दिल मिले और जिस्म की प्यास बुझी-2

मेरी कहानी के पहले भाग
दिल मिले और जिस्म की प्यास बुझी-1
में अब तक आपने पढ़ा कि उपिंदर ने मेरे बाद मेरी मम्मी की चूत और गांड को बजा दिया था.
अब आगे..

उपिंदर और मेरी मम्मी की चुदाई के बाद हमारी मस्ती और बढ़ गयी. कई बार वो मम्मी को फ़ोन करता. ऐसी बातें होतीं.

‘और मालिनी कैसी है मेरी जान?’
‘बहुत याद करती हूँ तुम्हें.’
‘फिर कब आ रही है नंगी मेरे नीचे लेटने के लिए?’
‘जल्दी आऊंगी … मेरी भी चूत तरस रही है तेरे लंड के लिए.’
‘सिर्फ चूत? तेरे होंठों और गांड को मेरा लौड़ा याद नहीं आता?’
‘मेरे हर अंग को तू याद आता है.’
वो ऐसी बातें करता, तब मैं कभी उसकी गोद में बैठ कर अपनी चुचियां दबवा रही होती और कभी उसका लंड चूस रही होती. उसके बाद वो मुझे एकदम गर्मागर्म रगड़ता.

एक दिन…
‘कामिनी तुझे याद है, उस दिन मैंने प्रोमोशन का ज़िक्र किया था.’
‘हाँ, तुमने कहा था बाद में बताओगे.’
‘फिर नाइटी उतार के मेरी गोद में आजा.’

मैं ब्रा पैंटी में उसकी गोद में बैठ गयी. वो मेरे उभारों को सहलाने लगा.
‘तू मेरी रखैल है न?’
‘हाँ.’
‘अब तू फैमिली रंडी बन जाएगी.’
‘मतलब?’
‘तेरे बाद तेरी मम्मी भी.’
‘मतलब तो बताओ.’

‘देख उस दिन तेरी मम्मी आयी थी, तो मैंने उसकी ली. अब कल मेरा भाई आएगा, वो तेरी सवारी करेगा, अगली बार तेरी मम्मी उसका लंड अपने अन्दर घुसवायेगी, फिर तेरी बहन है, मेरे डैडी हैं. पूरा पारिवारिक संबंध बन जाएगा. तेरी फैमिली की हर चूत, गांड और मुँह पे मेरी फैमिली के लौड़ों का ठप्पा लग जाएगा. मज़ा आएगा न?’
‘मुझे तो सोच सोच के ही मज़ा आ रहा है, पूरी गरम हो गयी हूँ. चल पहले बिस्तर पे चल के एक राउंड करते हैं.’

उस दिन ऐसा धुआंधार सेक्स हुआ कि मज़ा आ गया. मैं सीधी लेटी, टांगें चौड़ी करके ऊपर उठाईं और उपिंदर ने चुचियां पकड़ के मसलते हुए मेरी गांड मारी.
सोने से पहले मैंने उससे पूछा- मम्मी को बता दूं प्रोग्राम?
तो वो बोला- नहीं जिस दिन उसका प्रोग्राम करेंगे, उसी दिन बताएंगे.

अगले दिन सुबह …
‘मैं कॉलेज जा रहा हूँ. तू घर में ही रह. राजिंदर आने वाला है, उसका पूरा ख्याल रखना.’
उसने मेरे होंठ चूमे, चुचियां दबाईं और चला गया.
मैं फटाफट साड़ी पहन के तैयार हो गयी. समझ नहीं आ रहा था, क्या होगा कैसा होगा, पर बहुत गरम थी.

दरवाज़े की घंटी बजी. मेरा दिल धड़का. मैंने दरवाज़ा खोला. उपिंदर का बड़ा भाई, राजिंदर… खूबसूरत, जवान. मेरे बदन में मीठी मीठी सिहरन हुई.
वो अन्दर आया, मैंने झुक के उसके पैर छुए. उसने एक हाथ मेरी पीठ पे रख दिया- न न … तेरी जगह मेरे पैरों में नहीं है.
यह कह कर उसने साड़ी के ऊपर से ही मेरे चूतड़ दबा दिए.

‘आप थके होंगे, थोड़ा आराम करेंगे या पहले चाय बना दूं?’
वो मुस्कुराया- थोड़ी शराब पियूँगा और नहाऊंगा.
‘ठीक है मैं पैग बना के लाती हूँ.’
‘अपने लिए भी लाना.’

मैं 2 पैग और कुछ खाने का सामान ले के आयी.
‘चल बाथरूम में, वहीं पियेंगे.’

बाथरूम में आकर उसने मुझे बांहों में भर लिया. हम शराब पीते रहे और वो साथ में मेरे होंठों को चूसता रहा.
‘जा दूसरा पैग ले आ.’
मैं ले के आयी, तो वो सिर्फ कच्छे में था.
‘तू भी मेरी तरह हो जा.’
मैंने बाकी कपड़े उतार दिए और सिर्फ कच्छी में आ गयी.
‘पैग खत्म कर.’
हम दोनों ने एक सांस में गिलास खाली किये.

उसने मुझे पीछे से जकड़ लिया और शावर खोल दिया. हम भीगने लगे और वो मेरी चुचियां मसलने लगा.
‘कामिनी, मेरे बदन पे साबुन लगा.’ ये कहते हुए उसने शॉवर बन्द कर दिया.

मैं लगाने लगी… प्यार से. हाथों पे, गरदन पे, सीने पे, पेट पे. बड़ा अच्छा लग रहा था मर्दाने जिस्म को सहलाना. मैं उसका अंडरवियर उतारने लगी
‘न न … वो बाद में.’

मैं बैठ गयी नीचे पैरों से साबुन लगाते हुए ऊपर जांघों तक आयी. फिर पीछे, उसकी पीठ पे लगाया.
‘अब उतार मेरा कच्छा.’
मैंने उतारा. कसे हुए खूबसूरत मर्दाने चूतड़.
‘पहले अपनी चुचियों पे साबुन लगा ले, फिर चुचियों से मेरे चूतड़ों पर लगाना.’

बड़ा अच्छा लग रहा था, मेरी नरम चुचियां उसके चूतड़ों से दब रही थीं.

उसने अपने पैर थोड़े फैलाये- बीच में मुँह लगा.
‘जी!’
‘मेरी गांड को प्यार कर मेरी रंडी.’
मैंने छेद से होंठ जोड़ दिए. जीभ गांड पे मचलने लगी. चाटने लगी, चूसने लगी. उसने शावर चला दिया. मैं सामने आयी और लंड मुँह में ले लिया. गिरते पानी में मैं लौड़ा चूस रही थी.

‘कहाँ मरवाएगी, यहीं या बिस्तर पे?’
‘जहां आपका दिल करे.’
‘चल फिर आगे झुक के हाथ दीवार पे रख दे और पैर चौड़े कर ले.’
मैंने किए.
‘तेरी गांड बड़ी प्यारी है. मस्त माल पटाया है उपिंदर ने.’
‘थैंक्यू … आपका लंड भी बहुत सुन्दर है और बड़ी अच्छी खुशबू है इसकी.’

उसने अपना खड़ा लंड मेरी गांड में घुसा दिया और धक्के लगाने लगे. मेरे लिए खड़ा होना मुश्किल हो रहा था. शावर चल रहा था और मैं भीगते हुए अपनी गांड मरवा रही थी. खूब मज़ा आ रहा था. दस मिनट तक मेरी गांड बजाने के बाद राजिंदर ने मेरे चूतड़ों के बीच में सफेद फव्वारा छोड़ दिया.
फिर राजिंदर सो गया.

शाम को …
उपिंदर ने कहा कि उसे किसी फंक्शन में जाना है.
राजिंदर बोला- तो मैं कामिनी को ले जाऊं?
‘भाई ये तो हमारा फैमिली माल है, ले जाओ.’
उपिंदर चला गया.

‘कामिनी तैयार हो जा, बाहर चलेंगे.’
मुझे आजकल बाहर जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. पर मजबूरी थी. मैंने पैंट शर्ट पहन ली.
‘ये क्या? ये तूने लड़कों के कपड़े क्यों पहन लिए?’
‘तो क्या बाहर मैं? नहीं बाहर मैं दूसरे कपड़ों में नहीं जा सकती.’
‘जा सकती है रानी. आज जाएगी. अरे तू तो ऐसी मस्त चीज़ है, तुझे देख के कइयों का खड़ा हो जाएगा.’

मैंने फिर हिम्मत की. लहंगा चोली पहन ली.. मेकअप किया. राजिंदर के साथ बाइक पे बैठ गयी.
‘हम कहाँ जा रहे हैं?’
‘फार्म हाउस पे.. पार्टी करेंगे.’
‘हाय राम और लोगों के सामने मैं ऐसे?’
‘तू घबरा मत. मज़ा आएगा’

हम पहुंच गए. वहां पे राजिंदर के दो दोस्त थे. उसने मुझे जॉन और रशीद से मिलवाया. मैंने दोनों से हाथ मिलाया. सब बैठ के शराब पीने लगे. बातें करने लगे.

दो पैग के बाद रशीद बोला- आज बापू बहुत खुश होंगे.
‘वो क्यों?’
‘क्योंकि अब सब धर्म के बन्दे प्यार करेंगे.’
जॉन बोला- तू सच कह रहा है रशीद.
‘तो फिर प्यार शुरू करते हैं.’

राजिंदर ने मुझे पकड़ के खड़ा किया, बांहों में भरा और मेरे होंठों पे एक लंबा चुम्बन लिया. फिर ऐसे ही जॉन ने. उसने मेरे होंठ चूसते हुए मेरे चूतड़ भी दबाए.

फिर रशीद आया. उसने मुझे पीछे से पकड़ा. मेरी चुचियां दबाते हुए मेरे गाल चूमने लगा और मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया. लहंगा नीचे गिर गया. फिर उसने मेरी चोली भी उतार दी. दोनों देख रहे थे. मैं ब्रा पैंटी में अपने उभार दबवा रही थी.

तीन मर्दों को चुम्मियां देने के बाद, उनके सामने सिर्फ ब्रा पैंटी में, शराब के नशे में मैं गर्म हो चुकी थी और बेशर्म भी.

राजिंदर बोले- प्रोग्राम शुरू करो. पहले कौन चढ़ेगा इसके ऊपर?
मैंने कहा- थोड़ी सी भगवान ने गलती कर दी नहीं तो..!
‘अरे क्या कह रही है, इसमें भगवान बीच में कैसे आ गए?’
‘मेरा मतलब है कि भगवान जी ने मुझे चूत दी होती, तो तुम लोगों को बारी नहीं लगानी पड़ती. तीन धर्मों का पवित्र पानी एक साथ मेरे अन्दर जाता, लेकिन क्या करूं?’
‘वाह क्या मस्त बात की है कामिनी. ऐसा करो रशीद और जॉन मैंने तो सुबह इसके मज़े लिए हैं, अभी पहले तुम दोनों इसका भोग लगाओ.’
‘एक मिनट. मैंने देखा था बाहर एक ट्यूबवेल है और वहीं एक हौदी भी बनी हुई है, वहाँ चलते हैं, पानी में करेंगे.’

वहाँ पर …

‘जॉन और रशीद तुम दोनों इसकी दीवार पर बैठ जाओ पैर पानी में लटका के. अरे अरे ऐसे नहीं कपड़े उतार के.’

दोनों नंगे हो के बैठ गए. मस्त लंड तने हुए. मैं पानी में उतर गयी. छोटी सी हौदी थी और पानी मेरी चुचियां तक था. मैंने दोनों हाथों में एक एक लंड पकड़ लिया.
‘बड़े खूबसूरत लौड़े हैं तुम दोनों के.’ फिर मैं बदल बदल के लंड चूसने लगी.. एक चूसती थी, दूसरे को हाथ से सहलाती थी. दोनों गरम हो गए.
‘रशीद आ जाओ पानी में और मेरे ये दो कपड़े भी उतार दो.’

रशीद तुरंत मेरे साथ आ गया और मेरी ब्रा पैंटी उतार दी. मुझे पीछे से जकड़ लिया. खड़ा लंड मेरे चूतड़ों के बीच में. मैं आगे झुकी और जॉन का मुँह में ले लिया. पीछे से रशीद ने मेरी गांड में घुसा दिया. प्रोग्राम शुरू हो गया. रशीद मेरी गांड मारने लगा और मैं जॉन का चूसने लगी. रशीद के धक्के तेज़ हो गए मेरे होंठ भी तेज़ी से जॉन के लंड पे फिसलने लगे और फिर दोनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया. मेरा मुँह और गांड दोनों तृप्त हो गए.

दोनों बहुत खुश थे.

मैं जा के राजिंदर की बांहों में समा गयी.

‘आपके दोस्तों के साथ कार्यक्रम कैसा था … आपको देख के मज़ा आया?’
‘तू मस्त चीज़ है, कमाल कर दिया. मेरा तो पैंट फाड़ने को हो रहा है.’
‘न न … ये खूबसूरत चीज़ पैंट फाड़ने के लिए नहीं बनी, मेरी गांड फाड़ने के लिए बनी है.’
‘आज तो बातें भी मस्त कर रही है. चलें बिस्तर पे?’

तब तक रशीद और जॉन भी आ गए.
‘सच में कामिनी कमाल है तू. इतना मज़ा आज पहली बार आया.’
‘थैंक्स रशीद.. मुझे भी तुमसे मरवा के मज़ा आया.’

तभी राजिंदर का फ़ोन बजा, उपिंदर का था. उसने फोन स्पीकर पर कर दिया.
‘और उपिंदर तेरा फंक्शन कैसा रहा?’
‘यार खाना पीना तो अच्छा था, पर लंड अब भी खड़ा है. तूने तो मेरी औरत का भोग लगा लिया होगा.’
‘सुबह एक राउंड पेला था, यहां तो अभी तक नहीं ली.’
‘क्यों?’
‘यार वो मेरे दोस्त हैं न रशीद और जॉन, अभी तक वो दोनों मज़े ले रहे थे.’
‘तो एक काम कर. कामिनी को ले के आजा.. यहीं पे प्रोग्राम करते हैं.’

बस मैं राजिंदर के साथ घर को चल पड़ी.

घर पे…
राजिंदर ने कहा- कामिनी जा 3 पैग बना के ले आ.. और हाँ, अपने पैग में पानी मत मिलाना.
‘लेकिन मैं नीट नहीं पीती.’
उपिंदर ने मेरे चूतड़ दबाए- जो भी कह रहा है, वो कर.. और सुन सिर्फ ब्रा और कच्छी में आना.’

मैं ले के आयी. दोनों भाई सोफे पे बैठे हुए थे, बदन पे सिर्फ अंडरवियर थे. दोनों ने एक एक घूंट भरा, फिर राजिंदर बोला- अब अपने ग्लास में अपने मर्द का फिल्टर प्रसाद ले ले.

‘जी मैं समझी नहीं.’
‘ग्लास उसकी जांघों के बीच में लगा.’

मैंने लगाया.

‘उपिंदर, इसे प्रसाद दे दे, अंडरवियर से फिल्टर हो जाएगा.’
‘समझ गया भाई.’

वो मूतने लगा, सुनहरी धार ग्लास में गिरने लगी. अंडरवियर से छन कर उसका पेशाब मेरे ग्लास में आ गया. दारू नीट नहीं रही.

हम तीनों पीने लगे.

दूसरा पैग…

‘राजिंदर अब तू अपना प्रसाद दे दे.’
‘नहीं यार मैं इसकी गांड चोदने के बाद रात को दूंगा. वो भी फ़िल्टर नहीं डायरेक्ट लौड़े से मुँह में दूँगा.’

मुझे भी नशा हो गया था. दोनों भाइयों ने मुझे बिस्तर पे लिटा के मेरे दोनों कपड़े उतार दिए और मेरे जिस्म से खेलने लगे. मेरे उभारों को दबाने चूसने लगे.

फिर …

‘राजिंदर पहले तू पेल इसके चूतड़ों के बीच में.’
‘ठीक है.’

उपिंदर बेड पे बैठ गया. मैं उल्टी लेट गयी, चेहरा उपिंदर की जांघों के बीच में. उसका तना हुआ लौड़ा मुँह में लेके चूसने लगी. राजिंदर ने पोजीशन ली और अपना हथियार मेरी गांड में पेल दिया. धक्के शुरू हो गए, मेरी गांड चुदने लगी.

राजिंदर मेरी गांड मार रहा था और उपिंदर लंड चुसवा रहा था और दोनों बातें कर रहे थे.

‘मस्त माल फंसाया है तूने.’
‘अगली बार तू आएगा तो इसकी मम्मी की भी मिलेगी.’
‘तूने चोदा इसकी माँ को?’
‘हाँ दोनों छेदों में … मस्त माल है, मोटी चुचियां, भरे भरे चूतड़. और पीछे से तो कुंवारी थी, उसकी गांड का तो उद्घाटन भी मैंने ही किया.’
‘नहीं यहां नहीं, उसके मज़े उधर लूंगा. उसे जालंधर ले आना. डैडी का जन्मदिन आने वाला है, उन्हें गिफ्ट करेंगे.’

राजिंदर के धक्के तेज़ हो गए और फिर उसने मेरी गांड अपने मर्द जल से भर दी.
मैंने उसका लौड़ा चाटा.

अब उपिंदर मेरे चूतड़ों के बीच में आ गया.
‘तू लौड़ा चुसवायेगा?’
‘नहीं लंड अभी आराम कर रहा है. कुछ और स्वाद दूंगा छोकरी को.’
वो मेरे चेहरे के नीचे उल्टा लेट गया- कामिनी, मेरी गांड का स्वाद ले.
मैंने चेहरा मर्दाने चूतड़ों के बीच में घुसाया और गांड से होंठ जोड़ दिए. गांड चूसने लगी, चाटने लगी.

फिर उपिंदर मेरी गांड चोदने लगा. तूफानी धक्के.. धुआंधार चुदाई.. और फिर वो मेरे अन्दर ही झड़ गया.
थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे.
‘अब सोते हैं.’
राजिंदर ने कहा- हाँ मज़ा आ गया आज. पर सोने से पहले आजा मेरा अमृत तो पी ले.

मुझे याद आ गया. मैंने लौड़ा मुँह में लिया और धीरे धीरे धार छोड़ने लगा. मैंने उसका सुनहरा पानी पूरा पिया.
हम सो गए.

सुबह राजिंदर चला गया.

फिर क्या हुआ, ये अगली कहानी में लिखूंगी. आपके मेल लगातार मिल रहे हैं, गुजारिश है कि ये सिलसिला चालू रहना चाहिए.
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कहानी का अगला भाग: दिल मिले और जिस्म की प्यास बुझी-3