एक अनोखा उपहार-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

एक अनोखा उपहार-5

एक अनोखा उपहार-7

अब तक मुझे जोरों की पेशाब लगी थी.
मैंने नेहा की बताई जगह से एक टावेल निकाल लिया. हड़बड़ी में अपने कपड़े निकाल कर बिस्तर पर ही एक किनारे फेंक कर बाथरूम में घुस गया।

वहाँ से मैं थोड़ी देर में सीधे नहाकर ही टावेल लपेट कर सर का पानी झाड़ते हुए बाहर आया.
मैं खुद को अकेला समझ कर बेपरवाह था. पर कुछ कदम बिस्तर की ओर चलते ही मुझे एक महिला के बैठे होने का अहसास हुआ.

अरे ये तो भाभी जी हैं!
मैं अब हड़बड़ा के वापस मुड़ने वाला था पर भाभी ने ही तुरंत कह दिया- अरे रूको भी … हमसे इतना भी क्या शर्माना?
अब वहाँ वैसी ही स्थिति में रूकना मेरी मजबूरी हो गई थी.

मैं सोचने लगा कि ये अंदर कैसे आई होगी. तब याद आया मुझे जोर से पेशाब लगी थी, इसी चक्कर में मैंने दरवाजे को लॉक नहीं किया था. और होटलों के दरवाजे बिना लॉक वाली स्थिति में दोनों तरफ से खुलने वाले होते हैं।

मैंने भाभी जी से कहा- भाभी जी, आप दो मिनट रुकिये मैं कपड़े पहन लेता हूँ.
तो उसने कहा- अरे वा भई वा … हमारी ननदों को सारे मजे दोगे और जो सारी व्यवस्था में लगी है उसे प्यासी रखोगे?

अब मेरे पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी. मैं समझ चुका था मेरे बोनस में इजाफा हो चुका है.
भाभी इस्स्स करते हुए पास आई और मेरे चौड़े फौलादी सीने को सहलाते हुए कहा- हाथ से ही पानी झड़ाओगे या मैं भी कुछ मदद करूं?

दरअसल वो डबल मीनिंग बात कर रही थी. अभी मैं सर के बाल पौंछ रहा था. भाभी उसी के बहाने अपनी बात कह रही थी।

मैंने कहा- जैसा आपको ठीक लगे, अब तो मैं आपकी व्यवस्था का हिस्सा हूँ.
तो उसने टावेल के ऊपर से ही मेरे लिंग को कस के दबा दिया और कहा- हड़बड़ी में गड़बड़ी मेरी आदत नहीं! अभी आप तैयार हो जाइये और लंच कर लीजिए, आपसे रात को मुलाकात होगी।

उसके बाद उसने मुझे छोड़ा और कहा- अब मैं कुछ जरूरी बातें बता रही हूँ, उनका ध्यान रखना.

आज रात तक वैभव और उसका परिवार उस होटल (दूसरा होटल, जहाँ उन्हें ठहराया जा रहा था) में आ जायेंगे. आप वहाँ जाकर वैभव से मिल आना. वहाँ की व्यवस्था में मेरे पति लगे हुए हैं. तुम्हें यहां वैभव का दोस्त और उसका संदेशवाहक बनाकर रोका गया है. इसीलिए तुम यहाँ खास मेहमान हो।

खुशी की सहेलियाँ यहाँ कल आयेंगी. उनको आपके ही पास 35 नम्बर कमरा दे दिया जायेगा. मेरी और तुम्हारी बात खुशी को भी पता नहीं चलनी चाहिए. वैसे वो मुझे एक दो बार पकड़ चुकी है. पर मैं उसके सामने खुल कर नहीं आना चाहती. उसने तुम्हारे संबंध में मुझसे बहुत शर्माते हुए मदद मांगी थी।

यहाँ और किसी के साथ कुछ मत करना क्योंकि यहाँ मौके तो बहुत मिलेंगे. पर तुम्हारे कारनामों की वजह से वैभव की इज्जत को ठेस लग सकती है।

अच्छा तो अब मैं चलती हूँ और तुम्हारा स्वाद तो मैं कभी भी चख सकती हूँ।

एक तरह से भाभी ने मुझे चेतावनी दी थी. पर मैं कौन सा यहाँ मुंह मारने आया था. मैं तो यहाँ सिर्फ खुशी के लिए आया था।

अभी लगभग एक बज रहां था. नहाने के बाद भूख से मेरी हालत खराब होने लगी।

मैंने अपने बैग से कपड़े निकाले. मैंने शादी के लिए ही दो अच्छे सूट खरीदे थे और दो पहले वाले सूट भी साथ रख लिये थे. उन्हीं में से एक लाइट ब्राउन सूट पहनते हुए मैंने नेहा का दिया कार्ड उठाया और कॉल किया- लंच की व्यवस्था क्या है?
इस पर नेहा ने कहा- सर, मैं आपके रूम के पास ही हूँ. मैं आकर समझा देती हूँ.
मैंने ओके कहा और फोन काट दिया।

दो मिनट में नेहा आ गई. दरवाजा लॉक नहीं था. मैंने कपड़े पहन लिए थे और बालों में जैल लगा रहा था.

नेहा ने आते ही विश किया और कहा- सर, अगर आप नीचे जाकर लंच करना चाहे तो जा सकते हैं. मैं आपको स्टाल की जगह दिखा दूंगी. और आप स्पेशल या प्राइवेट में लंच करना चाहें तो मैं यहीं भिजवा देती हूँ।
मैंने तुरंत कहा- यहाँ नहीं, मैं नीचे ही चलता हूँ.

तुरंत मैंने शू पहने और नेहा के साथ नीचे आ गया.

मैंने लिफ्ट में नेहा को फिर छेड़ा- यार देखो तो मैं कैसा लग रहा हूँ?
अब नेहा मुझसे थोड़ा खुलने लगी थी, उसने कहा- अच्छे नहीं लग रहे हो।

पर उसके बोलने का अंदाज बता रहा था कि मैं बहुत ज्यादा हैंडसम लग रहा था.
हम दोनों हंस पड़े.

नेहा मुझे होटल के एक तरफ ले जाने लगी.
तभी मैंने नेहा से कहा- यार क्या तुम मुझे होटल घुमाने और शादी के बारे में समझाने के लिए थोड़ा टाईम दोगी?
नेहा थोड़ा सोचने लगी, फिर कहा- सर आप लंच कर लीजिए. तब तक मैं अपना काम निपटा के आती हूँ।
मैंने ओके कहा और खाने की ओर बढ़ गया.

पर खाना देखते ही दिमाग खराब हो गया, बहुत प्रकार की मिठाई, बहुत प्रकार के पकवान बहुत प्रकार की सब्जियाँ, सब कुछ था पर सादा भोजन नजर ही नहीं आता था।

सभी समाज में खानपान का तरीका अलग-अलग होता है, इस बात से मैं परिचित था. इसलिए मैंने खाने की चीजों को जानने या उस विषय पर सोचने में समय नहीं गँवाया, बस स्टाल में खड़ी लड़की से पूछा- सादा खाना भी है या नहीं?
तो उसने एक ओर इशारा किया.

मैं उधर चला गया. पर मैंने जाने से पहले नोटिस किया कि मेरे पास ही एक लड़की अपने प्लेट में पकवान निकालते हुए मेरी बातों को सुनकर मुस्कुरा रही है।
फिर मैं खाना लेकर ऐसे टेबल पर बैठा जहाँ से मैं उसे देख सकूँ.

मैं उसे देखते हुए खाना खाने लगा. स्वादिष्ट सादे भोजन के साथ मैंने कुछ मिठाई भी खाई. और मैंने उस समाज की कुछ पेटेंट डिश भी चखी.
इस दौरान मैं उस लड़की को लगातार लाइन मार रहा था, और मुझे लगा कि वो भी मुझे लाइन दे रही है।

उसकी सुंदरता और सादगी बरबस ही मेरा ध्यान खींच रही थी, उसने कान में बड़ी सी रिंग पहन रखी थी. जो बच्चों की चूड़ी की साइज में थी. होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक जिसकी मुस्कान मेरे दिल पर छुरियाँ चला रही थी।

उसने नीचे व्हाइट का प्रिंटेट काटन लहंगा पहना था, जिस पर फीके हरे रंग के फूल की डिजाइन बनी थी. और फीके हरे प्लेन रंग की पूरी बाँहों वाली कुरती डाल रखी थी. जो एकदम नये पैटर्न और लुक में थी.

पर वैसे ही कपड़ों में मैंने कुछ और लड़कियों को भी देखा.

मैं उनकी वेशभूषा से किसी नतीजे में पहुंचता … इससे पहले ही नेहा आ गई.

नेहा को मैंने बैठने के लिए कहा तो नेहा मेरे सामने ही बैठ गई जिससे मुझे उस लड़की को देखने में दिक्कत होने लगी।
मैंने नेहा को साइड होने का इशारा किया, नेहा साइड तो हो गई पर उसने भी पलट के देख लिया कि आखिर मैं देख क्या रहा हूँ।

नेहा समझ गई कि मैं क्या देख रहा हूँ, नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- सर खाना हो गया, या कुछ लाऊं?
मैंने कहा- ला सकोगी??
नेहा जानती थी कि मैं क्या कह रहा हूँ.
उसने कहा- सॉरी सर नहीं ला सकती।
तो मैंने कहा- फिर पूछती क्यों हो?
नेहा ने फिर सॉरी कहा।

मैंने कहा- हर बात पे सॉरी ठीक नहीं लगता.
नेहा ने फिर सॉरी कहा.

और मैं हंसते हुए हाथ धोने चला गया.

तब तक नेहा ने एक बैरे को पानी लेकर बुला रखा था. मैंने पानी पिया और नेहा को होटल दिखाने के लिए कहा.
सबसे पहले मैंने आँख उचका कर उस लड़की की ओर इशारा करते हुए कहा- वो कौन है, और उसका ड्रेस?

नेहा और मैं साथ चल रहे थे.

और उसने बोलना शुरू किया- आप जिसे देख रहे थे वो पार्लर और मेहंदी कंपनी की टीम है. सभी कंपनी अपनी टीम के लिए आकर्षक ड्रेस रखना चाहते हैं, और बीच-बीच में अपडेट भी करते रहते हैं।
ये पूरी शादी मैरिज ब्यूरो वाले को ठेके पे दी गई है, यहां सजावट वाले की अलग टीम, कैटरिंग, पार्लर मेहंदी, म्यूजिक अरेंजमेंट, घोड़ा बग्गी, सबके लिए अलग टीम बुलाई गई है, जिसे पूरी तरह मैरिज ब्यूरो वाले संभालते हैं।
मेहमानों का हालचाल और स्वागत सत्कार घर वालों के जिम्मे होता है, कार्यक्रम की रूपरेखा के मुताबिक सबको समय पर अपना काम निपटाना होता है. नहीं तो डाँट मार भी पड़ सकती है और पेमेंट कटेगा सो अलग।

नेहा ने होटल का स्विमिंग एरिया भी दिखाया. होटल स्टाफ के बारे में भी बताया और कहा- अभी शादी के कारण सबकी ड्यूटी बढ़ा दी गई है।
मैंने कहा- ज्यादातर जगहों में लड़कियां ही काम करती नजर आ रही हैं, ऐसा क्यूँ??

खुशी की शादी में मेरी यानि संदीप की लोफरगिरी की कहानी जारी रहेगी.
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