घर में ही कुंवारी बुर को पेला-1

नमस्ते दोस्तों, मैं एक 35 साल का आदमी हूँ. लम्बाई भी ठीक ठाक है और मेरा लंड किसी को भी संतुष्ट कर सकता है. मैं एक बार फिर से आप सब के सामने एक मजेदार कहानी लेकर हाजिर हूं उम्मीद करता हूं कि आप सब को मेरी ये कहानी पसंद आएगी.

मेरी कई कहानियां आप लोगों ने पढ़ी होंगी. आज मैं एक और सच्ची कहानी लेकर आया हूं जो मेरी पिछली कहानी
दुबारा चुद गयी दोस्त की बहिन
से आगे की कहानी है.

उषा के जाने के कुछ दिनों के बाद मेरे और प्रीति के साथ ये घटना हुई. मैं अपने दोस्त राज के साथ रहता हूं. दोस्तो, एक तो नशा दारू का होता है लेकिन उससे भी बड़ा नशा चूत का होता है. चूत के नशे के आगे राजा महाराजा छोटा बड़ा अमीरी गरीबी जात पात सब फेल है. ये बात तो आप सब जानते ही हैं लेकिन जब चूत चोदने को मिल जाये तो सीधे स्वर्ग में जाने के बराबर होता है बाकी दुनियादारी तो चलती रहती है.

अब मुद्दे पर आते हैं. हुआ यूं कि हमारे घर के ठीक सामने वाले घर में एक परिवार रहता है. उस परिवार में तीन सदस्य हैं. उनकी एक ही बेटी है. जिसका नाम प्रीति है जिसकी उम्र 19 साल से ऊपर है. वो 12th में पढ़ती है.

क्या मस्त फिगर है उसका 34-32-34 का! उषा के जाने के बाद मैं प्रीति से कोई भी भी मौका मिलने का नहीं छोड़ता था. मैं सुबह को ऑफिस जाता था तो प्रीति के दर्शन जरूर हो जाता था और शाम को घर आता था तो कुछ बातें वातें भी हो जाया करती थी.

कभी कभी तो कोई नहीं होता था प्रीति के घर में … तो मैं जाकर सोफे पर बैठ जाता था और टीवी चालू कर के कुछ ना कुछ देखता रहता था.

प्रीति पानी या चाय के लिए जरूर पूछती लेकिन मैं उसे सीधा बोल देता कि मुझे तो प्रीति चाहिए. और प्रीति मुस्करा कर रह जाती.
जैसे ही मैं प्रीति को पकड़ता तो प्रीति छुड़ाकर भाग जाती. लेकिन वो मेरे और उषा के बारे में सब जानती थी कि मैंने उषा को चोदा है. उषा ने प्रीति को कहा था कि एक बार संजय से चुदवा ले! चूत चुदवाने में कितना मजा आता है ये तू नहीं जानती.

प्रीति भी मुझ से चुदवाना चाहती थी लेकिन डरती थी कि कहीं बच्चा ना रुक जाए. नहीं तो बहुत बदनामी होगी.

मैं अपने बाथरूम में प्रीति के नाम की मुठ मार कर शांत हो जाता था. लेकिन प्रीति को चोदने का तरीका नहीं मिल रहा था.

एक बार मेरा दोस्त राज तीन दिनों के लिए कहीं बाहर जाने वाला था तो मैंने सोचा कि राज के जाने के बाद उसकी बहन को ही बुला लेता हूं और अपना लंड को शांत कर लेता हूं.

अगले दिन राज सुबह सुबह तीन दिन के लिए बाहर चला गया. मेरा मन ऑफिस जाने का नहीं कर रहा था तो ऑफिस नहीं गया.

सुबह के 9.30 बज रहे थे कि तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनाई दी. दरवाजा खोला तो प्रीति सामने खड़ी थी.
उसने पूछा- ऑफिस नहीं गए?
मैंने कहा- सर में दर्द हो रहा था इसलिए नहीं गया.

प्रीति मेरे सर में तेल डाल कर मालिश करने लगी, मैं नीचे बैठे गया और प्रीति से मालिश करवा रहा था.
तभी मैंने पूछा- कैसी हो तुम प्रीति?
प्रीति ने कहा- ठीक हूं! मम्मी पापा बाहर गए हैं वो शाम तक आयेंगे!

मैंने सोचा कि बेटा इससे बढ़िया मौका नहीं मिलेगा इसे चोदने का!
प्रीति को मैंने कहा- क्या तुम डरती हो मुझसे?
प्रीति ने कहा- नहीं तो! मैं तुमसे क्यूं डरूं?

तभी मैं प्रीति की चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा. प्रीति को दर्द होने लगा. शायद उसका पहली बार था. लेकिन वो कुछ बोली नहीं और न ही बुरा मानी.
इसलिए मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना दरवाजा बंद कर दिया.

प्रीति ने कहा- कोई आ जाएगा छोड़ो मुझे मैंने कहा राज तीन दिन के लिए बाहर गया है हमको किसी का डर नहीं है मैंने प्रीति की चूचियों को दबाने लगा और होंटों को अपने होंटों में भर लिया.
वो भी मेरा साथ देने लगी और मदहोश होती चली गई.

प्रीति का हाथ मैंने अपने लंड पे जैसे ही रखा, प्रीति ने अपना हाथ हटा लिया और कहने लगी- बहुत मोटा है तुम्हारा!
लेकिन मैं माना नहीं, प्रीति का हाथ फिर से अपने लंड पे ले गया और बोला- इसे अब तुमको ही संभालना है, अब ये तुम्हारा है.
प्रीति डरते डरते मेरे लंड को सहलाने लगी, आगे पीछे करने लगी.

मुझे मजा आने लगा. मैंने प्रीति की सलवार में उसकी चूत में हाथ डाल दिया और उसके दाने के ऊपर उंगली चलाने लगा. प्रीति मदहोश होती चली गई. प्रीति की चूत ने मेरे हाथ पे पानी छोड़ दिया.
मैं उंगली को निकाल कर चाटने लगा.
यह देख कर प्रीति उठी और अपने घर भाग गई.

मैं प्रीति को चोदना चाहता था. 5 मिनट के बाद प्रीति ने इशारा करते हुए मुझे अपने घर में बुलाया.
मैंने मन में कहा कि आज मैं इसकी चूत को जरूर चोदूंगा. मैं उसके घर में चला गया.

मेरे अंदर जाते ही प्रीति ने दरवाजा बंद कर दिया और मैं प्रीति को अपने बांहों में भर लिया, उसके होंटों पे अपने होंट रख दिये. हम एक दूसरे को चूमने चाटने लगे.
कुछ देर बाद प्रीति ने कहा- संजय, अब बर्दाश्त नहीं होता.

क्या बताऊ दोस्तो … प्रीति चुदवाने के लिए कितना उतावली थी.

मैंने प्रीति को उठाया और बैड पर लिटा दिया और प्रीति के सलवार के अंदर उसकी चूत में हाथ डाल दिया. मेरी दो उंगली उसकी चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा. प्रीति मदहोशी में उन्ह आह एं ऊँ ऊँ उन न आह करने लगी.

मैंने प्रीति की सलवार और कमीज को झट से उतार दिया. अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में क्या मस्त लग रही थी. मैंने उसकी ब्रा को भी उतार दिया. क्या मस्त उसके चूचे थे … एकदम गोरे गोरे गुलाबी निप्पल!
मैंने तुरंत अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मुझ बहुत मज़ा आ रहा था. उसके चूचों को चूसते चूसते उसके निप्पल को लाल कर दिया.

थोड़ी देर में मैंने प्रीति की पेंटी भी उतार दी. दोस्तो, मैं बयान नहीं कर सकता कि कितनी मस्त उसकी चूत थी. उसकी चूत एकदम क्लीन शेव थी. शायद उसने एक या दो दिनों के भीतर ही अपनी झांटों को साफ किया हो.

उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकल रहा था. उस चिपचिपे पानी से मादक खुशबू आ रही थी. मैंने अपना मुंह तुरंत उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसकी प्यारी सी चूत को चाटने लगा. प्रीति को जैसे परम सुख का आनंद मिल रहा हो!
दोस्तो, इससे पहले कभी भी प्रीति ने ऐसा काम नहीं किया था.

प्रीति मदहोश सी होने लगी. मैं अच्छी तरह से प्रीति की चूत को चाटे जा रहा था प्रीति के मुँह से ‘आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह हअआह’ निकल रहा था.

अब मैंने अपना लंड को उसे मुंह में लेने के लिए बोला. तो वो मना करने लगी. मेरे जोर देने पर अपने मुँह में लिया और थोड़ा सा चाट कर बस कहने लगी.

तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और अपना मुँह उसके मुँह पे रख दिया ताकि उसकी चीख बाहर ना जाए.

तब मैंने एक जोरदार शॉट मारा तो प्रीति दर्द से तड़प उठी. उसकी चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई. उसकी आँखों से आंसुओं की धार बहने लगी. वो तड़पने लगी.
मेरा आगे का टोपा उसकी प्यारी सी चूत में घुस चुका था, उसकी चूत की सील टूट चुकी थी. उसकी चूत और मेरे लंड पर उसकी चूत का खून साफ साफ दिखाई दे रहा था.

मैं ऐसे ही थोड़ी देर पड़ा रहा. प्रीति का दर्द जब थोड़ा कम हुआ तो प्रीति हल्के हल्के अपनी गांड को हिलाने लगी. मैं समझ गया कि अब प्रीति पूरी तरह से तैयार है. मैंने थोड़ा झटका देना चालू किया.
धीरे धीरे 10-12 झटके के बाद प्रीति की चूत में मेरा आधा लंड घुस चुका था. बैड की चादर में थोड़ा खून का दाग लग गया था. मेरा लंड अपने पूरे रंग में हरकत करना चालू कर दिया. प्रीति को धीरे धीरे मजा आने लगा, प्रीति कहने लगी- ओ संजय, मेरे संजय … अपनी प्रीति की आग को बुझा दो! चोद कर मुझे तृप्त कर दो मेरे संजय!

मैंने उसकी चूत को चोदना चालू रखा. मैं प्रीति को चोदने में इतना मगन था कि प्रीति मेरी पीठ पर अपना नाखून धंसा दिये और मुझे मालूम भी नहीं पड़ा. प्रीति के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी ओओओ मे ऐ ऐ री चू उ उ त फट गयी.

मैं इतना मदहोश हो गया था उसकी चुदाई में कि मैं भूल गया था कि कहां पर हूं, मैं बस उसे चोदे जा रहा था.

इतने टाईम तक वो दो बार झड़ चुकी थी. बस में उसे चोदे जा रहा था और प्रीति मेरा पूरा साथ देकर चुदवा रही थी.
मैंने चोदते समय प्रीति से कहा- कैसा लग रहा है मेरी जान?
प्रीति ने कहा- बस चोदो मुझे!

अब मैं भी चरम पर था, मैंने प्रीति से कहा- प्रीति, मेरा निकलने वाला है.
प्रीति चुदाई मका मजा ले रही थी और बोली- मेरा भी होने वाला है. तुम अपना पानी मेरी चूत में ही गिराओ. मैं तुम्हारे वीर्य को अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूं.
इतना बोलते ही प्रीति झड़ गई.

उसके बाद मेरा भी वीर्य प्रीति की चूत में निकल गया और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए.

जब आँख खुली तो दो बज रहे थे. मैंने प्रीति को जगाया तो प्रीति शर्माती हुई उठी और अपने को पूरी नंगी देख कर अपनी चूत को छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
हम दोनों बैड से जब नीचे उतरे तो देखा कि बैड पे जो चादर थी उस पर खून और वीर्य लगा था.

प्रीति ने कहा- संजय, तुमने मुझे आज बहुत मज़ा दिया. अब मैं तुम्हारी हूं.
वो उठ कर बाथरूम की ओर चलने लगी तो प्रीति से चला नहीं जा रहा था.

मैं उसे उठा कर बाथरूम ले गया और प्रीति की चूत को अच्छी तरह से धोया. उसकी चूत सूजी हुई थी.

तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी.
धन्यवाद.
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कहानी का अगला भाग: घर में ही कुंवारी बुर को पेला-2