अपनी जेठानी और जेठ के साथ ग्रुप सेक्स

जेठ सेक्स कहानी में आपको आज मैं बताउंगी अपनी वासना की आग का कहानी. मेरी शादी के बाद मेरे पति मुझे नहीं चोद पाए. मेरी वासना उफान पर थी. एक दिन मेरी जेठानी ने मुझे चूत में उंगली करते देख लिया.

हाई फ्रेंड्स, मैं आपकी प्यारी सी क्यूट सी दोस्त कोमल! कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सभी को बता दूं ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। यह बस मेरी कल्पनाओं द्वारा लिखी गई कहानी है।
इस जेठ सेक्स स्टोरी की नायिका का नाम रेनू है।

तो चलिए कहानी शुरू करते हैं रेनू की जुबानी:

मेरे प्यारे दोस्तों को मेरा प्यार भरा प्रणाम। मेरा नाम रेनू है और मैं 26 वर्ष की एक शादीशुदा औरत हूं।

अपनी तारीफ में मैं क्या लिखूं … बस ये समझ लीजिए एक सेक्स की चलती फिरती मूर्त जैसी हूं।

दूध सा सफेद रंग, 5.5 की हाइट, बिल्कुल स्लिम पर तराशा हुआ मेरा बदन, छोटे छोटे गोल गोल संतरे के आकार के मेरे चूचे, हल्की मोटी सी गांड, पतले पतले बिल्कुल लाल होंठ और लंबे लंबे काले बाल मेरी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं।

मैं शादी के बाद केवल सलवार सूट या पजामी कुर्ती ही पहनती हूं। हल्का सा मेकअप और गांड को छूते हुए मेरे लंबे बाल, जवान से लेकर बूढ़ों तक के लौड़े खड़े कर देते हैं।
शायद आप सभी पाठकों के लौड़े भी अभी तक खड़े हो चुके होंगे और पाठिकाओं की चूत में भी खुजली होनी शुरू हो गई होंगी।

तो चलिए अब कहानी पर आते हैं।

जैसा मैंने बताया कि मैं शादीशुदा हूं। हमारा परिवार एक बड़ा परिवार है। जिसमें मैं, मेरा पति, मेरे जेठ – जेठानी, उनके दो बच्चे और मेरी सासु मां रहती हैं।

बात उस समय की है जब मेरी शादी हुई थी।

मैं भी बाकी सभी औरतों की तरह अपने मन में बहुत सारी इच्छाएं लेकर आयी थी।
और मुझे मेरी इच्छा अनुसार अच्छा घर, अच्छा पैसा, अच्छा परिवार, खुले विचारों वाले लोग सभ कुछ मिला।

पर अफसोस … मुझे वो नहीं मिला जो एक औरत के लिए सबसे जरूरी होता है.
और वो है शारीरिक सुख!

मेरी सुहागरात पर ही मेरे पति की सारी सच्चाई मेरे सामने आ गई थी।
मेरे पति ने बचपन से ही गलत आदतों में पड़कर अपना स्टेमिना खो दिया था। अब उनके लन्ड में वो जान नहीं रही थी जो होनी चाहिए।
उनका लन्ड पूरी तरह से कड़क नहीं हो पाता था और एक मिनट में ही अपना पानी छोड़ देता था।

सुहागरात पर हम जब सेक्स करने लगे तो मेरा हाथ लगते ही उनके लन्ड ने पानी छोड़ दिया।

इस पर मैंने सोचा कि पहली बार होगा इसलिए शायद ऐसा हो गया होगा।

मैंने भी पहले कभी सेक्स नहीं किया था; परंतु सेक्सी वीडियो और कहानियों से इतनी जानकारी हासिल कर ली थी।

तो मैंने दोबारा कोशिश करने की सोची; मैंने उनके लन्ड को बहुत देर तक सहलाया।

आखिर 15 मिनट बाद उनके लन्ड में कुछ कड़कपन आने लगा।
पर जैसे ही मैंने उनके लन्ड को मुंह में लिया 15 सेकंड बाद ही लन्ड फिर झड़ गया।

मुझे अपनी किस्मत पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था और रोना भी आ रहा था।

जब तीसरी बार सारे प्रयासों के बाद भी लन्ड नहीं खड़ा हुआ तो मेरा पति मुझसे माफी मांगने लगा।

उसने मुझे सारी बात बता दी कि कैसे बचपन से ही गलत आदतों के कारण उसको ये मर्दाना कमजोरी हुई है।
शुरू से ही ज्यादा पैसा होने के कारण मेरा पति रंडीबाजी और हाथ से हिलाने के शौकीन हो गए थे।

मेरे पति ने मुझसे वादा किया कि वे इसका अच्छे से बढ़िया से बढ़िया डॉक्टर से इलाज करवाएंगे।

अब मेरा कुछ हो नहीं हो सकता था क्योंकि शादी हो चुकी थी और मैंने एक जिम्मेदार पत्नी की तरह इसे ही अपनी किस्मत समझकर अपने पति की बात पर सहमति जताई और उसका साथ देने वादा किया।

उसके बाद अक्सर मैं परेशान रहने लगी। मैं हर समय सेक्स की भूखी रहने लगी।
जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने सेक्सी फिल्म और कहानियों पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया।

अब मुझे खीरा, मूली, फिन्गरिंग आदि की आदत पड़ गई।
मैं अब सेक्सी वीडियो और कहानियां देखकर दिन में में दो या तीन बार जरूर झड़ती थी।

फिर भी मेरी वासना शांत नहीं हो रही थी क्योंकि चूत को एक लौड़े की जरूरत होती है, यह तो जानदार लौड़ा ही पूरी कर सकता है।

ऐसे ही एक दिन की बात है.

घर पर केवल मैं और मेरी जेठानी थे। बच्चे स्कूल गए हुए थे और मेरे पति और जेठ जी जॉब पर गए हुए थे।
सासु मां बाहर पड़ोस में महिला मंडल में बैठ जाती हैं।

मैं अपने कमरे में सेक्सी मूवी देख रही थी। मैं बिल्कुल नंगी होकर अपनी चूत को सहला रही थी।
मुझे ये ध्यान नहीं रहा कि दरवाजे की कुण्डी खुली हुई है।

तभी मेरी जेठानी मोनिका मेरे कमरे में आ गई।

मैंने उन्हें देखकर अपने आप को ठीक किया और पूछा- आइए दीदी, कैसे आना हुआ?
मैं अभी तक अपने आप को रिलैक्स नहीं कर पाई थी।

मेरी जेठानी बिना कुछ बोले मेरे पास आकर बैठ गई।

उन्होंने बड़े प्यार से मेरे गालों को हाथ से सहलाते हुए मुझसे पूछा- क्या हुआ रेनू? ऐसी भी क्या मज़बूरी हैं जो तुझे इन सब की जरूरत पड़ती है। क्या देवर जी तुम्हें पूरा सुख नहीं दे पाते?

उनका इतना पूछना था कि मेरा सारा दर्द मेरी आंखों में उतर गया।
मैं अपनी जेठानी मोनिका के गले लगकर रोने लगी।

मैंने रोते रोते अपनी जेठानी को अपना सारा दुखड़ा सुना दिया कि कैसे मैं सुहागरात से लेकर अभी तक सीलपैक शादीशुदा लड़की हूं।

मेरी जेठानी कुछ देर तक बिल्कुल खामोश रही।

मैं इनकी इस खामोशी को समझ नहीं पा रही थी।

मेरी जेठानी ने अपनी चुप्पी तोड़ी और मुझे अपने पति यानि मेरे जेठ जी से सेक्स करने का खुला ऑफर दे दिया।
मैं इस बात से बिल्कुल शॉक्ड हो गई।
ये दीदी क्या बोल रही हैं?
मुझे इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था दीदी ऐसा बोलेगी।

मैंने कुछ देर सोचते हुए उनको बिल्कुल साफ मना कर दिया कि ऐसा कभी नहीं हो सकता।
क्योंकि मैंने कभी अपने जेठ के बारे में गलत नहीं सोचा था।

हालांकि मुझे बहुत बार बाहर सेक्स करने का ख्याल आया पर कभी यह सब करने की हिम्मत नहीं हुई।

मेरी बात सुनकर मेरी जेठानी ऐसे ही बिना कुछ बोले वहां से उठकर चली गई।
मैं उनकी इस खामोशी का मतलब समझ नहीं पाई पर पता नहीं क्यों मुझे ये तूफान से पहले वाली खामोशी लगी।

मैं आपको थोड़ा अपने जेठ जेठानी के बारे में बता देती हूं।

मेरी जेठानी मोनिका हाइट 5 फुट 3 इंच, मोटे मोटे चूचे, बड़ी सी गांड, गदराया हुआ बदन, दूध सा सफेद रंग, रूई जैसे मुलायम हाथ पांव, लंबे काले बाल, हलके से मेकअप के बाद एक प्लस साइज मॉडल की तरह लगती हैं।

और मेरे जेठ जी हाइट 6 फुट 2 इंच, लंबा चौड़ा शरीर, हल्का सांवला रंग, कसा हुआ बदन बोले तो एकदम फिटनेस मॉडल जैसा।
दोनों की जोड़ी बहुत ही जबरदस्त लगती है।

ऐसे ही कुछ दिन निकल गए।

मेरी लेट उठने की आदत है। मैं जब तक उठती हूं मेरे पति और जेठ जॉब पर जा चुके होते हैं।

मोनिका … मेरी जेठानी ही सुबह का नाश्ता बनाती हैं।

एक दिन सुबह 9 बजे मेरी जेठानी की कॉल मेरे पास आई।
फोन कॉल की आवाज से ही मैं नींद से उठी।

मैंने कॉल उठाई तो उधर से दीदी की बिल्कुल धीमी आवाज आई।
दीदी ने बोला- रेनू मुझे बहुत तेज सरदर्द हो रहा हैं। प्लीज मेरे रूम में आके मेरे सर को दबा दे।

मैंने दीदी को थोड़ी देर में आने को बोला।

मैं उठी और नहा धोकर, फ्रेश होकर एक कप चाय पी।
और हल्का सा मेकअप करके मैं दीदी के रूम में जाने लगी।

मैंने उस दिन टाईट चूड़ीदार पजामी और ऊपर सूट पहन रखा था।

मैं जैसे ही दीदी के रूम में गई, मैंने देखा दीदी अपना कम्बल ओढ़े हुए लेटी हुई हैं। बस उनकी गर्दन कम्बल से बाहर थी।

मैंने जाकर दीदी का हाल चाल पूछा।

उसके बाद मैंने मसाज के लिए तेल निकाला और दीदी के सर के पास आकर बैठ गई।
अभी माथे से मसाज शुरू ही करी थी कि मेरी जेठानी बोली= प्लीज रेनू मेरे कंधों की मालिश भी साथ में में कर देना।

दीदी ने ये कहते हुए अपना कम्बल उतार दिया।

और ये क्या … दीदी अंदर बिल्कुल नंगी थी।
मैं थोड़ा शरमा गई क्योंकि आज से पहले कभी भी मैंने दीदी को ऐसी हालत में नहीं देखा था।

मेरी जेठानी बोली- धत्त तेरे की … अब मुझसे भी क्या शर्माना? मैं तेरी जेठानी ही तो हूं। क्या तू भी बच्चो की तरह शरमा रही हैं। ले मैं ही तेरी शर्म दूर करती हूं।

और ये कहते हुए मेरी जेठानी ने मेरे दोनों हाथ पकड़कर जबरदस्ती अपने बड़े बड़े गोल चूचों पर रखवा दिए।
मैं शर्म से बिल्कुल पानी पानी हो गई।
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तभी दीदी ने मेरे कमीज की तरफ अपने हाथ बढ़ाए और बोली- चल रेनू, तू भी अपने कपड़े उतार दे।

दीदी के हाथ सूट को लगते ही मैं वहां से अचानक खड़ी होकर उनसे थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई।
मैं उनको कह ही रही थी कि दीदी ये सब ठीक नहीं है.

कि तभी पीछे से किसी के दो हाथ मेरे दोनों कंधों पर पड़े.
और एक रोबदार आवाज मेरे कानों में आई।

किसी ने पीछे से बोला- जब तुम्हारी दीदी कह रही हैं तो कपड़े उतार दो ना!
और ये कहते हुए किसी ने मेरे चूचे बहुत ही बेदर्दी से बड़ी जोर से दबा दिए।

मेरी बहुत तेज चीख निकली। मुझे बहुत तेज दर्द हुआ।

मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे जेठ जी बिल्कुल नंगे पीछे से मुझे पकड़कर खड़े हैं।
मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि घर में हमारे अलावा और कोई भी है।

ये सब मेरी जेठानी की प्लानिंग थी।
मेरे जेठ जी अंदर बाथरूम में छुपे हुए थे।

मैंने अपना पूरा जोर लगाते हुए उनकी पकड़ से छूटते हुए जैसे ही दरवाजे की तरफ भागने लगी।

मेरे जेठ ने पीछे से पकड़ते हुए मेरी कमर से होते हुए नाभि पर हाथ से पकड़कर मुझे किसी बच्चे की तरह हवा में उछालकर बेड पर पटक दिया।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था यह क्या हो रहा है। लेकिन मेरे अंतर्मन में खुशी की एक लहर सी दौड़ गयी, मुझे अपनी किस्मत का सूरज उदय होता सा दिखा, आशा की एक किरन सी नजर आयी कि मेरी शारीरिक जरूरत आज पूरी हो सकती है.

मेरी जेठानी भी तब तक बैठ चुकी थी।

मेरे जेठ ने जैसे ही मुझे बेड पर पटका. मेरी जेठानी अपने छोटे छोटे मुलायम हाथों से बड़ी जोर से मेरे गाल को सहलाती हुई बोली- भोसडी की … चुपचाप अपनी चूत चुदा ले। ये चूत उंगली करने के लिए ही नहीं है। सेक्स का असली मज़ा आज ले ले।

मैं इससे पहले कुछ सोच पाती मेरे जेठ ने मेरी चूचियाँ जोर से मसल दी।
मैं दर्द से चिल्ला उठी।

मेरे चिल्लाते ही एक हाथ मेरी जेठानी ने मेरे मुंह पर रख दिया- चुप कर भोसडी की … और आराम से चुदा ले।

मैं भी यही चाहती थी पर थोड़ा बहुत नाटक करना तो बनता है।
अब मैं खुलेआम यह नहीं कह सकती थी कि आ जाओ जेठ जी और फाड़ डालो मेरी चूत को!

मेरी अब तक कुछ समझ नहीं आ रहा था मेरे साथ अचानक से ये सब क्या हो रहा है।

मेरे जेठ ने एक बार में ही मेरे शर्ट को फाड़ दिया। मेरे जेठ ने मेरी ब्रा को भी फाड़ दिया।

मैं केवल अवाक सी उनकी हरकतों को देख रही थी।

तभी मेरे जेठानी मेरे होंठों को जबरदस्त तरीके से चूसने पर लग गयी।

मेरे जेठ इतनी तेजी से चल रहे थे मुझे कुछ सोचने का टाइम भी नहीं मिल रहा था।
मैं मेरे जेठ के हाथों में इस तरह थी जैसे किसी बच्चे के हाथ में खिलौना होता है।

मेरे जेठ ने बड़ी जल्दी में मेरी पजामी और पेंटी को एक साथ ही निकाल कर फेंक दिया।

मेरे जेठ ने अपनी दो उंगलियां एक साथ मेरी चूत में घुसेड़ दी।
उनकी एक उंगली भी मेरे पति के लौड़े जितनी मोटी थी। मेरी जान निकल गई थी।

वो इतनी तेजी से उंगली कर रहे थे कि मेरी सारी जान मेरी चूत में आ गई।

मेरे जेठ उंगलियां निकालकर अपने मोटे मोटे होंठ और लंबी सी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगे।

मुझे बहुत अच्छा लगा, ऐसा आनंद आज तक नहीं आया था।
मैं बस आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।

मेरी जेठानी ने अपनी चूत को मेरे मुंह में लगा दिया था।
मैं पूरी तरह से उनके कंट्रोल में थी।
जितनी जोर से मेरे जेठ मेरी चूत को चाट रहे थे उतने ही जोश में मैं अपनी जेठानी की चूत को चाट रही थी।

मेरी जेठानी और मैं सेक्सी सेक्सी आवाजें भी निकाल रही थी।

जेठ जी ने मुझे उसी पोजिशन में उठाकर किसी बच्चे की तरह पलटकर मेरा मुंह अपनी तरफ कर लिया। मेरे जेठ ने अपना लौड़ा मेरे होंठों के आगे लगा दिया और चूसने का इशारा किया।

मैं अपने जेठ के लौड़े को देखकर बिल्कुल डर गई। मैंने ब्लू फिल्म में ही ऐसे लौड़े देखे थे। 8 इंच लंबा, 3 इंच की मोटाई बिल्कुल मेरी कलाई जितनी।
मेरी जान अटक गई … मैंने मना कर दिया।

तभी मेरी जेठानी ने पीछे से मेरे बालों को जोर से पकड़कर खींच दिया। मेरी जैसे ही चीख निकलने के लिए मुंह खुला मेरे जेठ ने अपना लौड़ा मेरे मुंह में अन्दर तक डाल दिया।
मेरी सांस अटक गई। मुझे खांसी उठने लगी।

मेरे जेठ ने मेरी हालत को समझते हुए अपना लौड़ा मुंह से निकाल दिया और वापिस मेरी जेठानी की तरफ मेरा मुंह घुमा दिया।

मेरी जेठानी ने मेरे होंठ अपने होंठों में ले लिये इससे पहले मैं कुछ समझ पाती … मेरे जेठ ने मेरी चूत में अपना लन्ड लगाकर एक जोर का झटका दिया।

और … मेरी आंखों के आगे अंधेरा सा आ गया।
मेरी जेठानी के होंठ मेरे होंठों में रहते हुए भी मेरी बड़ी जोर की आवाज बाहर गई होगी।
ऐसे लगा मुझे … जैसे किसी ने गरम लोहे का डंडा मेरी चूत में डाल दिया हो।

मैं सोच रही थी लन्ड पूरा अन्दर चला गया होगा।
मेरी सील टूट चुकी थी।

पर मैं गलत थी।

मेरी जेठानी बोली- बस रेनू एक झटका और सहन कर ले … फिर कोई दिक्कत नहीं होगी।

मैंने पीछे हाथ लगाकर देखा और ये क्या अभी तक केवल आधा लन्ड ही अंदर गया था।
और मेरी पूरी चूत खून से सनी पड़ी थी।

मैं उनको कुछ कह ही रही थी कि तब तक एक झटका और मेरे जेठ ने लगा दिया।

मेरी बुर फट गयी. मैं दर्द के कारण बेहोश हो गई।

मुझे जब होश आया तो मेरा जेठ मेरे पास ही लेटकर मेरे बालों को सहला रहे थे।
मेरी जेठानी मेरी चूत को साफ कर रही थी।

अब मेरी जेठानी ने मुझे बड़े प्यार से समझाया- देख रेनू, तू मेरी छोटी बहन की तरह है। मैं तेरी ये हालत नहीं देख सकती। एक जिंदगी मिली हैं यार खुल के मज़ा ले। कब तक फिन्गरिंग और मूली – गाजर से काम चलाती रहेगी।

मैं भी यही चाहती थी।

मैंने मेरी जेठानी की तरफ हां में सर हिलाया और मैं मेरे जेठ को किस करने लगी।

मेरी चूत में अभी भी जलन हो रही थी।

मैं बिल्कुल सीधी लेटी हुई थी। मेरा जेठ मेरे ऊपर आ गया और मुझे हर जगह चूमने लगा; मेरे मुंह, कान, गर्दन से होते हुए मेरे चूचों तक पहुंच गया।

अपने जेठ जी के काम क्रियाकलापों का मैं भी पूरा आनंद ले रही थी।

वो मेरे एक चूचे को चूस रहे थे और एक चूचे को हाथ से बड़ी जोर से दबा रहे थे। जैसे आज से पहले उन्हें कभी चूचे मिले ही ना हो।
इसीलिए ही शायद मेरी जेठानी के चूचे इतने बड़े बड़े हो गये हैं।

मैं अभी बूब्स का आनंद ले ही रही थी कि मेरी जेठानी मेरी चूत चाटने लगी।

अब तो मैं डबल मज़े में थी। आज से पहले इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया था।

मैं इसको 2 मिनट भी नहीं झेल पाई और झड़ गई। मेरी सारी जान मेरी चूत में आ गई।

मैंने अपनी जेठानी का सर बड़ी जोर से अपनी चूत में दबा लिया और सारा पानी अपनी जेठानी को पिला दिया।

मेरा जेठ गुस्से में होकर मुझसे बोला- ओ बहन की लोड़ी अभी तुझे बताता हूं। इस चूत के पानी पर बस मेरा हक हैं। तूने इसको क्यों पिलाया?

यह कहते हुए मेरे जेठ ने मेरी चूत पर एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया और मेरे एक निप्पल को जोर से काट दिया।

मैंने बड़े प्यार से उनके बालों में हाथ फेरते हुए कहा कोई नी मेरे राजा अब ये चूत तुम्हारी ही हैं। चाहे कितनी बार भी पानी पी लो।

मैंने अपनी जेठानी की तरफ इशारा करते हुए कहा- इस बहन की लोड़ी रण्डी ने मुझे मजा ही इतना दे दिया कि मेरा कंट्रोल नहीं रहा।
मेरे जेठ ने मेरी जेठानी को बाल पकड़कर खींच लिया और बोले- तू आ बहन की लोड़ी … बड़ी जल्दी लगी है तुझे चूत चाटने की? आज मैं बताता हूँ तुझे।

और ये कहते हुए मेरी जेठानी के मुंह को अपने लौड़े के पास ले आए और एक ही झटके में पूरा लन्ड मेरी जेठानी के गले तक उतारकर जोर जोर से झटके मारने लगे।
मेरी जेठानी की सांस अटक गई।

मैं ऐसे ही लेटे लेटे ये देखकर मुस्करा रही थी कि मेरे जेठ की नजर मेरी तरफ पड़ी।

मेरे जेठ मुझसे बोले- तू क्या मुस्करा रही है मादरजात? इसके बाद तेरा ही नंबर हैं मां की लौड़ी रुक जरा!

यह कहते हुए मेरे जेठ ने मेरी जेठानी की मुंह से अपना लौड़ा निकाला और अपना लंबा मोटा लौड़ा एक ही बार में मेरी चूत में डाल दिया।

मैं बड़ी जोर से चीखी- ओ बहन के लौड़े ये कोई रण्डी की चूत थोड़ी है! हाय मार डाला, आह्ह मर गई! भोसड़ी के … आज ही भोसड़ा बनाएगा क्या? थोड़ी आराम से कर ले, मैं कहीं भाग थोड़ी ना रही हूं, उहहहह फाड़ डाली रे!

पर मेरी बात का जैसे उसे कुछ असर ही नी पड़ रहा हो।
बल्कि मेरी चीखें सुनकर मेरे जेठ को और जोश आ रहा था।
वो लगा और जोर जोर से अपने लौड़े को पेलने।

मेरे जेठ का हर वार मेरी बच्चेदानी तक पहुंच रहा था। मैं मीठे मीठे दर्द के उस आनंद में गोते लगाने लगी।

मैंने अपनी 3 उंगलियां मेरे साइड में बैठी मेरी जेठानी की चूत में डाल दी और बहुत जोर जोर से उंगली अंदर बाहर करने लगी।
मैं बड़ी जोर जोर से चीख चीख कर आनंद ले रही थी।

घर पर भी हम तीनों के अलावा कोई नहीं था, इसलिए कोई परेशानी नहीं थी।

मेरी जेठानी उंगली करवाने के साथ साथ मेरे बूब्स भी चूस रही थी।

मैं इस बीच एक बार झड़ चुकी थी।

उन्होंने मुझे हर पोजिशन में चोदा।

मुझमें अब बिल्कुल जान नहीं बची थी पर अभी तक मेरे जेठ की स्पीड कम नहीं हो रही थी।
मैं अब रहम को भीख मांग रही थी। मैं हाथ जोड़के मिन्नते करने लगी- प्लीज़ मुझे छोड़ दो।

पर मेरे जेठ पता नहीं क्या खाकर मुझे चोद रहे थे; वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

इस बीच मेरी जेठानी भी झड़ चुकी थी।
वो अब बिल्कुल बेजान होकर एक बगल में लेट गई थी।

मेरे जेठ मुझसे बोले- रुक जा मेरी रानी, मेरी रण्डी बस होने ही वाला है।
ये कहते हुए मेरे जेठ इतनी जोर जोर से लौड़े को आगे पीछे करने लगे.

उनके इतनी जोर के झटके थे कि मुझे मेरी नाभि तक उनका लौड़ा महसूस हो रहा था।
मुझे बहुत तेज दर्द के साथ बहुत सारा मजा भी आ रहा था।

उन्होंने आखिरी में जो लगभग 2 मिनट तक झटके लगाए … मुझे ऐड़ी से लेकर चोटी तक हिलाकर रख दिया।

आखिर में हम दोनों इकट्ठे झड़े।
ये मैं तीसरी बार झड़ी थी।

मेरे जेठ ने अपने शरीर का पूरा जोर अपने लौड़े में लगाकर पूरा वजन मेरी चूत में फूंक दिया।
मैं भी अपनी गांड को उठाकर झड़ने लगी।

झड़ने के बाद दोनों बिल्कुल बेजान से हो गए। मेरे जेठ मेरे ऊपर आकर पड़ गए।

मेरे जेठ का वजन ज्यादा था फिर भी मुझे उनका ऐसे मेरे ऊपर पड़े रहना आनंदपूर्वक लग रहा था।

आगे की जेठ सेक्स स्टोरी फिर कभी लिखूंगी कि किस तरह मेरे जेठ का लौड़ा झड़ने के बाद भी ढीला नहीं पड़ा था।
5 मिनट बाद ही मेरे जेठ में फिर से जोश आ चुका था और वो ऐसे ही मेरे ऊपर पड़े पड़े मुझे किस करने लगे।

पर मुझमें अब बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।
मेरी बहुत मिन्नतों करने के बाद वो मेरी जेठानी की तरफ बढ़े।

किस तरह से मेरे जेठ ने मेरी और मेरी जेठानी की हालत बुरी कर दी और किस तरह मेरी गांड की सील खोली।

तो मेरे प्यारे दोस्तो, ये थी मेरी कल्पनाओं से भरी एक प्यारी सी जेठ सेक्स स्टोरी।

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