समझ सकते हैं। आज की रात पता नहीं कैसे बीतेगी?

और फिर वे प्रतीक्षित पल आ गए जिसका हम दोनों ही पिछले एक-डेढ़ महीने से इंतज़ार कर रहे थे।

आज दिन में मैंने गौरी के लिए 10-15 मोगरे के गज़रे, इम्पोर्टेड चॉकलेट, एक सोने की अंगूठी और बढ़िया क्वालिटी का लेडीज पर्स और बहुत सा अल्लम-पल्लम ले लिया था।
मैं अपने इस मिलन को एक यादगार बनाना चाहता था। जिस प्रकार मधुर ने उसे अपनी सुहागरात के बारे में बताया था मुझे लगता है गौरी इस मिलन के लिए बहुत उत्साहित है।

मुझे एक बात अब भी समझ नहीं आ रही मधुर ने गौरी को अपने प्रथम मिलन के उन पलों को गौरी के साथ क्यों सांझा किया होगा? मेरे प्रिय पाठको और पाठिकाओ अगर आप कुछ बता सकें तो मैं आप सभी का आभारी रहूँगा।

रात के कोई 10 बजे हैं। खाना वाना निपटाने के बाद मधुर तय प्रोग्राम के अनुसार गुप्ताजी के यहाँ आज होने वाले रतजगा में शामिल होने चली गई है। मैंने आज सुनहरे रंग का कुर्ता और पजामा पहना है और बढ़िया परफ्यूम बजी लगाया है।

मैं हाल में बैठा गौरी का इंतज़ार कर रहा हूँ। गौरी अपने कमरे में (स्टडी रूम) में कपड़े बदलने चली गई है। मैंने उसे मोगरे वाले गज़रे पहनने के लिए भी दे दिए हैं। गौरी-प्रेम मिलन की प्रतीक्षा में मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा है। ऐसे समय में यह इंतज़ार के पल कितने लम्बे लगने लगते हैं।

अचानक स्टडी रूम का दरवाजा खुला और गौरी अपनी मुंडी झुकाए धीरे-धीरे मेरी ओर आने लगी। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। गौरी ने गहरे गुलाबी रंग की वही नाइटी पहनी थी। पैरों में चांदी की पायल और कानों में वही सोने की बालियाँ। आज उसने बालों का जूड़ा बना रखा था और उसके ऊपर दो गज़रे भी लगा रखे थे। दोनों हाथों की कलाइयों, कोहनी के ऊपर दोनों बाजुओं पर भी गज़रे लगा रखे थे। एक गोल गज़रा उसने अपनी कमर पर भी बाँध लिया था। होंठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक आँखों में काजल और माथे पर एक छोटी सी बिंदी। मेहंदी लगे हाथों की कलाइयों में लाल और हरे रंग की चूड़ियाँ। जैसे दुष्यंत की शकुन्तला ने पुनर्जन्म ले लिया हो।

मैं तो उसे ऊपर से नीचे तक अपलक देखता ही रह गया। जैसे क़यामत अब 2 कदम दूर ही रह गई है।

गौरी आँखें बंद किये मुंडी झुकाए मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मैं धीरे से उठा और गौरी को अपनी बांहों में ले लिया। और फिर एक हाथ नीचे करके उसे अपनी बांहों में उठा लिया। गौरी ने अपना सिर मेरे सीने से लगा दिया। मैं उसे उठाये अपने बेड रूम में आ गया।

अब मैंने गौरी को बेड पर बैठा दिया। मैं आज बाज़ार से सिन्दूर की एक डिब्बी और गज़रों के साथ दो फूलों की मालाएं भी लेकर आया था जो मैंने मधुर की नज़रों से बचा कर अपनी अलमारी में रख छोड़ी थी। मैं अब अलमारी से दोनों चीजें उठाकर ले आया।

“गौरी! मेरी प्रियतमा आओ मैं तुम्हारी मांग भर कर तुम्हें सदा-सदा के लिए अपना बना लेता हूँ ताकि तुम्हें और मुझे दोनों को ही कहीं ऐसा ना लगे कि हम दोनों कोई अपराध या अनैतिक कार्य कर रहे हैं।”

वह उठकर नीचे फर्श पर खड़ी हो गई। लाज से सिमटी गौरी के पास बोलने के लिए शायद शब्द ही कहाँ बचे थे। मैंने सिन्दूर से उसके पहले तो मांग भरी और और फिर फूलों की माला उसके गले में डाल दी और दूसरी माला मैंने गौरी को पकड़ा दी।
गौरी ने वह माला मेरे गले में डाल दी और फिर ने झुक कर मेरे पैरों को छू लिया।

अब मैंने अपनी जेब से वह सोने की अंगूठी निकाली और गौरी के दायें हाथ की अनामिका में पहना दी। मैंने गौरी के हाथ को अपने हाथ में लेकर उस पर एक चुम्बन ले लिया। गौरी लाज से सिमट गई।
“गौरी मेरी प्रियतमा! आज की रात हम दोनों के लिए सुनहरे सपनों की रात है। आओ हम दोनों इन सुनहरे ख़्वाबों को हकीकत में बदलकर जी भर कर भोग लें।”

गौरी ने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दी। हम दोनों बिस्तर पर आ गए।

कहानी जारी रहेगी.
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