बहन को बनाया लंड का गुलाम-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

बहन को बनाया लंड का गुलाम-2

बहन को बनाया लंड का गुलाम-4

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बहन की चूत को चोदने के बाद मैंने उसकी गांड को भी चोद दिया. फिर दोबारा से उसकी चूत को रौंदते हुए मैं उसकी चूत में झड़ गया. मेरी बहन मेरी इस जबरदस्त चुदाई से खुश हो गई.
अब आगे:

उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी. वो मुझे ही देख रही थी. उसकी आँखों में मेरे लिए प्यार था. बेइन्तहा प्यार. मैंने गोद में उठाये हुए ही उसको होंठों पर हल्का सा चुम्बन किया। उसने भी आँख बंद करके मेरा वेलकम किया। फिर बाथरूम में जाकर हम साथ में नहाये. मैंने उसकी पीठ और चूतड़ों पर आइस रगड़ी. उसका दर्द गायब हो गया। इतनी लंबी चुदाई के बाद बेड पर जाते ही हम सो गए. वो खाना बनाने की जिद कर रही थी. लेकिन मैंने उसे मना कर दिया और उसको अपने बदन से चिपका कर सो गया।

मैं 12 बजे उठा तो वो कमरे में नहीं थी। मैं हॉल में आया। किचन में देखा तो वो खाना बना रही थी। मैं हॉल बैठ कर टीवी देखने लगा।

कुछ देर में वो खाना लेकर आयी। उसने ऊपर सिर्फ पीली कलर की ब्रा पहन रखी थी. नीचे स्कर्ट जैसी कोई मॉडर्न ड्रेस थी। मैं सिर्फ शॉर्ट्स में था। उसने खाना लगाया. हमने टीवी देखते हुए खाना खाया। फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गयी। मुझे किस किया और मेरे सीने में अपना सिर छुपाने लगी। मुझे ऐसे ही गले लगाये हुए वो टीवी देख रही थी।

कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- चलो कहीं बाहर घूमने चलते हैं।
उसने सिर मेरे सीने में छुपाये वैसे ही पूछा- कहाँ?
मैंने कहा- वो बाद में डिसाइड करेंगे. पहले चलते हैं।
वो बोली- ओके!

वो तैयार होने चली गयी। मैं गया और पांच मिनट में तैयार होकर वापस आ गया। मैंने जा कर उसके कमरे में देखा, वो अभी तक कमरे में ही थी। मैं हॉल में बैठ कर उसका इन्तजार कर रहा था।
करीब 45 मिनट बाद वो सीढ़ी से उतरते हुए आयी। उसने ब्लू कलर का गाउन पहन रखा था जो उसके पैरों तक घुटने के नीचे तक आ रहा था। आँखों में काजल लगा रखा था। होंठों पे लाल कलर की लिपस्टिक। सुन्दर तो वो पहले से है लेकिन इस अवतार में वो अप्सरा लग रही थी।

सीढ़ी से उतरते हुए वो हॉल में आ रही थी. मानो ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा आसमान से उतर कर मेरी तरफ आ रही हो। उसे देख कर मैं आश्चर्य के मारे भौंचक्का सा रह गया। वो चलती हुई मेरे पास आई और बोली- मुँह तो बंद कर लो मिस्टर!
यह बात कहकर वो हँसने लगी।
उसकी ये अदा भरी हँसी मुझे उसके प्यार में पागल कर रही थी। खैर मैं संभला और खड़ा हुआ, मैं बोला- अब चलें मैडम?

उसने मुस्कराते हुए मेरे हाथ में हाथ डाला और चलने लगी।

अरे हाँ, मैं तो अपने बारे में आप लोगों को बताना भूल ही गया। मैंने वाइट कलर की टी शर्ट पर ब्लू कलर का ब्लेजर डाल रखा था और नीचे लाइट ब्लू जीन्स। हम दोनों परफ़ेक्ट कपल लग रहे थे।
मैंने बाइक की चाबी उठाई, फिर उसकी तरफ देखा. सोचा इस पटाखे को ऐसे खुले में ले जाना ठीक नहीं. मैंने मुस्कराते हुए चाबी को वापस रख दिया। मैंने पापा की कार की चाबी ली और चल दिया।

हम लोग कार में बातें करते हुए जा रहे थे। हम निश्चित कर रहे थे कि हमे कहाँ कहाँ घूमना है. उसके बाद क्या क्या करेंगे।

अचानक मेरी नजर प्रीति के गले में पड़े नेकलेस पर गयी. वो थोड़ा अजीब था. ऐसा पहले मैंने उसे पहनते नहीं देखा था। वो पतली सी चेन जैसा था. आगे की तरफ दो रिंग एक आकार में बड़ी और दूसरी छोटी, जुड़ी हुई थी।
मैंने उससे इशारे से लोकेट के बारे में पूछा तो वो उसे हाथों से छेड़ते हुए मुझे बताने लगी- यह तुम्हारी निशानी है मेरे शरीर पर। यह ये बताती है कि मुझ पे बस तुम्हारा अधिकार है। मैं बस तुम्हारे ऑर्डर्स फॉलो करुँगी।

वो मुझे बताने लगी कि कैसे बी.डी.एस.एम. में स्लेव (गुलाम) को दिया जाता है। ताकि उसे याद रहे कि उसको उसके मास्टर के प्रति पूरी तरह न्यौछावर रहना है, उसका हर कहना मानना है।

उसकी इतनी विस्तृत जानकारी पर मैं हैरान था। लेकिन उसके मुँह से ऐसी बातें अच्छी लग रही थी। उसने मुझे दिखाया कि उस पर मेरा नाम भी लिखा था। उसने मुझे अपना ब्रेसलेट दिखाया जिस पर “ऑन्ड बाय विशाल” (विशाल की गुलाम) लिखा हुआ था।
मैंने उससे कहा- कि ये सब मम्मी के सामने मत पहनना।
वो बोली- ठीक है. लेकिन जब भी हमें अकेले में वक़्त मिलेगा, तुम मुझे इसी रूप में देखोगे।
मैंने कहा- ठीक है बाबा।

मैंने गाड़ी एक मल्टीप्लेक्स सिनेमा हाल के सामने रोकी। उसे उतार कर मैं गाड़ी पार्क करने गया और मैंने दो कॉर्नर टिकट भी ले ली। हम हॉल में अपनी सीट पर बैठ गए. यह शहर का सबसे अच्छा सिनेमा हॉल था। मैं उसके साथ पहले भी यहाँ आ चुका हूँ। यहाँ भीड़ काफी कम होती है. जो लोग होते हैं वो भी किसी से मतलब नहीं रखते। मैंने उसके साथ यहां भी मजे किये थे।

इत्तेफाक से यह वही सीट थी जहाँ हम पिछली बार बैठे थे। सीट पर बैठते ही हम दोनों ने एक दूसरे को देखा. हम दोनों को पुरानी बातें याद आ गयी थीं। जब हम पिछली बार यहाँ आये थे, हालाँकि इतनी आजादी नहीं थी क्योंकि हम काफी छुपते-छुपाते आये थे।

मेरे दिमाग में उस दिन का पूरा सीन घूम गया. मैंने उसकी तरफ देखा। वो मेरी तरफ ही देख रही थी। हम दोनों ने एक साथ स्माइल दी। वो भी वही सोच रही थी जो मैं सोच रहा था। शरमा कर उसने मुँह नीचे कर लिया। वो अभी भी मुस्करा रही थी।

खैर फिल्म शुरू हुई. हम दोनों फिल्म देख रहे थे. करीब आधे घंटे बाद मैं उसके कानों के पास गया और गाल पर किस करके कान में कहा- चेक योर फ़ोन! (अपना फोन देखो!)
मैंने उसे भेजा था- हाय स्लट.
उसने जवाब दिया- यस मास्टर!
मैं- हाऊ वॉज लास्ट नाईट? (पिछली रात कैसी बीती?)
वो- इट वॉज़ वंडरफुल मास्टर! (बहुत ही अद्भुत मालिक!).
मैं- वॉना डू इट अगेन? (फिर से करना चाहोगी?)
वो- यस प्लीज मास्टर. ईट्स माइ प्लेजर मास्टर! (हाँ मालिक जरूर, मुझे भी इससे खुशी मिलेगी)
मैं- यू अरे अ गुड स्लट. (तुम एक अच्छी चुदक्कड़ हो)
वो- थैंक्स मास्टर …
उसने झुकी नजरों वाली इमोजी के साथ भेजा।
मैं- ह्म्म्म!

मैं- व्हाट आर यू वेयरिंग? (क्या पहन रखा है तुमने)
वो- गाउन मास्टर.
मैं- आई मीन इनसाइड? (मतलब अंदर क्या पहन रखा है)
मैंने गुस्से वाले इमोंजी के साथ भेजा।
वो- सॉरी मास्टर! आई ऍम रियली सॉरी. ईट्स ब्रा एंड पैंटी मास्टर (मुझे माफ़ कर दीजिए मालिक, मैंने ब्रा और पैंटी पहन रखी है)
मैं- ह्म्म्म! व्हिच कलर? (किस रंग की?)
वो- ईट्स रेड मास्टर (लाल रंग की)
वो- सॉरी टू डिस्पोइंट यू मास्टर (आपको गुस्सा दिलाने के लिए माफी चाहती हूँ)
मैं- ओके!

मैं हॉल में बैठे हुए बगल में बैठी अपनी बहन के साथ सेक्स चैट कर रहा था. इस बात को सोच कर मैं थोड़ा गर्म होने लगा था। उसके चेहरे पर एक अजीब सा उमंग भरा भाव था. यह मेरे लिए बिल्कुल नया था। हॉल के अँधेरे में ऐसे बात करने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने करीब 5 मिनट बाद उसे फिर से मैसेज किया। वो फिल्म देखने में मशगूल थी। फोन के वाइब्रेट होते ही उसका ध्यान फोन पर गया. झट से मैसेज खोला.
मैं- टेक ऑफ यॉर पैंटीज नाउ! (अपनी पैंटी उतारो अभी)
वो आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी. वह मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे उसे मैसेज पर विश्वास नहीं हुआ हो।

मैंने उसे फोन की तरफ देखने का इशारा किया।
वो नीचे देख कर कुछ सोचने लगी, फिर कुछ देर बाद टाइप किया- ओके मास्टर!
और फोन साइड में रख कर पैंटी निकालने लगी. वो थोड़ा ऊपर हुई. उसने आस-पास देखा, सब फिल्म देखने में मशगूल थे. वो झुकी और एक ही झटके में पैंटी को निकाल दिया। हाथों में पैंटी को लेकर सीधी हुई और आस-पास देखा कि किसी ने देखा तो नहीं।
फिर उसने मोबाइल उठाया- ईट्स रेडी मास्टर (यह तैयार है)
मैं- गुड … गिव इट टू मी! (इसे मुझे दे दो)

उसके हाथों से मैंने पैंटी ली और नाक पर रख कर लम्बी साँस ली. उसकी चूत की खुशबू को अपने जहन में समा लिया. उसकी पैंटी हल्की गीली हो चुकी थी उसके चूत के रस से। वो खुशबू अनोखी थी। मैंने उसकी पैंटी को जैकेट के पॉकेट में रखा और फिल्म देखने लगा।

कुछ देर में इंटरवल हुआ, हम बाहर कुछ खाने के लिए गये।

फिर से फिल्म शुरू हुई. अब मैंने कुछ नहीं किया. अब हम बस फिल्म देख रहे थे। फिल्म ख़त्म हुई। हम हॉल से बाहर आये। वो वाशरूम गयी, फिर हम उसी काम्प्लेक्स के मॉल में शॉपिंग करने गए। हम पति-पत्नी की तरह हाथ में हाथ डाले चल रहे थे जैसे वो मेरे साथ डेट पे आयी हो।

वहाँ पर हमने कुछ शॉपिंग की। उसने मेरे लिए 2 टी-शर्ट ली, अपने लिए उसने कुछ नहीं लिया क्योंकि उसे अगले 2 दिनों तक कुछ पहनना ही नहीं था. सिर्फ 5-6 जोड़े ब्रा और पैंटी ली क्योंकि अभी तो उसकी कई बार और पैंटी फटने वाली थी।

मैंने तब तक उसके लिए एक सरप्राइज डेट प्लान कर लिया था. मैंने एक टेबल बुक कर ली थी। वहां से मैं उसे सीधे उस रेस्टोरेंट में ले गया जहाँ हमारी डेट थी.
यह एक ओपन रेस्टोरेंट था; 9 बज रहे होंगे; हल्की-हल्की चाँद की रोशनी में यह नजारा काफी सुन्दर लग रहा था।

मेरे डेट के प्लान से वो काफी खुश हुई। हम अपने टेबल की ओर बढे, मैंने चेयर खींची, वो मेरे सामने बैठ गयी।

चाँद की हल्की रोशनी में टेबल पर लगी कैंडल की रोशनी में मैं उसके चेहरे को देख पा रहा था.
उसकी आँखों में चमक थी।
कुछ भी हो मैं उससे प्यार बहुत करता था; मैंने हाथ आगे ले जाकर उसके हाथों को पकड़ा और चूम लिया।

तब तक वेटर आ गया आर्डर लेकर। हमने एक दूसरे से बात करते हुए डिनर किया। वो बार-बार डांस फ्लोर की तरफ देख रही थी जहाँ कपल्स डांस कर रहे थे। मैं उठा और रोमांटिक अंदाज में उसका हाथ पकड़ के डांस फ्लोर पर ले गया।

हमने थोड़ा डांस किया। वो बहुत खुश थी। फिर हम वहाँ से निकल गए.

मैं उसके साथ पार्किंग की तरफ बढ़ा. वो आगे-आगे चल रही थी, मैं उसके पीछे-पीछे. ताकि मैं उसके मटकते चूतड़ों को देख सकूँ। अरे हाँ, हॉल से लेकर अभी तक वो नीचे से नंगी थी. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. ये पता कर पाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन किसी मंझे हुए खिलाड़ी के लिए ये बाएं हाथ का खेल था।

वो मेरे सामने गांड मटका कर चल रही थी। पैंटी नहीं होने की वजह से चूतड़ों पर उसका गाउन एकदम चिपक गया था जिसकी वजह से जब वो चलती उसके चूतड़ों की हलचल को मैं साफ देख सकता था। मुझे उसे ऐसे ताड़ने में बड़ा मजा आ रहा था।

गाड़ी के पास पहुंचते ही उसने मुझे गले लगा लिया और बोली- आई लव यू विशाल! थैंक्यू सो मच! मुझे स्पेशल फील कराने के लिए!
मैंने उसे गले लगाये हुए ही कान में पूछा- सिर्फ डेट के लिए?
वो मुस्कराई और मुझे सीने पर मुक्के मारते हुए बोली- इडियट … फोर एवरी थिंग! (बेवकूफ … हर बात के लिए)
ये सुन कर मैंने उसे कस कर गले लगा लिया।

कुछ देर बाद हम अलग हुए। वो गाड़ी में बैठ गयी, मैं ड्राइव करने लगा। उसके चेहरे पर संतुष्टि का भाव था। इसका कारण मुझे पता था. जिस परिस्थिति में वो मुझे मिली थी उसे काफी प्यार की जरुरत थी। उसके अधूरे सपने पूरे हो रहे थे। उसे खुश देख के मुझे अच्छा लग रहा था।

मैंने गाड़ी चलाते हुए उसे एक बार देखा. वो कार के दरवाजे के सहारे सिर टिकाये बाहर की तरफ देख रही थी. उसके चेहरे पर एक दर्द था. शायद उसे बीती बातें याद आने लगी थीं. उसके बॉयफ्रेंड के साथ उसका ब्रेकअप। हवा के झोंके से उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहे थे।

मैंने बालों को उसके चेहरे के ऊपर से हटाया और उससे पूछा- क्या हुआ?
वो मेरी तरफ देख के मुस्कुरायी और बोली- कुछ भी तो नहीं.
लेकिन उसकी आंखें सब बयान कर रही थीं।

मैंने गाड़ी साइड में रोकी, उसे अपनी तरफ खींच कर गले से लगा लिया। वो मेरे से कस कर चिपक गयी। आँखें बंद कर ली हमने।
कुछ समय बाद वो सामान्य हुई, मैं उससे अलग हुआ।

मुझे पास में एक कैमिस्ट शॉप दिखी. मैंने उसे गाड़ी में रहने को कहा. खुद बाहर निकल आया। सड़क पर गाड़ी पार्क करके कैमिस्ट शॉप पर गया। मैंने एक पैक आई-पिल का लिया। इसके अलावा 2-4 डिब्बे अलग-अलग फ्लेवर के कंडोम लिये और वापिस आ गया।
मैंने वो सामान उसे दिया और ड्राइवर सीट पर बैठने लगा।
वो बोली- ये क्या है?
मैंने बोला- बिना कंडोम के तुम्हें 2 दिनों से चोद रहा हूँ. कुछ प्रोटेक्शन तो लेना पड़ेगा न। नहीं तो कल को नन्ही ‘प्रीति’ आ गयी तो क्या करूंगा।

वो मेरी बात सुनकर हँसने लगी। मैं भी हँसने लगा। उसे फिर से हँसती हुई देख कर मुझे अच्छा लगा।
“फिर ये किस लिए?” उसने कंडोम दिखाते हुए पूछा।
मैं बोला- ये दो दिन बाद के लिए. जब हमारा ये होलिडे खत्म हो जायेगा।
मेरा मतलब मम्मी-पापा के वापस आने से था।

इस पर वो बोली- इसकी कोई जरूरत नहीं … मैं इससे काम चला लूँगी.
वो आई-पिल दिखाते हुए बोली- तुम बस जो चाहते हो, खुल के करो मेरे साथ, अब मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ। तुम मेरे लिए पति से भी बढ़ कर हो।

अपनी बड़ी बहन को ऐसा बोलते देख मैं उत्तेजित हो गया। मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर होंठ रख दिए. वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।
रात के 11:30 बज रहे थे। यह रास्ता शहर के बाहर हो कर जाता था, बिल्कुल सुनसान था। मैं बीच सड़क पर अपनी बहन के होंठ चूस रहा था। क्या मस्त अहसास था।

कुछ देर के बाद उसने मेरे होंठ छोड़े. मैं उसके कानों की तरफ गया और कानों पर किस करके बोला- मास्टर वांट्स योर ब्रा! (मालिक को तुम्हारी ब्रा चाहिए)
उसने नजरें झुकाये रखी. कामुक भाव उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे। उसने हाथ पीछे किया और गाऊन का चेन खोल कर ब्रा का हुक खोल दिया। ब्रा निकाल कर मुझे देने लगी.

मैंने ब्रा उसके हाथों से ली और नाक के पास ले गया। उसमें उसके परफ्यूम की खुशबू आ रही थी। मैंने एक लंबी सांस ली और उसे अपने अंदर उतार लिया.
उसकी खुशबू से मुझे जैसे नशा सा चढ़ गया हो। मैं मस्त हो गया।

वो हाथ पीछे करके गाउन का चेन बन्द करने लगी तो मैंने उसे मना कर दिया। उसके अधखुले गाऊन में उसकी चूचियां साफ नजर आ रही थीं। स्लीव लेस गाउन में साइड से उसकी चूची के उभारों को देख सकता था मैं।

मैंने गाड़ी ड्राइव करना स्टार्ट कर दिया। जैसे-जैसे गाड़ी में हलचल होती उसकी चूचियां भी हिलती। बिना ब्रा के अधनंगी चूचियों को मैं हिलते हुए देख रहा था। वो बस नजरें झुकाये हुए इसका मजा ले रही थी।

हम अपनी सोसाइटी के गेट पर पहुंचे. हमारा घर शहर के बाहर था। सोसाइटी के लोग जल्दी सो जाते थे। काफी सन्नाटा था, अधिकतर अपार्टमेंट्स की लाइटें ऑफ थीं।
वॉचमैन ने दरवाजा खोला, मैंने गाड़ी पार्किंग की तरफ ली। हमारी बिल्डिंग अभी अंडर कंस्ट्रक्शन थी तो अभी बहुत सी चीजें होनी बाकी थीं- जैसे पार्किंग में लाइट्स, लिफ्ट में कैमरा।

मैंने गाड़ी रोकी, मैंने प्रीति को बोला- डोंट मूव! (हिलना मत)
मैंने कार के ड्राअर से वो पट्टा (कॉलर) निकाला, कल रात को जो उसने पहना था। वो लेदर का था जिस पर लिखा था ‘प्रॉपर्टी ऑफ़ विशाल’ (विशाल की संपत्ति) ऐसा वो खुद भी मानती थी।

मुझे पहले से प्लानिंग किये हुए देख वो मुस्कुराई. उसे देख कर मैंने भी स्माइल दी. पार्किंग अंडरग्राउंड थी. एक लाइट जल रही थी.
इतनी ही रोशनी थी कि लोग मुश्किल से सामने वाले को देख पाते। मैंने जहाँ गाड़ी पार्क की वहां पर बिल्कुल अँधेरा था. बस गाड़ी की पार्किंग लाइट जल रही थी. मैं गाड़ी से उतरा और दूसरी तरफ गया। गेट खोल कर उसे बाहर निकाला।

उसके उठते ही उसका गाउन सरक कर पैरों में आ गया। वो घबराई. मैंने उसका हाथ पकड़ के कहा- ईट्स ओके, डोंट वरी! (चिंता मत करो, सब ठीक है!)
वो नॉर्मल हुई। मैंने उसका गाउन निकाला और शॉपिंग बैग में डाल दिया। मैंने अपनी जैकेट से उसकी ब्रा निकाली. उसके हाथ पीछे ले गया और उसकी ब्रा से बांध दिया। मैंने पट्टा उसके गले में पहनाया और उसे चलने का इशारा किया.

वो गांड मटका कर चलने लगी।
मैंने शॉपिंग बैग उठाया और उसके पीछे-पीछे चलने लगा।

मैं बता दूं कि वो बिलकुल नंगी थी. उसके तन पर एक भी वस्त्र नहीं था. सिर्फ तीन ही चीजें पहनी थीं उसने जिन पर लिखा था ‘प्रॉपर्टी ऑफ़ विशाल’ उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे. वो सिर झुकाये हल्की सी डरी हुई मेरे सामने गांड मटकाते हुए चल रही थी। उसने हाई हील्स पहन रखी थी उसकी गांड ऊपर उठ गई थी. उसके चूतड़ ऐसे लग रहे थे जैसे 2 बलून्स आपस में रगड़ खा रहे हों।

मैं सारे शॉपिंग बैग्स लिए उसके पीछे-पीछे चल रहा था। वो लिफ्ट तक पहुंची तब तक मैं उसके साथ हो लिया। हमारा अपार्टमेंट 5 मंजिला था. हम सबसे ऊपर रहते थे। चौथे फ्लोर अभी कोई नहीं आया था जैसा कि मैंने बताया कि यह बिल्डिंग अभी नई थी। तीसरे माले पर दो फैमिली रहती थीं।

हम लिफ्ट में घुसे. मैंने थर्ड फ्लोर का बटन दबाया। उसने परेशानी के भाव से मुझे देखा। मैं मुस्करा दिया. वो सारा खेल समझ गयी. हल्की सी कामुक मुस्कान के साथ उसने सर फिर से झुका लिया।

लिफ्ट ऊपर जाते ही मैंने उसे पॉज कर दिया। वो घबराई। मैंने उसे अपनी तरफ खींचा. वो मुझ से पीठ के बल एकदम से चिपक गयी. मैंने उसकी गर्दन पर अपना दाँत गड़ा दिया. वो आँखें बंद करके सिहर गयी. मैंने उसकी नंगी चूचियों को जोर से मसल दिया. उसके मुँह से आहहह निकल गयी. उसने दांत भींच लिए। मैंने अब उसके कंधों पर किस करते हुए अपने जैकेट से उसकी पैंटी निकाली और होंठों पे उंगलियाँ फेरते हुए पैंटी उसके मुँह में ठूंस दी.

वो मदहोश हो चुकी थी, बस सिसकारियाँ ले रही थी. मैंने उसे गर्दन से पकड़ कर एक बार और खींचा. वो मेरे से बिल्कुल सट गयी. मैंने उसे लिफ्ट की दीवार के सहारे झुका दिया और उसके चूतड़ों पर चपत लगाना शुरु किया। मेरे हर एक वार से वो आगे खिसक जाती थी. उसका मुँह बंद था.

वो कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि मुंह में तो मैंने ब्रा को ठूंस रखा था। बस हर एक चपत के साथ वो उम्म्म … हूम्म्म्म…. ऊऊऊऊं … मम्मय्मम … की आवाजें निकाल रही थी।

दस-बारह जोरदार चपत लगाने के बाद मैंने लिफ्ट चालू कर दी और उसे लिफ्ट की दीवार में चिपका कर उसकी पीठ पर किस करने लगा. उसे अच्छा लगने लगा। उसके बाल पकड़ कर मैंने उसे दीवार से चिपका रखा था।
हाई हील्स की वजह से उसकी गांड उभर कर सामने आ गयी थी। मैंने इस पोज़ में उसके चूतड़ों पर चार पांच चपत लगाये। वो काम वासना से सिहर उठी। उसके चूतड़ लाल हो चुके थे। मैंने उसके चूतड़ों पर चुम्बन किया. उसे अच्छा लगा। मार खाने की वजह से उसके चूतड़ और भी सेंसेटिव हो गए थे। उसके चेहरे पर दर्द भरी काम वासना का भाव था।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपनी राय देने के लिए नीचे दी गई मेल आई-डी का प्रयोग करें. आप कहानी पर कमेंट भी कर सकते हैं.
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