दिन में सुहागरात-1

हाई फ्रेंड्स! मेरा नाम सपना कंवर है और मैं राजस्थान के बीकानेर से हूँ. मेरी हाईट 5 फीट 6 इंच है और साइज़ 34-30-34 है. यह कहानी मेरे और जीजा जी के बीच में हुई सच्ची घटना है.
यह कहानी तब की है जब मैं 19 साल की थी. मेरी दीदी मुझसे 6 साल बड़ी है और शादीशुदा है. दीदी के 2 बेटे हैं. जीजा जी मेडीकल लाइन में जॉब करते हैं और दीदी भी साथ में ही रहती है.
जीजा जी जब भी हमारे यहां आते थे तो मुझे छेड़ते रहते थे. मौका पाकर वह मेरे बूब्स दबा देते थे.
मैं भी गुस्से में कह देती थी- ये सब मेरे साथ मत किया करो. अपनी पत्नी के साथ किया करो.
जीजा जी मेरी बात पर कहते थे कि आप मेरी साली हो और साली आधी घरवाली होती है. इसलिए आपके ऊपर मेरा आधा अधिकार है.

मैं भी फिर कुछ नहीं बोलती थी. ऐसे ही करते-करते उनका ये सब करना कुछ ज्यादा ही होने लग गया था. वो मुझे फोन पर पॉर्न फिल्म दिखाने लग जाते थे और मेरे गालों को चूमने लग जाते थे.

धीरे-धीरे मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा. अब मैं भी जान-बूझकर उनके आस-पास ही मंडराने लगी थी. जीजा जी मुझसे बोले कि आप जब मेरे यहाँ आओगी तो आपके साथ सुहागरात मनाऊँगा.
मैं बोली- वो तो आपने दीदी के साथ मना ली है ना!
जीजा जी बोले- तो फिर आपके साथ ‘सुहागदिन’ मनाऊंगा.
मैंने भी कह दिया- ओके, मना लेना.

मैं सोच रही थी कि दिन में कहाँ किसी को मौका मिलता है? अभी मैं जीजा जी के कामुक व्यवहार से इतनी परिचित नहीं थी और सोच रही थी कि जीजा जी को मेरे साथ सुहाग दिन मनाने का मौका शायद ही मिल पायेगा क्योंकि वह तभी मिल सकता था जब मैं दीदी के घर जाऊं और हम दोनों को अकेले में रहने का मौका मिले.

ऐसा होने की संभावना न के बराबर थी इसलिए मैं जीजा जी के साथ मजे लेने लग जाती थी और टाइम पास करती रहती थी. जब जीजा जी शुरू में मेरे बदन को छेड़ने लगे थे तो मुझे उनकी हरकतों पर गुस्सा आता था मगर अब मेरा दिल खुद ही करने लगा था कि वह मुझे छेड़ दें. उनके छूने से मेरे बदन में एक सरसरी सी उठ जाती थी. मैं जीजा जी के बारे में ही सोचती रहती थी.

जब से उन्होंने वह सुहागदिन की बात कही थी तब से ही मेरे मन में उनके जिस्म को लेकर ख्याल आते रहते थे. मगर मैं अभी अपनी तरफ से कोई भी पहल नहीं करना चाहती थी. मन तो बहुत करता था मगर जीजा जी ने वादा किया था कि वो खुद ही मेरे साथ सुहागदिन मनाएंगे इसलिए मैं बस उस दिन का इंतजार कर रही थी.

इस बीच में जब मैं दीदी के घर गई तो मैंने कई बार जीजा जी को तौलिये में देखा था. उनका मर्दाना शरीर देखकर मेरे मन में लहर सी उठती थी.
अब मैं उनके लिंग को देखने की ख्वाहिश करने लगी थी. सोचती रहती थी कि किस तरह वो दीदी की चुदाई करते होंगे. फिर दीदी ने उनके लंड से चुद कर बच्चा पैदा कर दिया. मेरे मन में ये सारी बातें एक अलग ही रोमांच पैदा कर रही थीं. शायद मेरी जवानी मुझे यह सब सोचने पर मजबूर कर रही थी. मगर जो भी था बहुत बेचैनी होने लगी थी मुझे आजकल.

मैं हर रोज इस बात के इंतजार में रहती थी कि कब जीजा जी को मेरे साथ अकेले में रहने का टाइम मिलेगा.
कुछ दिन गुजर जाने के बाद आखिरकार वह दिन भी आ ही गया मेरी जिंदगी में.

एक बार की बात है जब दीदी को कहीं शादी में जाना था. मगर बच्चों के एग्जाम होने के कारण दीदी को अकेले ही शादी में जाना पड़ा. दीदी ने मुझे बच्चों की देखभाल के लिए बुला लिया. अगले दिन दीदी शादी में चली गई. जीजा जी की नाइट ड्यूटी थी तो वो लुंगी बाँध कर कूलर के सामने पैर करके सो गए. उन्होंने ऊपर से बनियान भी नहीं पहना हुआ था और उनकी छाती नंगी थी. उनके बाल कूलर की हवा में उड़ रहे थे. मगर बालों के साथ ही नीचे जो लुंगी पहनी हुई थी वह भी बार-बार हवा में उड़ रही थी.

फिर अचानक से हवा लगने के कारण उनकी लुंगी ऊपर हो गई और जीजा जी की अंडरवियर दिखने लगी.

उनकी लुंगी के नीचे पहने अंडरवियर को देख कर मेरा मन और आंखें वहीं पर अटक गए. मैंने उनकी जांघों को पहली बार देखा. इससे पहले मैंने उनको तौलिया लपेटे हुए ही देखा था और उनका नीचे का भाग नहीं देख पाई थी.
उनके अंडवियर में एक शेप बनी हुई थी. मुझे पता था कि वह उनका लिंग है. मेरे मन में वासना सी उठने लगी और मैं वहीं पर खड़ी होकर उनकी उड़ती हुई लुंगी के नीचे अंडरवियर को देखने लगी. पता नहीं मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनी सी होने लगी थी उनको इस हालत में देख कर. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

मैं कुछ मिनट तक उनको ऐसे ही देखती रही. फिर मैं चुपके से बिना आवाज किये उनके और पास जाकर खड़ी हो गई. अब मेरी नज़र में उनके लिंग की शेप पहले से ज्यादा उभर कर दिखने लगी थी. उनका लिंग एक तरफ पड़ा हुआ था.

पास जाकर मेरे मन में मेरी आंखों के सामने अंडरवियर में लेटे हुए जीजा जी के और करीब जाने की इच्छा हुई. मैं चुपके से उनके और करीब चली गई. अब तो लिंग की शेप साफ-साफ दिखाई देने लगी थी. लुंगी हट चुकी थी और उनकी कमर पर ही बंधी रह गई थी.

मुझे पहली बार उनका लिंग देखने की इच्छा हुई. मैं उनके पास जाकर पलंग पर बैठ गई. जब मैं बैठ गई तो लिंग और करीब से दिखने लगा. मगर मेरे बैठने के कारण कूलर की हवा जीजा जी तक नहीं पहुंच पा रही थी. इस वजह से जीजा जी को शायद पता लग गया कि हवा आना बंद हो गई है. मगर मैं तो उनके अंडरवियर में छिपे हुए लिंग को देखने में खो गई थी. मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि जीजा जी की आंख भी खुल सकती है.

अचानक जीजा जी जग गए और मुझे देखने लगे. मैं तो उनका पेनिस देखने में ही मस्त हो रही थी. जीजा जी ने कुछ देर तो मुझे देखा और बैठ कर मुझे अचानक से ही अपनी बांहों में भर लिया. अचानक से ऐसा करने के कारण मैं सक़ते में आ गई. मैं उनकी बांहों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर वो और जोर से मुझे अपने पास चिपकाकर मेरे होंठों को चूसने लगे. कुछ देर के बाद मैं भी होंठों को चूसने में उनका साथ देने लगी.

जीजा जी ने मुझे बांहों मे लेकर पलंग पर गिरा लिया और मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरी छोटी सी चूत को मसलने लगे. मुझे शर्म और मजा दोनों आ रहे थे. मैं भी आनंद के सागर में उतरने लगी. अब जीजा जी ने मेरी चूत में उंगली का रास्ता बना लिया था. मेरी चूत में उनकी उंगली जा चुकी थी. मैं मस्त होने लगी.

धीरे-धीरे जीजा जी एक उँगली अंदर-बाहर आराम से करने लगे तो मैं दर्द और मजे से उछलने लगी. ये देखकर वो उंगली तेज करने लगे और मेरे बूब्स नंगे करके चूसने लगे. मैं तड़पने लगी और साथ में मजा भी आने लगा. जीजा जी की उंगली मेरी चूत में तेजी के साथ चल रही थी. मेरे मुंह से कामुक सिसकारियाँ अपने आप ही बाहर आने लगी थीं.

मेरे साथ यह सब कुछ पहली बार हो रहा था इसलिए कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया और मैं निढाल हो कर आँखें बंद करके आराम से लेट गयी. जीजा जी अब दोनों बूब्स काटने-दबाने में लगे हुए थे. फिर जीजा जी ने अंडरवियर निकाल कर मुझे अपना लिंग मेरे हाथ में पकड़ा दिया. पहली बार मैंने लिंग को हाथ में लिया तो लगा कि कोई गरम लोहे की रॉड पकड़ ली है मैंने.

अब जीजा जी मेरे हाथ पर हाथ रखवाकर अपने लिंग को हिलवाने लगे और बूब्स को जोरों से पीने लगे. मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरा हाथ अपने आप लिंग पर चलने लगा.
अब जीजाजी ने मुझे नंगा करके मेरी योनि को चाटना-काटना शुरू कर दिया. मुझे आनंद आने लगा और मैं जोर-जोर से उनके लिंग की मुट्ठ मारने लगी.

मुझे हाथ में लिंग लेने का पहली बार का अहसास मिला था. मैं तो जीजा जी को वैसे भी पसंद करने लगी थी. इसलिए मेरे हाथ की पकड़ जीजा जी के लिंग पर कसने लगी. जीजा जी मुझे मजा दे रहे थे और मजे में मैं यह नहीं जान सकी कि लिंग को ज्यादा जोर से नहीं मसलना चाहिए. मैं तेजी के साथ उनके लिंग को ऊपर-नीचे करते हुए मुट्ठ मार रही थी.

मैंने उनके लिंग को लाल कर दिया. अब जीजा जी ने भी चूत के दाने को काटना और चूसना तेज़ कर दिया. हम दोनों अब पानी छोड़ने वाले थे. देखते ही देखते अचानक मेरा पानी फिर से बह गया. जीजा जी का पानी अभी तक नहीं निकला था. वह मेरे मुँह के पास लिंग को ला कर चूसने को कहने लगे.

मुझे चूसने के बारे में नहीं पता और मेरा मन भी नहीं कर रहा था उनके लिंग को अपने मुंह में लेने का मगर वो चाहते थे कि मैं उनके लिंग को मुंह में ले कर चूस लूँ.
मैंने लिंग को मुंह में लेने से मना कर दिया.
लेकिन वो बोले- देखो, मैं भी तो तुम्हारी योनि को चूस रहा हूँ.
उनके कहने पर मैंने भी ऊपर से टोपे को मुँह में लिया और जीभ घुमाने लगी.

जैसे ही मेरी जीभ उनके लिंग को टच हुई तो जीजा जी उछल पड़े और मेरी चूत को और जोर से चूसने लगे. अब मैं भी थोड़ा-थोड़ा करके आधा लिंग मुंह में भर कर चूसने लगी. कुछ देर के बाद मैं जीजा के लिंग को पूरा मुंह में लेने लगी थी. अब मुझे भी लिंग को मुंह में लेकर चूसने में मजा आ रहा था. मैं जीजा जी के लिंग को तेजी के साथ चूसने लगी थी.

उनका लिंग बहुत ज्यादा टाइट हो गया था. मेरे साथ यह पहली बार था कि मैं किसी के लिंग को मुंह में लेकर चूस रही थी इसलिए मुझे नहीं पता था कि लिंग से कितनी देर में वीर्य निकलता है. मैं तो बस मजे से जीजू के लिंग को चूसने में लगी हुई थी.
चार-पांच मिनट में ही जीजा जी का पानी निकल गया मेरे मुँह में. मुझे ऐसा अहसास होने लगा कि जैसे उल्टी होने वाली है. मैं भागकर बाथरूम में गई और मैंने वहाँ पर उनके लिंग से निकला हुआ पानी थूक दिया.

वापस आकर मैं कपड़े पहनने लगी तो जीजा जी ने कहा- अभी तो आधा मजा ही लिया है साली साहिबा, रुको थोड़ी देर … फिर आपको असली मजा दूँगा.

उसके बाद जीजा जी मेरी चूचियों को फिर से दबाने लगे. 15 मिनट के बाद फिर से उनका लिंग तन कर खड़ा हो गया.
मुझे अपने पास बुलाकर बोले- आजा जानम, आज तुम्हें सुहागदिन का मजा देता हूँ.
मैंने कहा- मुझे डर लगता है जीजू.
वो बोले- चिंता मत कर, मैं आराम से करूँगा.

जीजा जी ने मुझे गोद में उठाकर पलंग पर लेटा दिया और मेरे पैरों को ऊपर उठाकर जीभ से मेरी फुद्दी को गीला करने लगे. जब पूरी तरह से मेरी फुद्दी गीली और गर्म होकर फूल गई तो जीजा जी कहने लगे कि जान … थोड़ा सा दर्द हो सकता है पर मैं आराम से डालूँगा. तुम चिंता मत करना. ये बोलकर जैसे ही वो मेरी फुद्दी के ऊपर अपना मूसल लिंग लगाने लगे तो इसी बीच में डोरबेल बज गई.

मैं अपने कपड़े समेट कर बाथरूम में भाग गई और जीजा जी ने मन ही मन में गालियाँ देते हुए लुंगी लपेट ली. मेरे बाथरूम में छिप जाने के बाद जीजा जी ने गेट खोला तो सामने हमारी पड़ोसन खड़ी थी.
जीजा जी ने पूछा- क्या काम है?
तो वो बोली कि उसे मिक्सी चाहिए. वह जीजा जी को ध्यान से देखने लगी.
उनकी लुंगी अभी भी ऊपर उठी हुई थी और अंदर से जीजा जी ने अंडरवियर भी नहीं पहनी हुई थी. उनकी लुंगी को उनके तने हुए लिंग ने ऊपर उठा रखा था.

जीजा जी थोड़े से घबरा भी गये थे. वे सोच रहे थे कि क्या करें और क्या न करें. मगर पड़ोसन सामने खड़ी होकर उन पर नजर गड़ाए हुए थी.

जब कुछ पल तक जीजा जी ने कोई जवाब न दिया तो पड़ोसन ने खांसते हुए फिर से पूछा- मिक्सी कहाँ पर रखी हुई है.
वह अभी भी चोर नजरों से जीजा जी के लंड की तरफ ही देख रही थी.

जीजा जी को मुश्किल हो रही थी. एक तरफ तो उनका चुदाई करने का मूड बना हुआ था और कहाँ बीच में ये पड़ोसन आकर टपक पड़ी. दूसरी बार पड़ोसन के पूछने पर जीजा जी ने झुंझलाते हुए जवाब दिया.
जीजा जी ने कहा- मुझे पता नहीं कि कहाँ पर रखी हुई है.
पड़ोसन बोली- आपकी साली जी कहाँ है? उनको शायद पता होगा.
वो बोले- वो नहा रही है.

इतना सुनने के बाद भी वह पड़ोसन वहीं पर खड़ी रही.
जीजा जी ने फिर से पूछा- कुछ और चाहिए क्या आपको?
पड़ोसन समझ गई कि जीजा जी उसको वहाँ से जाने के लिए कहना चाहते हैं. वह वापस चली गई और जीजा जी ने दरवाजा बंद कर लिया. उनका लिंग अब तक नीचे बैठ गया था.
बड़ी मुश्किल से जीजा जी ने उस पड़ोसन से पीछा छुड़ाया.

उसके बाद बच्चों के आने का टाइम भी होने वाला था और जीजा जी का भी मूड खराब हो गया था. जीजा जी उसी दिन मेरी चूत की चुदाई करना चाहते थे मगर उस पड़ोसन ने आकर सारा खेल खराब कर दिया. हम दोनों का ही मूड खराब हो गया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था, इसलिए दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये.
मुझे उनको चिढ़ाने का एक मौका मिल गया और हम दोनों का सुहागदिन अधूरा रह गया. सुहागदिन भले ही अधूरा रह गया था मगर जीजा जी का लिंग देखने की इच्छा पूरी हो गई थी.

बल्कि उससे भी ज्यादा मुझे लिंग को चूसना और चूत चटवाना आ गया था. जीजा ने मुझे मजा तो दे दिया था इसलिए अब अगली बार का इंतजार करना मुश्किल हो रहा था. मैं जीजा जी का लिंग अपनी चूत में लेकर उसका अहसास करना चाहती थी. मैं जानना चाहती थी कि योनि में लिंग जाने पर चूत में कैसे मजा आता है.

मगर उसके लिए मुझे पता नहीं अब और कितना इंतजार करना था. लेकिन इतना जरूर था कि जीजा जी के साथ मेरी रंगरेलियों की शुरूआत तो यहाँ से हो ही चुकी थी. अब बस चुदाई के दूसरे मौके का इंतजार करना था.

आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है मुझे मेल करके बताना और कहानी पर अपनी राय देने के लिए कमेंट भी करना. अगले भाग में बताऊंगी कि जीजा जी ने मेरे साथ सुहागदिन कैसे पूरा किया.
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कहानी का अगला भाग: दिन में सुहागरात-2