बेइन्तेहां वासना की जलन-6 

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

बेइन्तेहां वासना की जलन-5

बेइन्तेहां वासना की जलन-7 

अब तक की इस सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि नेहा मेरे साथ बिस्तर पर थी और मैं उसे चोदने के लिए उसके कपड़ों को उतारने में लगा था.
अब आगे..

नेहा की ब्रा को उतारने के बाद मैंने अब फिर से उसे बिस्तर पर लेटा दिया और अपने दोनों हाथों से उसके हाथों को पकड़कर उसकी चूचियों पर से हटा दिया. नेहा का गोरा चिकना बदन अब मेरे सामने था, जिसे मैं अब आंखें फाड़ फाड़ कर देखने लगा.

किसी कोरे कागज की तरह सफेद, बेदाग और बिल्कुल दूधिया गोरा बदन था उसका. मैं टकटकी लगाये कुछ पल तो बस उसके बदन को ही देखता रहा.

तभी मेरे दिल में प्रिया का ख्याल आ गया, रंग के मामले में तो दोनों बहनें समान ही थीं मगर नेहा की चूचियां प्रिया से काफी बड़ी, भरी हुई और मस्त थीं‌. प्रिया की चूचियां उसके कुंवारेपन के कारण कड़ी जरूर थीं. मगर माप के मामले में नेहा प्रिया से कही आगे थी. बिल्कुल कोरे कागज सी सफेद उसकी गोरी गोरी व बड़ी बड़ी चूचियां और उन पर किशमिश के दाने के जैसे गुलाबी निप्पल को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया था. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैं अब सीधा ही उसके एक निप्पल को मुँह में भर कर गप्प कर गया और नेहा के‌ मुँह से एक‌ मीठी सीत्कार सी फूट पड़ी.

इन दिनों गर्मी का मौसम था, जिसमें वैसे ही पसीना आना आम बात है, मगर हमारी हाथापाई और डर के कारण नेहा को‌ कुछ ज्यादा ही पसीना आया हुआ था. इससे नेहा की चूची का स्वाद भी नमकीन सा था. मगर उस समय मुझे उसकी चूची का वो नमकीन स्वाद भी एक नया ही सुख दे रहा था.

नेहा की एक चूची को चूसते हुए मैंने अब एक हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी दबोच लिया. उसकी एक चूची का रस पीते पीते मैंने उसकी दूसरी चूची को हाथ से मसलना शुरू कर दिया. जिससे नेहा अब जोरों से सिसकारने लगी. उसके दोनों हाथ आजाद हो गए थे, जो कि अपने आप ही अब मेरे सिर के बालों को सहलाने लगे.

कुछ देर तो नेहा की चूची नमकीन स्वाद देती रही, मगर जब उसका सारा पसीना साफ हो गया तो धीरे धीरे‌ उसकी चूची की चिकनाहट अब मेरे मुँह में घुलना शुरू हो गयी. नेहा की दोनों चूचियों के निप्पल तन कर अब छोटी सुपारी की तरह बड़े व सख्त हो गए थे और उसके मुँह से भी हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी थीं.

कुछ देर उसकी चूची को मसलने के बाद मैं अपना हाथ उसके पेट पर ले आया और प्यार से उसके मखमली पेट को सहलाते हुए धीरे से अपना हाथ उसके लोवर में घुसा दिया. लोवर के नीचे उसने पेंटी पहनी हुई थी. जैसे ही मेरा हाथ उसके लोवर के बाद उसकी पेंटी में घुसने लगा तो वो मचल उठी. ‘अअह … औय …’ की आवाज करते हुए नेहा ने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़ लिया और‌ उसे खींचकर अपने लोवर से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी.
“क्या हुआ? छोड़ो ना.. प्लीईईज..” मैंने उसकी चूची को मुँह से बाहर निकालते हुए कहा.

नेहा उत्तेजित थी और उसे मजा भी आ रहा था मगर शायद वो शर्मा रही थी‌ इसलिए उसने मेरे हाथ को छोड़ा तो नहीं, मगर अपने हाथों की‌ पकड़ को थोड़ा सा ढीला जरूर कर दिया. नेहा की पकड़ ढीली होते ही मैंने अपना पूरा हाथ अब उसकी‌ पेंटी में घुसा दिया जो अन्दर से गीली गीली सी महसूस हो रही थी. फिर जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी में घुसाया, नेहा के मुँह से हल्की एक ‘आह्ह …’ सी निकल गयी और उसने घुटनों को मोड़कर अपनी जांघों को जोरों से भींच लिया.

मैंने अपना हाथ नेहा की पेंटी में तो घुसा दिया था.. मगर मेरा हाथ अब भी उसकी चुत से दूर था. क्योंकि ने‌हा ने अब अपनी जांघों को भींच लिया था‌. मैंने अपने हाथ की उंगलियों को उसकी जांघों के जोड़ पर रख लिया और धीरे से उसकी जांघों को टटोलते हुए उसे जांघों को खोलने का इशारा सा किया.

नेहा समझदार थी और वैसे भी ये खेल वो‌ पहले खेली हुई थी. इसलिए मेरा इशारा समझते हुए उसने अब खुद ही धीरे से अपनी जांघों को थोड़ा सा खोल दिया. नेहा ये खेल पहली बार नहीं खेल रही थी, मुझे ये तो नहीं पता कि कब और किसके साथ खेली. मगर हां ये खेल वो पहले भी खेली हुई थी, इसलिए मेरे इशारों को‌ वो अच्छे समझ रही थी.

अब जैसे ही नेहा ने अपनी जांघों को खोला मेरे हाथों की उंगलियां उसकी छोटी सी मुनिया को छू गयी और एक बार फिर उसके मुँह से हल्की सीत्कार सी फूट पड़ी. उसने फिर से अपनी जांघों को भींचने की कोशिश की, मगर अब तो सेंध लग चुकी थी.. मेरी उंगलियां उसकी छोटी सी मुनिया तक पहुंच गयी थी, जो कि कामरस से भीगी हुई थी.

मैं भी उसकी चुत की फांकों को सहलाते हुए धीरे धीरे अपनी उंगलियों को नीचे की तरफ बढ़ाने लगा, जिससे नेहा का बदन कड़ा सा हो गया और उसकी सांसें गहरी होती चली गईं. मैं अपनी उंगलियों से‌ नेहा की चुत की फांकों को सहलाते हुए नीचे उसके खजाने के‌ द्वार की तरफ बढ़ रहा था. मगर जैसे‌‌ ही मेरी उंगलियों ने उसके खजाने के द्वार को छुआ.. मेरी उंगलियां मानो जल ही उठीं, क्योंकि अन्दर से उसकी चुत किसी भट्ठी की तरह सुलग सी रही थी. नेहा की चुत में से बहता कामरस तो गर्म लावा सा महसूस हो रहा था.

उस रात अन्धेरे की वजह से मैं नेहा की चुत को देख नहीं पाया था. मैंने बस उसे छूकर ही महसूस किया‌ था. मगर आज उसकी भीगी हुई चुत को छूते ही मेरा दिल अचानक उसे देखने‌ के‌ लिए बेताब हो गया. मैंने बस एक दो बार ही उसकी चुत को सहलाने के बाद अपने‌ हाथ को उसके लोवर व पेन्टी से बाहर निकाल‌ लिया और धीरे से उठकर उसकी बगल में बैठ गया.

नेहा की बगल‌ में बैठकर मैंने अब पहले तो एक‌ नजर उसके चेहरे की तरफ‌ देखा.. उसने आंखें बन्द की हुई थीं और अपना मुँह एक तरफ करके लम्बी व गहरी गहरी सांसें ले रही थी. सही मौका जानकर मैंने अब धीरे अपने दोनों हाथों को उसके उसके लोवर व पेंटी में फंसा लिया और दोनों को ही एक साथ पकड़ कर उतारने लगा.

तभी “ओय्ययय.. नहींईईई..” कहते हुए नेहा ने अपने लोवर व पेंटी को पकड़ लिया और तुरन्त ही उठकर बैठ गयी.
“क्या हुआ निकालो ना इन्हें.. प्लीईईईज..” मैंने जोश जोश में उसके लोवर व पेंटी को थोड़ा जोरों से खींचते हुए कहा. जिससे वो उसकी जांघों तक उतर गए और मुझे उसकी काले बालों से भरी हुई चुत व दूध सी सफेद गोरी चिकनी जांघों की झलक दिखने लगी.
“नहींईईई.. इन्हें नहीं.. मुझे शर्म आ रही है.” उसने शर्माते हुए कहा और अपने लोवर व पेंटी को फिर से ऊपर करने‌ लगी. मगर मैं कहां मानने वाला था. नेहा के पकड़ने के बावजूद भी मैंने उसके लोवर व पेंटी को उसके घुटनों तक खींच दिया.
“ओय्ययय.. नहींईईईई.. अच्छा तो ठीक है.. अब बस्स्स.. पूरा मत उतारो.. प्लीईईईज..” नेहा ने एक से हाथ अपनी मुनिया को छुपाते हुए कहा.

नेहा का एक हाथ अब अपनी मुनिया को छुपाने में व्यस्त हो गया था और वो बस अब एक ही हाथ से ही अपने लोवर व पेंटी को पकड़े हुए थी. इसलिए मौके का फायदा उठाकर मैंने झटके से उसके लोवर व पेंटी को खींचकर पूरा ही उतार दिया और वो “ओय्यय.. ओय्यय.. नहींईई.. नहींईईई..” करती रह गयी.

नेहा को मैंने अब बिल्कुल नंगी कर दिया था. उसके बदन पर एक भी कपड़ा मैंने शेष नहीं रखा था, जिससे वो अब शरम से दोहरी हो गयी और उसने हाथ पैरों को समेटकर अपने बदन को छुपाते हुए कहा- “शर्म नहीं आती क्या तुम्हें?
“इसमें शर्म की क्या बात है? तुम कहो तो मैं भी अपने कपड़े उतार देता हूँ!” मैंने बस इतना ही कहा और जल्दी से अपने सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा हो गया.
“ये लो तुम भी देख लो जो देखना है?” कहते हुए मैंने नेहा के एक हाथ को पकड़ कर अपने उत्तेजित लंड पर रखवा दिया.

“अ.अ..अह.. अओ.य्य्य..” कहते हुए नेहा ने तुरन्त ही अपने हाथ को झटक कर ऐसे हटा लिया, जैसे कि उसने कोई बिजली की तार को छू लिया हो.
“बहुत बेशर्म हो तुम..” कहते हुए नेहा ने अब चोरी की निगाहों से एक बार मेरे उत्तेजित लंड की तरफ देखा और फिर शर्माकर उसने अपनी गर्दन दूसरी तरफ घुमा ली. शर्म के कारण उसका चेहरा गुलाबी हो गया था और उसके गाल तो कश्मीरी सेब से भी ज्यादा लाल लग रहे थे.

मैं अब धीरे से खिसक कर उसके नजदीक हो गया और उसके दोनों कंधों को पकड़ कर धीरे से उसे बिस्तर पर धकेलने लगा.
“ओह.. उय्यय.. नहींईई.. नहींईईई.. ईई..ई..” कहते हुए नेहा ने मुँह से तो मना किया, मगर साथ ही वो बिस्तर पर लेट भी गयी. उसने अब भी एक हाथ से अपनी मुनिया को और दूसरे हाथ से अपनी दोनों चूचियों को छुपाया हुआ था. मगर मेरा तो सारा ध्यान उसकी कमसिन मुनिया पर ही था. मेरे देखने से नेहा भी समझ गयी कि मेरी निगाहें कहां पर हैं. इसलिए जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी मुनिया की तरफ बढ़ाया, तो “नहींईई..” कहते हुए नेहा ने अपना दूसरा हाथ भी अपनी चूचियों पर से हटा कर अपनी जांघों पर ही रख लिया.

मुझसे अब और सब्र नहीं हो रहा था. उसकी कमसिन चुत को देखने के लिए मैं मरा जा रहा था. इसलिए मैंने अपने दोनों हाथों से उसके हाथों पकड़ कर उसकी जांघों पर से हटा दिया और वो अब फिर से “नहींई.. नहींईइ.. नहींईईई..” करती रह गयी.

नेहा की चूत पर से उसके हाथों को तो मैंने हटा दिया था. मगर उसने अपनी जांघों को अब भी बन्द किया हुआ था. उसकी जांघें भी कुछ ज्यादा ही भरी हुई व काफी सुडौल थीं, जिससे उसकी चुत दोनों जांघों के बीच बिल्कुल छुपी हुई थी. मुझे उसकी चुत का बस फूला हुआ ऊपरी भाग और उसके छोटे छोटे बाल ही दिखाई दे रहे थे.

“खोलो ना‌ इन्हें.. देखने तो दो..” मैंने उसकी चुत के उभार को देखते हुए कहा.
“नहींईई.. मुझे शर्म आ रही है.. बस्स्स.. अब कर लो.. तुमको जो करना है.” नेहा ने अपने हाथों को मेरे हाथों से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा.

मैंने भी उसके हाथों को छोड़ दिया और अपने दोनों‌ हाथों से उसकी जांघों को खोलने‌ की कोशिश करने लगा. “प्लीईईज.. एक बार.. बस्स.. एक बार देखने दो प्लीईईईज..” मैंने उसकी आंखों में देख कर अब विनती करते हुए कहा.

नेहा ने भी मेरी विनती को स्वीकार करके अपनी जांघों को तो हल्का खोल दिया मगर मेरे देखने‌ से वो शर्मा रही थी इसलिए दोनों हाथों से उसने अपने चेहरे को छुपा लिया. नेहा ने बस अपने पैरों को हल्का सा ही खोला था, बाकी का काम अब मेरे हाथों ने किया. जैसे ही अब नेहा की जांघें खुलीं, मेरी आंखों में चमक सी आ गयी. क्योंकि नेहा का वो खजाना, जिसके लिए मैं इतनी‌ देर से तड़प रहा था. वो अब मेरे सामने आ गया था.

प्रिया के जैसी ही छोटी सी मगर काफी फूली हुई चुत थी उसकी, जो कि छोटे छोटे काले घने बालों से भरी हुई थी. शायद दस पन्द्रह दिन पहले उसने अपनी मुनिया के बालों को साफ किया था.

चुत की फांकों के नजदीक के बाल कामरस से भीगकर चुत से चिपक गए थे. इसलिए छोटे छोटे बालों के बीच चुत की हल्की गुलाबी लाईन अलग ही नजर आ रही थी.

नेहा की रसभरी चुत को देख कर मेरा गला सूख गया था, इसलिए उसकी चुत का रस पीने के लिए अपने आप ही मेरी गर्दन अब उसकी जांघों के बीच झुकती चली गयी, जहां से वो कामरस का झरना फूट रहा था. मैंने पहले तो उसकी दूध सी सफेद गोरी चिकनी जांघों को चूमा और फिर धीरे से उसकी चुत के फूले हुए उभार पर आ गया. अब जैसे ही मेरे होंठों ने नेहा की चुत को छुआ.

उसने एक सुबकी सी ली “इईई.. श्श्शशश.. ओय्य.. उह्ह्हह..” और अपनी दोनों जांघों को बन्द करके अपनी चुत को छुपा लिया.
मैंने गर्दन उठाकर नेहा की तरफ‌ देखा, जैसे कि उससे पूछना चाह रहा हूँ कि क्या हुआ?
उसने एक बार मुझसे नजरें मिलाईं और फिर अपनी गर्दन को दूसरी तरफ घुमा लिया. मैंने अब फिर से उसकी जांघों को खोल दिया. इस बार मैंने उसके घुटनों को मोड़कर उसकी जांघों को फैला दिया और खुद उसकी दोनों जांघों के बीच आ गया.

नेहा “उऊऊ.. हुहुँहूँ..” कहकर हल्का सा कुनकुनाई तो‌ जरूर मगर उसने कहा कुछ भी नहीं.

नेहा की रसीली चुत अब फिर से मेरे सामने थी और उसकी मादक गंध मुझे बेचैन कर रही थी. मैं नहीं चाहता था कि नेहा की चुत के रस की एक भी बूंद जाया हो, इसलिए उसकी चुत की दोनों फांकों पर जो रस लगा हुआ था. सबसे पहले तो मैंने अपनी जीभ से चाटकर उसको साफ किया और फिर धीरे से अपनी जीभ को चुत की दोनों फांकों के बीच घुसा दिया. इससे वो “इ.इईईई.. श्श्श्शशशश.. ओयह्ह्हह..” कहकर जोरों से सिसक उठी और उसकी दोनों जांघें मेरे सिर पर कस गईं. लेकिन मैं अब रूका नहीं, अपने दोनों‌ हाथों को नेहा की जांघों के बीच लाकर मैंने‌ उसकी जांघों को फिर से खोल दिया और एक हाथ से उसकी चुत की दोनों फांकों को फैलाकर चुत के बीच के गुलाबी भाग को चाटना शुरू कर दिया. अब नेहा के मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां फूटनी शुरू हो गईं.

मैंने चुत की फांकों के बीच के गुलाबी भाग को ऊपरी छोर से चाटना शुरू किया और धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा. इससे नेहा की जांघें अब अपने आप‌ ही फैलने लगीं. उसने दोनों हाथों से अब भी मेरे सिर को पकड़ा हुआ था, मगर मुझे रोकने या हटाने का प्रयास वो बिल्कुल भी नहीं कर रही थी.

नेहा की चुत की फांकों के बीच चाटते हुए मेरी ललचाई जीभ भी अब उसके खजाने के द्वार पर दस्तक दे‌ने‌ लगी. इससे नेहा की सिसकारियां और भी तेज हो गईं और उसके हाथ मजे से मेरे सिर के बालों को सहलाने‌ लगे. मगर जैसे ही मेरी‌‌ जीभ ने नेहा के खजाने के द्वार को छुआ, उसने “अअओ.. ओइईई.. इईई.. श्श्श्शश.. आआआ.. ह्ह्हहह..” की एक मीठी सीत्कार भरकर दोनों हाथों से मेरे सिर को जोरों से अपनी चुत पर दबा लिया.

मैंने भी नेहा को अब ज्यादा नहीं तड़पाया और धीरे से अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी छोटी सी चुत के संकरे द्वार में पेवस्त कर दिया, जिससे एक बार फिर वो “अअओ.. ओइईई.. इईई.. श्श्श्शश.. अह.. आआआ.. ह्ह्हहह..” कहकर उचक गयी और अपने दोनों‌ हाथों से मेरे सिर को अपनी चुत पर दबा लिया. मैंने एक दो बार उसकी चुत के द्वार में अपनी जीभ को घिसा और फिर अपनी गर्दन उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखने लगा.

इस बार नेहा शर्मायी नहीं बल्कि मेरी तरफ देखती रही, जैसे कि वो पूछना चाह रही हो कि मैं रुक क्यों‌ गया? उसकी आंखों में उत्तेजना की तड़प अब साफ दिखाई दे रही थी. दरअसल जो सुख मैं नेहा को दे रहा था, वही सुख मैं भी नेहा से लेना चाह रहा था. मुझे पता था कि नेहा ये सब पहले भी कर चुकी है इसलिए शायद वो ऐतराज नहीं करेगी.

ये सोचकर मैं अब धीरे उठकर नेहा के सिर की तरफ अपने पैर करके उसके बगल में लेट गया और उसकी जांघों को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा.

नेहा समझ रही थी कि मैं ये सब क्या कर रहा हूँ इसलिए उसने बिना कुछ कहे चुपचाप करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ कर लिया. हम दोनों अब एक दूसरे के पैरों की तरफ मुँह करके लेटे हुए थे. मैं तो सोच रहा था कि नेहा अपने आप ही मेरे लंड को अपने मुँह भर लेगी, मगर वो तो मेरे लंड को बस आंखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रही थी.

ऐसा नहीं था कि नेहा ये सब पहली बार कर रही थी, उसके पहले भी किसी के साथ सम्बन्ध रहे हैं और जब किसी के साथ सेक्स सम्बन्ध रहे होंगे तो उसने ये सब तो किया ही होगा. शायद मेरे साथ ये सब करते हुए वो शर्मा रही थी इसलिए मैंने अब खुद ही अपनी कमर को खिसका कर अपने लंड को उसके होंठों से लगा दिया.‌ वो हल्का हल्का कुनकुनाई मगर उसने मेरे लंड को अपने होंठों पर से हटाने की कोशिश नहीं की.

अपने लंड को नेहा के होंठों पर लगाकर धीरे धीरे मैं उसके होंठों पर लंड का दबाव बढ़ाने लगा, जिससे वो “उउऊऊ.. उह्हहुहं.. उहुँहूँ..” कहकर हल्का सा कुनकनाने तो लगी.. मगर साथ ही अपने मुँह को भी हल्का सा खोल दिया, जिससे मेरे लंड का सुपारा उसके मुँह में थोड़ा सा घुस गया. मुझे अब उसके नर्म‌ नर्म होंठों की नर्मी व उसके मुँह की गर्मी अपने सुपाड़े पर महसूस होने लगी थी. अब अपने आप ही नेहा के‌ मुँह पर मेरे लंड का दबाव बढ़ गया और मेरा सुपारा थोड़ा सा और उसके मुँह में घुस गया. इसी तरह मैं अब धीरे धीरे अपने लंड का दबाव बढ़ाता गया‌ और अपना सारा सुपाड़ा उसके मुँह में घुसा दिया. नेहा ने कोई विरोध नहीं किया, बस हल्का सा कुनकुनाकर रह गयी.

अपना सुपारा नेहा के मुँह में घुसाकर मैंने भी अब अपना सिर उसकी जांघों के बीच घुसा दिया और उसकी चिकनी जांघों को धीरे धीरे अन्दर की तरफ से चूमने चाटते हुए ऊपर उसके खजाने की तरफ बढ़ने लगा.

मैं नेहा की जांघों को चूमते चाटते हुए धीरे धीरे पग पग धरते हुए उसकी चुत की तरफ बढ़ रहा था. शायद नेहा से अब सब्र नहीं हुआ इसलिए अपनी कमर को आगे खिसकाकर उसने खुद ही अपनी चुत को मेरे मुँह से लगा दिया.

नेहा अब शर्माना छोड़कर खुलने लगी थी, इसलिए मैंने भी अब उसकी चुत को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू कर दिया. वो फिर से अब हल्के हल्के सिससकने लगी. नेहा को तड़पाने के लिए मैं उसकी चुत को ऊपर से नीचे तक तो चाट रहा था.. मगर मैंने अपनी जीभ को उसके प्रवेशद्वार से दूर ही रखा हुआ था. बस कभी कभी प्रवेशद्वार पर गोल गोल घुमा दे रहा था, जिससे नेहा जोरों से सिसक उठती और अपनी कमर को आगे पीछे करके खुद ही अपनी मुनिया के द्वार को मेरे मुँह पर लगाने की कोशिश करने लगती.

कुछ देर तक तो नेहा ये सहती रही, फिर जब उससे ये बर्दाश्त नहीं हुआ तो कसमसाकर वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और अपनी दोनों जांघें खोलकर खुद ही अपनी मुनिया के द्वार को मेरे होंठों से लगा दिया.

नेहा अब मेरे ऊपर थी और मैं उसके नीचे था. उसकी चुत मेरे मुँह पर लगी हुई थी, तो मेरा लंड भी उसके मुँह में था. वो कहते है ना 69 की पोजिशन में आ गए थे.

धीरे धीरे नेहा अब खुलती जा रही थी उत्तेजना के वश उसने अब शर्म हया छोड़ दी और खुद ही अपनी चुत को मेरे मुँह पर घिसना शुरू कर दिया.

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कहानी जारी है.