गर्मागर्म चूत और लंड की कहानी

नमस्कार दोस्तो, मैं काफी दिनों के बाद कोई हॉट स्टोरी लिख रहा हूँ. उम्मीद करता हूँ पिछली वाली गर्म सेक्स कहानी की तरह ये भी आपको पसंद आएगी.
जैसा कि मैंने पहले बताया था कि मैं ग्वालियर में रहता हूं और वहां अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा हूँ.

मेरे घर और मेरी कोचिंग के बीच एक सब्जी मंडी या हाट लगती थी, जहाँ से मैं सब्जी लेता था. मैं जब भी कोचिंग जाता या कोचिंग से वापस आता, तो उसी रास्ते से निकलता था. चूंकि वो एक भीड़ भाड़ वाला इलाका था, तो मुझे वहां अच्छी अच्छी बालाएं मतलब भाभियां, आंटियां वगैरह दिख जाती थीं, जिन पर मैं अपनी पैनी नज़र गड़ाकर कुछ रुक कर देखता और गुजर जाता था. मतलब मैं अपनी आंखें सेंकने के लिए ही वहां से गुजरता था.

वहीं पास में एक तीन मंजिल अपार्टमेंट था, जिसमें केवल कुछ 4-5 कामकाजी औरतें रहती थीं. उनमें से एक, जिनका नाम चांदनी था, शायद वे मुझे कई दिनों से नोटिस कर रही थीं कि मैं रोज यहाँ से ही क्यों गुजरता हूँ. उनके मन में क्या बात थी, ये तो मुझे नहीं मालूम.
उनकी बालकनी पर मेरी अक्सर निगाह जाती रहती थी. तो मैंने यह ताड़ लिया था कि ये मेरे गुजरने को लेकर कुछ न कुछ सोचती जरूर हैं. मेरी अक्सर ही उनसे निगाहें टकरा जाती थीं.

फिर एक दिन उन्होंने मुझे इशारे से बुलाया और ऊपर आने का कहा. मैं ऊपर गया तो उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हें शर्म नहीं आती, यूं खुलेआम लड़कियों औरतों को ताड़ते रहते हो?
मैंने कहा- इसमें शर्म की क्या बात … कभी किसी ने टोका ही नहीं.
उन्होंने कहा- तुम हमेशा ज्यादा उम्र की औरतों को ही क्यों ताड़ते रहते हो?
तो मैंने कहा- अपनी अपनी सोच या पसन्द होती है.
उन्होंने पूछा- इससे तुम्हें क्या फायदा मिलता है?
मैंने कहा- फायदा कुछ नहीं मिलता … मगर कभी कभी किसी हॉट माल को देखकर पैन्ट टाइट हो जाती है. बस इतना ही फायदा समझ लो.

वो आंख दबाते हुए बोली- तो फिर आज कोई दिखी हॉट सी?
मैं बोला- हाँ शायद!
उन्होंने फिर पूछा- कौन?
तो मैंने बोला- थी एक … लेकिन अभी तो आप ही हो.
इस पर वो बोली- अच्छा ऐसी बात है … कभी किसी के साथ डेट पर गए हो?
मैं बोला- डेट वगैरह पर तो नहीं गया लेकिन अगर मौका मिला तो डेट वगैरह में टाइम वेस्ट नहीं करूँगा बल्कि सीधा ठुकाई करूँगा.

वो बोली- अपने आप पर तुमको इतना कॉन्फिडेंस है? तो चल मेरे साथ चलेगा?
मैंने पूछा- कहाँ?
वो बोली- यहीं कहीं घूमेंगे या पास में कोई होटल देख लेंगे.
मैंने कहा- होटल का क्या मतलब?
वो बोली कि तेरी वाली डेट समझ ले.
मैंने समझते हुए कहा- ठीक है, शनिवार शाम 5 बजे यहीं मिलूंगा … तैयार रहना.
वो बोली- मैं ठीक से पूरी तैयार ही मिलूंगी.
फिर मैंने पूछा- आपके पति कहाँ हैं?
वो बोली- मेरी शादी नहीं हुयी. जॉब में इतनी व्यस्त हो गयी कि शादी का सोचा ही नहीं.

मैं हंस कर चला गया. मैं समझ चुका था कि यह चुदना चाहती हैं. शनिवार को जब मैं उधर पहुंचा, तो वो वहीं बाहर बैठी थी. उस दिन वो क़यामत लग रही थी. मतलब उसने पिंक सलवार सूट पहना हुआ था जिसमें में वो एक मस्त माल लग रही थी. एक सेक्सी लड़की टाइप की आइटम, जो आपका इंतजार कर रही हो, तो उसे देख कर मेरा लंड खड़ा होना तो बनता था. ऊपर से उसके बूब्स इतने उभरे हुए थे कि उसके कुर्ते का एक बटन हटाना भी पड़े, तब भी उसके मम्मे अपनी अकड़ खत्म न करें.

वो इस वक्त एक खूबसूरत बला लग रही थी. मुझे तो बहुत अच्छी फीलिंग आ रही थी. मैंने उनकी तारीफ में कहा- आज तो आप एकदम फाड़ू माल मतलब पटाखा लग रही हो.
वो बोली- अच्छा … इस पटाखे को फोड़ना चाहोगे?
मैंने कहा- माचिस भी तैयार है … आप जगह तो बताओ.
वो बोली कि इतनी जल्दी क्या है.. पहले जरा डेट हो जाए.

हम दोनों एक पार्क में गए. कुछ देर रसीली सेक्सी बातें की और फिर एक रेस्टोरेंट में आ गए. जहाँ मैंने उन्हें एक फूल दिया.

वापस आते समय उन्होंने मेडिकल से एक कॉन्डोम का पैकेट लिया और बोली- फूल के बदले कुछ तो देना पड़ेगा … बस तेरी माचिस की तीली ठीक जले.
मैंने कहा- इसको पहन कर तो पूरी की पूरी डिब्बी जला डालूंगा.
बोलीं- चल.. घर चल कर देखते हैं.

इसके बाद हम दोनों उनके ही घर आ पहुंचे. उसी बिल्डिंग में एक दो कमरों का पोर्सन था, जिसमें वो अकेली रहती थीं. वहां पहुंच कर हम सीधा उनके बेडरूम में आ गए और बेड पर बैठकर एक दूसरे को देखने लगे. इससे हमारे अन्दर और ज्यादा आग लग चुकी थी. अगले ही पल हम एक दूसरे की बाँहों में थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे. वो किस मेरी जिंदगी का पहला किस था, वो भी उसके साथ, जिसे मैं अन्दर ही अन्दर प्यार करने लगा था. उसके साथ चुम्बन करना एक ऐसा अहसास था, जिसे मैं बयान नहीं कर सकता.

किस के साथ ही उन्होंने मेरा एक हाथ अपने टाइट स्तन पर रख दिया जिसे मैं मसलने लगा. तभी उनका एक हाथ मेरे लंड को सहलाने में लग गया. फिर धीरे धीरे मैंने उनके कपड़े उतारे और उनके स्तनों को चूमने चूसने लगा.
वो अपने मुँह से मस्त सिसकारी निकाल रही थीं.

फिर मैं उनकी चूत की तरफ गया, उंगली चुत के अन्दर पेली, तो वो बोली- उंगली और सब्जियों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
मैं समझ गया कि ये अब तक अपनी उंगली या गाजर मूली से ही काम चलाती रही हैं.
इतनी खूबसूरत अनचुदी चूत को चूमकर मैं उस मस्त चूत के साथ खेलने लगा. जब उनका पानी छूटा तो उन्होंने मेरा पेंट उतारकर मेरे लंड को मुँह में लेकर मेरा भी पानी निकाल दिया.

थोड़ी देर बाद जब फिर जोश चढ़ा, तो उन्होंने मेरे लंड को खड़ा किया और फिर उस पर कॉन्डोम चढ़ा दिया. मैंने उनकी चूत में थूक लगाकर एक ही बार में लंड घुसेड़ दिया. उनकी सील टूट गई और खून आने लगा. वो इस दर्द को किसी तरह से झेल गईं. मैं थोड़ी देर शांत पड़ा रहा और फिर दनादन पेलने लगा.

यह मेरी पहली चुदाई थी, जो लगभग 15 मिनट तक चली. इसके बाद हम दोनों चरम पर आ कर धराशायी हो गए.
मैंने बिस्तर पर लेटे हुए उनसे कहा कि मुझे आपसे प्यार हो गया है.
तो वो बोली- मुझसे या मेरे शरीर से?
मैं बोला- आपसे.

उन्होंने कॉन्डोम हटा दिया, फिर हम रात ऐसे ही घंटों तक लगे रहे. अगले दिन मेरी छुट्टी थी ही, तो मुझे कोई चिंता नहीं थी. मुझे तो उनको चोद कर अपनी पहली चुदाई में बहुत अच्छा लगा.

चूंकि अब मेरे और चांदनी जी के बीच अच्छे सम्बन्ध बन चुके थे, तो मैं उनके घर जाता रहता था और उनका बाजा बजाता रहता था. उनकी उस बिल्डिंग में और भी मस्त पीस यानि औरतें थीं, जो शायद ये जासूसी करने लग गईं कि मैं कहाँ से और क्यों आता हूं. शायद वो जान भी गई थीं.

एक दिन जब मैं और चांदनी जी एक पार्क में मिले, तो उन्होंने मुझे बताया कि उनकी पड़ोसन भाभी ने शायद हमें मज़े करते हुए देख लिया था और अब वो तुमसे मिलना चाहती हैं.
मैंने कहा- ठीक है, मिल लूंगा.

अगले दिन मैं वहाँ गया, तब चांदनी जी तो नहीं थीं पर वो भाभी मिल गईं. वे मुझे अपने घर के अन्दर ले गईं. उन्होंने मेरे और चांदनी जी के बारे में थोड़ा बहुत पूछा कि मैं कौन हूं? हम कैसे मिले वगैरह वगैरह!
मैंने सब बता दिया.

तो वो बोलीं- ये तो गलत हुआ है.
मैंने कहा- गलत तो है लेकिन चांदनी जी मुझे अच्छी लगती हैं. और पहली बात या फिर सहमति उन्हीं ने दी थी, तो ये बात गलत नहीं रह जाती. क्योंकि हम आपसी सहमति से सेक्स कर रहे हैं.
फिर भाभी पूछने लगीं कि अगर कोई और लड़की तुमसे ये सब करने को कहे तो क्या करोगे?
मैंने कहा- पहले तो उसे जानने समझने की कोशिश करूँगा.. फिर अगर वो अच्छी होगी मतलब मेरे टाइप की होगी, तो डेट करूँगा.
इस पर वो बोलीं- क्या तुमने कभी अपनी उम्र की लड़की के साथ सेक्स किया?
तो मैंने जबाब दिया- नहीं, चांदनी जी मेरी साथ सेक्स करने वाली पहली हैं और मुझे अपने से बड़ी या शादीशुदा ही पसंद आती हैं क्योंकि वो मुझसे ज्यादा अनुभवी या समझदार होती हैं, जो किसी गलती को संभाल सकें.
फिर उन्होंने मुझसे एक बात पूछी- क्या तुम वो सब मेरे साथ भी कर सकते हो, जो चांदनी के साथ करते हो?
तो मैंने कहा कि मैं आपका मतलब नहीं समझा?

उन्होंने अपने बारे में बताया कि उनका नाम रीतू है, उम्र 35 वर्ष है, उनकी 22 की उम्र में शादी हो गई थी और 3 साल पहले पति की मृत्यु हो गई थी. अब सेक्स की जरूरत तो सबको होती है. तो क्या तुम मेरे साथ भी वो सब करोगे?
उनकी जरूरत समझ कर मैंने कहा- आप अपना नम्बर दे दो, मैं आपको बाद में बताता हूं.

मैं नंबर लेकर वापस आ गया और उनके बारे में सोचने लगा. वो भी कोई कम नहीं थीं, उनका फिगर एक एवरेज औरत से कुछ ज्यादा ही अच्छा था. सुन्दर भी थीं. जब मुझे कुछ समझ में नहीं आया तो मैंने चांदनी जी से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्होंने भी 3-4 साल से कुछ नहीं किया. वो स्वभाव से अच्छी हैं, अगर तुम्हें ठीक लगे तो हाँ बोल दो.

मैंने उन्हें फ़ोन लगाकर हाँ बोल दी और शाम को उनके घर मिलने को कहा.

शाम को मैं उनके घर गया तो वो मेरे लिए पूरी तैयारी से बैठी थीं. भाभी मस्त तैयार होकर मेरा इंतज़ार कर रही थीं. मैंने जाकर उन्हें अपने द्वारा लाया एक गुलदस्ता दिया और उनकी खूबसूरती की तारीफ में कुछ शब्द कहे, जो उन्हें पसंद आए.

मेरी एक बड़ी प्रॉब्लम है कि मैं हर एक खूबसूरत स्त्री से प्रेम करने लगता हूँ, तो शायद उनसे भी करने लगा.
मैं उनके पीछे पीछे उनके बेडरूम में गया जब वो खड़ी थीं, तो मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिया और उनके कान के नीचे गर्दन पर अपने होंठ घुमाने लगा. जिससे भाभी की गर्मी बढ़ने लगी.

मैंने उन्हें उसी पोजीशन में अपने पैरों के ऊपर उनके बेड पर बिठाया और उनके ब्लाउज़ के ऊपर से उनके बूब्स मसलने लगा. मैं धीरे धीरे भाभी के गले पर किस करने के साथ साथ अपने हाथ को उनके ब्लाउज में डालकर उनके बूब्स को भी छेड़ने लगा.

वो मेरे पैरों के बीच ही पलट के बैठ गईं और उन्होंने अपने पैरों से मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया. भाभी ने मेरे सिर को थोड़ा ऊपर उठाकर किस करना शुरू कर दिया. नीचे मेरे लंड और उनकी चूत के बीच केवल मेरे पेंट और उनके जांघों से ऊपर उठे हुए साड़ी पेटीकोट का फासला था.

मैं किस करने के साथ साथ उनके बूब्स और नंगी जांघ को सहला रहा था. भाभी भी मेरे सर को पकड़े हुए थीं. फिर मैंने उन्हें लिटाया और उनके ब्लाउज के हुक खोल कर उनके बूब्स बाहर निकाल लिए. भाभी के मम्मे देखने में एकदम सुन्दर थे, चाँदनी जी से भी अच्छे थे, जिनके साथ में खेलने लगा.

भाभी ने भी मेरा पैंट निकालकर मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया. इसके बाद वो बेड से नीचे उतरीं और अपने कपड़े उतारकर नीचे बैठ गईं. वो मुझे बेड के किनारे पर बिठा कर मेरे लंड को हिलाने लगीं और उसका टोपा खोलकर चूसने लगीं जिससे मेरा मस्ती के कारण बुरा हाल हो गया. भाभी बहुत सटीकता से लंड चूस रही थीं और कुछ ही पलों में ही उन्होंने मेरा पानी छुड़वा दिया.
अब मुझे नीचे बिठा कर भाभी ने अपनी मखमली, चिकनी व शेव्ड चूत को मेरे हवाले कर दिया. पहले मैंने उसमें अपनी उंगली चलाई, फिर अपने मुँह से चोदा. इस पोजीशन में वो कुछ ज्यादा ही आवाज निकालने लगीं और स्खलित हो गईं. उनके नमकीन रस को मैं चाट गया.

फिर कुछ देर बाद उन्होंने दोबारा मेरा लंड अपने मुँह में लेकर खड़ा किया और मैंने उनकी गीली चूत में अपना लंड धीरे धीरे घुसाया. फिर अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. बहुत देर तक हमने मजे लेते हुए पोजीशन बदलते हुए चुदाई की और अभी तो पूरी रात भी बाकी थी.

उस रात के बाद सुबह उन्होंने मेरा शुक्रिया किया और मुझसे इस बात को गुप्त रखने का वादा लिया. भाभी ने मुझे एक गिफ्ट भी दिया. अब मेरे मजे के लिए उस बिल्डिंग में दो घर हो चुके थे, जिनके दरवाजे मेरे लिए हमेशा खुले रहते थे. लेकिन मुझे क्या पता था कि उस बिल्डिंग के उस फ्लोर पर एक और दरवाजा था और उसके अन्दर एक और खूबसूरत परी या हुस्न की मलिका मेरे लंड के इंतज़ार में बैठी थी.

यह हिंदी सेक्स स्टोरी अगले भाग में जारी रहेगी.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको ये हॉट कहानी … मुझे मेल से बताएं या मेरे लिए कोई सुझाव या परामर्श हो, तो जरूर भेजें.
[email protected]