चरमसुख का सुखद एहसास

हाई फ्रेंड्स, मेरा नाम अर्चना गुप्ता है, मैं अभी चालीस साल की नहीं हुई हूँ; हो जाऊँगी जल्दी ही।
मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, तीन बच्चे हैं मेरे, गोरखपुर में रहती हूँ। मैं एक बड़े सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर हूँ। मेरे बारे में सब सच मत मान लेना, ये सब परिवर्तित नाम और स्थान हैं। मेरे पति बिज़नस करते हैं। शादी को 18 साल हो गए हैं.

मगर एक बात जो मैं आपको बताना चाहती हूँ, वो यह है कि शादीशुदा ज़िंदगी हमारी शुरू से ही डिस्टर्ब रही है। दरअसल जो कुछ मैं अपनी पति से चाहती थी, जो कुछ मैंने सोचा था, वैसे पतिदेव मुझे नहीं मिले। सुहागरात को ही वो बुरी तरह से फेल रहे। बड़ी मुश्किल से 3 मिनट टिक पाये, जब तक मैंने अपनी सुहागरात का मज़ा लेते हुये अपनी जवानी का रस छोड़ना शुरू किया, वो अपनी मर्दानगी मेरे ऊपर झाड़ चुके थे।
मुझे लगा कि चलो कोई बात नहीं, कभी कभी जोश में इंसान होश खो बैठता है।

मगर उसके बाद तो हर रात की यही बात; बड़ी मुश्किल से ये दो-तीन मिनट लगाते।
पहले तो मैं चुप रही मगर फिर धीरे धीरे मैंने इनसे कहना शुरू किया कि आप थोड़ा टाइम और लगाया करो।
इन्होंने भी बहुत कोशिश की, बहुत से उपाय किए, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात।
लंड का साइज़ अच्छा था, तनाव भी पूरा था, मगर दिक्कत टाइम की थी।

फिर होने ये लगा कि ये पहले उंगली डाल कर मेरा पानी निकाल देते, फिर अपना लंड पेलते। मगर जब कभी मैं अपनी सहेलियों से या और रिशतेदार औरतों से बात करती और वो बताती कि उनके पति तो उनके ऊपर से उतरते ही नहीं हैं, आध पौन घंटा लंड डाल कर उनको पेलते हैं, तो मुझे बड़ा दुख होता, मैं भी झूठ-मूट ही कह देती- इनका भी यही हाल है।
मगर असल में इनका क्या हाल था, वो तो मैं ही जानती थी।

धीरे धीरे मुझे अपनी शादीशुदा ज़िंदगी भारी लगने लगी। मैं चाहती थी कि मुझे कोई ऐसा मिले जो टिका कर मुझे पेले। क्योंकि मेरे पति ज़्यादा से ज़्यादा 4-5 मिनट ही मुझे पेल सकते हैं, इसके बाद तो वो किसी भी तरह से नहीं रुक पाते और झड़ जाते हैं। मगर मैं कम से कम 12-15 मिनट तक लेती हूँ एक बार झड़ने में, तो मुझे तो लगता है कि या तो मेरे पति जैसे ही 2-3-4 मर्द हों जो बारी बारी मुझे पेलें ताकि मुझे भी अपनी फुद्दी में लंड की चुदाई से झड़ने का मौका मिले, या फिर कोई अकेला मर्द ही ऐसा हो जो झड़े ही नहीं, बस मैं ही झड़ूँ, और पेले जाए … पेले जाए … पेले जाए।

इसी वजह से शादी के दो साल बाद ही जब मैंने देख लिया कि मेरे पति में कोई दम नहीं है, तो मैंने आसपास देखना शुरू किया, और फिर मुझे मेरे जीवन का पहला बॉयफ्रेंड मिला।
हमारे पड़ोसी का ही लड़का था, 24-25 साल का था; मुझे बहुत घूरता था। पहले तो मुझे उसका घूरना बुरा लगता था, मगर जब मेरी अपनी कामुक ज़रूरत मेरे चरित्र से बड़ी हो गई, तो मैंने अपना चरित्रवान रूप एक तरफ रख कर त्रिया चरित्र दिखाना ही ठीक समझा।

जब मैं भी उसके देखने के बदले उसे वापिस देखने लगी, तो उसने भी स्माइल पास की; मैंने भी जवाब स्माइल से दिया. फिर उसने सर झुका कर विश की, मैंने भी जवाब दिया।

ऐसे ही कुछ दिन चलते रहे, तो एक दिन वो मुझे बाज़ार में मिला और मेरी मदद के बहाने मेरे घर तक आया। मैंने उसे बैठा कर चाय पिलाई, उससे कुछ बातें भी की। वैसे तो अच्छा लड़का था, रंग रूप, कद काठी, सब ठीक था, बस मुझे तो इस बात में दिलचस्पी थी कि पैन्ट के अंदर इसके पास क्या है।

उसके बाद और भी कई मुलाकातें हुई तो मैंने बिना कोई समय व्यर्थ गँवाए उसे अपना मोबाइल नंबर दे दिया। उसी रात उसका फोन आया, हमने बात की मगर वो भी काफी उतावला दिखा। पहली रात ही उसने मुझे दोस्ती के लिए प्रोपोज़ किया।
दोस्ती तो मैंने झट से मान ली क्योंकि मुझे पता था कि जितना मैं समय लगाऊँगी, उतनी देर लगेगी मुझे उसके बिस्तर में जाने के लिए या उसको मेरे बिस्तर में आने के लिए।

दोस्ती हुई तो वो मुझे जोकस, पिक्स, और बहुत कुछ व्हाट्सप्प पर भेजता रहता।

फिर एक दिन उसने मुझे प्रेम प्रस्ताव रखा, मुझे इसी का तो इंतज़ार था, मगर मैं थोड़ा नखरा किया और दो दिन बाद ही मैंने उसे हाँ कर दी। दोनों तरफ से ‘आई लव यू …’ कहने के बाद तो जैसे सब कुछ बदल गया। मैं खुद बहुत खुश रहने लगी। शादी से पहले मैंने कभी किसी को ‘आई लव यू’ नहीं कहा। स्कूल कॉलेज में बहुत से लड़के मुझे देखते, पसंद करते थे, मैं भी बहुतों को पसंद करती थी मगर कभी बात इतनी नहीं बढ़ी कि किसी ने मुझे ‘आई लव यू’ कहा हो।

अब तो मैं शादीशुदा थी, मगर शादीशुदा क्या प्यार नहीं कर सकती। तो मैंने भी प्यार कर लिया, यह जानते हुये भी कि यह रिश्ता ज़्यादा चलने वाला नहीं है। हम दोनों का मकसद एक ही था, सेक्स।

एक दिन मौका देख कर मैंने उसे अपने घर बुलाया। पति तो रहते ही बाहर थे, कभी कभार 15-20 दिन में घर आते थे। मैंने यूं ही कॉलेज से छुट्टी कर ली। मैंने भी उस दिन उसको रिझाने के लिए, जीन्स की कैप्री और सफ़ेद कौटन का टॉप पहना। अब हर रोज़ कॉलेज जाना होता है तो अपनी साफ़ सफाई का मैं हमेशा ख्याल रखती हूँ, जिस्म पर बाल तो मैं एक भी नहीं रहने देती।

वो आया, मेरे लिए फूल और चॉकलेट ले कर आया। मैंने उसे बैठा कर चाय पिलाई, उसके बाद कुछ देर फालतू सी बातें करते रहे, दिल में दोनों के ये था कि कौन पहले शुरू करे।
फिर उसने ही कहा- अर्चना जी, मैं आपसे एक बात कहूँ, अगर आप बुरा न मानें तो?
मैंने हाँ कहा।
वो बोला- देखिये, फोन पर तो हमने एक दूसरे से आई लव यू कह दिया। मैं आपको सामने से भी कहना चाहता हूँ।
मैंने शर्माते हुये सर हिला दिया।

वह उठा और मेरे सामने आ कर एक घुटना टेक कर बैठ गया, मैं भी उठ कर खड़ी हो गई। उसने एक गुलाब अपनी जेब से निकाला और मेरी तरफ बड़ा कर बोला- अरची आई लव यू, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो?
मैंने भी कहा- हाँ, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।
वो उठ कर खड़ा हुआ और बोला- तो क्या मैं अपने प्यार को पक्का करने के लिए तुम्हें चूम सकता हूँ?
‘हाय …’ मेरा तो दिल बड़े ज़ोर से धड़का।
फिल्मों में टीवी पर ये सब देखा था कि लड़की लड़की को आई लव यू कहता है, लड़की शर्माती है। मगर सच में ये सब मेरे साथ हो रहा था, तो मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या रिएक्ट करूँ।

मैं उसके सामने से हट गई और थोड़ा दूर जा कर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। मन में मेरे सौ तूफान चल रहे थे। मुझे किसी ने प्रोपोज किया और वो भी शादी के दो साल बाद। मैंने कुँवारे होते जो न सुना, न महसूस किया, वो मुझे अपनी शादी के दो साल महसूस हो रहा था। वो मेरे पीछे आया और मुझे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया।
‘अरे यार …’
मेरे प्यार का पहला स्पर्श … मैं निहाल हो गई।

उसने झुक कर मेरे कंधे पर अपनी ठोड़ी रखी और बोला- मेरी तरफ देखो अरची?
मैं मगर वैसे ही खड़ी रही।
उसने मेरे कंधों से पकड़ कर मुझे अपनी ओर घुमाया और मेरा चेहरा ऊपर उठाया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अगले ही पल मेरे होंठों को एक बहुत ही मीठा और नर्म अहसास हुआ। उसके होंठ, मेरी पहली मोहब्बत के होंठ, मेरे होंठों से मिले। अब मैं तो पिछले दो साल से अपने पति के बेरस होंठ चूस रही थी, मगर इसके होंठ तो मुझे बड़े रसीले लगे। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दी, और फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।

जितना उसने मेरे होंठों को चूसा, उतना ही मैं भी उसके होंठों को चूस रही थी। चुम्बन पे चुम्बन, चुम्बन पे चुम्बन। ऐसे लग रहा था, जैसे हम दोनों बरसों के प्यासे थे, और एक दूसरे के होंठों से ही हमें जीवन अमृत मिल रहा था।

उसके हाथ जो मेरी पीठ पर थे, सरक कर मेरे चूतड़ों तक जा पहुंचे, और फिर मेरी कैप्री के ऊपर से ही उसने मेरे दोनों चूतड़ों को दबाया, सहलाया। मगर मैं तो उसके होंठों को चूमते चूमते उन्हें चूसने लगी। अपनी जीभ से मैंने उसके होंठों को चाटा, उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर डाल दी, मैंने चूसी। जब मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली, तो उसने भी खूब चूसी और अपनी जीभ से मेरी जीभ के साथ खूब खेला।
वैसे हमारे घर में एक दूसरे के जूठा नहीं खाते मगर होंठ चूसते वक़्त यह रूल लागू नहीं होता।
हा हा हा!

खैर … चूतड़ों से उसके हाथ सरक कर मेरी कमर पर आ गए। और क्योंकि मेरा शर्ट मेरी कैप्री से बाहर था, तो उसके बाद उसने अपने दोनों हाथ बड़े आराम से सरका कर मेरी शर्ट के अंदर कर लिए, और मेरी कमर के दोनों तरफ से सहलाते हुये ऊपर बढ़ता गया, और फिर उसने ब्रा में बंद मेरे दोनों बूब्स पकड़ लिए। मुझे कोई ऐतराज नहीं था। मुझे तो पता ही था कि अगर ये आज आया है, तो मुझे चोदे बिन नहीं जाएगा।

सोच कर तो वो भी यही आया था। मेरे मम्मे दबा कर तो जैसे वो चहक उठा; उसने अपने हाथों से मेरी शर्ट ऊपर उठाई और ब्रा में से बाहर छलक रहा मेरा हुस्न देख कर बोला- वाऊ … क्या क्लीवेज है, नाईस बूब्स!
मैं शरमाई मगर मुस्कुरा दी।

उसने मेरी ब्रा की हुक खोली और मेरी ब्रा ऊपर उठा दी। मेरे दोनों बूब्स बाहर निकल आए तो वो उन्हें अपने हाथों में पकड़ कर किसी बच्चे की तरह उनसे खेलने लगा। कभी दबाता, कभी चूसता। मैंने अपनी शर्ट उतार दी और ब्रा भी उतार दी; उसे पूरी खुली छूट दी अपने जिस्म से खेलने की।

मेरे मम्मों से खेलते खेलते उसका लंड भी उसकी जीन्स में टाईट हो गया। उसकी जीन्स के उभार से दिख रहा था। खुद टॉपलेस होने के बाद मैंने उसकी टी शर्ट भी उतार दी।
सीने पर भरे हुये बाल … देखने में तो पतला सा था, मगर बॉडी थी मसकुलर उसकी।

एक बार फिर मैं उसके सीने से लिपट गई। क्योंकि मेरे पति के सीने पर एक भी बाल नहीं है और मुझे शुरू से ही बालों से भरी छाती वाले मर्द पसंद है। मैं आज महसूस करना चाहती थी कि किसी मर्द के सीने से लग कर कैसा लगता है।

मुझे सीने से लगा कर उसने अपने हाथ मेरी पीठ से नीचे ले जा कर पीछे से मेरी कैप्री में घुसा दिये और मेरे दोनों चूतड़ अपने हाथों में पकड़ लिए। मैंने भी उसके सीने से लगे लगे ही उसकी बेल्ट खोली और उसकी जीन्स की हुक ज़िप सब खोल दी।

फिर हम अलग हुये और बिना कहे दोनों ने अपनी अपनी कैप्री और जीन्स और चड्डियाँ भी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा। मगर मैंने सिर्फ उसका लंड देखा; करीब 7 इंच का लंबा लंड … बेशक थोड़ा पतला था मेरे पति के लंड से, मगर लंबा, कड़क और पूरा ऊपर को उठा हुआ।
उसका लंड देख कर मैंने सोचा कि आज अगर ये मुझे संतुष्ट कर दे तो मैं सारी उम्र इसकी गुलाम बनके रहूँ।

अपने लंड को घूरते देख, उसने मुझे अपने पास किया और मुझे नीचे बैठा दिया। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा।
वो बोला- चूस इसे मेरी जान।
अब लंड चूसना तो मुझे वैसे ही बहुत पसंद है। मैंने उसके लंड की चमड़ी पीछे हटा कर उसका टोपा बाहर निकाला और पहले उसके लंड का टोपा चूमा, उसके टोपे पर सुराख को अपनी जीभ की नोक से चाटा। मुँह में लंड का चिर परिचित स्वाद आया; नाक में लंड की गंध आई, मुझे मदहोश कर गई, मेरी आँखें खुद ब खुद ही बंद हो गई और मैंने अपना मुँह खोला और उसके लंड का टोपा अपने मुँह में ले लिया।

फिर जब पूरा टोपा मुँह में आ गया तो मैंने अपनी जीभ उसके चारों तरफ घुमाई। लवली, टेस्टी, मज़ेदार लंड। बेशक दुनिया में और भी बहुत सी स्वादी चीज़ें हैं, मगर एक कामुक स्त्री के लिए लंड से स्वादी और कुछ नहीं होता। मैं जितना लंड उसका अपने मुँह में ले सकती थी, मैंने लिया और चूसा।

वो भी अपनी कमर हिला रहा था और अपना लंड मेरे मुँह के अंदर बाहर कर रहा था। मैं अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़े बैठी थी और उसका लंड चूस रही थी।

फिर उसने मुझे उठाया और उठा कर मुझे सोफ़े पर ही लेटा दिया; मेरी दोनों टांगें खोली और मेरी फुद्दी को खा जाने की तरह से अपने मुँह में भर लिया। मेरी फुद्दी तो पहले ही पानी छोड़ छोड़ कर गीली हुई पड़ी थी।
जब उसने जीभ मेरी फुद्दी में डाली मैं तो उचक गई- अरे धीरे से यार!
मैंने कहा।
वो बोला- क्यों क्या हुआ?
मैंने कहा- बहुत मज़ा आया, जब तुमने अंदर जीभ लगाई। मैं इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाई।

मगर उसने फिर से अपनी जीभ मेरी फुद्दी में डाली और अंदर तक चाट गया। मेरी फुद्दी, भग्नासा, गांड सब चाटी उसने। मेरे मम्मे दबाये, निपल मसले, मुझे पूरा तड़पाया। शायद मैं पहली बार अपने बॉयफ्रेंड से चुदवा रही थी, या पता नहीं क्या, मगर उसके 2-3 फुद्दी चाटने से ही मैं झड़ गई।
मैं बहुत तड़पी मगर उसने मुझे बड़े काबू में रखा।

जब मैंने उसे हटाया तब भी मेरा बदन काँप रहा था, मेरे हाथ पाँव सब काँप रहे थे। मुझे संयत होने में कुछ वक़्त लगा।
मैं जब संभली तो उसने पूछा- आरची, तुम ठीक हो?
मैंने कहा- हाँ, मैं ठीक हूँ।
वो बोला- तो आगे शुरू करें?
मैंने हाँ में सर हिला कर उसे मंजूरी दी।

तो वो मुझे उठा कर बेडरूम में ले गया। जैसे मैं शादी के वक्त अपनी पति के पीछे चल रही थी, ठीक वैसी ही फीलिंग मुझे आ रही थी। आज ये लड़का मेरा पति था, वो जो चाहे मेरे साथ कर सकता था।

मुझे उसने बेड पर लेटाया सीधा … फिर मेरी टाँगें खोली, मेरी फुद्दी को चूमा और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर मेरी फुद्दी पर रखा। मुझे महसूस हुआ जैसे कोई गर्म चीज़ मेरे बदन में घुसी हो, सख्त मगर फिर भी कोमलता से।
मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधों पर रखे और अपनी दोनों टाँगें ऊपर को उठा ली, उसने दो चार बार अपना लंड आगे पीछे किया और उसका पूरा लंड मेरी फुद्दी में अंदर तक जा घुसा।

आज मैंने अपनी पति से बेवफ़ाई कर दी; मेरा शादीशुदा जीवन कलंकित हो गया। एक लड़की जिसकी शादी को अभी दो साल ही हुये थे, आज किसी गैर मर्द के नीचे लेटी थी।
मगर इस बात का मुझे कोई अफसोस नहीं था। मैंने उसको अपनी तरफ खींचा, वो मेरे ऊपर लेट गया। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर के गिर्द लिपटा दी, बांहों से उसको अपने साथ कस लिया। इस बार फिर हमारे होंठ मिले, जीभें भी मिली। उसने मेरे सारे चेहरे को चाट कर मेरा सारा मेक अप खा लिया। मैंने भी उसके चेहरे को हर जगह चूमा।

लड़के में दम था; मुझे खूब पेला उसने। एक बार मैं झड़ चुकी थी, तो इस बार मुझे टाइम ज़्यादा लगने वाला था। मगर वो भी कम नहीं था। वो पेलता रहा, मैं भी भर भर के पानी अपनी फुद्दी से छोड़ती रही। कई बार उसने बिस्तर की चादर से मेरी फुद्दी के पानी में भीगा अपना लंड साफ किया और सूखा लंड अंदर डाल कर फिर से चोदा।

कुछ देर सीधा चोदने के बाद फिर घोड़ी बना कर चोदा, फिर मुझे उल्टा लेटा कर चोदा, खड़ी करके चोदा, हर तरह से उसने अपने शौक मुझसे पूरे किए।
मैंने पूछा- पहले कभी किया है?
वो बोला- हाँ, सिर्फ दो बार अपनी पहली गर्ल फ्रेंड के साथ। मगर वो नखरे बड़े करती थी इसीलिए छोड़ दिया।
मैंने पूछा- और मैं?
वो बोला- अरे आप तो बहुत को ओपेरेटिव हो। और आपको ये सब पहले से पता है तो मुझसे ज़्यादा तजुर्बेकार हो। बचपन से इच्छा थी कि कोई शादीशुदा, आंटी या भाभी मिल जाए चोदने को। आज वो इच्छा भी पूरी हो गई।

वक्त कैसे गुज़रता है पता ही नहीं चला। वो मुझे धीरे धीरे चोदता रहा, चूमता रहा, प्यार करता रहा। मुझे तब अहसास हुआ जब मेरा दूसरी बार पानी गिरा। मैं उससे बात करते करते एकदम से उस से चिपक गई और इतना उत्तेजित हो गई कि जब मैं झड़ी तो मैंने उसकी गर्दन पर काट लिया।
बेशक उसे दर्द हुआ पर उसने दर्द की कोई परवाह नहीं की। शायद इसी लिए कहते हैं कि मर्द को दर्द नहीं होता।

अपनी 23 साल की ज़िंदगी में और 2 साल की शादीशुदा ज़िंदगी में पहली बार, लंड से चुद कर मैं झड़ी। यह फीलिंग तो मेरे लिए बहुत ही ज़्यादा खुशी और संतुष्टि की थी। अपनी उंगली से या पति की जीभ से मिलने वाली फीलिंग से भी कहीं बड़ी।

मैं उसके साथ पूरा कस कर चिपक गई, इतनी ज़ोर से कि उसको हिलना मुश्किल हो गया। मगर मैं तो उसके अंदर घुस जाना चाहती थी। एकदम से जैसे मेरे सारे बदन पर पसीना आ गया। मैं भाव शून्य हो गई … न मरी न ज़िंदा, जिस्म एकदम से हल्का।

कुछ देर मैं आँख बंद किए इसी अहसास को जीती रही। फिर मेरी पकड़ ढीली हुई, तो उसने फिर से अपनी कमर हिलानी शुरू की। मैं अब बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर गिरी पड़ी थी और वो दबादब मुझे चोद रहा था, अपना लंड पूरे ज़ोर से अंदर तक डाल डाल कर मुझे चोद रहा था। शायद उसने भी झड़ना था।

मगर मैं तो जैसे किसी जादू में बांध ली गई थी। फिर मुझे लगा जैसे कोई गर्म गर्म शहद गिरा हो! और … और … और! भर गई मैं … इतना भर गई कि मैं उसकी मर्दानगी को संभाल नहीं पाई, और उसकी मर्दानगी का रस मेरे जिस्म को भर कर बाहर तक बह गया, आज मैं परिपूर्ण हो गई। पूरी तरह से संतुष्ट, पूरी तरह से तृप्त। अब मेरी कोई ख़्वाहिश अधूरी नहीं रही थी।

जब उसका हो गया तो मेरी बगल में लेट गया, मेरे मम्मों से खेलने लगा। हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे।
उसने पूछा- क्या देख रही हो?
मैंने कहा- देख रही हूँ, एक सम्पूर्ण मर्द कैसा होता है।
उसने पूछा- कैसा होता है?
मैंने कहा- तेरे जैसे … जो अपनी संगिनी को अपनी मर्दानगी से तृप्त कर दे।
उसने पूछा- आप तृप्त हुई?
मैंने कहा- हाँ पूरी तरह से।

वो बोला- मगर मेरा मन नहीं भरा; मैं एक बार और करूंगा।
मैंने कहा- मेरी क्या औकात जो मैं अपने तन मन के मालिक को ना कह सकूँ।
वो उठा और आकर मेरी छाती पर बैठ गया- तो ले चूस इसे थोड़ा सा।

मैंने उसका ढीला सा लंड अपने मुँह में लिया, थोड़ी देर चूसा तो वो फिर से अकड़ गया, जब उसका लंड पूरा अकड़ गया तो उसने मेरी टाँगें खोली और बिस्तर की चादर से मेरी फुद्दी साफ की और अपना लंड फिर से मेरी फुद्दी में डाल दिया।
मगर इस बार उसका बर्ताव ऐसा था कि जैसे मैं उसकी पत्नी ही होऊं। पूरे अधिकार के साथ वो फिर से मुझे चोदने लगा। मैं इस बार उत्साहित नहीं थी क्योंकि उसका दम-खम मैं देख चुकी थी।

इस बार भी उसने मुझे बहुत जम कर पेला। इस बार मैं भी खूब उछली, नीचे से पूरे ज़ोर से मैंने कमर चलाई। ऊपर से वो। फिर उसने मुझे ऊपर बुलाया। मैं उसके ऊपर बैठी, उसका लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा और अंदर लिया, मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी, हम दोनों में जैसे कोई मुक़ाबला हो रहा हो, एक दूसरे को पछाड़ने, एक दूसरे को पहले स्खलित करने का। मगर इस मामले में मैं हार गई। उसके लंड के मेरी जिस्म अंदर चोट करने से मैं बेहाल हुई जा रही थी।

फिर मैंने पाला बदला- तुम ऊपर आ जाओ, मैं और नहीं रुक पाऊँगी।
एक ही झटके में वो ऊपर और मैं नीचे आ गई। मैंने खुद ही उसका लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी पर रखा, उसने अंदर डाला- बहुत बेताब हो रही हो।
उसने कहा- मैं बस मरने ही वाली हूँ।
और बस उसकी दो मिनट चुदाई से ही मैं फिर से बिखर गई। फिर से वही आनन्द का समंदर मेरे जिस्म से फूटा, मैं इतनी ज़्यादा भावविहल हो गई कि मैं रो पड़ी, मेरी आँखों से आँसू निकल पड़े।
उसने पूछा भी- क्या हुआ?
मगर मैंने उसका कंधा थपथपा कर उसे करते रहने को कहा।

वो लगा रहा और कितनी देर मुझे भोगता रहा, मैं भी उस दिन बहुत रोई, इस आनन्द के लिए, इस काम तृप्ति के लिए मैं कब से तरस रही थी। पति से बहुत कोशिश की कि यही तृप्ति मुझे मिले।
मगर मिली तो कहाँ मिली … अपने पड़ोस के एक लड़के से, अपने से छोटी उम्र का … शादी के पवित्र बंधन को तोड़ कर।
लेकिन इस तृप्ति के लिए मुझे कोई भी कीमत कम लगती है। अगर आप खुश नहीं, तृप्त नहीं, तो क्या फायदा जीने का।

कुछ देर और … और फिर वो भी झड़ा, मगर इस बार उसने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर लगाया, जिससे उसका लिंग मेरी योनि के बहुत अंदर तक जा कर चोट कर रहा था। मेरे जिस्म के अंदर तक दर्द हो रहा था।
मगर जब उसका गर्म वीर्य फिर से मेरी वजूद को भर गया। मैं फिर से पपीहे की तरह स्वाति बूंद पी कर जैसे अनंत काल के लिए संतुष्ट हो गई।

कुछ देर वो मेरे साथ लेटा रहा, फिर उसने कहा- अब मुझे जाना है।
वो उठा और कपड़े पहन कर चला गया।

मैं कितनी देर नंगी ही लेटी रही। बहुत देर बाद मैं उठ कर बाथरूम में गई, बाथरूम में मेरे पूरा आदम कद शीशा लगा है। मैंने उसमे खुद को देखा। गोरे बदन पर कई जगह निशान बन गए थे। मगर मैं अपने आप को इतना खूबसूरत कभी नहीं देखा था। बाल बिखरे थे, लिपस्टिक चूस ली गई, सारा मेकअप चाट लिया गया।

एक तरह से लुटी हुई … मगर फिर भी कितनी आभा थी मेरे चेहरे पर!
मेरे पहले प्रेम की … या पहले विश्वासघात की!
मगर जो भी हो, मुझे कभी शीशे ने इतना सुंदर नहीं दिखाया था।

पहले मैं नहाई, फिर से तैयार हुई, अपने कमरे को ठीक किया, फिर घर के काम में लग गई।

उसके बाद हम दोनों में ऐसे बहुत से मिलन हुये। हर बार वो मुझे और ज़्यादा संतुष्ट करके जाता। अब अपने पति में मुझे कोई भी दिलचस्पी नहीं रही। जब वो कहते तो मैं करती तो उनसे भी, मगर उन्हें सिर्फ मेरा तन मिलता, मन तो मैं अपने उस प्रेमी को दे चुकी थी।

इस तरह शुरू हुई, मेरी शादी से बाहर सेक्स करने की शुरुआत। उसके बाद तो कई लोग आए और गए। यहाँ तक के मैंने अपने एक स्टूडेंट से भी सेक्स किया। मगर वो कमीना प्यार प्यार करते करते मुझे एक बार अपने रूम में ले गया, और वहाँ उन 4 लड़को ने मिल कर मेरे से सेक्स किया।
वो कहानी फिर कभी!

फिलहाल आप मुझे मेल करके बताइये कि आपको मेरे परम आनन्द परम सुख पाने की मेरी यह पहली कहानी कैसी लगी?
आपका प्यार और आशीर्वाद मुझे आगे और कहानियाँ लिखने को प्रोत्साहित करेगा। मुझे आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।
आपकी अपनी प्यारी अर्चना।
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