एक हसीन शाम दोस्त की बीबी के नाम

नमस्कार मित्रों! राजकोट की गलियों से में जुल्फिकार अपनी सच्ची कहानी आपको बताने जा रहा हूँ. मेरी कोशिश है कि ये आपको ज़रूर पसंद आए. तो प्लीज़ अपने कॉमेंट्स और सुझाव मुझे ज़रूर लिखिएगा,

मेरी उम्र 24 साल है, अफ्रीका में जॉब करता हूँ और आपकी दुआ से वेलसैट्ल हूँ. चार साल पहले मैं जब राजकोट में रहता था, मेरे पड़ोस में एक फैमिली थी, जिसमें अंकल आंटी, उनका बेटा और उनकी बहू नफीसा थे. अंकल आंटी बहुत ही अच्छे और हंसमुख स्वाभाव के थे, इसलिए मैं उनकी बहुत ज़्यादा इज्जत करता था.

उनका बेटा मेरा अच्छा दोस्त था और हमारी बहुत अच्छी बनती थी. इस वजह से मैं उनके घर बहुत बार खाना खाने भी जाया करता था. आंटी कोई भी चीज़ मेरे बिना नहीं खाती थीं क्योंकि वो मुझे अपना बेटा ही मानती थीं.

अब मैं आपको नफीसा के बारे में आपको बता दूँ. नफीसा दिखने में एकदम सेक्सी थी और उसकी हर अदा दिल को छू लेने वाली थी. पर मैं अब तक उसके बारे में अपने दिमाग़ में कभी कोई ग़लत ख्याल नहीं लाया था, क्योंकि वो मेरी भाभी ही थी ना.

हम जब भी घर में बैठते, तब बहुत मस्ती मज़ाक कर लिया करते थे और कभी मियां बीवी मुझे रास्ते में मिल जाते, तो मैं उनको आइसक्रीम या कोल्डड्रिंक के लिए ज़रूर इन्वाइट करता. भाभी मेरे सामने बहुत बार इशारे करतीं, मुझे छू लेती थीं, पर तब भी मेरे दिल में उनके लिए कोई ग़लत ख्याल नहीं आया था.
इसी तरह लगभग रोज का हमारा आना जाना और साथ में बैठना हुआ करता था.

एक दिन आंटी ने मुझे घर पे बुलाया और कहा- मुझे तुझसे कुछ बात करनी है.
मैंने कहा- आंटी कहिए ना, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?
आंटी ने कहा- बेटा तेरा दोस्त आजकल बहुत उदास रहता है और हमें कुछ बताता भी नहीं है. मैंने इस बाबत नफीसा को बहुत बार पूछा, पर वो भी कुछ नहीं बताती.

मैं आंटी की बात को गंभीरता से सुन रहा था.

आंटी- अब तू उसका दोस्त है, तू उससे बात करके देख, हो सकता है, वो तुझसे कुछ नहीं छुपाए.
मैंने कहा- ठीक है आंटी, मैं उससे बात कर लूँगा, आप चिंता नहीं कीजिएगा.

जब मैं वहाँ से निकला, तब मेरे मोबाइल पर रिंग बजी.

मैंने हैलो कहा, तो सामने से जवाब आया कि मैं नफीसा बोल रही हूँ. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है. बहुत बार तुमसे बात करने की कोशिश की, पर मैं नहीं कर पाई. आज मेरी सासू माँ ने तुमको बुलाया था और मैंने आप दोनों की सारी बात सुन ली है.
मैं कहा- तो?
नफीसा- आप अपने दोस्त को कुछ मत पूछना, हक़ीकत जो भी है, वो मैं तुमको मिल कर बताऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है आप जैसा कहो.
शाम को नफीसा ने मुझसे मेरे घर मिलने का कहा, मैंने कहा- ठीक है भाभी.. आप आ जाना.

शाम होते ही नफीसा मेरे घर आई और उसने मुझसे पहले दोस्ती की बात कही और दोस्ती निभाने का वचन लिया.
फिर उसने मुझे बताया कि उसके शौहर और वो दोनों शादीशुदा ज़िंदगी में खुश नहीं हैं.
मैंने वजह पूछी तो उसने बताया कि सेक्स लाइफ में कुछ प्रॉब्लम्स हैं. उसका शौहर उसको खुश नहीं कर पाता और उस वजह से हम दोनों में थोड़ी अनबन होती रहती है. इसी वजह से ही उसका शौहर गुमसुम रहता है.

मैंने कहा- इस स्थिति में तो डॉक्टर की सलाह लेना उचित रहेगा.
तब उसने कहा कि उसका शौहर इज़्ज़त जाने के डर से किसी के सामने इस बात को खुलासा नहीं करना चाहता.

अब मुझे तो कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था, मैंने पूछा- नफीसा भाभी, मैं आंटी को क्या जवाब दूँ?
तो नफीसा ने कहा- अभी थोड़े दिन तक इस बात को टाल दो, फिर आगे देख लेंगे.
इतना कह कर नफीसा ने मुझसे कहा- अब हम दोस्त हैं, इसलिए हर बात शेयर करेंगे.

थोड़ी देर चुपचाप बैठने के बाद नफीसा ने मुझसे पूछा- क्या तुमको मैं अच्छी नहीं लगती?
मैंने कहा कि नफीसा भाभी तुमको देख के कोई भी लड़का यही कहेगा कि तुम बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो. तुमको नापसंद करने की कोई बात ही नहीं है.
नफीसा- मतलब तुम मुझे पसंद करते हो?
मैं- अरे भाभी हो तुम मेरी … पसंद क्यों नहीं करूँगा?
नफीसा भाभी- भाभी की नज़र से नहीं, एक लड़की की नज़र से देखो.
मैं- जी.. तुम बहुत अच्छी हो.

नफीसा भाभी ने इठलाते हुए अंगड़ाई सी ली और पूछा- मेरा जिस्म कैसा है?
मैंने उसके उभार देखते हुए कहा- यह कैसा सवाल हुआ?
नफीसा भाभी- यहाँ आओ, मेरे पास बैठो, मैं तुमको सब समझाती हूँ.
मैं- ठीक है, जैसा आप कहें भाभी जी.

मैं नजदीक हुआ तो नफीसा भाभी ने मुझे गले लगाने को कहा.
मैंने कहा- यह तो ग़लत बात है.
तो उसने कहा- देखो ज़ुल्फी, मैं सिर्फ़ बात समझाना चाहती हूँ, तुम ग़लत मत समझो.

मैंने उसकी बात मान कर उसको गले लगाया. जैसे ही भाभी मेरे करीब आईं, तो मेरी नज़र उसके लिए कुछ अलग ही दिखने लगी और मेरा लंड टाइट हो गया, जिसे नफीसा भाभी ने भी महसूस किया. ऐसा महसूस होते ही हम दोनों अलग हो गए.

अब मैं भाभी के पास बैठ गया. उसने धीरे से कान में कहा- जुल्फी तुम्हारा टाइट हो गया ना?
मैं भाभी की बात पर शर्मा गया, मैंने कहा- हां.
मैंने ये जवाब देकर नज़रें नीची कर लीं.

उसने मेरे लंड पर हाथ रख कर कहा कि सिर्फ़ गले लगाने से तुम्हारा टाइट हो गया और तुम्हारे दोस्त के सामने तो मैं कपड़ों के बिना जाती हूँ, पर उसका टाइट तो छोड़ो, खड़ा ही नहीं होता. अब इसी वजह से मेरी तो ज़िंदगी ही खराब हो गयी. मैं अपने शौहर के साथ सही से बात नहीं करती क्योंकि उसने मुझे कभी ऐसा एहसास ही नहीं दिया.

खैर, हम दोनों में यह सब बातें हुईं और कुछ देर बाद नफीसा भाभी वहाँ से चली गईं. पर मेरे लंड को सुकून ही नहीं हुआ. उधर भाभी गईं और मैं सीधा बाथरूम में जा के अपने हाथ से अपना लंड हिला के शांत हो गया.
अब मैं नफीसा भाभी को चोदने का सोच सोच के रोज मुठ मारने लगा. मेरी निगाह उसके मस्त जोबन पर अटक के रह गई थी.

फिर एक दिन मैं आंटी से मिलने उनके घर गया. तब अंकल मुझे घर के बाहर ही मिल गए. अंकल ने मुझसे पूछा- बेटा आजकल कहाँ हो, दिखते नहीं हो?
मैंने कहा- अंकल, काम में बिज़ी था इसलिए तो आज स्पेशल टाइम निकाल कर घर पे आया हूँ.
अंकल ने कहा- बेटा तुम घर में जाओ, मुझे थोड़ा काम है, तो मैं शाम को आऊंगा.

जैसे ही मैं घर में गया, तो घर में कोई भी नहीं था. मैं ऊपर गया तो सेक्सी आवाजें आने लगीं. मैं रुक गया और मैंने चुपके से जा के देखा तो नफीसा भाभी बेड पे चित पड़ीं, अपनी पेंटी में हाथ डाल के ‘आअहह आआआ आआहह..’ कर रही थीं. मैं भाभी को छिप कर देख रहा था. वो खुद अपने बूब्स मसल रही थीं और अपनी उंगली चूत में डाल के मज़े ले रही थीं. मैं तो उनकी ये दशा देख कर दंग रह गया.

थोड़ी देर के बाद नफीसा भाभी ने अपना पानी निकाल दिया और मैं अपने खड़े लंड को पेंट में सैट कर के वहाँ से नीचे आ गया.
थोड़ी देर के बाद नफीसा भाभी भी नीचे आईं. भाभी ने कहा- अरे जुल्फी तुम कब आए?
मैंने कहा- बस अभी थोड़ी देर हुई, आप कहाँ थीं भाभी?
उसने कहा- मैं रूम में थी, रेस्ट कर रही थी.
मैंने कहा- ओके? मैं ऊपर आया पर आप तो मुझे नहीं दिखी थीं.

मेरी इस बात से वो चौंक गयी और उसने कहा- तुम ऊपर आए थे?
मैंने कहा- हां मैं ऊपर आया था और जब देखा कि कोई नहीं है, तो नीचे आ कर बैठ गया.
उसने कहा कि अगर तुम ऊपर आए थे.. तो तुमको कोई नहीं दिखा?
मैंने कहा कि हां कोई नहीं दिखा था.
वो शर्मा गयी और वो नीची नज़र करके चुपचाप बैठ गईं.

मैंने उसको इशारा किया पर वो जानबूझ के नाटक कर रही थी. मैंने बहाने से हिम्मत करके उसको छू लिया और उसके करीब बैठ गया.
उसने मेरी तरफ प्यार से देखा, तो मैं उसके बूब्स को देखते हुए उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया.
नफीसा- जुल्फी यह क्या कर रहे हो?
मैं- दोस्ती निभा रहा हूँ.
नफीसा- जुल्फी कोई देख लेगा, तो क्या सोचेगा?

मैंने अपना लंड निकाल कर उसका हाथ मेरे लंड पर रख दिया. फिर मैंने उससे कहा कि अभी तुम अपने रूम में जो कर रही थीं, वो मैंने सब देख लिया है. शायद तुमको लंड की ज़रूरत है इसलिए मैं तुमको खुशी देना चाहता हूँ.
नफीसा- जुल्फी प्लीज़ मुझे छोड़ दो, मैं यह नहीं कर सकती. मैं मानती हूँ कि मुझे लंड की ज़रूरत है और तुम्हारा लंड मुझे मिल जाएगा, यह मेरी ख़ुशनसीबी है पर प्लीज़ मुझे छोड़ दो.

वो मेरा लंड सहलाते हुए यह सब कह रही थी. मैंने उसे छोड़ दिया, पर उसने मेरा लंड नहीं छोड़ा था. वो कह रही थी- जुल्फी प्लीज़ छोड़ दो, छोड़ दो.
मैंने कहा- नफीसा मैंने तो छोड़ दिया है.. मगर तुमने मेरा अभी तक नहीं छोड़ा है. क्यों अपने आपको तकलीफ़ दे रही हो?
मेरा लंड मसलते हुए नफीसा कह रही थी कि जुल्फी मैं यह नहीं कर सकती.

मैं उसके मम्मों को दबाने लगा, मसलने लगा और वो मदहोश होने लगी. मैं उसकी पेंटी में हाथ डाल कर सहलाने लगा और वो ना ना करते हुए धीरे धीरे मेरे लंड को बहुत सहलाने लगी. मुझसे चिपकने लगी.
मैंने वक़्त ना गंवाते हुए उसे बेडरूम में आने को कहा. वो आंखें बंद करके मेरी गोद में आ गयी.

मैंने उसे उठाया और ऊपर उसके बेडरूम में ले जाकर उसे बिस्तर पर लेटा दिया. मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए. उसकी चुत ऐसी गुलाबी थी कि बस पूछो ही मत. उसके बूब्स काफी टाइट और कड़क आकार में थे. अपने जिगरी दोस्त की नंगी बीवी देख कर मेरा तो बुरा हाल हो गया था.

मैंने उसे चूमा, तो वो झट से उठ कर बैठ गई और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. वो मेरे लंड को बड़ी बेताबी से चूसने लगी. मैं भी उसके मम्मों को चूसने लगा और 69 में होकर उसकी चुत चाटने लगा.

थोड़ी देर के बाद नफीसा ने मुझसे कहा- प्लीज़ जुल्फी, पहले दरवाजा बंद कर दो.
मैंने दरवाजा बंद किया.
नफीसा- आओ जल्दी से मेरे ऊपर छा जाओ, तुमने मुझे पागल बना दिया है.
मैं- पागल तो मैं भी हूँ, कितने दिन से सोच रहा था कि नफीसा एक दिन मेरी बांहों में हो.
नफीसा- आज मैं तुम्हारी बांहों में हूँ और तुम्हारे हवाले मैं अपना जिस्म सौंप रही हूँ.
मैं- ठीक है, आज तुम्हें हर खुशी मिल जाएगी.

वासना के नशे में आकर उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल के मुझसे चोदने को कहा. मैंने धीरे से उसकी चुत में अपना आधा लंड एक ही झटके में दे दिया.
नफीसा ने कराहते हुए कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई … बहुत दर्द हो रहा है जुल्फी.
मैं- थोड़ी देर होगा मेरी जान.
नफीसा- जुल्फी जल्दी से पूरा लंड अन्दर डाल दो और मुझे आज ज़िंदगी का मज़ा दे दो.

मैं नफीसा को जी भर के चोदता रहा और वो मेरी बांहों में मचलती रही.

करीब बीस मिनट के बाद जब मैं झड़ने वाला था, तब मैंने नफीसा से कहा- नफीसा मैं माल कहां निकालूँ?
नफीसा ने माल को अपनी चुत में निकालने को कहा. आख़िर में मैंने भी लास्ट झटके मार के नफीसा की चुत में माल निकाल दिया.
उतने में नफीसा तीन बार झड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम दोनों एक दूसरे की बांहों में पड़े रहे. फिर हमने हफ्ते में तीन दिन सेक्स करने का फैसला किया. इस घटना के बाद मेरी और नफ़ीसा की सेक्स लाइफ़ बहुत अच्छे से चल रही थी.
यह सिलसिला लम्बे अरसे तक चला. वो अब भी मेरे साथ चैट करती है और हम दोनों के बीच का जो रिश्ता है कि हम किसी को पता नहीं चलने दिया.

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं. मुझे नीचे लिखे पते पर कांटैक्ट करें.
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