गर्लफ्रेंड की बहन की चुदाई -3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

गर्लफ्रेंड की बहन की चुदाई -2

मेरी मॉडल बनने की ख्वाहिश-1

मेरी नज़र आशा के रूम में गयी उसके कमरे की लाइट जल रही थी. मैं खिड़की के पास गया तो देखा वो उसका वाशरूम था.
मैंने देखा कि आशा ने काला ब्लाउज और पेटीकोट पहना था वो कमोड पर बैठ कर अपनी आंखें बंद करके अपनी चूत में उंगली कर रही थी.

मैं उसकी चूत नहीं देख पा रहा था क्योंकि ऊपर पेटीकोट गिरा हुआ था. उसे ऐसे देख कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा ही गया.

जब वो झड़ गयी तो उसकी नज़र खिड़की पर गयी और मुझे देख कर वो डर गई.
उसे मैंने दरवाजा खोलने को कहा तो वो काली साड़ी पहन कर आई और दरवाजा खोल कर आंखें झुका कर मेरे सामने खड़ी हो गयी.

मैंने उससे पूछा- तुम ये क्या कर रही थी बाथरूम में?
तो वो बोली- कुछ नहीं साहब, मैं तो पिशाब कर रही थी.
तो मैं थोड़ा कड़क आवाज़ में बोला- तो क्या तुम्हरी पिशाब की नाली में कुछ फंस गया था जो तुम उंगली डाल रही थी?
वो डर के मारे कांपने लगी.

मैंने कहा- सच सच बताओ कि क्या कर रही थी?
मैंने दरवाजा बंद किया और कुर्सी पर बैठ गया. आशा मेरी तरफ पीठ किये खड़ी थी.

मेरे ख्याल से आप सब दोस्त ये सोच रहें होंगे कि मुझे फ्री की चूत नीतू की मिली होगी.
जी नहीं … मुझे जो फ्री की चूत मिली वो आशा की थी. मतलब वन्दना की नौकरानी की!

तो आशा मेरी तरफ पीठ करे खड़ी थी मैं कुर्सी पर बैठा उसकी गांड देख रहा था. मेरा लन्ड तो ऐसा कड़क हो गया था कि वो किसी भी वक़्त फट सकता था.
मैं आशा से बोला- मेरी बात का जवाब दो?
तो आशा बोली- साहब जी, आज जब मैं डुक्कू को घुमा कर घर वापिस आयी तो वन्दना जी आपका वो चूस रही थी तो मैंने खिड़की से देख लिया. बस उसी वक़्त से मुझे मेरे नीचे कुछ होना शुरू हो गया था.

मैंने पूछा- वन्दना मेरा क्या चूस रही थी? और तुम्हारे नीचे कहाँ कुछ हो रहा था?
तो वो बोली- साहब जी, मुझे बताने में शर्म आ रही है.
मैं बोला- अभी जब तुम अपनी चूत में उंगली कर रही थी तो क्या तब शर्म नहीं आ रही थी?
तो वो बोली- साहब जी, मेरी शादी को आठ साल हो गए और शादी के दो साल बाद मैं यहां आ गयी. मेरे पति दिल्ली में नौकरी करते हैं जो महीने में एक हफ्ते के लिए आते हैं तो हम तभी संभोग करते हैं लेकिन आज दो महीने हो गए, मेरे पति अपने गाँव गए हैं. इस लिए मैं दो महीने से उनके बिना ही रह रही हूं. तो आप समझ ही सकते हो कि आज मैं आपके उसको देखकर क्या कर सकती थी.

मैंने आशा से पूछा- तुमने मेरा वो क्या देखा?
तो वो बोली- मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- देखो शर्माओ नहीं, जो बोलना है बिंदास बोलो. शायद मैं तुम्हारे लिए कुछ कर सकूं?

तो आशा बोली- साहब जी, पहले आप वादा करो कि वन्दना जी को कुछ नहीं बताओगे.
मैंने वादा किया- ये बात तुम्हारे और मेरे बीच रहेगी.
और ये बोल कर मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया तो मैंने उसकी आंखों में देखा जो वासना से लाल हो रखी थी.

वो बोली- साहब जी, जब मैं डुक्कू को लेकर घर वापिस आयी तो मैंने खिड़की से देखा कि वन्दना जी आपका लन्ड चूस रही थी. और जब मेरी नज़र आपके लन्ड पर गयी तो मेरा मुंह खुला का खुला रह गया. आप का इतना मोटा और लम्बा लन्ड देख कर ना … मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मुझे अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. मुझे ही पता है कि मैंने उस वक़्त कैसे अपने आप पर काबू पाया.

यह सुन कर मैंने आशा को उसके कंधों से पकड़ा और उससे पूछा- क्या तुम मेरे साथ संभोग करोगी?
तो वो बोली- साहब जी, क्या आप मुझे अपने लायक समझते हो?
मैं बोला- आशा, जब संभोग की आग दोनों तरफ लगी हो तो कोई छोटा बड़ा नहीं होता!

यह बोल कर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और आशा भी मेरे होंठों को बुरी तरह से चूमने लगी. और चूमती भी क्यों न … आखिर वो दो महीने से प्यासी थी.
मैंने उसकी जीभ अपने होंठों में ले ली और बुरी तरह से चूसने लगा. हम दोनों का थूक आपस में मिलने लगा.

फिर मैंने उसकी साड़ी पेटीकोट सहित ऊपर उठाई और उसकी टांगों, जांघों और गांड पर हाथ फेरने लगा. आशा मजे में सिसकारियां लेने लगी. उसके बाद मैंने उसकी साड़ी उतार दी.

अब वो काले पेटीकोट और काले ब्लाउज़ में खड़ी थी और उसने मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरा लन्ड सहलाते हुए बोली- हाय साहब जी, आपका लन्ड तो बहुत सख्त मोटा और लम्बा है. वन्दना जी इसे कैसे अपने अंदर लेती होगी? मेरे पति का तो आपके लन्ड के मुकाबले बहुत ही छोटा और पतला है.
तो मैं बोला- लन्ड छोटा और पतला होने से कुछ नहीं होता. बस मर्द को औरत की तसल्ली करवाना आता हो!

अब मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया और उसकी काले रंग की जालीदार ब्रा के ऊपर से उसके चुचों को मसलने लगा.
आशा की आँखें चुदास से लाल हो गयी.

मैं ब्रा से बिना खोले ही उसके दोनों चुचों को बाहर निकाल कर चूसने लगा. आशा ने मस्ती में आकर खुद ही अपनी छाती को ब्रा से आज़ाद कर दिया, उसके साँवले चुचों पर गहरे भूरे रंग के निप्पल कहर ढा रहे थे. मेरे चूसने से उन पर लगे थूक के कारण वो काले अंगूर की तरह चमक रहे थे.

कुछ देर बाद मैंने उसे दोबारा से बेड से उठाया और उसे अपनी बांहों में ले कर अपनी छाती से उसके चुचों को दबा दिया और एक बार फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में दे दी.
वो मेरी जीभ से अपनी जीभ मिला कर मेरे होंठों को चूसने लगी. मैंने अपने थूक से उसके होंठों को पूरा गीला कर दिया.

फिर मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया जो उसकी चिकनी टांगों से फिसलता हुआ नीचे जमीन पर गिर गया. मैंने देखा कि उसने गुलाबी रंग की जालीदार कच्छी पहनी हुई थी. मैं पीछे से उसकी कच्छी में हाथ डाल कर उसकी चूतड़ों को दबाने लगा.

कुछ देर बाद उसने मेरी टीशर्ट उतार दी और मेरी छाती को चूमने और चाटने लगी, फिर उसने मेरे लोअर को भी उतार दिया और मेरे कच्छे में हाथ डाल कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया.
बोली- आह साहब, बहुत ही मस्त लन्ड है आपका!
और मेरे लन्ड पर हाथ फेरने लगी.

मैंने अभी तक उसकी कच्छी नहीं उतारी थी.

फिर उसने मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरा कच्छा भी निकाल दिया. मेरे लन्ड की लंबाई औऱ मोटाई देख कर उसकी आंखें फट गई.
वो अपने होंठों को गोल करते हुए बोली- ऊऊऊ साहब जी, ये तो मेरी चूत की धज्जियां उड़ा देगा.
तो मैं बोला- ऐसा कुछ नहीं होगा. पहले तुम इसे चूस कर चिकना करो, फिर मैं तुम्हारी चूत को चाट कर चिकना करूँगा तो ये आराम से तुम्हारी चूत में चला जायेगा.

यह सुन कर आशा ने मेरा लन्ड झट से अपने मुंह में ले लिया और जोर जोर से चुप्पे मारने लगी.

कुछ देर बाद मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उसकी टांगें ऊपर करके उसकी कच्छी उतारने लगा. आशा भी अपनी गांड ऊपर करके कच्छी उतारने में मेरी मदद करने लगी.
जैसे ही मैंने उसकी कच्छी उतारी, उसकी चूत देख कर मेरे मुंह से वाओ निकल गया. उसकी चूत बिल्कुल क्लीन शेव थी बिल्कुल किसी काले मार्बल की तरह चमक रही थी.

मैंने उसकी टांगें मोड़ कर चौड़ी कर दी और अपने हाथ के अंगूठे और उसके साथ वाली उंगली से उसकी चूत खोल कर सूंघने लगा.
उफ्फ … क्या महक थी उसकी चूत की!
मैंने सोचा भी ना था कि आशा इतनी सफाई रखती होगी अपनी चूत की!

मैंने आशा को बोला- वाह आशा, तुम तो बहुत सफाई रखती हो अपनी चूत की! एकदम चिकनी भी कर रखी है.
यह बोल कर मैंने उसकी चूत पर एक चुम्मी ली और एक उंगली से उसकी चूत की मसाज करने लगा.

वो मस्ती से ‘आह आह उफ्फ ओऊ ऊ सस्सस’ करने लगी.

फिर मैंने उससे पूछा- क्या तुम हमेशा ऐसे ही चूत को साफ रखती हो?
तो वो बोली- जी साहब … क्योंकि साहिल जी को मेरी ऐसी ही चूत पसंद है.

उसके मुंह से साहिल का नाम सुन कर मैं बहुत हैरान हुआ. उसे भी अपनी गलती का एहसास हुआ. वो मस्ती मस्ती में ऐसा बोल तो गयी और अब फिर से डरने लगी.
तो मैंने उसे पूछा- क्या तुम साहिल से भी चुदाई करवाती हो?
वो डरती हुई बोली- साहब, आप वन्दना मेमसाब को तो नहीं बताओगे कुछ?

मैंने उसे तसल्ली दी कि मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा तो वो बोली- साहिल जी मुझे महीने में एक दो बार जरूर चोदते हैं और मुझे पार्लर जाने के लिए भी पैसे देते हैं. मैं वहीं से ही अपनी चूत की सफाई वग़ैरा करवाती हूँ. पर साहब जी आप किसी को कुछ न बताना.
वो मेरे आगे हाथ जोड़ते हुए बोली.
मैं बोला- तुम फिक्र मत करो.

मैं अब उसकी टांगें चौड़ी करके फिर से उसकी चूत की चुम्मी लेकर चाटने लगा वो!
“आह आह साहब जी … ये क्या कर दिया? आपने हाय मर गयी! ये बोलते हुए वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगी.

कुछ देर बाद हम 69 पोजीशन में हो गए. वो मेरे लन्ड को अंदर तक लेकर चूसने लगी. मैं भी उसकी चूत को खोल कर अपनी जीभ चूत के अंदर तक चलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं फिर से लेट गया और आशा को अपने मुंह पे बिठा कर अपनी जीभ से उसकी चूत चोदने लगा.

कुछ मिनट बाद वो ‘आह आह साहब जी … मैं आ रही हूं!’ बोल कर झड़ गयी. उसने अपनी चूत को जोर से मेरे होंठों पर दबा दिया और अपने पानी से मेरा सारा मुंह भिगो दिया.

फिर वो उठी और मुझे चूमने लगी. मैं फिर से उसके चुचों से खलने लगा. वो फिर से गर्म हो गयी और बोली- साहब जी, अब डाल दो अपना लन्ड मेरी चूत में!

मैं खड़ा हुआ और मैंने लन्ड को आशा के मुंह में दे दिया. उसने चूस चूस कर लन्ड एकदम चिकना कर दिया.

मैं उसकी टांगों के बीच बैठ कर उसकी चूत पर लन्ड सेट किया और थोड़ा जोर लगा कर लन्ड का टोपा अंदर घुसा दिया.
जैसे ही टोपा अंदर घुसा, आशा ने एकदम गांड ऊपर को उछाली और बोली- हाय साहब जी, जरा धीरे करो … बहुत मोटा है आपका लन्ड!

मैंने फिर से एक धक्का मारा. मेरा लन्ड थोड़ा और अंदर घुस गया. आशा दर्द से छटपटाने लगी उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग गया.

मैं आधे लन्ड को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा. अब आशा को भी मजा आने लगा तो वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा लन्ड अंदर लेने लगी.
मैं धक्के लगते हुए झुका और उसके चुचों को चूसने लगा।

वो मजे में अपना निचला होंठ को साइड से अपने दांतों से काटने लगी और मस्ती से अपनी आंखें बंद कर ली.

मैंने मौका देखते हुए अपने लन्ड को बाहर खींचा और एक जोर के धक्के के साथ अपने लन्ड को उसकी चूत के अंदर तक पेल दिया.
मेरा लन्ड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया अचानक हुए इस हमले से आशा की चीख निकल गयी.
वो तो उसका कमरा घर से बाहर गार्डन की साइड में था अगर अंदर होता तो पक्का सब उसकी चीख सुन कर उठ जाते.

वो दर्द से बेहाल हुई जा रही थी. वो अपने हाथों से बेडशीट नोचने लगी और बोली- हाय साहब जी, बाहर निकालो अपना लन्ड! आप बहुत बेदर्द हो! बाहर निकालो इसे! मैंने नहीं चुदना आपसे!
मैंने उसके चेहरे पर बिखरी लटों को स्नवारा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें चूमने लगा.

फिर कुछ देर बाद उसके चुचों को चूसने लगा. फिर कुछ देर बाद वो मेरे बालों को सहलाने लगी, उसकी चुदास फिर बढ़ गयी, वो अब खुद धीरे धीरे अपनी गांड उठा कर लन्ड अंदर लेने की कोशिश करने लगी.

मैंने उससे पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा?
वो बोली- थोड़ा थोड़ा हो रहा है! पर अब आप चोदो. लेकिन धीरे धीरे चोदना साहब जी, आपका लन्ड सच में बहुत मोटा और लम्बा है.

मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू किए. पर इस बार धक्कों की स्पीड कम रखी.

आशा को अब मजा आना शुरू हो गया, वो गांड उठा उठा कर लन्ड ले रही थी और ‘हां हां हां साहब जी … और अंदर डालो … आह आह आह … हाये साहब जी … आप मुझे पहले क्यों नहीं मिले … हाये साहब जी … और तेज करो!’ बोल रही थी.

मैंने फिर से स्पीड बढ़ा दी. आशा की आँखें बिल्कुल लाल हो गयी, उसकी आँखों से पानी निकलने लगा. उसने मेरी पीठ को अपनी बांहों में लपेट लिया.

मैं पूरी ताकत से धक्के मारे जा रहा था. कुछ देर बाद आशा का बदन अकड़ने लगा, वो ‘आह आ आ आ’ करने लगी.
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है. मैंने जल्दी से उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लन्ड पेल दिया. चार पांच धक्कों के बाद वो जोर से ‘आह आह ओह ओह साहब जी … मैं गयीईईई …’ बोल कर झड़ गयी.

मैं अब भी धक्के मारे जा रहा था. उसकी चूत से अब पच पच की आवाज आ रही थी और उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी सांवली मखमली जांघों पर बह रहा था.

फिर वो बोली- आह साहब जी, मैं थक गई हूं, आप कब फ्री होंगे?
तो मैंने उसकी चूत से लन्ड निकाला और फिर से उसके मुंह में दे दिया.
आशा मेरे लन्ड पर लगे अपनी चूत का पानी भी चाट गयी.

फिर मैंने उसे पास रखे मेज पर बिठा दिया और उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत में लन्ड पेल दिया.
वो फिर से ‘आह आह आईईईई … उफ्फ उफ्फ!’ करने लगी.

कोई दस बारह धक्कों के बाद मेरा भी पानी छूट गया. मेरा इतना सारा पानी निकला कि उसकी चूत मेरे पानी से सारी भर गई उसका और मेरा पानी मिल कर उसकी चूत से बाहर बहने लगे.

उसने अपनी टांगों को मेरी कमर से लपेट दिया और मुझे जोरदार चुम्मा दिया.
अब मैंने अपना लन्ड उसकी चूत से निकाला तो उसने एक लंबी सांस ली.

मैंने एक सिगरेट जलाई और नंगा ही कुर्सी पर बैठ कर पीने लगा. वो भी नंगी ही उठकर बाथरूम जाने लगी. मैं जाते हुए उसकी मटकती हुई गांड देख रहा था.

थोड़ी देर बाद वो खुद को साफ करके अपने चुचों पर एक टॉवल लपेट कर आई और मेरे पास आकर मेरे बालों को सहलाने लगी.

मैंने उसका टॉवल खींच कर साइड में रख दिया और उसे नंगी को ही अपनी गोद में बिठा लिया और उसके चुचों को सहलाते हुए कहा- आशा, तुम्हारी चूत सच में ही बहुत लाजवाब है. मैंने आज तक इतनी मस्त चूत किसी की नहीं देखी.

यह सुन कर उसने शर्मा कर मेरे सीने पर प्यार से हाथ मार कर ‘धत्त बेशर्म!’ बोली.

फिर मैंने उससे पूछा- आशा, मुझे ये बताओ कि ये नीतू कैसी लड़की है?
तो बोली- कैसी होगी साहब जी, जवान है खूबसूरत भी है. और अपनी जवानी लूटा भी चुकी है.
मैंने पूछा- किसपे लुटा चुकी है?

तो वो बोली- एक आदमी नीतू का दोस्त है. मुझे तो वो शादीशुदा भी लगता है, जब घर में कोई नहीं होता तो नीतू उसे यहीं बुला कर अपनी चुदाई करवाती है.
यह सुन कर मैं खुश हो गया कि चलो अब अगली चुदाई नीतू की ही करूँगा.

अब सुबह के चार बज चुके थे. आशा मुझसे बात करते हुए मेरा लन्ड सहला रही तो मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया.

मैं आशा से एक बार फिर लन्ड चुसवा कर कपड़े पहनने लगा. आशा अभी नंगी ही खड़ी थी.
वो मुझसे बोली- साहब, अगर कभी मैं आपको अकेले में बुलाऊँ तो क्या आप आओगे?
तो मैं बोला- जरूर आऊंगा मेरी जान!

यह सुन कर उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. फिर मैंने उसे एक किस की और दबे पाँव अपने रूम में आकर सो गया.

कोई साढ़े दस बजे मेरी आँख खुली, मैं नहा कर तैयार हुआ तो आशा मेरे कमरे में चाय लेकर आई.
उसके चेहरे पर आज एक अलग ही चमक थी.

वो मुझे देख कर मुस्कुराई और चाय रख कर जाने लगी तो मैंने उसे पकड़ कर उसके होंठ चूम लिए. वो भी मेरे लन्ड को दबा कर भाग गई.

चाय पीकर मैं नीचे गया तो वन्दना और नीतू मेरा नाश्ते के लिए इंतज़ार कर रही थी.
हमने नाश्ता किया और मैं और नीतू वन्दना को बाय बोल कर स्टूडियो आ गए।

दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, कृपया मुझे जरूर बताएं. आपके सुझाव का भी मुझे इंतज़ार रहेगा.

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि नीतू की चुदाई का तो मैंने कोई जिक्र नहीं किया तो दोस्तो, मैंने नीतू को चोदा के नहीं और अगर चोदा तो कैसे, और मैंने आशा को भी दोबारा चोदा या नहीं, ये सब मैं आपको अपनी अगली कहानियों में बताऊंगा तब तक के लिए नमस्कार!
आपका अपना राकेश
[email protected]