दिन में भय्या रात को सय्यां-6

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

दिन में भय्या रात को सय्यां-5

दिन में भय्या रात को सय्यां-7

दोस्तो, मैं जैस्मिन कहानी को आगे बढ़ाते हुए एक बार फिर से आप लोगों के बीच में हूं. कहानी के पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैं अपने भाई और अपनी दोस्त दिव्या के साथ गंगरेल डैम घूमने के लिए गई थी.

वहां पर जाकर हम लोग बोटिंग करने के लिए उत्साहित हो गये थे. हम लोग अलग अगल बोट में सवार हुए थे. पहले भाई एक बोट में गया था उसके बाद मैं और दिव्या गये थे.

बोट चलाने वाले लड़के ने अपना लंड मेरी गांड में लगा कर मुझे गर्म कर दिया. मेरे अंदर भी गांड चुदवाने की प्यास जाग उठी और मैंने उसके सामने बोट में ही अपनी जीन्स को नीचे कर दिया.

उसने चलती हुई बोट में ही मेरी गांड चोद दी. जब मैं वापस आई तो बोट से उतरते हुए भी उसने मेरी गांड को मसल दिया. मैं उसकी इस हरकत पर मुस्करा दी.

दिव्या ने भी बताया कि उसकी बोट पर जो लड़का था वो भी उसके साथ मस्ती करना चाह रहा था मगर दिव्या ने कुछ नहीं किया.
जब हम तीनों वापस आ गये तो कुछ समय तक तो मैं नदी के बीच में अपनी गांड चुदवाने के ख्यालों में ही खोई रही.

बार-बार मेरे मन में उस लड़के के लंड पर कूदने के ख्याल आ रहे थे. मैं उसी के बारे में सोचती रही. मेरी गांड चुदाई के बारे में सोच सोच कर मेरी चूत से कामरस निकलने लगा था.

इधर दिव्या की चूत में भी खुजली हो रही थी. उसकी चूत की चुदाई भी अधूरी ही थी. साथ ही भाई का लंड भी उसकी पैंट में तना हुआ दिखाई दे रहा था.

अब हम तीनों को ही एक फाइनल राउंड करने की सख्त जरूरत थी. मगर दिमाग में कुछ नया विचार नहीं आ रहा था कि ज्यादा से ज्यादा मजा कैसे लिया जाये.

मेरे पास बीयर की एक बोतल बची हुई थी. हमने बीयर पीने का प्लान किया और सोचा कि शायद बीयर पीने के बाद ही कुछ दिमाग में आये. यही सोच कर भाई पास की एक दुकान से जाकर चखना लेकर आये.

हम लोग वहीं रेत में लगी हुई टेबल पर बैठ गये और बीयर पीने लगे. उस वक्त तक सभी लोग जा चुके थे क्योंकि शाम होने ही वाली थी. हमें डिस्टर्ब करने वाला वहां पर कोई नजर नहीं आ रहा था.

बातों ही बातों में मैंने भाई के सामने ही उस बोटिंग ड्राइवर से गांड मरवाने वाली बात बता दी. अब तो मेरी बात सुनकर दिव्या को भी अफसोस होने लगा था कि काश वो भी अपने वाली बोट पर ड्राइवर के साथ कुछ मजा कर लेती.

दिव्या कहने लगी कि मेरी चूत में तो खुजली हो रही है.
मैंने दिव्या की चूत में हाथ लगा कर देखा तो वो सच में गीली हो रही थी.
भाई बोला- तुम लोग तो एकदम रंडी हो चुकी हो.

मैंने कहा- अगर हम ऐसे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर कुछ करेंगे तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
भाई बोला- मेरा लंड भी मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर आने के लिए तड़प रहा है.
उसकी बात सुन कर मैं और दिव्या हंसने लगे.

भाई को गुस्सा आ गया और वो पैग बना कर पीने लगा. उसने एकदम से सारा पैग गटक लिया और नशे में हो गया. जिस टेबल पर हम बैठे हुए थे वो उससे नीचे गिर गया और उसका लंड उसकी पैंट में एकदम रॉड की तरह तना हुआ दिखाई दे रहा था.

अब भाई ने अपनी पैंट की जिप खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसका लंड एकदम से टाइट था और उसके लंड की नसें साफ दिखाई दे रही थीं.
भैया का लंड देख कर दिव्या भी बेकाबू सी होने लगी और उसके पास जाकर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.

इधर भाई के मुंह से सीत्कार निकलने लगे. आह्ह ..आह्स्स .. श्शआ आह्ह… करते हुए वो दिव्या से अपने लंड को चुसवाने लगा.
अब मुझसे भी रहा न गया और मैंने नीचे से दिव्या की जीन्स को निकाल दिया और उसकी चूत में मुंह देकर उसको चूसने लगी.

दिव्या भाई का लंड चूस रही थी और मैं उसकी चिकनी चूत को चाट रही थी. इधर भाई ने भी अपनी पैंट को निकाल दिया था. दिव्या ने पैंट निकलवाने में भाई की मदद की और अब भाई नीचे से पूरा नंगा हो गया था.

हम लोग अपनी मस्ती में लगे हुए थे कि तभी पीछे से तीन लड़के आ गये. उनमें से एक लड़का वही था जिसने बोट पर मेरी गांड की चुदाई की थी. मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो उसने हमारे कपड़े भी छिपा दिये थे.

उनको देख कर मैं और दिव्या उठ कर अपने कपड़े ढूंढने लगे और भाई अभी भी नंगा का नंगा वहीं पर बेसुध सा पड़ा हुआ था.

हम दोनों कपड़े ढूंढने में लगी हुई थी कि वो तीनों लड़के हंसने लगे. मैंने उस लड़के को गाली देते हुए कहा कि मादरचोद बोट पर तो तेरे लंड की प्यास बुझाई थी. अब हमारे कपड़े क्यों छिपा दिये तूने?

वो बोला- मैं तो तेरी चूत भी चोदना चाह रहा था लेकिन तू उस वक्त नखरे कर रही थी. अब अपने कपड़े मत ढूंढ क्योंकि तुमको कपड़े अभी नहीं मिलने वाले हैं. साली रंडी, तू तो बड़ी मस्ती से इस लड़के के लंड के साथ खेल रही है.

तभी वो लड़का फोन में हमारा वीडियो बनाने लगा. हम दोनों नंगी थी. हमने सोचा कि अगर इसने यह वीडियो इंटरनेट पर डाल दिया तो बहुत बदनामी होगी. इसलिए हम दोनों उनके सामने थोड़े नरमाई से पेश आने लगी.

मैंने कहा- भैया कपड़े दे दो. हम यहां से चले जायेंगे.
तभी दिव्या ने मेरे कान में कहा- साली पागल हो गई है क्या, मेरी चूत यहां तड़प रही है तू इनको जाने के लिए कह रही है!

तभी उन लड़कों में से जो दिव्या के साथ था वो दिव्या को गोद में उठा कर दूर चला गया. उसने वहां ले जाकर दिव्या को रेत में पटक दिया. दूसरा भी उसके साथ ही चला गया.

वो दोनों दिव्या के बचे हुए कपड़े भी उतारने लगे. उसको पूरी नंगी कर दिया. फिर वो दोनों दिव्या से लिपटने लगे.

यह देख कर तीसरा लड़का, जो मेरी बोट पर था वो मेरे पास आया और उसने मेरे कान में कहा- अगर तेरी गांड इतनी मस्त है तो तेरी चूत तो बिल्कुल जबरदस्त होगी.

यह कहकर उसने अपनी पैंट को खोलना शुरू कर दिया. उधर पास में ही दिव्या को वो दोनों लड़के बुरी तरह से चूस रहे थे. एक उसके चूचों को दबा रहा था तो दूसरा उसकी चूत तो चूस रहा था.

दिव्या भी मदहोश सी होकर अपनी चूत को चटवा रही थी. यह देख कर मेरा मन भी लंड लेने के लिए करने लगा और मैंने उस लड़के के लंड को पकड़ लिया और अपने मुंह में लेकर उसको चूसने लगी.

उसके लंड का टेस्ट मुझे कुछ ज्यादा नमकीन और स्वादिष्ट लग रहा था. इधर मैंने भाई का लंड भी अपने हाथ में पकड़ा हुआ था क्योंकि भाई अभी आधे होश में थे और उनके कहने पर ही हम दोनों उन लड़कों के साथ चुदने के लिए तैयार हुई थीं.

भाई ने पीछे से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और मैं तेजी के साथ उस लड़के के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. फिर वो लड़का भी बेकाबू सा हो गया और मुझे खड़ी कर दिया और एकदम से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.

मेरे मुंह से जोर की चीख सी निकल गई. उसने लंड को एकदम से घुसा दिया था. मेरी चूत में दर्द होने लगा. मेरी चीख को सुन कर भाई भी उठ गये और उन्होंने पीछे से मेरी गांड में थूक दिया.

भाई का लंड भी पूरा तना हुआ था. उसने मेरी गांड में अपना लंड पेल दिया. अब मेरी चूत में आगे से उस अजनबी लड़के का लंड घुस चुका था और पीछे से मेरी गांड में भाई का लंड घुस चुका था. दो दो लंड लेकर मुझे अलग ही मजा सा आने लगा.

वो दोनों मिल कर एक साथ मेरी चूत और गांड को चोदने लगे और मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. इधर दिव्या को भी उन दो लड़कों ने चूस चूस कर पूरी तरह से लाल कर दिया था.

दिव्या ने मेरी तरफ देख कर उन लड़कों से कहा- मुझे भी ऐसे ही चुदना है.
वो बोले- हां, साली रंडी, पता है कि तेरी चूत बहुत प्यासी है.
इतना बोल कर वो दोनों जल्दी से नंगे हो गये.

एक ने दिव्या को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड में लंड को रगड़ने लगा और दूसरे ने आगे से उसके मुंह में लंड को दे दिया और उसके मुंह को चोदने लगा.

अब दिव्या की गांड पीछे से चुद रही थी और आगे से उसका मुंह भी चोदा जा रहा था. इधर भाई और वो लड़का मेरा हाल बेहाल कर रहे थे. मैं कई बार झड़ चुकी थी. मुझे कुछ होश नहीं था.

मैंने देखा कि सामने दिव्या को भी उन्होंने खड़ी कर दिया था. अब वो दोनों आगे और पीछे से दिव्या को चोदने लगे. खुले आसमान के नीचे हम दोनों दोस्त नंगी होकर नदी किनारे ऐसे चुद रही थी कि जैसे कोई ब्लू फिल्म चल रही हो.

ग्रुप सेक्स में इतना मजा आता है मैंने कभी नहीं सोचा था. मेरे भाई और उस लड़के ने चोद चोद कर मुझे पूरी तरह से हिला दिया था. अब वो दोनों जोर से चीखते हुए मुझे चोद रहे थे. मैं समझ गई थी कि उन दोनों का पानी निकलने वाला है.

यह देख कर मैं एकदम से नीचे बैठ गयी और उन दोनों का लंड हाथ में ले लिया. वो दोनों अपने अपने लंड को मेरे मुंह के सामने हिलाने लगे. कुछ ही पल के बाद उन दोनों के लौड़ों से वीर्य मेरे मुंह पर गिरने लगा और मैं उसको पीने लगी.

उन दोनों के लंड को मैंने चाट-चाट कर साफ कर दिया. फिर भाई और वो लड़का वहीं पर रेत में निढाल होकर गिर गये और लेट गये. अब मैं भी उन दोनों के बीच में जाकर लेट गयी और दिव्या की चुदाई देखने लगी.

दिव्या उछल-उछल कर अपनी चूत और गांड में लंड को ले रही थी. अब भाई और वो तीसरा लड़का भी उन तीनों की चुदाई को देखने लगे. दिव्या की चूत से बहता हुआ पानी साफ दिख रहा था. हम तीनों दिव्या की हालत को देख कर खुश हो रहे थे.

कुछ देर के बाद उन दोनों ने दिव्या की चूत और गांड में अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी और उन दोनों ने ही अपना वीर्य उसके अंदर छोड़ दिया. दिव्या की चूत और गांड उन दोनों के वीर्य से भर गई.

उसके बाद हम सब साथ में मिल कर बैठ कर बातें करने लगे. हमने उन तीनों लड़कों से फिर से मिलने का वादा किया और वो फिर से हमारी चुदाई की बात कहने लगे.

उसके बाद दिव्या और मैंने नदी के किनारे पर जाकर अपने आप को साफ किया. वापस आकर हमने उन लड़कों से अपने कपड़े वापस ले लिये और उन्होंने फोन में जो वीडियो बनाया था उसको भी डिलीट करवा दिया.

फिर वो तीनों चले गये. हमने उनका नम्बर ले लिया था. इस वक्त तक अंधेरा भी काफी हो गया था. उसके बाद हम तीनों भी वहां से निकल लिये और अपने घर की तरफ चल पड़े.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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