बहन को बनाया लंड का गुलाम-8

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

बहन को बनाया लंड का गुलाम-7

बहन को बनाया लंड का गुलाम-9

दोस्तो, मैं विशाल, अपनी दीदी की मदमस्त चुदाई की कहानी का अगला भाग आपके सामने पेश कर रहा हूँ. मेरी ब्रो सिस सेक्स स्टोरी में अब तक आपने पढ़ा कि मैं अपनी बहन के चुदाई करके उसे अपने सीने से लिपटाए हुए सो गया था.
अब आगे:

सुबह हो गई थी तभी दरवाजे की घंटी ने मेरी नींद खोल दी. मैं जल्दी से अपने कमरे में गया. शॉर्ट्स, बनियान डाली और दरवाजा खोला.
ये वाचमैन था- ये आपका पार्सल है, कल शाम घर में कोई नहीं था, तो मैंने रख लिया था.
उसने बॉक्स मुझे थमाते हुए कहा.
मैंने उसे धन्यवाद किया.
वो बोला- और हां भईया, आपके पापा का फोन आया था. उन्होंने बात करने को बोला है.

मुझे याद आया कि मैंने फोन तो कमरे में ही छोड़ दिया था. आज पापा-मम्मी आने वाले थे. मैं दौड़ कर कमरे में गया. मैंने फोन देखा, तो 10 मिस कॉल्स थीं.

मैंने दीदी का फोन देखा, उनके मोबाइल पे भी पापा के 6 मिस कॉल थे. मैंने कॉल बैक किया.

किसी ने रिसीव नहीं किया. अब मुझे चिंता होने लगी. अगर पापा आ गए होंगे. मैं रिसीव करने नहीं गया … तो काफी डांट पड़ेगी … और अगर वे घर पहुंच गए … तो मैं क्या करूंगा. अपने रूम की दुर्दशा और अपनी बेटी को अपने बेड पर नंगी पा कर तो वे मुझे मार ही डालेंगे.

मैंने लैंड लाइन पर कॉल किया. मम्मी ने कॉल उठाया. उन्होंने बताया कि इधर नानी चाहती हैं कि मैं कुछ दिन यही रुकूं … तुम्हारे पापा आ रहे हैं. तेरे पापा को तुझसे कुछ काम है, ले बात कर ले. पापा ने मुझे पार्सल, जो वाचमैन ने दिया था, को लेकर एयरपोर्ट आने को कहा. उनकी बंगलौर में कोई मीटिंग थी.

मैंने उनसे पूछा- आप घर नहीं आ रहे क्या?
उन्होंने कहा- नहीं ये मीटिंग बहुत इम्पॉर्टेन्ट है … मुझे जाना होगा.
मैंने न चाहते हुए भी उनसे पूछ लिया- आप वापस कब आओगे?
“मैं सोमवार को आऊंगा.”

यह खुशखबरी सुन कर तो मैं ख़ुशी से उछल पड़ा. तीन दिन और … इतने में तो मैं दीदी के चुत का भुर्ता बना दूंगा.

मैंने फोन रखा. उन्होंने बस कहा- अच्छे से रहने, अपनी बहन का ख्याल रखना.
मैंने मन ही मन कहा कि वो तो मैं बहुत अच्छे से रख रहा हूँ.
जल्दी से मैं ये खुशखबरी दीदी को देना चाहता था.

मैं ऊपर मम्मी पापा के बेडरूम में गया. दीदी अभी तक सो रही थी. मैं कमरे में दाखिल हुआ, तो मैंने देखा. दीदी करवट लिए सो रही थी. उसने पैर एक तरफ मोड़ रखे थे. उसकी गांड उभरी हुई मस्त लग रही थी. मैं उसके पास गया, उसके चेहरे पे हल्की रोशनी पड़ रह थी. उसका वो मासूम प्यारा सा चेहरा. वो सोते हुए बिल्कुल किसी बच्चे की तरह लग रही थी. उसने मेरी कल वाली वाइट शर्ट पहन रखी थी. मैंने उसकी चेहरे पर से बालों को हटाया. कुछ देर तक उसे ऐसे निहराता रहा, जैसे मैंने उसे पहली बार देखा हो.

फिर मैं उसके गाल पे किस करके बोला- गुड मॉर्निंग बेबी.
“गुड मॉर्निंग.” उसने आंखें बंद किए हुए ही बोला.
“उठ जाओ बेबी.”
“उम्म ह्म्म.”

मतलब अभी नहीं.

“क्या हुआ बेबी को?” मैंने उसे फिर से किस करते हुए पूछा.
“मुझे नींद आ रही है.”
“उठ जाओ यार … काफी दिन चढ़ गया है, बाद में सो लेना.”

थोड़ी देर में वो उठी और आंखें मलते हुए बोली- गुड मॉर्निंग.
सुबह सुबह लड़कियां कितनी क्यूट हो जाती हैं. बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह. उसने अपनी बांहें फैला कर मुझे करीब बुलाया.
“कम!”

मैं उसके करीब हो गया. उसने मुझे जोर से हग किया, फिर बोली- लव यू.
“लव यू टू दीदी.” मैंने उसके माथे पर चूमते हुए कहा.
“तुम फ्रेश हो जाओ, मैं ब्रेकफास्ट लाता हूँ.”
“ओके.”

वो बाथरूम जाने के लिए उठी … लेकिन लड़खड़ा के बेड पे गिर गयी. मैंने उसे सम्भाला.
“क्या हुआ दीदी.” मैंने चिंता से पूछा.
“पता नहीं … सर दर्द से फटा जा रहा है.”
“हैंग ओवर है शायद.”
वो अपना सर पकड़ते हुए बोली- हो सकता है.

उसने कल रात काफी शराब पी थी. हैंगओवर तो होना ही था. करीब आधी से बोतल मैंने उसे पिला दी थी.

मैंने उसकी पीठ के पीछे तकिया लगा दिया- तुम यहां आराम से बैठो, मैं अभी निम्बू पानी लेके आता हूँ.

मैं झट से नींबू पानी लेके आया … उसे पिलाया. कुछ देर में उसे आराम हुआ. जब उसे थोड़ा आराम हुआ.

तो मैंने कहा- आर यू ओके?”
“यस..”
“तुम फ्रेश होके नाश्ता कर लो, फिर एक एस्प्रिन खा लेना.”
उसने हां में सर हिलाया. मैंने उसे बाथरूम तक छोड़ा.

प्रीति के शब्द:

यह जंगली चुदाई का आईडिया मुझे काफी महँगा पड़ा था. कल भाई ने मुझे इतनी बेदर्दी से चोदा था कि मेरे बदन के हर कोने में दर्द था, चुत भी सूज गयी थी.
लेकिन सच कहूं तो मुझे उसकी रखैल बनाने में बड़ा मजा आया. कल की चुदाई से मैं तृप्त हो गयी. एक सन्तोषजनक चुदाई हुई थी मेरी. मैं भाई की दीवानी हो गई थी. क्या मस्त अंदाज है उसका. मैं तो जिंदगी भर के लिए उसकी रखैल बनने के लिए तैयार हूँ.

विशाल के शब्द:

मुझे ज्यादा कुछ बनाना नहीं आता, लेकिन मैं कुछ डिशेस बना लेता हूँ जैसे कि ऑमलेट एंड कॉफी. ये सब मैंने हॉस्टल में सीखा था. क्योंकि मैं एक अच्छा शेफ हूँ, मुझे ब्रेकफास्ट तैयार करने में 30 मिनट लगे होंगे.

मैं ब्रेकफास्ट लेके कमरे में पहुंचा. वो बेड पे बैठी मोबाइल में घुसी हुई थी.

“ब्रेकफास्ट तैयार है!”
“पापा के मिस कॉल्स हैं.” उसने परेशानी से बोला.
“कोई नहीं, बात हो गयी है.”
“कब आ रहे हैं वे लोग?”
“ब्रेकफास्ट कर लो, मैं सब बताता हूँ.”
“ओके.”
“अब कैसा लग रहा है?” मैंने ब्रेकफ़ास्ट सर्व करते हुए पूछा.
“मत पूछो … पूरे बदन में दर्द है.”

मैंने उसे अपने हाथों से ब्रेकफ़ास्ट कराया.

“बस मेरा हो गया.” उसने मोबाइल दोबारा उठाते हुए बोला और मोबाइल पे लग गयी.

मैंने ट्रे को साइड में रखा- लेकिन मेरा नहीं हुआ.
उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा.
मैं उसके सामने गया, उसके होंठों पे किस करते हुए बोला- अगले तीन दिनों तक तुम कोई कपड़े नहीं पहनोगी.

वो समझ नहीं पायी. मैंने उसे बताया कि पापा मम्मी नहीं आ रहे हैं और क्यों नहीं आ रहे हैं, ये भी बताया.
“सच!” उसकी आंखें ख़ुशी से चमक गईं.
मैंने हां में सर हिलाया.

वो उठी मेरे होंठों पे होंठों को जड़ कर बोली- आई लव यू.
“लव यू टू.” उसके माथे पे किस करते हुए मैंने बोला.
“रेमेंम्बर नो क्लोथ्स फॉर थ्री डेज.” ( याद रखना, अगले तीन दिनों के लिए कोई कपड़े नहीं.)

मेरे इस मास्टर वाले अंदाज पे वो शायद उत्तेजित हो गयी. वो घुटने के बल बेड पे खड़ी हुई. हाथ से शर्ट के आस्तीन को पकड़ा और एक झटके में खींचा. उस शर्ट के सारे बटन टूट के अलग हो गए और शर्ट उसके बदन से अलग हो गयी. उसके थलथलाते मम्मे उछल के मेरे सामने आ गए. उसने शर्ट को बड़े मादक अंदाज से मेरी आंखों में देखते हुए बेड के नीचे गिरा दिया. फिर उसने हाथ पीछे ले जाके ब्रा का हुक खोला और उसे भी वैसे ही बेड के नीचे गिरा दिया.

“टेक मी मास्टर.” उसने नशीली आवाज में कहा.

उसका यह रूप देख के मेरा तो लौड़ा खड़ा हो गया. लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया. क्योंकि अभी उसे आराम की जरूरत थी. चुदाई की नहीं. हालांकि मैं अभी चोदने को कहता, तो वो मना नहीं करती. लेकिन उसका ख्याल रखना भी तो मेरी ही जिम्मेदारी है न.
“हम्म गुड..”

मैंने ट्रे से दूध का ग्लास उठाते हुए कहा- बट अभी मैं अपना ब्रेकफास्ट पूरा करूंगा.
मैंने उसे ग्लास थमाते हुए कहा.
वो समझ गयी कि क्या करना है. उसने चुचों के ऊपर दूध गिराना शुरू किया. मैंने उसके निपल्स में मुँह लगा दिया. दूध उसके गले के नीचे चुचों से बहता हुआ नीचे आता. मैं उसे निपल्स चूसते हुए पी जाता. मैं ब्रेकफास्ट करके अलग हुआ.

मैंने कहा- तुम शावर ले लो, फिर तुम्हारे बदन दर्द का इलाज करता हूं.
“कौन सा इलाज?” उसने पूछा. ये पूछते समय उसके चेहरे पे कातिल मुस्कान थी.
मैंने मुस्कुरा कर उसकी बात टाल दी. वो बाथरूम चली गयी.

प्रीति के शब्द:

मैं बेड पे पेट के बल बिल्कुल नंगी लेटी थी. भाई मेरी मालिश कर रहा था. मुझे मसाज की जरूरत भी थी. मेरी बॉडी का हर पार्ट दर्द कर रहा था. यह कल रात की घमासान चुदाई का असर था.

उसने ढेर सारा तेल मेरी नंगी पीठ पे डाला और हाथों से पूरी पीठ पे फैला दिया. वो मेरी पीठ की मालिश कर रहा था. वो कमर से लेकर मेरी गर्दन तक के पूरे भाग पे मालिश कर रहा था. तेल की वजह से उसके हाथ फिसलते हुए आगे बढ़ रहे थे. वो काफी अच्छी मालिश कर रहा था. बिल्कुल किसी प्रोफेशनल मसाज करने वाले की तरह. उसने ढेर सारा तेल मेरी कमर पर चूतड़ों के ठीक ऊपर डाला और कमर की अच्छे से मालिश करने लगा. कल कई घंटों तक उसने मुझे कई तरीकों से चोदा था. उसके तरीके आरामदेह तो होते नहीं … इसलिए मेरी कमर लचक गयी थी.

उसकी मालिश से मुझे काफी आराम मिल रहा था. तभी उसके हाथ ऊपर की तरफ बढ़े, उसने मेरे कंधे को मुट्ठी में भींच लिया. मैं सिहर उठी. भाई का स्पर्श मेरी अन्तर्वासना जगा देता था. मेरे मन में फिर से चुदाई के ख्याल आने लगे. वो मेरे कंधों को दबा दबा के अच्छी तरह मसाज कर रहा था. मेरे कंधों और हाथों में भी काफी दर्द था.

घंटों तक मैंने अपने हाथ पी.टी की पोजीशन में ऊपर कर रखे थे. फिर घंटों तक पुल बार से बंधी रही थी. ये सब उसी का नतीजा था. वो मेरी गर्दन से कंधों तक अच्छी तरह मालिश करता था. उसे इसकी अच्छी समझ थी.

मेरा दर्द कम हो रहा था. वो मेरे काँख के नीचे से पीठ तक मालिश करता. अब वो मेरी पीठ की मालिश कर रहा था. मेरी पीठ पे जख्म थे, जो कल रात उसने मुझे दिए थे.

जब वो उन जख्मों को हाथों से छेड़ता, तो मुझे मीठा सा दर्द होता. लेकिन मैं कुछ नहीं बोलती. दर्द की तो अब मुझे आदत हो गयी थी. अब मुझे दर्द में मजा आता था. भाई के द्वारा दिया गया हर दर्द मेरे लिए अनमोल था.

विशाल के शब्द:

उसकी मखमली पीठ तेल की वजह से और भी सॉफ्ट हो गयी थी. मेरे हाथ फिसलते हुए आगे बढ़ते गए. मैंने देखा उसकी पीठ पे कल की चुदाई के जख्म थे. मुझे बड़ी आत्मग्लानि हुई. इस फूल से जिस्म को, जिसे मैं इतना चाहता हूँ … उसे मैंने कितने सारे जख्म दिए है. मैं रुक गया.

मेरे रुक जाने पे वो बोली- क्या हुआ रुक क्यों गया?
“सॉरी दीदी.”
उसने पूछा- किस चीज के लिए?
“मैंने आपके साथ काफी कठोर बर्ताव किया.”
“जख्मों को देख के बोल रहा है?” उसने पूछा
“हम्म..”
“धत पगले, ये तो तेरे प्यार की निशानियां ही मेरे जिस्म पे सुन्दरता को बढ़ा देती हैं.”

मैं चुप रहा.

“और कल की चुदाई अब तक की बेस्ट चुदाई थी, मैंने सच में बहुत एन्जॉय किया.”
“सच दीदी!”
“और नहीं तो क्या! अगले तीन दिनों तक तू मुझे ऐसे ही चोदना.”
“लव यू दीदी.” मैंने उसकी पीठ पे पड़े जख्म पे ऊपर किस करते हुए कहा.
“लव यू टू जान.” दीदी ने जबाव में बोला.

प्रीति के शब्द:

उसके लबों के स्पर्श से मैं सिहर गयी थी. मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया था. उसके हाथ नीचे की तरफ बढ़ रहे थे. उसने मेरी कमर की दोबारा मालिश की, फिर चूतड़ों की तरफ बढ़ा. उसने ढेर सारा तेल मेरे चूतड़ों और टांगों में उड़ेल दिया. वो मेरे चूतड़ों को मसल रहा था. तेल की वजह से मेरी त्वचा मुलायम हो गयी थी. वो बड़े ही पेशेवराना तरीके से मेरे कमर व चूतड़ों की मालिश कर रहा था. ऐसी मसाज मैंने कभी किसी स्पा में भी नहीं ली थी. उसकी मालिश से मेरा दर्द कम हो रहा था.

उधर मेरी जांघों से सरकते हुए उसके हाथ मेरी टांगों की तरफ बढ़े. उसने अच्छे से मेरे टांगों की मालिश की. उसने मेरे अंगूठे को चूम लिया और मुझे बेड पे घुमा दिया. मैं पीठ के बल हो गयी थी और मेरा चेहरा उसके सामने हो गया था. उसने मेरे माथे पे किस किया और ढेर सारा तेल मेरे मम्मों पे उड़ेल दिया. मेरी सांसे तेज हो गयीं. मेरे मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे. मैं भाई के स्पर्श से गर्म हो चुकी थी.

आजकल मैं बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाती थी. भाई के जिक्र मात्र से मेरी चुत पानी छोड़ने लगती. मैं बस दिन रात उससे चुदना चाहती थी. वो चाहता तो मुझे अभी भी चोद सकता था. लेकिन नहीं, वो मेरे बदन को आराम देने में लगा हुआ था. मैं उसकी इसी अदा की तो कायल हूँ. भाई मेरा मुझसे भी ज्यादा ख्याल रखता था. इसी लिए मुझे उसे खुद को सौंप देने में तनिक भी संकोच नहीं होता. ऐसा नहीं था वो सिर्फ सेक्स क्रियाओं में ऐसा था. वो हर जगह मेरा ख्याल रखता था. मेरे लिए किसी से भी लड़ने को तैयार रहता था. उसने मेरा साथ उन पलों में दिया है. जब मैं इतनी मजबूर थी कि खुदकुशी के सिवाय मेरे पास कोई चारा नहीं था.

मेरी निराश हताश जिंदगी को उसने खुशियां और रोमांच से भर दिया था.

उसके हाथ मेरे मम्मों पे थे. वो उनकी भी अच्छी तरह मालिश कर रहा था. उसके हाथ मेरे सीने पे हर जगह घूम रहे थे. वो मेरे कंधों तक पहुँच रहे थे, वो मेरे कंधों और गले की भी मालिश कर रहा था.

अब तक मेरे निप्पल सेंसटिव हो गए थे. हर बार उसके स्पर्श से मैं सिहर उठती और मेरे पूरे जिस्म में वासना की लहर दौड़ जाती.
मेरे मुख से हल्की मदभरी सिसिकारियां निकल रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

उसने मेरी नाभि पे तेल गिराया … तो मेरे बदन में झुरझुरी पैदा हो गयी. गर्म तेल को मैं अपने पेट पे महसूस कर पा रही थी. उसने मेरी कमर की अच्छी तरह मालिश की और फिर से टांगों की तरफ बढ़ा. उसने मेरी टांगों की भी तबियत से मालिश की. इधर मेरी हालत अब खराब हो रही थी.

मैं काफी गर्म हो चुकी थी. उसने बचा हुआ सारा तेल मेरी चुत पे उड़ेल दिया. मालिश की जरूरत तो इसे भी थी, कल बुरी तरह चुदी जो थी. मेरी चूत पाव रोटी की तरह सूज के लाल हो गयी थी. चुत पे उसके स्पर्श को पाते ही में वासना से गनगना उठी. मैं छटपटाने लगी. उसका मालिश करना मुश्किल हो रहा था. उसने हार मान के अपना मुँह मेरी चुत पे रख दिया. जैसे ही उसने मेरी चुत पे जीभ को फेरा, मैं छटपटा गयी. चुदासी और गर्म तो मैं पहले से ही थी. मैंने उसके बाल पकड़ के उसके मुँह को चुत में दबा लिया. उसकी जीभ मेरे चुत के अन्दर जाती हुई महसूस हुई. मैं उसकी जीभ पे ही झड़ गयी. उसने सारा रस गटक लिया.

अब जाकर मैं शांत हुई. उसने चाट के मेरी चुत साफ की. फिर वो उठा और उसने मालिश फिर से शुरू की. उसने अच्छी तरह से मेरी चुत और गांड की मालिश की. उसने बड़े अच्छे तरीके से मेरे जबड़ों और चेहरे की मालिश की. मेरे जबड़े का भी दर्द गायब हो गया … जो कि उसके मूसल लौड़े को चूसने की वजह से हो रहा था.
उसने बर्फ से मेरी सूजी हुई चुत की सिकाई भी की व मेरे सर की भी मालिश की.

“तैयार रहना अपनी अगली चुदाई के लिए.”
मालिश के बाद उसने मुझे धमकाया.
“मैं हमेशा रहती हूँ.” मैंने मुस्कुरा के जवाब दिया.
उसके मर्दाना हाथों में तो जादू था. दर्द तो जैसे गायब ही हो गया. मुझे कब नींद आ गयी, पता भी नहीं चला.

विशाल के शब्द:

मुझे उसे चोदने का बड़ा मन कर रहा था लेकिन मैंने उसे आराम करने दिया. मुझे पापा का पार्सल लेकर एयरपोर्ट जाना था, तो मैं एयरपोर्ट निकल गया. यहां कुछ खास नहीं हुआ.

पापा को एयरपोर्ट पे मिला. उन्हें पार्सल दिया. मेरे पर्सनल कुछ काम थे. आते आते मुझे शाम हो गयी. शाम को मैं जब घर पहुंचा, तो वो किचन में खाना बना रही थी.

फिर क्या हुआ जानने के लिए पढ़ें मेरी कहानी का अगला और अंतिम भाग. मुझे मेल करके बताएं कि कहानी कैसी लगी.
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कहानी जारी है.