आखिर बन ही गयी मकान मालकिन रण्डी-3

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

आखिर बन ही गयी मकान मालकिन रण्डी-2

आखिर बन ही गयी मकान मालकिन रण्डी-4

मेरी चोदन स्टोरी के दूसरे भाग में आपने पढ़ा कि…
एक दिन मेरी बीवी घर पर नहीं थी और उसका पति भी घर पर नहीं था. मेरी मकान मालिकन जिसका नाम बसंती था, उसने मुझे अपने यहां चिकन खाने का न्यौता दिया.

मैं भी घर में अकेला था इसलिए उसकी बात को मना नहीं किया. मैं जानता था कि उसका मन चुदने के लिए कर रहा है. मैं भी उसके बताये समय पर शाम को उसके पास पहुंच गया.

उससे चिकन के लिए पैसे मांगे तो उसने अपने ब्लाउज में पैसे रख कर कहा कि निकाल लो. उसने मेरी मर्दानगी को चुनौती दी और मुझसे ये बर्दाश्त नहीं हुआ. मेरा लंड तो पहले से ही तना हुआ था.

उसकी गांड की दरार में लंड टिकाए हुए ही मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुये उसके ब्लाऊज में से पैसे निकाल लिये और मुड़कर दरवाजे की तरफ चल दिया.

लेकिन बसंती ने पीछे से आकर मुझे पकड़ लिया. मेरे सीने पर अपनी बांहों को कसते हुए उसने कहा- सर जी, अब जब आग लगायी है तो इस आग पर पानी भी डाल दीजिये. अगर आपने अभी इस आग पर पानी नहीं डाला तो मैं जलती और तड़पती ही रह जाऊंगी. प्लीज मुझे ऐसे तड़पते हुए छोड़ कर मत जाइये.

तब मैंने पलट कर उसके चूतड़ों को अपने हाथों से दबोचा और बोला- मेरी रानी, मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. मगर अभी कुछ नहीं कर सकता हूं क्योंकि अगर तुम्हारे बच्चे आ गये तो तुम इससे भी ज्यादा तड़प कर रह जाओगी. रात को मैं तुम्हारे जवां जिस्म पर अपने चुम्बनों के ठंडे पानी की बरसात कर दूंगा. मैं तुम्हें रात भर सोने भी नहीं दूंगा. अभी तुम जाओ और रात को जागने के लिए तैयार हो जाओ. मैं सारी रात तुम्हें अपनी बांहों में रखूंगा. चाहे कपड़े पहने हुए रहना या फिर नंगी ही रहना. मर्जी तुम्हारी है.

फिर उसके रस भरे होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे चूमते हुए उसके एक हाथ को अपने लंड पर रख दिया मैंने। पहले तो वो अपने हाथ को मेरे लंड से हटाने लगी. जब दूसरी बार मैंने दोबारा से उसके हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रखवाया तो वह मेरे लंड को मेरी पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी. उसके मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

कुछ पल तक वो मेरे लंड को हाथ में भर कर उसका मजा लेती रही और फिर मैंने उसको अपने से अलग कर दिया.
मैंने कहा- तुम जाकर अब आराम करो, रात को तुम्हारे साथ बहुत कुछ होने वाला है.

इतना बोल कर मैं उसके कमरे से बाहर निकल गया. आधे घंटे के बाद मैं चिकन लेकर आ गया. मैंने घर आकर बसंती को आवाज दी तो उसके बच्चे कमरे से बाहर आये. उन्होंने मुझे नमस्ते किया और बोले- क्या बात है सर?

मैंने उनसे पूछा- तुम्हारी मां कहां पर है?
तब तक बसंती दरवाजे के पास आ गयी थी. उसने अपने बच्चों को अंदर भेज दिया. फिर वो मेरे नजदीक आकर खड़ी हो गयी.

अब मुझे किसी प्रकार का डर नहीं लग रहा था. मैंने सीधे ही उसके उभारों पर अपने हाथ रख कर सहलाते हुए कहा- चिकन थोड़ा तीखा बनाना क्योंकि मुझे तीखा ही पसंद है बिल्कुल तुम्हारी तीखी जवानी के जैसा. आज तो तुम्हारी जवानी का एक एक अंग दर्द करेगा और टूटेगा.

वो बोली- अभी तोड़ दीजिये ना सर… रात का इंतजार नहीं होगा अब। हम तो आपके लिए अब पागल से हो गये हैं. जब से आपके हथियार को हाथ में लेकर देखा है तब से ही नीचे जैसे भट्टी जल रही है. आपका हथियार तो बहुत तगड़ा है सर जी.

यह बोलकर बसंती मेरे लंड को पकड़़ कर जोर से भींचने लगी और चिकन लेकर हँसते हुए किचन में चली गई। मैं वापस अपने कमरे में आ गया और एक सिगरेट पी और सो गया।

लगभग शाम के 7 बजे के आसपास मेरी नींद खुली। मैंने बाथरुम जाकर स्नान किया और एक निक्कर व बनियान पहन कर बाहर टहलने चला गया।

थोड़ी देर बाद जब मैं वापस अपने कमरे में आया तो बसंती की बड़ी बेटी जो लगभग 7 साल की थी मेरे पास आई और बोली कि उसकी मम्मी मुझे बुला रही है।
मैंने उसे यह बोलकर वापस भेज दिया कि अपनी मम्मी को जाकर बोलना कि सर तैयार होकर आ रहे हैं।

फिर मैं फ्रेश होकर बनियान और निक्कर में ही उसके घर गया जो कि उसी मकान के पहले तल पर था.
पहुंच कर मैंने पूछा- भाभी आप मुझे बुला रहे थे क्या? बताइये क्या काम है?
यह सब पूछते हुए मैं किचन तक पहुंच चुका था.

बसंती ने एक झीनी सी नाइटी पहनी हुई थी. मैं बसंती के नजदीक पहुंच कर उसके चूतड़ों को दबाते हुए बोला- बन गया खाना भाभी जी? मुझे बहुत जोरों की भूख लगी हुई है.

बसंती हंसते हुए बोली – पाँच मिनट इंतजार कीजिए, एकदम गर्म खाना मिलेगा खाने के लिए आपको। आप तब तक बच्चों के साथ बैठिए और थोड़ा सब्र रखिए। सब्र का फल मीठा होता है सर। बच्चों को पहले खिलाने दीजिए। वो जब सो जाऐंगे तब हम दोनों खायेंगे, ठीक है?

मैंने हाँ में अपना सर हिला दिया और किचन से बाहर आ गया और उसके बच्चों के साथ बैठकर कार्टून देखने लगा जो कि बच्चे पहले से ही देख रहे थे। दस से पंद्रह मिनट के बाद बसंती आई और उसने अपने बच्चों को खाने के लिए आवाज दी.

तब तक उसने डाइनिंग टेबल पर खाना सजा दिया था. बच्चे भी तुरंत खाने के लिए जा पहुंचे और बसंती उनको खिलाने लगी. खाना खत्म होने के बाद बसंती ने सभी बच्चों को उनके रुम में ले जाकर सुला दिया।

उसके बाद वह मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- खाना है या इसी तरह रहना है।
तब मेरे मुँह से निकला- अपने हसीन व मदमस्त यार के दरवाजे से मैं भूखा चला जाऊं यह तुम्हें शोभा नहीं देगा। रही बात खाने की तो मैं यहाँ सिर्फ चिकन खाने नहीं आया हूँ बल्कि कुछ स्पेशल भी खाना है और यह तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि मेरा स्पेशल क्या है? क्यों?

बसंती नखरे दिखाते हुए अपने स्तनों को थोड़ा उभारते हुए बोली- नहीं, मुझे तो नहीं पता कि आपका स्पेशल खाना क्या है! अगर आपने पहले बताया होता स्पेशल खाने के बारे में तो आपके लिए अलग से इंतजाम कर देती.

उसका इतना बोलना था कि मैंने उसके एक स्तन को अपने हाथ से दबोच कर जोर से भींच दिया जिससे वह दर्द के कारण सिसकार उठी लेकिन मैंने उसके स्तन को मसलना नहीं छोड़ा और मसलते हुए उससे पूछा- अब बताओ तुम्हें पता है कि नहीं मेरे स्पेशल खाना के बारे में या और कुछ करके बताना पड़ेगा?

तब तक बसंती की आँखें वासना की आग में लाल हो गई थीं और वह कमरा जिसमें हम दोनों बैठे हुए थे बसंती की मादक सिसकारियों के कारण पूरी तरह से गर्म हो गया था। मैं उसके दोनों स्तनों को बारी-बारी से मसले जा रहा था।

तभी अचानक बसंती मेरा हाथ हटाते हुए बोली- रुक जाइए सर। पूरी रात बाकी है। आप अपना स्पेशल खाना तसल्ली से खा लीजिएगा। अभी बच्चे सोए भी नहीं होंगे। चलिए पहले खाना खाते हैं तब तक बच्चे भी सो जायेंगे।

उसके बाद उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे डाइनिंग टेबल की ओर ले गयी. वहां बैठा कर बोली- बैठिए, मैं खाना लगाती हूँ.
फिर वो ये कह कर किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद वह खाना लेकर आई और हम दोनों ने साथ में भोजन किया.

भोजन करने के बाद मैंने बसंती से कहा कि मैं छत पर जा रहा हूं.

मैं ऊपर चला गया और वहां जाकर देखा तो मौसम बहुत ही सुहावना था. मेरे मन में बार बार बसंती की चुदाई के खयाल आ रहे थे. मेरा 8 इंच का लंड पूरे शबाब पर था. मेरा लंड उस मादक मकान मालकिन को चोदने के लिए फड़फड़ा रहा था.

बार-बार मैं सीढ़ी के पास जाकर देख रहा था कि बसंती आ रही है या नहीं. लगभग 15 मिनट के बाद वो छत पर आई और थोड़ा नखरा दिखाते हुए बोली- छत पर क्यों बुलाये हो सर हमको? कुछ खास काम है क्या आपको?

मैंने उसको अपने पास आने के लिए इशारा किया और खुद मैं छत पर दीवार के सहारे बैठ गया. बसंती अपनी कमर को लचकाते हुए मेरे पास आई और मेरे बगल में बैठते हुए बोली- जी, अब बताइये क्या इरादा है?

उसके हाथ को पकड़कर मैंने उसको बांहों में लेते हुए कहा- खास बात यह है कि मुझे तेरे इस संगमरमरी जिस्म के रस के समंदर में डुबकी लगानी है। अब चाहे तो तुम खुद अपने आप को मेरे हवाले कर दो या फिर मैं तुम्हारे जवाँ जिस्म से सारे कपड़े उतारकर इसमें खुद ही डुबकी लगा लूँगा। बताओ, तुम्हें क्या अच्छा लगेगा?

वह थोड़े नखरे दिखाते हुए मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली- तैरना आता है आपको? बहुत गहराई है इस झील में, डूब जायेंगे आप। ये शब्द उसके मुँह से निकलने भर की देरी थी और मैंने उसके गुदाज व मांसल स्तनों को दबोचकर बसंती को वहीं छत के फर्श पर लिटाकर उसके उपर चढ़ गया।

उसके बाद उसकी नाइटी को उसकी मांसल जांघों तक उपर उठाकर उसकी चूत के अंदर अपनी दो उंगली घुसा दी जिससे वह तड़प उठी और सिसकार उठी. उसकी जवानी की आग एकदम से भड़क सी गयी. उसके मुंह से निकल गया- आह… आह…. उई… मां… आहह… हहह… मर जाऐंगे सर हम तो इस तरह।

पता नहीं कितने दिनों की प्यासी थी वो कि उसके बाद तो जैसे वह पागल सी हो गई। उसने मुझे अपने से अलग किया और मुझे नीचे लिटाकर मेरे निक्कर को मेरी टांगों से निकाल कर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

उसने मुंह में लंड लिया तो मैं जैसे आनंद के गहरे सागर में उतर गया. धीरे धीरे करके बसंती ने मेरे पूरे लंड को जैसे अपने मुंह की गहराई में उतार लिया. ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने मेरे लंड को निगल ही लिया है.

वह लगातार मेरे लंड को चूसती रही. उसको दांतों से काटती रही. मुझे मजा भी आ रहा था और हल्का दर्द भी हो रहा था. करीबन 10 मिनट के बाद मैं तो झड़ने को हो गया.
मैंने कहा- बसंती, मेरा लंड अब बरसात करने वाला है.
वो बोली- इसी बारिश का इंतजार तो मैं कितने दिनों से कर रही हूं. कर दो बरसात सर जी.

थोड़े ही समय में मेरे लंड ने सारा वीर्य उसके मुँह में ही खाली कर दिया। वह मजे से मेरे लंड के सारे वीर्य को पी गई और फिर मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी। फिर वह मेरे उपर आकर लेट गई।

मैंने उससे पूछा- मजा आया मेरे केले को खाकर या अभी भी आग बची हुई है तेरे जिस्म में?
वह मेरे गाल पर अपने दांत गड़ाते हुए बोली- अभी तो बात शुरू हुई है सर। पूरी रात खाऐंगे हम तो तुम्हारे केले को। बड़ा ही मजेदार और तगड़ा है तुम्हारा ये मोटा केला। जिस लंड के लिए मैं तड़प रही थी सालों से, वह आज जाकर मिला है, तो इतनी जल्दी हमारी आग कैसे मिट जाएगी?

हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी बारिश होने लगी.
मैंने कहा- चलो नीचे बिस्तर पर जाकर मजे लेते हैं.
वो बोली- कितना मस्त मौसम है. इस बारिश में ही तो चुदाई का असली मजा आयेगा सर।

वह मेरे से अलग हुई और उसने मेरी बनियान भी निकाल दी. उसके बाद उसने अपनी खुद की नाइटी भी अपने जिस्म से अलग करके एक ओर फेंक दी. अब हम दोनों ही मादरजात नंगे हो गये थे.
अब चुदाई का असली खेल शुरू होने वाला था.

बसंती ने जंगली बिल्ली की तरह मुझे काटना शुरू कर दिया. वो मुझे ऐसे नोंच रही थी जैसे खा ही जायेगी. मैं भी उसके जिस्म के हर एक अंग को ऐसे ही नोंच रहा था. उसको हर जगह से काट रहा था. उसके स्तनों को जोर जोर से मसल रहा था और वह मेरे जिस्म से बेल बन कर लिपट रही थी.

यह खेल लगभग 25 से 30 मिनट तक चलता रहा। फिर वह अचानक मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी. उसने मेरी जांघों पर बैठ कर अपनी चूत पर मेरे लंड को लगा लिया और धीरे धीरे दबाव बनाने लगी.

जब उसकी चूत के अंदर मेरा पूरा लंड चला गया तब मैंने उसे नीचे लिटा लिया और उसकी एक टाँग को घुटने से मोड़ कर उठाया और फिर मैं अपना घोड़ा उसके सपाट मैदान में पूरी स्पीड से सरपट दौड़ाने लगा।

जहां तक मुझे लग रहा था कि मेरे मकान मालिक यानि कि उसके पति का लंड न तो ज्यादा लंबा था और न ही ज्यादा मोटा था. जिसके कारण उसको मेरा लंड लेने में दिक्कत हो रही थी. यहां तक की उसकी आंखों से पानी आने लगा था.

इस दर्द में भी उसके चेहरे पर लंड लेने का मजा अलग से दिखाई दे रहा था. वह अब लगातार बड़बड़ा रही थी- सर मुझे रंडी बना दो… इस तरह से मेरी चुदाई करो कि मैं खुश हो जाऊं. मैं बहुत दिनों से प्यासी हूं. मैं आपका लंड लेकर अपनी प्यास को मिटाना चाह रही हूं. आपका लंड ही मेरी चूत की आग को शांत कर सकता है. आह्ह … सर … चोद दो मुझे … जल्दी जल्दी चोदो.

मैंने उसकी चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिया और मेरे लंड व उसकी चूत के मिलन से फच फच… थप-थप… फट-फट… की आवाज होने लगी. यह आवाज उस बारिश की रात में और भी ज्यादा मादकता भर रही थी.

15 मिनट तक हमारी चुदाई चलती रही। कभी मैं बसंती के ऊपर हो जाता था तो कभी बसंती मेरे ऊपर हो जाती थी. जब मुझे लगा कि मैं अब झड़ जाऊँगा तो बसंती से मैंने बोला- रानी मेरा पानी निकलने वाला है। तुम्हारी चूत के अंदर डाल दूँ क्या अपने माल को?

वह सिसकारते, कराहते हुए बोली- बहनचोऽऽद, आऽह… उसे फालतू में अंदर मत गिराना। उसे हम पीऐंगे। मेरा भी होने वाला है।
तब हम दोनों 69 की पोज में आ गए और फिर मेरे होंठ उसकी चूत की फाँकों के ऊपर लग गये और मेरा लंड उसके मुँह के अंदर चला गया।

फिर 4 से 5 मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। थोड़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे को चाटते रहे। आप सभी तो यह अच्छी तरह से जानते हैं कि एक अच्छी और मजेदार चुदाई के बाद थकावट हो जाती है और वही हुआ हम दोनों के साथ भी।

थक कर हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते रहे और चूमते रहे. मैं उसके स्तनों को सहलाता रहा और वह मेरे लंड से खेलते हुए वहीं छत पर सो गयी। एक घंटे बाद ठंड के कारण मेरी नींद खुली तो मैंने बसंती को उठाया और बोला- चलो यार नीचे। यहाँ ठंड लग रही है।

फिर हम दोनों अपने कपड़े उठा कर नीचे आए। कपड़े बसंती के रूम में एक तरफ फेंक कर बसंती से मैंने बोला- बसंती, चाय बना लो, चाय पीने का मन कर रहा है।
वह हाँ बोलकर उसी तरह नंगे बदन ही किचन में चली गई। मैं भी नंगे बदन ही बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर वापस बेडरूम आकर लेट गया और एक सिगरेट जलाकर पीने लगा।

थोड़ी देर के बाद बसंती चाय लेकर आई। चाय पीने के बाद वह बाथरूम में चली गई फ्रेश होने के लिये। तब तक मेरा लंड फिर से अपने पूरे उफान पर आ गया था यानि बसंती की चूत की चुदाई के लिए पूरी तरह से एक बार फिर से तैयार हो गया था।

बसंती मेरे लंड को देखकर बोली- बड़ा ही चोदू है तुम्हारा लंड सर जी।
यह बोलकर वह मेरे उपर आ गई और मेरे लंड से खेलने लगी। मैंने उससे पूछा- बसंती, कैसा लगा मेरा लंड? मजा आया मेरे लंड से चुदकर?

वह बोली- सर आज बहुत दिनों के बाद मेरी चूत की चुदाई हुई है एक तगड़े लंड से। आपको हम कभी भूल नहीं पाऐंगे सर। आज से हम आपके गुलाम हैं। आपको जब भी मन करे हमें चोदने के लिये बेहिचक यहाँ आकर मेरे कपड़े उतार कर हमारी चूत को बिना किसी रहम के चोद लीजिएगा।

उसके बाद उस रात मैने बसंती की चूत की चुदाई के साथ साथ उसकी गाँड भी मारी. उसने गांड मरवाने के लिए भी मना नहीं किया. अब वह पूरी तरह से रांड बन गई थी।

सुबह लगभग 5 बजे मैं कपड़े पहन कर अपने रूम पर आ गया। उसके बाद से जब भी मुझे मौका मिला मैं बसंती की चुदाई करता रहा और बसंती मेरे लंड से चुदती रही और चुद कर मजा लेती रही. उसकी चुदाई करके मैंने उसकी राण्ड बनने की इच्छा पूरी कर दी थी.

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